कन्या हो तो उसे कोख में ही मार दिया जाए. डा. इम्तियाज और उस के साथी यही सब कर रहे थे. लेकिन अब…
आमतौर पर आप ने कुख्यात अपराधियों के हिस्ट्रीशीटर होने की बात सुनी और पढ़ी
होगी. पुलिस और कानून की भाषा में हिस्ट्रीशीटर वे होते हैं, जो बारबार अपराध कर आम जनता के लिए खतरा बन जाते हैं. ऐसे अपराधी की उस के रिहायशी इलाके वाले पुलिस थाने में हिस्ट्रीशीट खोल दी जाती है. इस में उस शख्स के अपराधों का पूरा ब्यौरा होता है.  शांति व्यवस्था कायम करनी हो या चुनाव वगैरह शांति से निपटाने हों, तो सब से पहले उस इलाके की पुलिस हिस्ट्रीशीटर को पाबंद करती है. यहां तक कोई भी बड़ा अपराध होने पर सब से पहले हिस्ट्रीशीटर को ही तलब कर पूछताछ की जाती है, ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके. हिस्ट्रीशीटर को संबंधित पुलिस थाने में निश्चित समयावधि में हाजिरी भी देनी होती है.
लेकिन कोई अच्छा भला डाक्टर भी हिस्ट्रीशीटर हो सकता है, यह बात कल्पना से परे है. कोई कल्पना या यकीन करे न करे पर इस कहानी का अहम किरदार डा. इम्तियाज अली रंगरेज संभवत: देश का पहला हिस्ट्रीशीटर डाक्टर है. इस डाक्टर पर आरोप है कि उस ने हजारों बेटियों को महिलाओं को कोख में ही मार डाला है.
राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले डा. इम्तियाज ने सन 2004 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी. इस के बाद वह राजस्थान में सरकारी अस्पताल में नौकरी करने लगा. नौकरी करते हुए 2 साल में वह 4 बार भ्रूण परीक्षण करते हुए पकड़ा गया.

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सब से पहले डा. इम्तियाज को राज्य की पीसीपीएनडीटी टीम ने 7 अक्तूबर, 2016 को जोधुपर के शंकर नगर में एक महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग परीक्षण करते हुए गिरफ्तार किया था. उस के साथ एम्स जोधपुर का रेडियोलोजिस्ट भी पकड़ा गया था. दबिश देने के दौरान दोनों आरोपियों ने सोनोग्राफी मशीन पहली मंजिल से नीचे फेंक दी थी. बाद में यह मशीन जब्त कर ली गई. डा.
इम्तियाज के बारे में जानकारी मिलने पर पीसीपीएनडीटी टीम ने बाड़मेर की एक गर्भवती महिला को फर्जी ग्राहक बना कर डा. इम्तियाज के पास भेजा था. डा. इम्तियाज ने उस महिला से भ्रूण लिंग परीक्षण के लिए 23 हजार रुपए लिए थे.
इन में 18 हजार डा. के और 5 हजार रुपए रेडियोलौजिस्ट के थे. टीम ने यह रकम बरामद कर ली थी. जांच में सामने आया कि डा. इम्तियाज बेटी नहीं चाहने वाली महिलाओं का गर्भपात कराता था. गर्भपात बालेसर के सरकारी अस्पताल में कराया जाता था.
उस समय डा. इम्तियाज बालेसर में ब्लौक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत था. यह उस की चौथी पोस्टिंग थी. इस मामले में डा. इम्तियाज को जेल भेज दिया गया था. लेकिन जल्दी ही वह जमानत पर बाहर आ गया.
