कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सौजन्य- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के असोड़ा गांव में बालकिशन सैनी रहते थे. वह खेतीकिसानी करते थे. परिवार में पत्नी निर्मला और 3 बेटे बिरजू, सुखबीर और यशवीर के अलावा 3 बेटियां थीं. सब से छोटा यशवीर था. यश पड़ने में काफी तेज था. उस का पढ़ाई में मन देख कर पिता बालकिशन और मां निर्मला काफी खुश होते थे कि कम से कम एक बेटा तो पढ़ कर अपनी जिंदगी संवार लेगा.

आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद बालकिशन ने बेटे की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी.
यश ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में रह कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगा. बाद में उस ने वहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग देनी शुरू कर दी. दिल्ली में रहते यशवीर ने एलएलबी की और वकील बन गया.

कुछ ही दिनों में उस के कोचिंग सेंटर में काफी छात्रछात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आने लगे. यश का पढ़ाने का तरीका काफी अच्छा था, जिस से छात्रछात्राएं उस से पढ़ने में रुचि लेते थे.
उस के कोचिंग सेंटर में पढ़ने आने वाली छात्राओं में ममता पवार नाम की भी एक छात्रा भी थी. वह भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगी थी. ममता का परिवार बागपत जिले में रहता था. उस के पिता का नाम लक्ष्मीचंद्र पवार और मां का नाम शिमला पवार था.

ममता 3 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. पिता बड़े बिजनेसमैन थे. आगरा में उन की काफी संपत्ति थी, जिस वजह से ममता की मां शिमला आगरा में ही रहती थीं. उन का घर आगरा के थाना छत्ता अंतर्गत जाटनी के बाग के एक अपार्टमेंट में था. यह फ्लैट ममता और शिमला के संयुक्त नाम पर था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...