Crime News in Hindi: कभीकभी कोई रात आदमी के लिए इतनी भारी हो जाती है कि उसे काटना मुश्किल हो जाता है. जयलक्ष्मी गुरव (Jai laxmi Gurav) के लिए भी वह रात ऐसी ही थी. उस पूरी रात वह पलभर के लिए भी नहीं सो सकी थी. कभी वह बिस्तर पर करवटें बदलती तो कभी उठ कर कमरे में टहलने लगती. उस के मन में बेचैनी थी तो आंखों में भय था. एकएक पल उसे एकएक साल के बराबर लग रहा था. किसी अनहोनी की आशंका से उस का दिल कांप उठता था. सवेरा होते ही जयलक्ष्मी बेटे के पास पहुंची और उसे झकझोर कर उठाते हुए बोली, ‘‘तुम यहां आराम से सो रहे हो और तुम्हारे पापा रात से गायब हैं. वह रात में गए तो अभी तक लौट कर नहीं आए हैं. वह घर से गए थे तो उन के पास काफी पैसे थे, इसलिए मुझे डर लग रहा है कि कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई?’’

जयलक्ष्मी बेटे को जगा कर यह सब कह रही थी तो उस की बातें सुन कर उस की ननद भी जाग गई, जो बेटे के पास ही सोई थी. वह भी घबरा कर उठ गई. आंखें मलते हुए उस ने पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभी, भैया कहां गए थे, जो अभी तक नहीं आए. लगता है, तुम रात में सोई भी नहीं हो?’’

‘‘मैं सोती कैसे, उन की चिंता में नींद ही नहीं आई. उन्हीं के इंतजार में जागती रही. मेरा दिल बहुत घबरा रहा है.’’ कह कर जयलक्ष्मी रोने लगी.

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