इस के बाद वह 21 मई, 2017 को जोधपुर में निजी अस्पताल के संचालक हनुमान ज्याणी के घर पर भ्रूण परीक्षण करते हुए पकड़ा गया. हनुमान ज्याणी इस से पहले ही पकड़ा जा चुका था
डा. इम्तियाज तीसरी बार 5 जनवरी, 2018 को उस समय पकड़ा गया, जब उस के दलालों ने एक गर्भवती महिला को भ्रूण परीक्षण के लिए पहले झुंझुनूं, फिर सीकर इस के बाद नागौर और बाद में जोधपुर बुलाया. जोधपुर में वह चलती गाड़ी में भ्रूण परीक्षण करते हुए पकड़ा गया. उस से जबत की गई पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन नेपाल से खरीद कर लाई गई थी.
झुंझुनूं के कलेक्टर के सहयोग से पीसीपीएनडीटी (प्री कंसेप्शन ऐंड प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक्स ऐक्ट) के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुवीर सिंह के नेतृत्व में की गई इस काररवाई में हनुमान ज्याणी और एक दलाल भाग निकले. उस समय डा. इम्तियाज ने पूछताछ में पीसीपीएनडीटी की टीम को बताया कि विभिन्न जिलों में उस के 50 से अधिक दलाल हैं. इन दलालों के माध्यम से वह अब तक 5 हजार से ज्यादा भ्रूण परीक्षण कर चुका है.

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चौथी बार वह 9 सितंबर, 2018 को जोधपुर में ही महामंदिर स्थित एक मकान में गर्भवती महिला का भ्रूण परीक्षण करते हुए पकड़ा गया. राज्य पीसीपीएनडीटी ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिल्पा चौधरी के निर्देशन में की गई इस काररवाई में संविदा पर कार्यरत लैब तकनीशियन फतेह किशन शर्मा को भी गिरफ्तार किया.
इस दौरान एक अवैध पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन भी बरामद की गई. काररवाई के दौरान डा. इम्तियाज का साथी जोधपुर के निजी हौस्पिटल का संचालक हनुमान ज्याणी फरार हो गया.
डा. इम्तियाज ने भ्रूण परीक्षण और बेटियों को कोख में मारने का गैरकानूनी काम अपने पिता डा. मोहम्मद नियाज से सीखा. डा. इम्तियाज के पिता नियाज रंगरेज भी डाक्टर हैं. उन का नागौर जिले के मकरना शहर में निजी अस्पताल है. करीब 72 साल के डा. नियाज भी सन 2012, 2014 और 2016 में लिंग परीक्षण करते हुए पकड़े जा चुके हैं.
पीसीपीएनडीटी की टीम ने अगस्त 2016 में नागौर जिले के मकराना शहर में डा. नियाज और नर्स रोजा को भ्रूण लिंग जांच करते हुए रंगेहाथ पकड़ा था. उस समय डा. नियाज ने टीम के एक सदस्य को काट भी लिया था. इस संबंध में स्थानीय पुलिस थाने में अलग से मामला दर्ज कराया गया.
भ्रूण परीक्षण के लिए नर्स रोजा के माध्यम से बोगस गर्भवती महिला ने 30 हजार रुपए में सौदा तय किया था. डा. नियाज ने महिला के गर्भ की जांच कर लड़की बताई थी. इस पर गर्भवती की सहयोगी महिला ने कहा कि हमें लड़की नहीं चाहिए, तो डा. नियाज ने 7 माह की गर्भवती महिला से इस काम के लिए 30 हजार रुपए और मांगे थे.
इस से पहले डा. नियाज को जब भ्रूण परीक्षण करते हुए पकड़ा गया था, तो उन की सोनोग्राफी मशीनें सील कर दी गई थीं. लेकिन उस ने सील मशीनों को विशेषज्ञ की मदद से जोड़ लिया था और फिर गैरकानूनी तरीके से लिंग परीक्षण का काम शुरू कर दिया था.
कहा जाता है कि डा. इम्तियाज ने सरकारी नौकरी में आने से कई साल पहले ही लिंग परीक्षण का अवैध काम शुरू कर दिया था. 2008 से वह पेशेवर के रूप में यह अवैध काम करने लगा था.
