अपने शौक को जीना ही जिंदगी है. यह बात ललित शौकीन से बेहतर कौन जान सकता है. दिल्ली देहात के गांव दिचाऊं कलां में पैदा हुए ललित शौकीन के पिता महावीर सिंह दिल्ली पुलिस में एएसआई और मां प्रेमलता हाउस वाइफ हैं.

छठी जमात तक नजफगढ़ के सरकारी स्कूल में पढ़े ललित शौकीन ने बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कालेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की. उन्हें स्कौलरशिप मिली तो अमेरिका से पीएचडी करने का बुलावा आ गया. साल 2008 में वहां गए. फिर फुलटाइम साइंटिस्ट की नौकरी की.

लेकिन ललित शौकीन के इरादे कुछ और ही थे. वे बचपन में कविताएं लिखा करते थे, लिहाजा उन का लेखन की ओर रुझान था. उन्होंने कला के क्षेत्र में हाथ आजमाने की सोची और एक कैमरा खरीदा. उस कैमरे की कीमत तकरीबन 3 लाख रुपए थी जिस को ले कर उन की मां बड़ी नाराज हुईं और उन्हें कोस दिया.

ललित शौकीन ने उसी कोसने को ले कर 2-4 मिनट का एक वीडियो ‘मौम, मी ऐंड डीएसएलआर’ बना दिया. उस के बाद तो उन के वीडियो यूट्यूब पर धूम मचाने लगे.

ललित शौकीन की उपलब्धियों पर हरियाणा सरकार ने इस साल ‘हरियाणा प्रवासी दिवस’ के मौके पर उन्हें गुड़गांव में ‘हरियाणा गौरव सम्मान’ भी दिया. पेश हैं, हरियाणवी हास्य को ग्लोबल बनाने वाले ललित शौकीन से की गई बातचीत के खास अंश:

society

आप पेशे से वैज्ञानिक हैं, फिर आप को इस तरह के छोटे हास्य वीडियो बनाने का विचार कैसे आया?

मैं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कालेज से बीएससी और एमएससी की थी. इस के बाद मुझे और मेरी गर्लफ्रैंड नेहा, जो मेरे ही साथ पढ़ती थीं, को अमेरिका की यूनिवर्सिटी सैंट्रल फ्लोरिडा से स्कौलरशिप मिल गई. यह साल 2008 की बात है. 4 साल के बाद मेरी पीएचडी हुई. फिर मुझे न्यूयौर्क में नौकरी मिल गई.

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