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पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- आखिर मिल ही गए गुनहगार : भाग 1

उसी दिन हम ने स्क्वाड्रन लीडर को मिलिट्री पुलिस के वारंट द्वारा बुलवाया. मैक्डोनाल्ड ने उसे अपना और मेरा परिचय दिया. मुझ से उस ने हाथ मिलाया और बोला, ‘‘हिंदुस्तानियों में यह आदत है कि वे अंगरेजी नहीं जानते. आप से पहले इंसपेक्टर को मैं ने डांट दिया था, इसलिए यह केस आप को दिया गया है.’’

मैक्डोनाल्ड ने उस से बहुत सी बातें करने के बाद पूछा, ‘‘आप कब ऐबनौर्मल होते हैं?’’

उस ने कहा, ‘‘मुझे जब बातें करने वाला या सुनने वाला नहीं मिलता तो मेरे शरीर में चींटी सी चलने लगती है, फिर मैं खुद ऊपर से नियंत्रण खो देता हूं और मुझे यह याद नहीं रहता कि मैं ने क्या कहा.’’

मैक्डोनाल्ड ने कहा, ‘‘इस का मतलब यह हुआ कि लड़की की हत्या से पहले आप ने क्या कहा और क्या किया था. आप को याद नहीं?’’

वह बोला, ‘‘मुझे सब कुछ याद है, आप पूछें लेकिन उस थानेदार की तरह यह मत कह देना कि मैं ने एक लड़की की गोली मार कर हत्या कर दी है.’’

‘‘हम बात तो यही कहेंगे लेकिन ऐसे नहीं जो आप को गुस्सा आ जाए.’’ मैक्डोनाल्ड ने कहा, ‘‘मैं यह मान नहीं सकता कि आप ने हत्या की है.’’

वह बोला, ‘‘पूछें, आप क्या पूछते हैं, मुझे गुस्सा नहीं आएगा.’’

उस ने अपनी वही कहानी सुनाई थी. उस ने बताया कि जब वह लड़की को कमरे में ले गया और उस के साथ जबरदस्ती की तो वह उसे धक्का दे कर बाहर निकल आई. उस के बाद जो कुछ हुआ था, वह मेजर डोगरा सुना चुका था.

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