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सौजन्य- सत्यकथा

बुद्धि प्रकाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर मृत पड़ा था. थानाप्रभारी बदन सिंह शव का निरीक्षण करने लगे. वह कुछ अनुमान लगा पाते तब तक सीओ विजय शंकर शर्मा वहां पहुंच गए. उन्होंने शव का निरीक्षण किया तो उन के चेहरे पर हैरानी के भाव आए बिना नहीं रहे.

गले पर पड़े निशानों ने कौतूहल जगा दिया था. सीओ शर्मा ने झुक कर गौर किया तो वह चौंक पड़े. चेहरे पर ऐंठन और गले के निशान बहुत कुछ कह रहे थे. चेहरे पर ऐसी ऐंठन तो बेरहमी से गला दबाए जाने पर ही होती है.  स्वाभाविक प्रश्न था कि क्या किसी ने बुद्धि प्रकाश का गला दबाने की कोशिश की थी?

मामला पूरी तरह संदिग्ध लग रहा था. काले निशान भी रस्सी से गला दबाए जाने पर होते हैं. उन्होंने आसपास नजर दौड़ाई. ऐसी कोई रस्सी नजर नहीं आई. फोरैंसिक टीम को बुलाना अब जरूरी हो गया था.

छानबीन और मौके से सबूत जुटाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के साथ फोरैंसिक टीम भी पहुंच गई थी. फोरैंसिक टीम की जांच में चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए. बुद्धि प्रकाश के गले के दोनों ओर तथा पीछे की तरफ काले निशान बने हुए थे. लगता था कि रस्सी से गले को पूरी ताकत से कसा गया था. इस के अलावा चोट का कोई और निशान शरीर पर कहीं नहीं पाया गया.

लेकिन स्थितियां पूरी तरह संदेहास्पद थीं. घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने के कारण किसी के वहां आनेजाने का साक्ष्य मिलना भी संभव नहीं था. सीओ विजय शंकर शर्मा ने घटनास्थल का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने प्रियंका से दरजनों सवाल किए. लेकिन अपने मतलब की कोई बात नहीं उगलवा सके.

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