(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
इधर अंजलि की सहकर्मी और सहेली खुशबू को भी पुलिस ने फोन कर के सिद्धार्थनगर बुला लिया था ताकि उस की मौत की गुत्थी जल्द से जल्द सुलझाई जा सके. थानाप्रभारी अंजनी राय ने अजय यादव, उन की बेटी मनोरमा से पूछताछ की.
अजय यादव ने कहा, ‘‘अंजलि बेहद खुशदिल और नेक किस्म की निडर लड़की थी. वह तो सपने में भी मौत को गले लगाने की बात नहीं सोच सकती थी. जरूर उस की हत्या की गई है. वह कई दिनों से परेशान सी थी. पूछने पर कुछ बताती भी नहीं थी.’’
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‘‘पापा सच कह रहे हैं,’’ बात काटती हुई मनोरमा बीच में बोली, ‘‘दीदी, वाकई कुछ दिनों से परेशान थीं.’’
‘‘किस बात को ले कर परेशान थीं?’’ थानाप्रभारी ने मनोरमा से सवाल किया.
‘‘मैं ने इस बारे में दीदी से बात की थी. वह कुछ बताने को तैयार ही नहीं थीं. बस इतना कह रही थीं कि घर आने पर सारी बातें बताऊंगी. इतना कहने के बाद वह रोने लगी थीं. घटना वाले दिन शाम 4 बजे दीदी से मेरी बात हुई थी. उस समय वह कुछ ज्यादा ही परेशान लग रही थीं और फोन पर रो भी रही थीं. उस के बाद तो…’’ कह कर मनोरमा रो पड़ी.
मुकदमा हुआ दर्ज
थानाप्रभारी ने उसे प्यार से चुप कराया. तब तक मृतका की सहेली खुशबू भी वहां आ गई. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. तीनों से पूछताछ करने के बाद थानाप्रभारी अंजनी राय ने अजय यादव की तरफ से अज्ञात के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया.
यह बात 22 मई, 2019 की है. मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने अंजलि के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर अंजलि की अकसर लंबीलंबी बातें होती थीं.
जांच में वह नंबर अंजलि के साथ विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक राकेश कुमार यादव का निकला. दोनों के रिश्तों के बारे में जब पुलिस पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले तथ्य खुल कर सामने आए. अंजलि यादव और राकेश कुमार यादव के बीच काफी समय से मधुर संबंध थे.
दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे और जल्द ही शादी करने वाले थे. यह बात अंजलि के घर वाले, उस की सहेली खुशबू और विद्यालय के अन्य शिक्षक जानते थे. पुलिस ने जब यह बात मृतका के पिता अजय यादव को बताई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें सारी बातें पता हैं.
उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि उन की बेटी की मौत में उसी शिक्षक का हाथ है, जिस से वह प्यार करती थी. उस से सख्ती से पूछताछ की जाए तो मामला सामने आ जाएगा. काल डिटेल्स और अन्य जांच के बाद यह मामला प्रेम में धोखा मिलने के रूप में सामने आया.
काल डिटेल्स और मृतका के पिता अजय कुमार यादव के बयान के आधार पर पुलिस ने शिक्षक राकेश कुमार यादव को 26 मई, 2019 को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.
राकेश देवरिया के थाना कोतवाली सदर स्थित गांव चकरवाधुस पनसरही का मूल निवासी था और मोहाना में किराए का कमरा ले कर रहता था. ग्रीष्मकालीन अवकाश होने की वजह से वह अपने घर चला गया था.
पूछताछ में उस ने पुलिस के सामने यह बात तो कबूल कर ली कि वह और अंजलि एकदूसरे से प्यार करते थे लेकिन उस की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है. मुझे नहीं पता कि अंजलि ने किस वजह से मौत गले लगाई या उस की किस ने हत्या की. मैं निर्दोष हूं.
पुलिस ने राकेश की एक नहीं सुनी. चूंकि अजय यादव ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई थी, इसलिए पुलिस ने राकेश को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. चूंकि अध्यापक राकेश यादव खुद को निर्दोष बता रहा था, इसलिए यह मामला हत्या और आत्महत्या के बीच उलझ कर रह गया था.
