सौजन्य- मनोहर कहानियां
2और 3 जून, 2021 की दरम्यानी रात की बात है. उस रात ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी. कृष्ण पक्ष होने के कारण घनी अंधियारी रात थी. चारों तरफ घुप अंधेरा था. ऐसे घने अंधेरे में हाथ से हाथ नजर नहीं आ रहा था. उस पर मौसम ने सितम ढहा रखा था. रुकरुक कर तेज आंधी चल रही थी और बीचबीच में बारिश भी हो रही थी. आंधी से बौर्डर पर रेत के टीले उड़ रहे थे. उड़ती रेत में कुछ नजर नहीं आ रहा था.
ऐसे घटाघोप अंधेरे में राजस्थान में बीकानेर श्रीगंगानगर से लगती पाकिस्तान की सीमा पर बीएसएफ के जवान गश्त कर रहे थे. बौर्डर पर तारबंदी है. रात के कोई ढाई बजे के आसपास बीकानेर से सटी सीमा पर बंदली पोस्ट का बीएसएफ जवान बीरबल राम चौकन्नी नजरों से गश्त कर रहा था.
इसी दौरान बौर्डर पर लगी फ्लड लाइटों की रोशनी में उसे तारबंदी पर कुछ हलचल होती नजर आई. रेतीले धोरों के बारबार उड़ने से यह पता नहीं चल पा रहा था कि वे कौन लोग हैं और क्या कर रहे हैं?
उस ने दूरबीन से नजरें गड़ाईं तो उसे 2-3 मानव आकृतियां नजर आईं. इन के चेहरे नजर नहीं आ रहे थे. ये लोग तारबंदी के बीच से एक पाइप भारतीय सीमा में खींच रहे थे. बीएसएफ जवान और उन इंसानों के बीच कोई 300 मीटर का फासला था.
उन लोगों की हरकत देख कर बीरबल राम ने उन्हें ललकारा नहीं, बल्कि दबेपांव आगे बढ़ा. उस ने देखा कि पाइप भारतीय सीमा में खींचने के बाद वे लोग उस में से कोई चीज निकाल रहे थे. यह देखते ही बीरबल ने तुरंत फायरिंग शुरू कर दी.
गोलियों की आवाज होते ही बौर्डर पर सुरक्षा चौकियों में हलचल मच गई. सभी अलर्ट हो गए. कुछ ही मिनटों में बीएसएफ के जवान और अधिकारी वहां पहुंच गए. उन्होंने बीरबल से सारा माजरा पूछा.
इस के बाद अधिकारी उस जगह पहुंचे, जहां पाइप खींचा गया था. करीब 10 फुट लंबे उस पीवीसी पाइप में कपड़े की माला के रूप में 54 पैकेट बंधे हुए थे. इन पैकेटों को चैक किया गया, तो हेरोइन निकली. हेरोइन के ये पैकेट पाकिस्तान से पीवीसी पाइप के जरिए भारतीय सीमा में पहुंचाए गए थे.
यह हेरोइन लेने के लिए भारतीय सीमा में 2-3 तसकर पहुंचे थे. वे फायरिंग होने पर हेरोइन को मौके पर ही छोड़ कर अंधेरे में भाग निकले थे. जवानों को मौके के आसपास 2 जोड़ी जूते भी मिले.
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हेरोइन की तसकरी की बात सामने आने पर बीएसएफ ने रात में ही आसपास के इलाकों में सर्च अभियान चलाया, लेकिन खराब मौसम होने के कारण दृश्यता बहुत कम थी. इस कारण फरार हुए तसकरों का कुछ पता नहीं चला.
बौर्डर पर हेरोइन तसकरी का पता चलने पर अगले दिन 3 जून को बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जौइंट डायरेक्टर उगमदान चारण और एसपी प्रीति चंद्रा सहित दूसरे अफसर मौके पर पहुंच गए.
