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लेखक- अहमद यार खान

मेरी इस बात से सलामत के चेहरे का रंग उड़ गया. उस ने सोचा भी नहीं होगा कि मैं इतना सब कुछ जान गया हूं. वह घबरा कर मेरी ओर देखने लगा. उस के चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था. मैं ने उसे कमजोर पा कर और दबाव बनाया, ‘‘फिर तुम ने अपनी धमकी पर अमल कर दिया. अब्बास कैसे बच निकला?’’

‘‘वह तो…वह तो…’’ उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘मैं ने उसे डराने के लिए कहा था. अगर हत्या ही करनी होती तो मैं अब्बास की करता.’’

‘‘यह भी तो हो सकता है जब तुम वहां पहुंचे तब तक अब्बास आया ही न हो और शादो को अकेला पा कर तुम ने उस के साथ जबरदस्ती की हो. जब वह तुम्हारे काबू में नहीं आई तो तुम ने उसी के दुपट्टे से गला दबा कर उसे मार डाला, जिस से वह किसी को कुछ बता न सके.’’

मैं ने पुलिसिया लहजे में कहा तो वह कसमें खाखा कर मुझे यकीन दिलाने लगा कि हत्या उस ने नहीं की. लेकिन मैं उस की कसमों पर विश्वास नहीं कर सकता था.

मैं ने उस से पूछा कि घटना वाली रात वह कहां था तो उस ने बताया कि वह घर में ही था. मैं ने सलामत से कहा कि वह झूठ बोलने की कोशिश न करे, क्योंकि वह जो कुछ भी कहेगा, मैं उस की पुष्टि अपना आदमी भेज कर करा लूंगा.

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कांस्टेबल ने आ कर इशारे से बताया कि अब्बास आ गया है.

मैं ने कहा, ‘‘सलामत को ले जा कर लौकअप में बंद कर दो और उसे यहां भेज दो.’’

पूछताछ के दौरान अब्बास ने बताया कि हत्या वाली रात वह शादो के साथ ही था. उसे जरा भी अनुमान नहीं था कि वह मर जाएगी, नहीं तो वह उसे छोड़ कर नहीं आता.

अब्बास के अनुसार, शादो ने अपनी जिंदगी के अकेलेपन में उस पर भरोसा किया और उस से शादी भी करना चाहती थी. लेकिन उस के घर वाले उस की शादी अपनी जानपहचान में कराना चाहते थे. जबकि शादो को वह आदमी बिलकुल पसंद नहीं था. उस ने बहाना बनाया कि मैं अपने बेटे पर सौतेले बाप का साया नहीं पड़ने देना चाहती.

अब्बास उस से सच्चा प्रेम करता था. उस ने शादो से कई बार शादी के लिए कहा लेकिन उस ने मना कर दिया. शादो ने उसे बताया कि जिस आदमी से उस का रिश्ता उस के घर वाले चाहते थे, वह पहले से ही शादीशुदा था और उस के 2 बच्चे भी थे. साथ ही शादो की छोटी बहन की शादी उस आदमी के छोटे भाई से हुई थी. अगर शादो उस आदमी को छोड़ कर कहीं और शादी करती तो उस आदमी के घर वाले उस की बहन का घर बरबाद कर देते. इसलिए उस ने शादी न करने का फैसला कर लिया था.

जब कोई राह नहीं मिली तो शादो और अब्बास ने खुदा को गवाह बना कर एकदूसरे को पतिपत्नी मान लिया था. लेकिन उस की कानूनी और सामाजिक हैसियत कोई नहीं थी. वे दोनों खंडहर में मिला करते थे. उस रात भी वे दोनों साथ थे. अचानक पत्तों के चरमराने की आवाज सुन कर अब्बास ने शादो से कहा कि वह दूसरी ओर से निकल जाए. अब्बास भी खंडहर के दूसरी ओर से निकल कर गांव आ गया.

अगली सुबह पता लगा कि शादो की हत्या हो गई. यह दास्तां सुनाने के बाद अब्बास ने फिर से अफसोस जाहिर किया, ‘‘अगर उसे पता होता तो वह शादो को अकेला नहीं छोड़ता और कायरों की तरह गांव नहीं आता.’’

मैं ने उस से पूछा, ‘‘तुम्हें किसी पर शक है? सलामत ने तुम दोनों को मारने की धमकी दी थी.’’

लेकिन अब्बास ने यह कह कर सलामत को शक के दायरे से बाहर कर दिया कि उस रात जो आदमी आ रहा था, उस का साया छोटा था और सलामत कद में लंबा है.

उस के बयान से यह बात तो साफ हो गई कि सलामत निर्दोष है. मैं ने उस से बहुत से सवाल किए और यह कह कर उसे जाने दिया कि अगर इस मामले में उसे कुछ पता लगे तो हमें सूचित करे. मैं ने सलामत को भी जाने दिया.

अगले दिन सूचना मिली कि शादो के मांबाप और भाई रफीक अकसर उस से मिलने आया करते थे. जब उस के घर वालों को शादो और अब्बास के संबंधों का पता लगा तो रफीक ने शादो से सख्ती से पूछताछ की. शादो ने कसम खा कर उसे यकीन दिलाया कि उस के किसी से भी संबंध नहीं हैं.

हत्या से एक दिन पहले रफीक ने शादो से कहा था कि अगर उसे पता लगा कि लोग जो कुछ कहते हैं, वह सच है तो अपने हाथों से उस का गला घोंट देगा. और अगली ही रात शादो की गला घोंट कर हत्या कर दी गई.

शादो के घर वाले उस के क्रियाकर्म के लिए गांव में ही रुके हुए थे. मैं ने कांस्टेबल को भेज कर शादो के भाई रफीक को थाने बुलवा लिया.

