Best Hindi Story, लेखिका - नेहा अरोरा
‘‘अरे, क्यों रो रही है? अच्छा ही हुआ चला गया, तेरी जिंदगी नरक बना रखी थी,’’ श्यामा ने रोती हुई जीनत को चुप कराते हुए कहा. उस की आवाज में कड़वाहट तो थी, पर करुणा भी थी.
श्यामा की बात सुन कर एक पल को जीनत ने उसे नजर उठा कर देखा. उस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे. उस के हाथ पर गरम चिमटे से लगी मार में अभी भी चीस उठ रही थी, लेकिन जिस ने उसे यह चीस दी थी, वह जिंदा साहिल था, पर अब उस के सामने मुर्दा साहिल था, जो न उसे मार सकता था, न गाली दे सकता था.
जीनत थोड़ा और पीछे हो कर दरवाजे से टेक ले कर बैठ गई. वहां कुछ ही लोग थे. साहिल के घर वालों ने बहुत पहले ही उस की हरकतों से तंग आ कर उस से रिश्ता तोड़ लिया था और जीनत के घर वालों ने उसे समझासमझा कर थक कर अपनी दूरी बना ली थी, पर जीनत सबकुछ जानतेसमझते, सहते हुए भी अलग नहीं हो पाई.
ऐसा नहीं है कि जीनत को ऐसा खयाल ही नहीं आया, पर जब भी उस ने अपना मन बनाया, कुछ न कुछ ऐसा हुआ कि वह वापस साहिल के पास आ गई.
जीनत को पता था कि अगर वह साहिल को छोड़ कर गई तो साहिल जिंदा नहीं रह पाएगा और वह उस की मौत की जिम्मेदारी अपने सिर नहीं लेना चाहती थी.
यह वही साहिल था, जिस के साथ जीनत ने जीनेमरने की कसमें खाई थीं, साथ निभाने का वादा किया था, कई खूबसूरत साल बिताए थे... उसे छोड़ कर वह कैसे जाती?
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