सौजन्य- सत्यकथा
आटो के जाने के बाद तीनों उस आदमी को वहां से थोड़ी दूर घसीट कर ले गईं. फिर एक सुनसान सी जगह पर उसे लिटा कर फरार हो गईं. सीसीटीवी फुटेज को कई वार रिवर्स कर के देखने से आटो के पीछे लिखा ‘अंशुल दी गड्डी’ और आटो की नंबर प्लेट पढ़ कर उसे अपनी डायरी पर नोट कर लिया. करीब 200 आटो की खोजबीन करने के बाद वह आटो मिल गया, जिस के पीछे कवर पर अंशुल दी गड्डी लिखा था. आटो की नंबर प्लेट से उस के मालिक रविंद्र तथा ड्राइवर मुकेश का पता लगा लिया.
मुकेश से पूछताछ करने पर पता चला कि घटना वाली रात को तड़के 4 बजे वह अपने आटो के साथ कश्मीरी गेट बसअड्डे पर किसी सवारी का इंतजार कर रहा था. एक युवती उस के पास आई थी और अपने दोस्त के गहरे नशे में होने की बात कह कर उसे शास्त्री पार्क स्थित अपने कमरे पर ले गई. वहां से अपने बेहोश साथी को ले कर जगप्रवेश अस्पताल गई. उस के साथ 2 युवतियां और थीं. वहां किसी कारण इलाज नहीं होने पर उसे वजीराबाद ला कर वहां छोड़ दिया, जहां पर पुलिस ने सुबह लाश बरामद की थी.
मुकेश का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस टीम जगप्रवेश अस्पताल पहुंची और वहां के सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल की. उस में आटो और तीनों औरतें साफ दिख गईं.
अब तक की जांचपड़ताल से इतना पता चल गया था साहिल की हत्या में उन्हीं 3 औरतों का हाथ है. आकाश के मोबाइल नंबर की लोकेशन से पता चला कि वह इस समय उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में है.
13 सितंबर, 2020 को दिल्ली से एक पुलिस टीम वर्षा और उस के साथियों की तलाश में शाहजहांपुर पहुंची और वहां पर अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपे वर्षा और उस के भाई आकाश को गिरफ्तार कर लिया.
उन से पूछताछ करने पर तीसरे साथी अलका उर्फ अली हसन को भी उस के रिश्तेदार के यहां से गिरफ्तार कर लिया. तीनोें को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम वजीराबाद थाने लौट आई.
वर्षा से पूछताछ की. पहले तो उस ने साहिल की हत्या करने से इनकार किया, लेकिन जब उसे सीसीटीवी फुटेज दिखाया गया तो वर्षा का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने साहिल की हत्या की बात स्वीकार करते हुए अपने इकबालिया बयान में जो बात बताई, वह हैरतअंगेज कर देने वाली थी. वर्षा से पूछताछ के बाद साहिल की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.
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23 वर्षीय साहिल उर्फ राजा अपनी अम्मी के साथ उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में रहता था. कई साल पहले उस के अब्बा का इंतकाल एक लंबी बीमारी के दौरान हो गया था.
कोई 4 साल पहले की बात है. तब साहिल ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर चुका था. अब्बा की मौत के बाद से ही घर में मुश्किलों का दौर शुरू हो गया था, जो अब तक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. अम्मी जैसेतैसे घर का गुजारा चला रही थी.
उस ने अपने लिए नौकरी की तलाश शुरू की. काफी भागदौड़ करने के बाद किसी तरह उसे शास्त्री पार्क स्थित एक स्थानीय अखबार के औफिस में नौकरी मिल गई. जहां वह रिपोर्टिंग के साथ अखबार के लिए विज्ञापन लाने का काम करता था. इस काम में उसे तनख्वाह और कमीशन मिलता था. उस से घर का गुजारा चलने लगा.
साहिल को अभी यह काम करते हुए कुछ महीने गुजरे थे कि एक दिन उस की मुलाकात वर्षा से हुई. 19 वर्षीय वर्षा देखने में काफी सुंदर होने के अलावा हंसमुख स्वभाव की थी. साहिल को वर्षा की बातें अच्छी लगीं.
वर्षा ने साहिल को बताया कि वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गांव हसनपुर, हरदोई की रहने वाली है. गांव में उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए वह नौकरी की तलाश में अपने भाई के साथ दिल्ली आ गई. इस समय वह अपने छोटे भाई आकाश के साथ शास्त्री पार्क में रहती है.
साहिल ने वर्षा से उस का मोबाइल नंबर ले लिया. वर्षा ने भी साहिल का मोबाइल नंबर सेव कर लिया. इस घटना के बाद साहिल और वर्षा हमेशा एकदूसरे के संपर्क में रहने लगे. जब भी साहिल को काम से फुरसत मिलती वह वर्षा को बुला क र उस के साथ कहीं घूमने निकल जाता था. वर्षा भी साहिल को प्यार करती थी, इसलिए वह हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करती थी.
चूंकि इश्क की आग दोनों तरफ बराबर लगी थी, सो जल्द ही उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. बाद में वर्षा साहिल से शादी करने की जिद करने लगी तो पहले साहिल ने उस से शादी करने में कुछ आनाकानी की, लेकिन जब वर्षा ने साहिल से कहा कि बिना शादी के वह इस रिलेशन को नहीं रखना चाहती है तो साहिल ने वर्षा की जिद देखते हुए उस के साथ कोर्टमैरिज तो कर लिया, मगर उसे अपने घर नहीं ले गया.
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उस ने वर्षा को समझाते हुए कहा कि उस की अम्मी अभी इस कोर्टमैरिज को स्वीकार नहीं करेंगी. जब उस की अम्मी उसे अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगी तो वह उसे अपनी बेगम बना कर घर ले जाएगा.
वर्षा ने साहिल की बात पर यकीन कर लिया. इस के बाद साहिल ने वर्षा के रहने के लिए शास्त्री पार्क में एक मकान किराए पर ले लिया, जिस में एक कमरा ग्राउंड फ्लोर पर और दूसरा कमरा ऊपरी मंजिल पर बना था.