उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में ग्रीन पार्क कालोनी का रहने वाला 50 साला सोमपाल
एक कालेज में गणित का टीचर था. उस के पास शिक्षा व गृहस्थी दोनों का तजरबा था. बाहरी तौर पर वह अच्छा दिखता था और लोगों से कम ही वास्ता रखता था. परिवार में पत्नी के अलावा 3 बच्चे थे, जिन में 2 बेटियां व सब से छोटा बेटा था. इन बच्चों में 16 साला रीना (बदला नाम) बड़ी थी. 11वीं क्लास में पढ़ने वाली रीना पढ़ाई में बेहद होशियार थी. क्लास में उस की अच्छी पोजीशन आती थी. उस का सपना आईएएस बनने का था.
सोमपाल खुद तो आसपड़ोस में कम ही रिश्ता रखता था, साथ ही उसे यह भी पसंद नहीं था कि उस की पत्नी या बच्चे किसी से ज्यादा वास्ता रखें. सोमपाल की ससुराल पक्ष से भी नहीं बनती थी. पत्नी के वहां जाने पर वह उस से झगड़ा किया करता था.
नहीं थे नेक इरादे
बेटी रीना को ले कर पिता सोमपाल के इरादे नेक नहीं थे. वह बहाने से उसे छूने की कोशिश करता था. जवान होती बेटी के जिस्म पर उस की नजरें अकसर फिसलती थीं.
जब बेटी बाथरूम आतीजाती थी, तो वह उसे अजीब नजरों से देखता था. कभी रात में वह जागता, तो भी रीना को अजीब नजरों से घूरता.
रीना ने शुरू में इन बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन पिता का बरताव उसे समय के साथ खटकने लगा. वह उम्र के उस पायदान पर थी, जहां मर्द की घूरती नजरों का मतलब समझने लगी थी.
कई दिन सोचनेसमझने के बाद उस ने अपनी मां से दबी जबान से पिता की इन आदतों की शिकायत की, लेकिन मां ने इसे बेटी की गलतफहमी समझा और उसे भी भविष्य में चुप रहने की हिदायत दी.