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‘‘हां, गीता और मम्मी बाजार गई हैं, थोड़ी देर में लौट आएंगी.’’ सविता ने सुंदर के सवालों का सपाट जवाब दिया.

फिर पलभर के लिए दोनों के बीच खामोशी छाई रही. उसे सुंदर ने ही तोड़ा, ‘‘सविता, आजकल मैं देख रहा हूं कि तुम मुझ से कटीकटी सी रहती हो और दूसरों पर मेहरबान.’’

‘‘क्या कहा?’’ सविता अचकचा उठी, ‘‘मैं तुम से कटीकटी सी रहती हूं और दूसरों पर मेहरबान? तुम्हारे कहने का मतलब क्या है सुंदर?’’ सविता सुंदर पर भड़क उठी.

‘‘यही कि मैं कई दिनों से देख रहा हूं कि तुम अपना ट्रैक चेंज कर किसी और की बांहों में झूल रही हो.’’

‘‘खबरदार सुंदर! आज तो तुम ने मेरे दामन पर कीचड़ उछाल दी, फिर दोबारा मुझ से ऐसी बातें मत करना वरना मैं यह भूल जाऊंगी कि मैं ने कभी तुम्हें प्यार किया था. इस से पहले कि मेरा गुस्सा मेरे सिर चढ़ कर बोले, तुम यहां से अभी चलते बनो और फिर दोबारा अपनी शक्ल मुझे मत दिखाना.’’ सविता गुस्से से पागल हो गई थी. उस की आंखें एकदम सुर्ख हो गई थीं.

सविता का यह रौद्र रूप देख कर सुंदर डर गया और बिना कुछ बोले उठा और वहां से अपने घर चला गया.

अपमान के अग्निकुंड में जलने लगा सुंदर

प्रेमिका के अपमान के अग्निकुंड में जलते सुंदर ने एक बड़ा और खतरनाक फैसला ले लिया था. उस ने उसी समय तय कर लिया कि सविता को मौत के घाट उतार कर वह अपने अपमान का बदला लेना.

इस के लिए सुंदर ने एक चाल चली. उस ने योजना के अनुसार, अपने किए के लिए उस से माफी मांग ली थी ताकि उस की सविता के घर में घुसपैठ बनी रहे. कोमल हृदय वाली सविता ने उसे माफ कर दिया और फिर से उस का पहले जैसा आनाजाना शुरू  हो गया. लेकिन सविता के दिल में गांठ बन गई थी.

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