रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः बोधट्री मीडिया के लिए सुकेश मोटवानी व अन्य.

निर्देशकः निखिल नागेश भट्ट

कलाकार: संजय कपूर,लुबना सलीम, रूखसार रहमान,श्वेता त्रिपाठी शर्मा,दिवेंदु भट्टाचार्य, इंद्रनील सेन गुप्ता, श्रिया पिलगांवकर,अर्जुन माथुर व अन्य.

अवधिः लगभग आधे घंटे के चार एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः वूट

कोरोना वायरस की महामारी के चलते पूरे विश्व में संकट की घड़ी है. ऐसे ही संकट के दौर में पूरे विश्व में कुछ बेहतरीन फिल्में बनायी गयी है, जो साबित करती हैं कि स्मार्ट फोन व स्मार्ट गजेट के चलते हम अकेले या असहाय नही है. हम चाहें तो बहुत कुछ बेहतरीन रचनात्मक काम कर सकते हैं. इसका उदाहरण ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘वूट’’ पर आयी चार एपीसोड वाली वेब सीरीज ‘‘द गाॅन गेम’’ भी है.

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कोरोना काल में फिल्मायी गयी रहस्य व रोमांच से भरपूर वेब सीरीज ‘‘द गाॅन गेम’’ की कहानी का ताना बुना इस तरह से बुना गया है कि किसी भी कलाकार को दूसरे कलाकार के समक्ष आने की जरूरत नहीं पड़ी. इसमें अलग अलग किरदार निभाने वाले सभी कलाकार अपने टेलीफोन के वीडियो कॉल के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं.

कहानीः

यह कहानी है अमीर उद्योगपति  राजीव गुजराल (संजय कपूर) और सुनीता गुजराल (रुखसार रहमान) के परिवार की. राजीव के परिवार में उनका बेटा साहिल गुजराल (अर्जुन माथुर), बेटी अमारा गुजराल (श्वेता त्रिपाठी शर्मा), साहिल की पत्नी सुहानी (श्रिया पिलगांवकर)  हैं. सुहानी सोशल मीडिया की दीवानी है.साहिल व उसकी पत्नी मुंबई में रहते हैं. अमारा बंगलोर में है,जबकि उसका पूर्व प्रेमी और साहिल का दोस्त डा प्रतीक जिंदल (इंद्रनील सेनगुप्ता) भी मुंबई में है. एडवोकेट सुभाष चैधरी (दिव्येंदु भट्टाचार्य) का आरोप है कि राजीव गुजराल ने उसके करोड़ों रूपए डुबा दिए हैं और अब एडवोकेट चैधरी बार बार राजीव व साहिल को पैसे वापस देने के लिए धमकाता रहता है. कहानी 21 मार्च 2020 को भारत में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से शुरू होती है.

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साहिल बैंकॉक से लौटकर अपने कमरे में कैद हो जाता है. उसे लगता है कि वह कोरोना का शिकार हो गया है. देखते-देखते उसकी तबीयत खराब होती है. वह कोविड अस्पताल जाता है और वहां से 26 मार्च को उसकी मौत की खबर आती है. अस्पताल से सीधे उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है, जिसमें परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हो पाता. कहानी बहुत आम लगती है, पर ऐसा नही है.साहिल मरा है या जिंदा है, इसको लेकर कहानी आगे बढ़ती है. सवाल है कि साहिल जिंदा है तो कहां है? शक की सुई एडवोकेट चैधरी पर जाती है. पर डिजिटल व इंटरनेट तकनीक में माहिर आमरा को अहसास होता है कि उसका भाई साहिल जिंदा है. वह अपने कुछ दोस्तों की मदद से अपनी तफतीश शुरू करती है. कई रहस्यमय चीजें सामने आती हैं. फिर शक की सुई डाॅ.प्रतीक और साहिल की पत्नी सुहानी कपूर ग्रोवर पर जाकर टिकती है.राजीव ग्रोवर की पहली पर पुलिस हरकत में आती है और साहिल व सुहानी से पूछताछ शुरू होती है, तो कहानी कुछ अलग ही मोड़ ले लेती है. मामला सो करोड़ का भी आता है? आखिर यह सौ करोड़ का मसला क्या है? रहस्य गहराता जाता है कि आखिर इन सबके पीछे कौन है?

लेखन व निर्देशनः

‘‘द गाॅन गेम’’ नाटकीय घटनाक्रमों से ओत प्रोत रहस्य रोमांच प्रधान वेब सीरीज है. पहले सीजन का पहला एपीसोड साधारण है, मगर दूसरा, तीसरा और चैथा एपीसोड दर्शकों को बांधकर रखता है.कहानी इतनी तेज गति से भागती है कि दर्शक को सोचने का मौका ही नही मिलता. दर्शक जो सोचता है, उसके विपरीत चीज सामने आकर चैंकाती हैं. लेकिन इसमें रोमांच का घोर अभाव है. इसमें लेखक व निर्देशक ने ‘हैकर’ का किरदार डालकर मजा किरकिरा कर दिया, यदि हैकर न होता, तो यह वेब सीरीज ज्यादा मजेदार बन जाती.

इस कहानी में कलाकारों के साथ स्मार्ट फोन,स्मार्ट गैजेट्स भी अहम किरदार निभाते हंै.हर कलाकार ने अकेले ही शूटिंग की है,ऐसे में निर्देषक और एडीटर  का कार्य और कौशल काफी अहम हो जाता है और इस तराजू पर दोनों खरे उतरे हैं.

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यह वेब सीरीज से इस बात का भी अहसास कराती है कि हम सभी इस अत्याधुनिक युग में स्मार्ट फोन,स्मार्ट गैजेट व डिजिटल के चंगुल में किस तरह कैद होकर रह गए हैं. हम इन किरदारों को उतना ही देख पाते हैं,जितना वह स्वयं हमें दिखाते हैं.

अभिनयः

संजय कपूर, लुबना सलीम, रूखसार रहमान, श्वेता त्रिपाठी शर्मा, इंद्रनील सेन गुप्ता, श्रिया पिलगांवकर, अर्जुन माथुर हर कलाकार ने अच्छा अभिनय किया है. देखिए,कैमरे के सामने दो या तीन कलाकार एक्शन पर रिएक्शन करते हुए अभिनय करते हैं, यहां हर कलाकार अकेला था. ऐसे में अभिनय करना ज्यादा कठिन था,पर सभी ने बेहतरीन काम किया है. दिवेंदु भट्टाचार्य के किरदार की जरुरत समझ से परे है.

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