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अनिल कुमार के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने के बाद पुलिस टीम अनिल को साथ ले कर ठाकुरद्वारा कोतवाली आ गई.

कोतवाली लाते ही पुलिस ने अनिल से पूछताछ शुरू की तो सारा फरजीवाड़ा खुल कर सामने आ गया. अनिल बतौर एक सिपाही उत्तर प्रदेश पुलिस में भरती हुआ, लेकिन उस की जगह पर उसी का साला सुनील कुमार पिछले 5 साल से उस की एवज में नौकरी करता रहा.

पुलिस विभाग की लापरवाही आई सामने

इस फरजीवाड़े के सामने आते ही पुलिस को संदेह हो गया कि अनिल ने पुलिस में भरती होने के लिए शैक्षिक प्रमाणपत्रों में भी कोई फरजीवाड़ा किया होगा.

अब पता चला कि थाने से जो तथाकथित सिपाही भागा था, वह अनिल का साला सुनील कुमार था. सुनील कुमार अभी तक पुलिस पकड़ से बाहर था.

पुलिस ने उसे हरसंभव स्थान पर खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता न चल सका. उस की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने हर जगह मुखबिरों का जाल बिछा दिया था.

अगले दिन एक मुखबिर से सूचना मिली कि फरजी सिपाही सुनील ठाकुरद्वारा बसस्टैंड तिकोनिया चौराहे के पास कहीं जाने की फिराक में खड़ा है.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने चारों ओर से घेराबंदी कर उसे अपनी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने आरोपी के पास से पुलिस की वरदी भी बरामद की.

सुनील को थाने लाते ही उस से भी कड़ी पूछताछ की गई. वहां अपने बहनोई अनिल को देख कर उस के होश उड़ गए. जीजासाले से गहन पूछताछ के दौरान जो हैरतअंगैज कहानी उभर कर सामने आई, उस ने न केवल पुलिस विभाग की लापरवाही की पोल खोल दी, बल्कि जीजासाले के रिश्ते का रहस्य भी सामने ला दिया था.

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