जांचपड़ताल शुरू हो गई. अधिकारियों ने बरामद हुई हेरोइन का वजन कराया. वह 56 किलो 600 ग्राम निकली. इस हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 283 करोड़ रुपए आंकी गई. यह बीकानेर में पाक सीमा पर अब तक पकड़ी गई नशे की सब से बड़ी खेप थी. यह हेरोइन अफगानिस्तान की बनी हुई थी.
2 तसकर चढ़े हत्थे
जांचपड़ताल के लिए बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह अफसरों व जवानों के साथ बंदली सीमा चौकी पर पहुंचे. उन्होंने तारबंदी के पास जा कर उस जगह का मुआयना किया, जहां पाइप तारों के बीच से निकाला गया था और बाद में उस पाइप के अंदर भर कर हेरोइन भारतीय सीमा में भेजी गई.
अफसरों ने वहां तसकरों के पैरों के निशान के सहारे खोजबीन शुरू की तो सामने ही पाकिस्तानी वाच टावर पर खड़ा जवान बीएसएफ की ओर से हमले की आशंका में कांपने लगा. वह डर कर मदद के लिए चिल्लाने लगा. कुछ ही देर में वहां पाकिस्तानी रेंजर्स आ गए. पूछताछ में उन्होंने तसकरी की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया.
बीएसएफ के अधिकारी अपने ठिकाने पर लौट आए. सब से पहले उन तसकरों की तलाश जरूरी थी, जो मौके से भाग गए थे. इस के लिए बीएसएफ ने सुबह से ही सर्च अभियान शुरू कर दिया. अभियान के दौरान देर रात को कालूवाला के एक खेत में छिपे 2 संदिग्ध युवकों को पकड़ा गया. इन दोनों को पुलिस अपने साथ ले गई.
4 जून को दोनों युवकों से पुलिस, बीएसएफ और गुप्तचर एजेंसियों ने साझा पूछताछ की. इस में पता चला कि दोनों युवक अपने साथियों के साथ पाक से भेजी गई हेरोइन लेने बौर्डर पर आए थे, लेकिन बीएसएफ की ओर से फायरिंग होने पर ये भाग निकले थे और खेतों में छिप गए थे.
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इन युवकों के नाम हरमेश और रूपा थे. इन में 18 साल का हरमेश पंजाब के फाजिल्का और 30 साल का रूपा पंजाब के फिरोजपुर शहर का रहने वाला था. इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में इन्हें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हवाले कर दिया गया.
दोनों तसकरों से साझा पूछताछ में पता चला कि पंजाब से कुल 4 लोग कैंपर गाड़ी से बीकानेर के खाजूवाला में भारतपाक बौर्डर पर हेरोइन की डिलीवरी लेने पहुंचे थे. पंजाब का कुख्यात हेरोइन तसकर काला सिंह के साथ बौस इन को ले कर आया था.
बंदली पोस्ट से करीब 2 किलोमीटर दूर बौस ने काला सिंह, रूपा और हरमेश को गाड़ी से उतार दिया था. बौस वहीं रुक गया था. उस ने तीनों को बौर्डर पर पिन पौइंट समझा कर कहा था कि तारबंदी के पास जा कर पत्थर फेंकना. उधर से पाइप में माल आएगा. वहां से माल पाइप से निकाल कर ले आना. काला सिंह पहले रैकी कर चुका था. उसे इस इलाके के चप्पेचप्पे की जानकारी थी. इसलिए रूपा और हरमेश को कोई चिंता नहीं थी.
माला के रूप में मिले पैकेट
गाड़ी से उतारने के बाद बौस वाट्सऐप कालिंग के जरिए काला सिंह, रूपा और हरमेश से जुड़ गया. वाट्सऐप कालिंग से बताई गई लोकेशन के आधार पर वे बौर्डर पर पिन पौइंट पर पहुंच गए और बौर्डर पर पत्थर फेंका.
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