डाक्टर पिता और पुत्र भ्रूण परीक्षण कर गर्भपात करने का पैकेज लेने के लिए कुख्यात थे. ये किसी महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग परीक्षण करने के लिए 25 से 35 हजार रुपए लेते थे. बाद में इतनी ही राशि गर्भपात के लिए वसूलते थे.

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लिंग परीक्षण करते हुए पकड़े जाने के बाद डा. इम्तियाज को जेल भी भेजा गया, लेकिन जमानत पर जेल से बाहर आ कर वह फिर इसी घिनौने धंधे में लग जाता था. सरकारी नौकरी में रहते हुए 2016 में डा. इम्तियाज गैरकानूनी रूप से भ्रूण परीक्षण के मामले में लिप्त पाया गया तो उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया था.
राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने उसे निलंबित कर दिया था. तब से वह निलंबित चल रहा है. इस के बाद भी वह 3 बार लिंग परीक्षण करते हुए पकड़ा गया, लेकिन सरकार ने उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया. डा. इम्तियाज के पास अभी तक डाक्टरी का तमगा है. विशेषज्ञों का कहना है कि डाक्टरी की डिग्री छीने जाने के संबंध में स्पष्ट प्रावधान है कि अदालत से सजा होने के बाद ही मेडिकल कौंसिल औफ इंडिया की ओर से डिग्री छीनी जाती है.
सीनियर आईपीएस औफिसर डा. अमनदीप सिंह कपूर की पहल पर डा. इम्तियाज को हिस्ट्रीशीटर घोषित किया गया. डा. कपूर जोधपुर में पुलिस उपायुक्त (पूर्व) के पद पर तैनात हैं. डीसीपी अमनदीप कपूर के पास भी एमबीबीएस की डिग्री है.
अमनदीप कपूर को पता चला कि डा. इम्तियाज लिंग जांच कर के अवैध रूप से गर्भपात करवाने जैसे घिनौने काम में लगा है. वह 4 बार गिरफ्तार हो चुका है. उस के खिलाफ अदालत में कई मामले विचाराधीन हैं, फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.
डा. इम्तियाज की आपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण और आमजन की सुरक्षा के लिए डीसीपी डा. कपूर ने उस की हिस्ट्रीशीट खोलने के निर्देश दिए. इस के बाद दिसंबर 2018 में पुलिस ने 41 साल के डा. इम्तियाज को जोधपुर शहर के नागौरी गेट थाने का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया.
कहा जाता है कि डा. इम्तियाज के पिता डा. नियाज का मकराना में अस्पताल और जोधपुर सहित कई शहरों में जमीनें व मकान हैं. दोनों पितापुत्र की चलअचल संपत्ति करीब सौ करोड़ रुपए की बताई जाती है. यह सारी संपत्ति अवैध तरीके से एकत्र करने का अनुमान है.

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लिंग परीक्षण करने और बेटियों को कोख में मारने वाले डा. इम्तियाज के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान ले कर राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, राजस्थान मेडिकल काउंसिल और जोधपुर के पुलिस कमिश्नर से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने चिकित्सा विभाग से पूछा है कि सरकारी सेवारत डाक्टरों के खिलाफ दर्ज प्रत्येक विभागीय काररवाई का विवरण और उस से संबंधित प्रगति रिपोर्ट आयोग के सामने पेश करें.
राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार को कहा गया है कि इन डाक्टरों के विरुद्ध कोई प्रकरण शिकायत या स्वत: संज्ञान से कोई प्रकरण दर्ज किया गया या नहीं. अगर प्रकरण दर्ज किए गए हैं तो उन में की गई काररवाई की जानकारी दें और अगर प्रकरण दर्ज नहीं किए तो उस के कारण बताएं.