पूछताछ के दौरान रफीक ने यह तो मान लिया कि उस का शादो से झगड़ा हुआ था. लेकिन उस की हत्या की बात से साफ इनकार करते हुए बोला कि वह उस दिन अपने एक दोस्त की शादी में गया हुआ था.

मुझे उस की बात में सच्चाई लग रही थी. मैं ने एक कांस्टेबल को शहर भेज कर सच्चाई पता करने के लिए कहा. उस के बाद मैं ने रफीक को इस ताकीद के साथ जाने दिया कि बिना इजाजत वह गांव छोड़ कर न जाए.

2 घंटे बाद कांस्टेबल लौट आया और उस ने रफीक की बात की पुष्टि कर दी. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया. हत्या हुए 2 दिन हो गए थे, लेकिन मेरी जांच एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी थी.

अगली सुबह एक कांस्टेबल ने घर आ कर जो खबर सुनाई, उस ने मेरे होश उड़ा दिए. उस ने बताया कि नंबरदार खबर लाया है. शादो का बेटा सफदर घर में मरा पड़ा है. किसी ने उसे गला घोंट कर मार दिया है.

मैं तुरंत थाने पहुंचा. मैं ने नंबरदार से पूछा तो उस ने बताया कि शादो के क्रियाकर्म के बाद सब लोग अपनेअपने घर चले गए. सफदर के नानानानी और मामा ने उस से साथ शहर चलने के लिए कहा तो उस ने मना कर दिया कि वह कुछ दिन बाद आ जाएगा.

वह हर रोज सुबह को योगा करने जाता था. उस दिन सुबह को उस का एक दोस्त उसे बुलाने घर गया. सफदर घर में अकेला रहता था. उस ने दरवाजा खटखटाया. जब काफी देर तक कोई जवाब नहीं मिला तो उस ने दरवाजे को धक्का दिया. दरवाजा खुला हुआ था. उस ने अंदर जा कर देखा तो सफदर मरा पड़ा था.

वह डर गया और सीधा नंबरदार की हवेली जा कर उसे पूरी बात बताई. नंबरदार तुरंत उस के साथ आया और अंदर सफदर की लाश देखी. उस ने घर की कुंडी लगा दी और सीधा थाने आया. मैं 2 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंचा.

घर के अंदर जा कर लाश को देखा. जैसे मां को गला घोंट कर मारा गया था, उसी तरह बेटे को भी मारा गया था. सफदर अपने गले में एक गमछा डाले रखता था, उसी गमछे से पीछे की ओर खींच कर उस की हत्या की गई थी. मैं ने वहां कांच की चूडि़यों के टुकड़े बिखरे हुए देखे.

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उन टुकड़ों को मैं ने जेब में रख लिया. मैं ने लाश की बहुत बारीकी से जांच की. उस के शरीर पर कोई घाव नहीं था. कमरे का सामान भी ज्यों का त्यों था, कोई चीज बिखरी हुई नहीं थी.

इस का मतलब उसे अचानक ही मारा गया था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद मैं ने सहन में जा कर देखा, वहां मुझे पैरों के निशान दिखाई दिए. वे निशान बिलकुल वैसे थे जो शादो की लाश के पास मिले थे. इस का मतलब यह था कि दोनों हत्याएं एक ही आदमी ने की थीं. अब इस हत्या में एक नई बात यह हुई कि इस में एक औरत भी शामिल हो गई थी, क्योंकि वहां से चूडि़यों के टुकड़े पाए गए थे.

मैं ने सफदर के दोस्त अरशद को अपने पास बिठा लिया. फिर उस से बड़े प्यार से कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे दोस्त की हत्या का बड़ा दुख है. मैं उस के हत्यारे को पकड़ना चाहता हूं. मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है. तुम्हारा दोस्त किसी लड़की के चक्कर में मारा गया है. यह बताओ उस का किसी लड़की के साथ संबंध था?’’

उस ने कहा, ‘‘यह मेरे और मेरे दोस्त के बीच का राज है. मैं किसी को बताना नहीं चाहता था, लेकिन अब जब मेरा यार ही नहीं रहा तो छिपाने से क्या फायदा. गांव की एक लड़की परवीन उस पर मरती थी और दोनों चोरीछिपे मिलते थे. सफदर उस लड़की के साथ सीरियस नहीं था, जबकि परवीन उस से शादी करना चाहती थी. सफदर उसे धोखा दे रहा था, उस के साथ प्रेम के नाम पर पाप का खेल खेल रहा था.’’

अरशद ने बताया कि सफदर ने उसे बताया था कि परवीन उस की वजह से कुंवारी मां बनने वाली है. वह सफदर से मिन्नतें करती थी कि जितनी जल्दी हो सके, उस से शादी कर ले, जिस से वह बदनामी से बच जाए. लेकिन सफदर उसे टालता रहा. उस का परवीन से शादी करने का कोई इरादा नहीं था.

अब देखिए मां भी प्रेम जाल में फंस कर मारी गई और बेटा भी उसी खेल में मारा गया. मैं ने अरशद से पूछा कि लड़की के घर वालों को पता था तो उस ने कहा पता नहीं. वैसे उस ने कहा कि सफदर रोज योगा करने जाया करता था. वहां एक नीची जाति के लड़के ने सफदर को कुछ कह दिया तो उस ने कहा, ‘‘छोटा मुंह, बड़ी बात न कर.’’

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जवाब में उस लड़के ने कहा, ‘‘हम गरीब जरूर हैं लेकिन बेशर्म नहीं हैं. इतने ही शर्मदार हो तो पहले अपनी मां और अब्बास को मारो, फिर हम से बात करना.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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