शाहनवाज का पिता रशीद अहमद शौकत अली पार्क कर्नलगंज बजरिया में रहता था. शाहनवाज उस का सब से छोटा बेटा था. बड़ी बेटी फरजाना जाजमऊ सरैया बाजार निवासी आमिर खान को ब्याही थी. बड़ा बेटा रशीद अहमद चमड़े का व्यवसाय करता था. शाहनवाज उन के व्यवसाय में मदद करता था. शाहनवाज शादीशुदा था.
शाजिया उस की पत्नी थी, लेकिन वह फरेब कर सीता से शादी करना चाहता था. उस ने मन बना लिया था कि वह सीता उर्फ नेहा से शादी रचा कर उसे परिवार से अलग कमरा ले कर रहेगा.
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शाहनवाज निश्चित दिन तारीख व समय पर आजमगढ़ पहुंच गया और होटल गगन में ठहर गया. उस के लिए होटल का कमरा सीता ने बुक कराया था. शाहनवाज ने होटल रूम में ठहरने की जानकारी सीता को दी. कुछ देर बाद वह भी होटल रूम में पहुंच गई. रूम में दोनों का आमनासामना हुआ तो दोनों ही एकदूसरे से प्रभावित हुए. शाहनवाज जहां शरीर से हृष्टपुष्ट सजीला आकर्षक युवक था, तो सीता भी खूबसूरत व जवानी से भरपूर थी.
शाहनवाज से शादी पर अड़ी सीता
शाहनवाज से बातें करतेकरते सीता सोचने लगी कि उस ने भावी पति के रूप में जैसे सुंदर व सजीले युवक के सपने संजोए थे, शाहनवाज वैसा ही निकला. अगर शाहनवाज से उस की शादी हो जाए तो उस के जीवन में बहार आ जाएगी.
सीता अभी इसी सोच में डूबी थी कि शाहनवाज बोला, ‘‘मैं ने जितना सोचा था, तुम उस से कहीं ज्यादा हसीन हो. वैसे बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?’’