सौजन्य: सत्यकथा
Writer- शाहनवाज
प्रदीप ने लेटे हुए ही हरवीर से कहा, ‘‘अरे यार, इतनी रात को भला कौन परेशान करने आ गया. देख जरा हरवीर कौन है?’’
दरवाजे की खटखटाहट अब तेज होने लगी थी. हरवीर अपना थकान भरा शरीर ले कर उठा और उस ने गेट खोला. हरवीर ने देखा कि गेट पर कुछ पुलिस वाले आए हुए थे.
इस से पहले कि हरवीर उन से कुछ कहता, थानाप्रभारी जगत नारायण सिंह और उस के साथ कुछ और पुलिसकर्मी हरवीर को अंदर की ओर धकेलते हुए खुद कमरे के अंदर आ घुसे और कमरे की लाइट जलाई.
कमरे में उजाला फैला तो जगे हुए प्रदीप ने कमरे में पुलिस वालों को देखा और उठ कर पलंग पर बैठ गया. लेकिन मनीष गहरी नींद में ही था.
थानाप्रभारी जगत नारायण सिंह ने उन्हें हड़काने वाले अंदाज में कहा, ‘‘ये एक रुटीन चैकिंग है. जल्दी से अपनी आईडी निकालो.’’
कमरे में मौजूद बाकी पुलिसकर्मी पूरे कमरे में फैल कर रखे सामान को अस्तव्यस्त करते हुए चैक करने लगे. प्रदीप और हरवीर ने पुलिसवालों से उलझना ठीक नहीं समझा. उन्होंने चुपचाप अपनेअपने बैग से अपनी आईडी निकाली और थानाप्रभारी के हाथों में सौंप दी.
दोनों की आईडी देख लेने के बाद थानाप्रभारी ने पलंग पर एक ओर सो रहे मनीष पर नजर डाली और काफी देर तक गुस्से से घूरते रहे. घूरते हुए जगत नारायण सोते हुए मनीष के पास पहुंचे और उसे उठाने के लिए हाथ मारा. 2-3 हाथ मारने के बाद मनीष उठा और उस ने देखा की पुलिसकर्मी उस के सामने हैं.
मनीष ने बेखौफ जगत नारायण के सामने कहा, ‘‘ये कोई समय नहीं है किसी को जगाने का. किस काम के लिए आए हैं आप लोग?’’
मनीष की बात पर थानाप्रभारी भड़क उठा, लेकिन उस ने फिर भी मनीष को जवाब दिया, ‘‘ये रुटीन चैकिंग है. अपनी आईडी निकाल जल्दी से.’’
मनीष ने थानाप्रभारी की बात सुन कर कहा, ‘‘हमारे दस्तावेज होटल रिसैप्शन पर जमा हैं, आप वहां से भी देख सकते थे. और वैसे भी हम कोई आतंकवादी तो हैं नहीं जो इस तरह से हमारी चैकिंग की जा रही है.’’
मनीष की इस बात से जगत नारायण सिंह का खून उबल पड़ा. उस ने अपने दांत पीसते हुए मनीष के बाल पकड़ते हुए कहा, ‘‘तू पुलिस को उस का काम सिखाएगा?’’
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यह कहते हुए थानाप्रभारी ने मनीष के गाल पर जोर का एक चांटा मारा. उस चांटे से मनीष उबर पाता कि उस पर बाकी पुलिस वालों ने एकएक कर घूंसा जमाने शुरू कर दिए.
दूसरी ओर दरवाजे के पास खड़े एक पुलिसकर्मी ने अंदर से गेट बंद कर दिया. अंदर सभी पुलिस वाले एकएक कर के मनीष को पीटते ही चले जा रहे थे. दोनों दोस्त डर की वजह से कुछ भी न कह सके.
करीब 20-25 मिनट तक उन की जी भर के पिटाई करने के बाद जब जगत नारायण ने देखा कि मनीष के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही तो उस ने अपना होश संभाला.
उस ने मनीष का हाथ उठा कर उस की नब्ज चैक किया कि वह जिंदा है या नहीं. उस की नब्ज धीमी पड़ने लगी थी. एसएचओ ने अपने साथी पुलिस वालों को इशारा कर के मनीष को अस्पताल ले जाने के लिए कहा.
मनीष गुप्ता को कर दिया मृत घोषित
इधर पुलिसकर्मी अस्पताल पहुंचे और उधर चंदन भी होटल पहुंचा. उस ने कमरे में पहुंच कर बाकियों से बात की और उसे पता चला कि मनीष को बीआरडी अस्पताल ले जाया गया है.
सुबह जब तक उस के परिवार वालों तक यह बात पहुंचती, उस से काफी पहले ही मनीष इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे.
मनीष की मौत की जानकारी परिवार वालों को लगी तो मनीष की पत्नी मीनाक्षी गोरखपुर गई. पुलिस वालों के खिलाफ हत्या की एफआईआर लिखवाई. काररवाई के लिए थाने के बाहर धरना दिया. लेकिन पुलिस के बड़े अधिकारियों ने काररवाई करने के बजाय मामले में लीपापोती की कोशिश की.
एक वीडियो भी सामने आया, जिस में एसएसपी और डीएम परिवार को केस दर्ज नहीं कराने के लिए मना रहे थे. डीएम विजय किरण आनंद कह रहे थे कि वो बड़े भाई के नाते समझा रहे हैं कि सुलह कर ली जाए.
गोरखपुर के एसएसपी ने शुरुआती जांच में इसे बिस्तर से गिर कर हुई मौत का मामला बताया था. जब मनीष गुप्ता की पत्नी काररवाई पर अड़ी रहीं और इस मामले को ले कर विवाद गहराया, तब कहीं जा कर 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
एफआईआर में 3 लोग नामजद और 3 अज्ञात थे. रामगढ़ताल थानाप्रभारी जगत नारायण सिंह, एसआई अक्षय मिश्रा और एसआई विजय यादव का नाम लिखा गया है. बाकी 3 आरोपी, एसआई राहुल दुबे, हैडकांस्टेबल कमलेश यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार हैं. ये सभी 6 आरोपी पुलिस वाले सस्पेंड कर दिए गए.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी पुलिस की तरफ से गिरने से चोट लगने वाली थ्योरी दी जा रही थी. एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि भगदड़ में गिरने से चोट लगने की जानकारी मिली है.
उधर मनीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में मनीष के शरीर पर 4 गंभीर चोटों की जानकारी मिली. उन के सिर में 5 सेंटीमीटर×4 सेंटीमीटर का घाव मिला. इस के अलावा दाहिने हाथ पर डंडा मारने के निशान, बाईं आंख और कई जगह पर हलके चोट के निशान मिले थे.
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विपक्षी दलों ने किया प्रदर्शन
विपक्षी पार्टियों की तरफ से इस मुद्दे को ले कर सरकार पर सवाल उठाए गए. 30 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार से मुलाकात की थी और न्यायिक जांच की मांग की. सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मृतक के परिवार से मुलाकात की और उन से इस मामले को सीबीआई से जांच की सिफारिश की. साथ ही आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी पर ईनाम भी घोषित कर दिया.
इस मामले में मुख्य आरोपी थानाप्रभारी जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा को 10 अक्टूबर को रामगढ़ताल एरिया से पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है. अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है.
अगले भाग में पढ़ें- लाश ठिकाने लगाना चाहते थे पुलिस वाले