सौजन्य- सत्यकथा
साहिल दिन में औफिस में काम करता था और रात में वर्षा के पास रुक जाता था. रात के समय में दोनों ऊपरी कमरे में सोते थे, जबकि वर्षा का भाई आकाश नीचे ग्राउंड फ्लोर पर सोता था.
आकाश को वर्षा और साहिल के रिश्ते की शुरू से जानकारी थी. उसे इस पर कोई ऐतराज नहीं था. वर्षा और आकाश के साथ उस के ही गांव हसनपुर का एक लड़का अली हसन उर्फ अलका भी रहता था.
आकाश और अली हसन दिन के समय लड़कियों के कपड़े पहन कर हिजड़ों का रूप धारण कर लेते थे और शादीब्याह वाले घरों या जिस किसी के घर में बच्चे का जन्म होता, उस के घर जा कर बधाइयां गाने का काम करते थे. इस काम में उसे थोड़ी देर नाचनेगाने में ही अच्छीखासी रकम हाथ लग जाती थी. उन्हें मजदूरी करना काफी मेहनत का काम लगता था, इसलिए दोनों इसे नहीं करना चाहते थे. जबकि नकली हिजड़ा बन कर नाचगा कर मांगने का काम आकाश और अली हसन को आसान लगता था.
कुछ दिनों के बाद साहिल और वर्षा के रिश्ते की जानकारी साहिल की अम्मी को हो गई. दरअसल, साहिल अब रात में घर न पहुंच कर वर्षा के घर शास्त्री पार्क में अपनी रातें गुजारने लगा था. जब उस की अम्मी ने साहिल से इस का कारण पूछा तो उस ने अम्मी को वर्षा और अपने रिलेशनशिप के बारे में सब कुछ बता दिया.
इस के बाद अम्मी ने साहिल का विरोध नहीं किया. सालों पहले शौहर की मौत हो जाने के बाद से वह एक बेवा की जिंदगी गुजार रही थी. अब बेटे को नाराज कर वह उसे खोना नहीं चाहती थी.