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21 जुलाई, 2020 की शाम का समय था. मोदी नगर की सीमा से सटे मेरठ जिले के परतापुर थाने के बाहर सैंकड़ों की तादाद में बजरंग दल, हिंदू वाहिनी और हिंदू महासभा जैसे हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता थाने के बाहर प्रदर्शन करते हुए ‘परतापुर पुलिस मुरदाबाद’,‘कातिल को गिरफ्तार करो’, जैसे नारे लगा रहे थे.

थाने के बाहर जमा भीड़ इस कदर अनियंत्रित थी कि डर लग रहा था कि कहीं भीड़ थाने पर हमला न कर दें. इसलिए जिले के एसएसपी अजय साहनी, एसपी (सिटी) अखिलेश नारायण सिंह और ब्रह्मपुरी सर्किल के सीओ चक्रपाणि त्रिपाठी दूसरे थानों की फोर्स व अतिरिक्त पुलिस बल ले कर परतापुर थाने पहुंच गए थे.

उच्चाधिकारियों ने जब प्रर्दशन करने वाले लोगों को समझा कर बातचीत की तो वे समझ गए कि मामला संवेदनशील है. अगर जल्द ही उस पर एक्शन नहीं लिया गया तो बात बिगड़ भी सकती है. प्रर्दशनकारियों के साथ प्रिया चौधरी की सहेली चंचल सिंह भी थी.

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चंचल ने परतापुर थाने पहुंचे उच्चाधिकारियों को अपने फोन की कुछ औडियो क्लिप सुनवाई, जिस से साफ हो गया कि चंचल ने भूड़बराल चौकी इंचार्ज वीर सिंह और परतापुर थाने के इंसपेक्टर (क्राइम) भूपेंद्र सिंह को जो शिकायत दी थी, उस पर कोई कार्रवाई करना तो दूर पुलिस आरोपी शमशाद से एक लाख रुपए ले कर उल्टा चंचल को ही इस मामले में फंसाने की साजिश रच रही थी.

चंचल ने हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के सामने पुलिस के आला अफसरों को इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह, चौकी इंचार्ज वीर सिंह तथा भूड़बराल गांव के कुछ लोगों की आडियो भी सुनवाई, जिस में बात करने वाले चंचल को धमकी देते हुए इस मामले से दूर रहने की चेतावनी दे रहे थे.

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