राजस्थान से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तक फैले चंबल नदी के बीहड़ों में डकैत केदार गुर्जर का काफी आतंक था. उस ने अपनी पत्नी दस्यु सुंदरी पूजा के साथ ऐसा आतंक मचा रखा था कि लोग उन के नाम से कांपते थे. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में कभी उस की तूती बोलती थी. दोनों धनी लोगों का अपहरण कर मोटी रकम फिरौती में वसूलते थे. इस मामले में दोनों काफी होशियार थे.

वे पकड़ (अपहृत) को जंजीर से बांध कर ताला लगा कर अपने साथ जंगल में रखते थे. फिरौती मिलने के बाद ही वे उसे छोड़ते थे. जब तक पैसा नहीं मिल जाता, तब तक वे पकड़ को मेहमान की तरह रखते थे.

हालांकि अब पहले जैसे खूंखार डकैत नहीं रहे, जो लोगों को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून देते थे. एक जमाना था, जब चंबल के बीहड़ में डाकुओं का बोलबाला था. डाकुओं का ऐसा आतंक था कि लोग उन के नाम से कांपते थे. ऐसे तमाम डाकू हुए, जिन की कहानियां आज भी लोग सुनाते हैं. कई महिलाएं भी बीहड़ों में कूद कर डकैत बनीं. इन्हें बाद में दस्यु सुंदरी कहा गया.

लेकिन अब समय बदल गया है. अपराध भले ही पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं, लेकिन अपराधों और अपराधियों का ट्रेंड बदल गया है. अब पहले की तरह बंदूकों की नोक पर डकैती की वारदात यदाकदा ही सुनने को मिलती है. डकैतों की पीढ़ी भी अब आखिरी पड़ाव पर है. बात राजस्थान, मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश की करें तो यहां के ज्यादातर डकैत गिरोहों का सफाया हो चुका है. डकैत सरगना जेल पहुंच चुके हैं या मुठभेड़ में अपनी जान गंवा चुके हैं.

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