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सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- सुनील वर्मा  सोनू

दिल्ली की तिहाड़ जेल के महिला वार्ड के विशेष सेल में बंद गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन (41) जमीन पर लगे बिस्तर पर लेटी छत की तरफ देखते हुए शून्य में निहार रही थी. रहरह कर अतीत का एकएक घटनाक्रम उस की आंखों के आगे चलचित्र की तरह तैर रहा था.

दिल्ली ही नहीं, देश भर के अय्याश लोगों के दिलों में सोनू पंजाबन रानी की तरह राज करती थी. चाहे किसी पांच सितारा होटल में रात की रंगीनियां बिखेरनी हों या किसी फार्महाउस में प्राइवेट पार्टी करनी हो. अमीरजादों को दिल बहलाने वाली खूबसूरत हसीनाओं की जरूरत होती तो उन्हें एक ही नाम याद आता था सोनू पंजाबन का.

यूं कहे तो गलत न होगा कि सोनू पंजाबन दिल्ली से ले कर मुंबई तक में एक ऐसा नाम रहा है, जिसे जिस्मफरोशी की दुनिया की क्वीन यानी रानी कहा जाता था.

लेकिन प्रीति के साथ उस ने जो भी किया था, उस ने एक झटके में उस की जिंदगी बदल दी. बड़ीबड़ी गाडि़यों में घूमने वाली और नोटों की गड्डियों का बिस्तर बिछा कर सोने वाली सोनू पंजाबन इन दिनों जेल की सलाखों के पीछे पथरीली जमीन पर कंबलों का बिस्तर बिछा कर सोने के लिए मजबूर थी.

22 जुलाई, 2020 को द्वारका कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने सोनू पंजाबन को आईपीसी की धारा 328, 342, 366ए, 372, 373 और 120बी के तहत कुल 24 सालों के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.

इसी मामले में सोनू के साथ संदीप बेदवाल को भी कोर्ट ने 20 सालों तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.

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