हिजड़ा समाज सभी जगह अपनी मनमानी करने के लिए बहुत बदनाम है. अंधश्रद्धा में डूबा हमारा समाज भी न जाने क्यों इन से इतना डरता है कि जानेअनजाने में ही इन की हर बात चुपचाप सहन कर लेता है. शायद लोगों को डर रहता है कि कहीं इन का दिया हुआ शाप लग गया, तो जिंदगी ही बरबाद हो जाएगी. यही वजह है कि हिजड़े भी इसी बात का भरपूर फायदा उठाने लगे हैं.

ये हर जगह दादागीरी करते दिखाई देते हैं. ये कभी सिगनल पर पैसा मांगते खड़े मिल जाते हैं, कभी बसों में, तो कभी ट्रेन में. कभीकभी तो ये घरों में घुस कर तीजत्योहार पर पैसा मांगने चले आते हैं.

अगर इन को न कह दिया जाए, तो ये गालीगलौज पर उतर आते हैं. रास्ते में ये उलटीसीधी व बेहूदा हरकतें करने लगते हैं और लोग डर के मारे इन की बात मान कर खिसकने में ही अपनी भलाई समझते हैं.

जवानी में तो हर तरह की दादागीरी से हर हिजड़े का काम हो जाता है, लेकिन ढलती उम्र में जिंदगी दोजख सी हो जाती है. अपने गुजारे के लिए तो इन्हें भीख मांगने तक की नौबत आ जाती है. अपने ही समाज से ये दुत्कार दिए जाते हैं. इन्हें नौजवान हिजड़ों की दया पर जीना पड़ता है.

इस के नतीजे में इन के द्वारा सैक्स, चोरी, लूटपाट, अपहरण जैसे किस्से ज्यादा बढ़ने लगे हैं.

हाल ही में भावनगर के तलाजा तालुका के सोसिया और कठवा गांव में हिजड़ों ने 2 नौजवानों को बहलाफुसला कर उन का अपहरण कर लिया. बाद में उन्हें भुज ले जा कर प्राइवेट अस्पताल में हिजड़ा बना दिया.

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