2 'नैशनल अवार्ड' जीतने के अलावा साल 2020 में 'पद्मश्री' से नवाजी जा चुकी अदाकारा कंगना राणावत हमेशा अपने बेखौफ बयानों के साथसाथ अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाती आई हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से जब से उन्होंने एक खास राजनीतिक दल की तरफ झुक कर विवादास्पद बयान देना शुरू किया है, तब से उन का ऐक्टिंग कैरियर ग्राफ भी लगातार गिरता चला गया है. उन की 'कट्टीबट्टी', 'रंगून', 'सिमरन', 'मणिकर्णिका : द क्वीन औफ झांसी', 'जजमैंटल है क्या', 'थलैवी', 'धाकड़' जैसी फिल्मों ने बौक्स औफिस पर पानी तक नहीं मांगा. कंगना ने ऐक्टिंग करने के अलावा फिल्म 'सिमरन' की कहानी लिखी थी और 'मणिकर्णिका : द क्वीन औफ झांसी' का कोडायरैक्शन भी किया था.

मगर हमेशा विद्रोही स्वभाव की रही कंगना राणावत ने इन फिल्मों की नाकामी या भाजपा के प्रति अपने रवैए के चलते दूसरे राजनीतिक दलों के निशाने पर आने की कोई परवाह नहीं की. जब उन्हें अहसास हुआ कि भाजपा के प्रति उन की नरमी और स्वभाव के चलते अब बौलीवुड में बतौर हीरोइन उन्हें काम मिलने से रहा, तो कंगना राणावत ने 'मणिकर्णिका फिल्म्स' नामक अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी खोल ली और फिल्मों की प्रोडक्शन, डायरैक्शन और उन में ऐक्टिंग करना शुरू कर दिया.

कंगना राणावत ने एक फिल्म 'इमरजेंसी' का प्रोडक्शन व डायरैक्शन करने के साथ ही इस में इंदिरा गांधी का किरदार भी निभाया है, जिसे वे दिसंबर, 2023 तक सिनेमाघरों में पहुंचाना चाहती हैं. बौलीवुड का एक तबका मान कर चल रहा है कि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद विवाद पैदा होना स्वाभाविक है.

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