सरस सलिल की ज्यूरी द्वारा वर्ष 2019 में भोजपुरी भाषा में प्रदर्शित फिल्मों के स्क्रीनिंग के आधार पर जिन एक्टर्स को अवार्ड दिया गया उसमें अलग अलग कैटेगरी में कई मशहूर एक्टर्स शामिल रहें. इसी कड़ी में कामेडी के लिए भी अभिनेताओं को अवार्ड से नवाजा गया. जिसमें मशहूर कामेडियन मनोज सिंह टाइगर ‘बतासा चाचा’ को बेस्ट पापुलर कामेडियन का अवार्ड दिया गया मनोज सिंह टाइगर को बतासा चाचा का उप नाम निरहुआ रिक्शावाला के किरदार से मिला जो आज उनकी पहचान बन चुका है मनोज सिंह टाइगर लखनऊ में हो रहे बीआईपीएल के चलते अवार्ड शो में नहीं पहुँच पाए थे ऐसे में उन्हें यह अवार्ड एक फिल्म की शूटिंग के दौरान फिल्म शेट पर जाकर दिया गया .
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अगर अभिनेता मनोज सिंह टाइगर की बात करें तो उनकी अब तक ढाई सौ से भी अधिक फ़िल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं. उन्होंने भोजपुरी में कामेडी को एक अलग ही पहचान दी है. पहले भोजपुरी में कामेडी का पैमाना नहीं हुआ करता था इसी लिए भोजपुरी में कामेडियन को मजाक बनाया जाता रहा. भोजपुरी कामेडियन को को नाडा पहना कर मजाक का पार्ट बनाया जाता था. लेकिन मनोज सिंह टाइगर के भोजपुरी कामेडी में आने के बाद अब भोजपुरी में भी कामेडियन का लेवल वालीवुड के परेश रावल, राजपाल यादव और संजय मिश्रा सरीखे कलाकारों की तरह बढ़ा है.
मनोज सिंह टाइगर जिस तरह फिल्मों में वयस्त है उसी तरह वह थियेटर में भी सक्रिय रहतें है. उनका कहना ही की थियेटर मेरी आत्मा में बसा है,या कह लिया जाए की थियेटर मेरी कमजोरी और मजबूरी है. थियेटर के बिना मुझे जिदंगी अधूरी लगती है. जब भी मुझे कहीं से थियेटर में मंच पर प्रस्तुति के लिए ऑफर मिलता है तो मै सारे काम छोड़ कर थियेटर पर अपने नाटकों के मंचन के लिए पहुँच जाता हूँ. जहाँ तक थियेटर का फिल्मी कैरियर में लाभ मिलने की बात है तो थियेटर ही तो है जिसने मुझे फिल्मों में अपनी अलग पहचान दी.उनका कहना है की थियेटर के चलते फिल्म में शूट के दौरान गलतियाँ कम होती है. मै अगर सच कहूँ तो मुझे फिल्मों में लाने का श्रेय मेरे रंगकर्म को ही जाता है. मेरा नाटक मांस का रुदन खासा सफल रहा है और इसे मैंने लगभग देश के सभी हिस्सों में प्ले किया है. वह कहते हैं की मै जीवन भर थियेटर करते रहना चाहता हूं.