सौजन्य: सत्यकथा
Writer- शाहनवाज
वारदात की रात जब मनीष की सांसें थम गई थीं और पुलिसकर्मियों को एहसास हो गया था कि उन की मौत हो गई है, तब आरोपी शव ठिकाने लगाने के प्रयास में जुटे थे. आखिर में जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा, तब वे बीआरडी मैडिकल कालेज पहुंचे थे. इसलिए उन को निजी अस्पताल से मैडिकल कालेज पहुंचने में करीब 2 घंटे का समय लगा. एसआईटी ने इस तथ्य को अपनी जांच में भी शामिल किया है.
एसआईटी की जांच में यह तथ्य पाया गया कि बेजान मनीष को सब से पहले आरोपी पुलिस वाले जीप से ले कर पास के मानसी अस्पताल ले कर पहुंचे थे. वहां डाक्टर ने बताया कि मनीष की नब्ज नहीं मिल रही है, तत्काल इन को ले कर बीआरडी मैडिकल ले जाओ. अस्पताल प्रशासन ने मनीष को वहां से रेफर कर दिया था.
एसआईटी की जांच में सामने आया कि जब यहां से पुलिसकर्मी मनीष को ले कर रवाना हुए तो उन को यकीन हो गया था कि मनीष की मौत हो चुकी है. वे तकरीबन 2 घंटे बाद बीआरडी मैडिकल कालेज पहुंचे थे. जहां डाक्टरों ने मनीष को मृत घोषित कर दिया.
लाश ठिकाने लगाना चाहते थे पुलिस वाले
एसआईटी ने जब यह पता करना शुरू किया कि जिस दूरी को 10 मिनट में कवर करना था, उस में पुलिसकर्मियों को 2 घंटे क्यों लगे. तब सीसीटीवी फुटेज व अन्य तथ्यों से स्पष्ट हुआ कि आरोपी पुलिसकर्मी पहले थाने गए थे और उन्होंने गाड़ी भी बदली थी. इस पूरे समय में वे घूमते रहे थे. कुछ जगहों पर वे रुके भी थे.
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