जस्टिस टाटिया ने जोधपुर पुलिस कमिश्नर से डा. इम्तियाज और उस के पिता डा. नियाज रंगरेज के खिलाफ दर्ज सभी फौजदारी प्रकरणों की एफआईआर की प्रतिलिपियां, हिस्ट्रीशीट खोले जाने के लिए पेश किए गए प्रार्थनापत्र और उन पर जारी आदेशों की प्रतिलिपियां मांगी हैं. इस के अलावा किनकिन प्रकरणों में जांच पूरी कर के अदालत में नतीजा पेश किया गया, उस से संबंधित जानकारी भी देने को कहा गया है.
पीसीपीएनडीटी टीम को अंतरराज्यीय लिंग जांच गिरोह के सरगना रवि सिंह को नवंबर, 2018 में पता चला था. झुंझुनू सहित कई जगह की गई काररवाई में इस घिनौने काम में उस की लिप्तता पाई गई थी. रवि सिंह ने शेखावटी अंचल के अलावा राजस्थान के करीब 20 जिलों में जगहजगह दलाल नियुक्त कर रखे थे. रवि की पत्नी सुनीता सिंह भी लिंग जांच के काम से जुड़ी है.

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झुंझुनूं के सिंघाना कस्बे का रहने वाला रवि सिंह पीसीपीएनडीटी के मामलों में 3 बार पहले भी पकड़ा जा चुका था. वह भी जमानत पर छूटने के बाद फिर से इसी काम में लग जाता था.
उस ने अपने एक दर्जन से ज्यादा सहयोगियों को अवैध पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन से भ्रूण लिंग जांच करने का काम भी सिखा दिया था. वह राजस्थान के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब के कुछ जिलों में निर्धारित स्थान पर जा कर भ्रूण लिंग परीक्षण भी करता था.
14 अगस्त, 2018 की देर रात झुंझनूं के सोलाना गांव में भ्रूण लिंग परीक्षण के दौरान पीसीपीएनडी टीम ने रवि के 2 सहयोगियों को पकड़ लिया था, लेकिन रवि सिंह अंधेरे का लाभ उठा कर भाग निकला था. बाद में रवि सिंह ने अपने रिश्तेदारों व सहयोगियों के माध्यम से मुखबिर से संपर्क कर उसे लालच भी दिया था, लेकिन वह इस में कामयाब नहीं हो सका था.
चौथी बार पकडे़ जाने पर रवि सिंह ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि शेखावटी इलाके में अवैध सोनाग्राफी मशीनों से लिंग जांच करने वाले अधिकतर लोग उस के शागिर्द हैं. उन्हें मशीनें भी रवि ने ही दिलवाई थीं.
उसे इस का एक फायदा यह हुआ कि उसे लिंग जांच के लिए कहीं भी मशीन ले कर नहीं जाना पड़ता था. जिस इलाके की गर्भवती महिला जांच करवाना चाहती, रवि सिंह उसी क्षेत्र के अपने शार्गिद की मशीन से जांच कर देता था.
रवि सिंह ने लिंग परीक्षण का काम दिल्ली के एक डाक्टर से सीखा था. इस के बाद उस ने खुद की मशीन ला कर अवधेश पांडे के साथ यह काम शुरू किया. अवधेश पांडे लिंग जांच के मामले में 3 बार पकड़ा जा चुका है.
बाद में रवि सिंह ने पांडे से अलग हो कर नया नेटवर्क तैयार किया. रवि के नेटवर्क में सरकारी नर्सों सहित 100 से ज्यादा लोग हैं.
पीसीपीएनडीटी टीम ने रिमांड अवधि पूरी होने पर जब उसे जेल ले कर गई तो उस ने कहा कि वह एक-डेढ़ महीने से ज्यादा यहां नहीं रुकेगा, क्योंकि जल्दी ही उस की जमानत हो जाएगी.
राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग की पीसीपीएनडीटी टीम ने दिसंबर 2018 के पहले सप्ताह में पंजाब के मलोट शहर से एक सरकारी महिला नर्स सहित 3 महिलाओं को गिरफ्तार किया. इस मामले में भ्रूण लिंग जांच के लिए श्रीगंगानगर की रहने वाली सरकारी नर्स ने 80 हजार रुपए लिए थे.
