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सौजन्य- मनोहर कहानियां

अभी तक की पूछताछ में हर अधिकारी के सामने इस मामले के 3 मुख्य संदिग्ध कमल सिंगला, शकुंतला, उस का भाई राजू एक ही कहानी सुना रहे थे. अगर वे झूठ बोल रहे थे तो सच्चाई बाहर लाने का अब एक ही रास्ता बचा था कि उन का लाई डिटेक्टर टेस्ट करा लिया जाए.

वैसे भी रजनीकांत को लगा कि इस मामले में शकुंतला और कमल की मिलीभगत की आशंका ज्यादा हो सकती है. इसलिए तीनों संदिग्धों से लंबी पूछताछ के बाद रजनीकांत ने अदालत से आदेश ले कर 2 मार्च, 2012 को शकुंतला, उस के भाई राजू और कमल का पौलीग्राफ टेस्ट कराया.

लेकिन पौलीग्राफ परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद जांच अधिकारी रजनीकांत की उम्मीदों पर पानी फिर गया, क्योंकि तीनों ही संदिग्ध परीक्षण में खरे उतरे थे.

लेकिन न जाने क्यों रजनीकांत इन नतीजों से संतुष्ट नहीं थे. पर उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और दूसरे पहलुओं को टटोलते हुए जांच को आगे बढ़ाते रहे.

रवि के परिवार की तरफ से शकुंतला और उस के परिवार पर आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने जयभगवान के घर आना भी बंद कर दिया.

संयोग से जांच अधिकारी रजनीकांत का भी तबादला हो गया तो उस के बाद एसआई सूरजभान आए. कुछ महीनों के बाद उन का भी तबादला हो गया तो एसआई धीरज के हाथ में जांच आई,

कुछ महीनों तक जांच उन के हाथ में रही फिर उन के तबादले के बाद एसआई पलविंदर को जांच का काम सौंपा गया. फिर 2017 के शुरू होते ही उन का भी तबादला हो गया. इस के बाद जांच की जिम्मेदारी मिली एसआई जोगेंद्र सिंह को.

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