कोई बड़ा अपराध हो जाता है तो आम लोगों में तो दहशत फैल ही जाती है. पुलिस विभाग में भी हड़कंप के हालात बन जाते हैं. 7 जनवरी, 2017 की सुबह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी एक ऐसी ही वारदात हो गई थी कि पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी. मामला 2 कत्लों का था. हत्यारों ने शहर के थाना करेली के नयापुरवा के रहने वाले समाचारपत्र विक्रेता माधवप्रसाद और उन की बेटी अर्चना की बेरहमी से हत्या कर दी थी.

पुलिस अधिकारी, फोरैंसिक एक्सपर्ट और डौग स्क्वायड टीम मौके पर आ पहुंची थी. घटनास्थल का मंजर दिल दहला देने वाला था. 55 साल के माधवप्रसाद की लाश कमरे में पड़ी थी, जबकि 29 साल की अर्चना की लाश आंगन में थी. दोनों के सिर, चेहरे और माथे पर चोटों के निशान थे. उन की हत्या किसी धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.

पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. घर का सामान अपनीअपनी जगह था. कमरे में रखी अलमारी को छेड़ा तक नहीं गया था. मृतका का मोबाइल भी वहां मौजूद था. घटनास्थल को देख कर 3 बातें साफ हो रही थीं. पहली यह कि मामला लूटपाट का कतई नहीं था. दूसरी हत्यारे मृतकों के परिचित थे और तीसरी हत्याकांड को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था.

डौग स्क्वायड आंगन में ही घूम कर रह गया था. फोरैंसिक टीम ने जांच के लिए खून आदि के नमूने एकत्र कर लिए. मौके पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो चुकी थी. पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि माधवप्रसाद की पत्नी की कई साल पहले मौत हो गई थी. उन की माली हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. उन की 3 बेटियां थीं अर्चना, सुलोचना और वंदना.

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