श्रीगंगानगर में एक महिला दलाल इन के साथ और जुड़ गई. नर्स व महिला दलाल उस गर्भवती को गंगानगर में घुमाने के बाद ट्रेन से पंजाब के मलोट शहर ले गईं. वहां तीसरी महिला दलाल मिली. वे गर्भवती महिला को पंजाब के फिरोजपुर जिले में ले गई, जहां सोनोग्राफी कर लड़की बताई गई.
बाद में गर्भवती के साथ महिला दलाल वापस मलोट पहुंची तो पीसीपीएनडीटी टीम ने तीनों को पकड़ लिया. राजस्थान पीसीपीएनडीटी की पंजाब में यह आठवीं डिकौय काररवाई थी.
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 8 मार्च, 2018 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने मुन्नीदेवी अल्ट्रासाउंड पर काररवाई कर एक महिला सहित 2 लोगों को गिरफ्तार किया था. इन से एक सोनोग्राफी मशीन भी जब्त की गई थी. इस दौरान सोनोलोजिस्ट भाग गया था.
पीसीपीएनडीटी टीम की काररवाई में ऐसे मामले भी सामने आए, जिन में पता चला कि लिंग जांच परीक्षण के नाम पर गर्भवती महिलाओं को फर्जी मशीनों से जांच कर बेवकूफ भी बनाया जाता है. ऐसा ही एक मामला अक्तूबर 2018 में जयपुर जिले के चौमूं में ओम डेंटल क्लीनिक का सामने आया.

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पीसीपीएनडीटी की टीम ने सूचना पर कथित दंत चिकित्सक मोहनलाल जाट से बात की, तो उस ने लिंग परीक्षण के 30 हजार रुपए मांगे. उस ने गर्भवती को एक जगह बुलाया. कार से मोहनलाल जाट एक दलाल के साथ पहुंचा और गर्भवती को चौमूं में ओम डेंटल क्लीनिक पर ले गया.
वहां मोहनलाल ने गर्भवती को डेंटल चेयर पर लिटा कर मसाला सुखाने वाली मशीन से लिंग परीक्षण का नाटक किया और भ्रूण की जानकारी दे दी. बाद में मोहनलाल और दलाल ओमप्रकाश को गिरफ्तार कर रकम जब्त कर ली गई.
जनवरी 2018 में राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने उत्तर प्रदेश के आगरा में काररवाई कर मैक्स डायग्नोस्टिक एंड पैथोलौजी सेंटर पर फर्जी तरीके से भ्रूण लिंग परीक्षण करने के मामले में सेंटर संचालक अजय उपाध्याय और उस की सहयोगी महिला प्रीति कुलश्रेष्ठ को गिरफ्तार किया.
इन से 2 फीटल डौपलर व एक कंप्यूटर मौनिटर सहित 20 हजार रुपए की रकम बरामद की गई. इस सेंटर पर बच्चों की हृदय की धड़कन की जांच में काम आने वाले फीटल डौपलर से फर्जी तरीके से गर्भवती महिला की जांच की गई और भ्रूण के लिंग की झूठी जानकारी दी गई.
मोबाइल फोन में एक तार लगातार फर्जी तरीके से लिंग परीक्षण करने के मामले में नवंबर 2018 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ शहर से एक महिला सहित 2 लोग पकड़े गए.
यह काररवाई राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने की. जिस गर्भवती की फर्जी तरीके से सोनोग्राफी की गई, वह अलवर शहर से गई थी. दलाल सतपाल यादव ने उसे अलवर जिले में बहरोड़ के जखराना गांव बुलाया.
वहां दलाल ने महिला से 40 हजार रुपए लिए और उसे महेंद्रगढ़ ले गया. वहां दलाल भाग गया, बाकी 2 लोग पकड़े गए. दलाल सतपाल यादव 2017 में लिंग परीक्षण के मामले में हरियाणा में पकड़ा जा चुका है.