पुलिस गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी. जब तक पुलिस गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करती है, तब तक कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अंजलि की निजी जिंदगी की डायरी के पन्नों को पलटते हैं.
25 वर्षीय अंजलि यादव मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के थाना कठौद के हुसेपुरा सुरई की रहने वाली थी. उस के पिता अजय कुमार यादव किसान थे. उन के पास 8 बीघा जमीन थी.
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उन के परिवार में पत्नी सावित्री के अलावा 5 बेटियां मनीषा, बेबी, रूपाली, अंजलि और मनोरमा थीं. खेती के अलावा अजय की हुसेपुरा सुरई बाजार में दवाई की दुकान थी. इस तरह वह इतना कमा लेते थे, जिस से उन की गृहस्थी मजे से चल रही थी.
अंजलि अध्यापिका नहीं कुछ और बनना चाहती थी
बेहद समझदार और सुलझे अजय यादव ने कभी बेटा और बेटियों में फर्क महसूस नहीं किया था. वह भले ही गांव में रहते थे, लेकिन बच्चों को संस्कार देने में कभी पीछे नहीं हटे. बच्चों को सामाजिक मानमर्यादा का पाठ पढ़ाना तो जैसे उन की दैनिक क्रियाओं में शामिल था.
यही वजह थी कि उन की पांचों बेटियां बेहद संस्कारी और गुणी निकलीं. पांचों बेटियां पढ़ने में होशियार थीं, जिन में चौथे नंबर की बेटी अंजलि और बहनों से ज्यादा समझदार थी.
अंजलि का सपना बड़े हो कर कलेक्टर बनने का था यह सपना उस ने सिर्फ खुली आंखों से देखा ही नहीं था बल्कि वह उसे सच करने के लिए रातदिन कमरतोड़ मेहनत करती थी. उसी तैयारी के बीच उस की शिक्षा विभाग में नौकरी लग गई. उस ने यह नौकरी यह सोच कर जौइन कर ली कि यहां से मिलने वाली सैलरी से उस के और मातापिता के खर्च पूरे हो सकेंगे और वह समय मिलने पर प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी भी करती रहेगी.
सितंबर, 2017 में अंजलि की सिद्धार्थनगर के गौहनिया में पहली तैनाती हुई थी. चंचल और चुलबुली अंजलि ने थोड़े ही समय में विद्यालय के सभी शिक्षकों को अपना बना लिया था. उस का बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी अलग था. वह बच्चों को हंसाते गुदगुदाते हुए पढ़ाती थी. उस की इस कलात्मक और अनोखी शैली से बच्चे जल्द ही अपना पढ़ाई का काम पूरा कर लेते थे.
बच्चे तो बच्चे, शिक्षक राकेश कुमार यादव भी अंजलि के खुशमिजाज का मुरीद था. अंजलि कब आंखों के रास्ते उस के दिल में उतर आई, उसे पता ही नहीं चला. जब पता चला तो अंजलि उस की कमजोरी बन चुकी थी. कहने का मतलब यह है कि राकेश अंजलि की खूबसूरती पर फिदा था और उस से प्यार करने लगा था.
यह बात अंजलि को पता नहीं थी कि कोई उस का दीवाना बना हुआ है, जो उस पर जान छिड़कता है. वैसे भी अंजलि ऐसीवैसी युवती नहीं थी जो सामाजिक दायरों को लांघे. उसे तो बस अपने काम से मतलब था.
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शिक्षक राकेश कुमार यादव अंजलि से उम्र में काफी बड़ा था और शादीशुदा भी. लेकिन खुद को उस ने कुंवारा बताया था. धीरेधीरे अंजलि को राकेश के चाहत भरे इरादों का पता चल गया. तब उस ने राकेश से साफसाफ कह दिया कि उसे प्यार जैसी बातों में अभी कोई दिलचस्पी नहीं है. वह उसी लड़के से शादी करेगी, जिस से उस के मांबाप करना चाहेंगे.