अप्रैल 2018 में जयपुर जिले के चौमूं शहर के पास मोरीजा गांव में लिंग परीक्षण करते पकड़े गए आरोपियों के पास उपकरण देख कर पीसीपीएनडीटी की टीम भी हैरान रह गई. ये लोग वाशिंग मशीन के पाइप से एलईडी बल्ब जोड़ते और गर्भवती के पेट पर टच कर सामने लगी एलसीडी स्क्रीन पर गर्भ में भ्रूण का वीडियो दिखाते.
इस के बाद वे महिला को गर्भ में लड़की होने की बात बताते और गर्भपात कराने की बात कहते. ये लोग गर्भपात करने के लिए भी तैयार हो जाते थे. यहां से 3 लोग गिरफ्तार किए गए. इन में 10वीं पास सुरेंद्र डाक्टर बन कर गर्भवती की फर्जी जांच करता था. जयपुर के अचरोल में अगस्त 2018 में 2 लोगों को थंब इंप्रेशन मशीन से फर्जी लिंग परीक्षण के नाम पर ठगी करते पकड़ा गया था.
दरअसल, समाज में अभी भी पुरुष प्रधान मानसिकता हावी है. बेटे को वंश बढ़ाने वाला और बेटी को बोझ समझा जाता है. यही कारण है कि लिंग परीक्षण पर सरकारी प्रतिबंध होने के बावजूद लोग बेटे की चाहत में गर्भवती का भ्रूण परीक्षण कराने के रास्ते तलाशते हैं.
इस धंधे में लगे लोग आमजन की इसी सोच का फायदा उठाते हुए अवैध तरीके से लिंग परीक्षण में जुटे हैं. समाज की मानसिकता का फायदा उठा कर कुछ लोगों ने इसे ठगी का धंधा भी बना लिया है. वे फर्जी तरीके से लिंग परीक्षण कर लोगों से ठगी कर रहे हैं.
गर्भ में भ्रूण जांच और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए 1996 में देश में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू किया गया था. कोख में कत्ल करने की दिशा में काररवाई करते हुए पीसीपीएनडीटी सेल ने जयपुर में देश का पहला थाना खोला था. राजस्थान के इस मौडल को बाद में कई अन्य राज्यों में भी अपनाया है.
जून 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में कन्या भ्रूण हत्या से जुड़े मामलों में 449 लोगों को सजा हुई. इन में सब से ज्यादा 149 लोगों को राजस्थान में सजा हुई.

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फरवरी 2016 से 19 दिसंबर, 2018 तक नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन डायरेक्टर के पद पर कार्यरत रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नवीन जैन के निर्देशन में पीसीपीएनडीटी सेल ने 3 साल के दौरन 100 से ज्यादा डिकौय आपरेशन किए. इन मामलों में करीब 50 डाक्टर भी पकडे़ गए.
इस दौरान पीसीपीएनडीटी सेल की टीम ने राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में जा कर भी डिकौय औपरेशन किए. आईएएस नवीन जैन का तबादला अब श्रम एवं रोजगार आयुक्त के पद पर हो गया है. अब सीनियर आईएएस डा. समित शर्मा एनएचएम के मिशन डायरेक्टर का कार्यभार संभाल रहे हैं.
राजस्थान सरकार ने बेटियों को बचाने के लिए भ्रूण लिंग परीक्षण पर अंकुश लगाने के लिए मुखबिर योजना भी चलाई है. इस के तहत सफल डिकौय औपरेशन करवाने पर ढाई लाख रुपए तक प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है.
राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 888 लड़कियां थीं. पीसीपीएनडीटी सेल की ओर से लगातार की गई काररवाई से लिंग परीक्षण की रोकथाम में मदद मिली है और बेटियों को कोख में मारने का सिलसिला कम हुआ है. इस का परिणाम है कि 2017-18 में सैक्स रेशो बढ़ कर 938 पहुंच गया है.

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