वन महोत्सव में लगेंगे करोड़ो पेड़

वन महोत्‍सव के वृक्षारोपण महाअभियान के अन्‍तर्गत मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे 100 करोड़वां पौधा लगाया गया. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पांच साल में यूपी सरकार ने वृक्षारोपण अभियान में रिकार्ड कायम किया है. अब तक प्रदेश में वन विभाग के सहयोग से 100 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं, अ‍भी यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा. वहीं प्रदेश सरकार ने  विभिन्‍न जनपदों व गांवों में रविवार को 25 करोड़ पौधे लगाकर रिकार्ड बना दिया.  सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे को ध्‍यान में रखते हुए पांच औद्योगिक स्‍थानों पर पांच औद्योगिक गलियारे विकसित किए जाएंगे, जहां पर उद्योग लगेंगे. इससे पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. उनको अपने ही शहर में नौकरी मिल जाएगी.  वृक्षारोपण अभियान के तहत राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने झांसी में वृक्षारोपण किया.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में सरकार कई रिकार्ड बनाने जा रही है. उस रिकार्ड के तहत यूपी में पिछले 5 साल में 100 करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं. एक जुलाई से सुबह 10 बजे तक 9 करोड़ पेड़ लगा दिए गए है. वहीं रविवार शाम तक प्रदेश के विभिन्‍न जनपदों में 25 करोड़ पौधे लगाए गए. यूपी में 7 जुलाई तक वन महोत्‍सव का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि यहां पर 100 वर्ष पुराना एक बरगद का वृक्ष है. जिसको हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया गया है. सीएम ने कहा कि वृक्षों को संरक्षित करके ही हम एक स्‍वच्‍छ समाज दे सकते हैं. एक्‍सप्रेस वे के किनारे पंचवटी, नक्षत्र वाटिका समेत अन्‍य औषधीय वाटिकाएं भी बनाई जाए.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां पर 2-3 साल पहले खेत हुए करते थे. यहां पर आज एक्‍सप्रेस वे है. जो पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बनने जा रहा है. एक्‍सप्रेस वे के निर्माण के बाद यूपी को व्‍यापक रोजगार, नौकरी व औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी . सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे  देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा. इससे पूर्वांचल वासियों व युवाओं को अपने शहर में रोजगार मिलेगा. यूपी समृद्ध होगा.

पांच औद्योगिक कलस्‍टर होंगे विकसित

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि एक्‍सप्रेस वे ध्‍यान में रखते हुए सरकार पूर्वांचल एक्‍सप्रेस के किनारे पांच औद्योगिक स्‍थानों पर 5 औद्योगिक कलस्‍टर विकसित करने जा रही है. यहां पर आईटी पार्क, ओडीओपी व टेक्सटाइल पार्क के साथ अन्‍य उद्योग लगाए जाएंगे. इन उद्योगों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. यूपी का युवा अपने ही शहर में नौकरी हासिल कर सकेगा. जो स्‍वावलंबन के पथ पर चल कर यूपी के विकास में अपना योगदान देगा. पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप यूपी एक बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकेगा. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ औद्योगिक गलियारा नहीं बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का आधार भी साबित होगा.

स्‍मृति वाटिकाएं अपनों की यादें संजोने की एक अच्‍छी पहल

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि कोरोना कमजोर हुआ है लेकिन अभी खत्‍म नहीं हुआ है. इसलिए सोशल डिस्‍टेसिंग व मास्‍क का उपयोग बहुत जरूरी है. सीएम ने कहा कि आप खुद भी वैक्‍सीन लगवाए और अपने परिवार व आसपास के लोगों को वैक्‍सीन लगवाने के लिए जागरूक करें. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कोरोना में दिवंगत आत्माओं की याद में जो यहां स्‍मृति वाटिका बनाई गई है. उसके लिए जिला प्रशासन को बधाई. हर गांव व जिले में इस तरह की वाटिका बनाई जाए. उन दिवंगत आत्‍माओं को नमन व उनके याद में लगाए वृक्ष हमेशा उनकी याद संजोये रहेंगे.

केंद्र के राहत पैकेज का अधिकतम लाभ ले- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

लखनऊ . केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड की दूसरी लहर के मद्देनजर जिस राहत पैकेज की घोषणा की है, उसका उत्तरप्रदेश को अधिकतम लाभ मिलना चाहिए. ऐसी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है. उन्होंने संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ( अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव) को निर्देश दिया है कि वह यथाशीघ्र अपने विभाग की कार्ययोजना बनाकर केंद्र को भेजें ताकि राहत पैकेज के तहत जो पैसा प्रदेश को मिलना है,वह शीघ्र मिले. कार्ययोजना बनाने के साथ इस बाबत लगातार केंद्र के संपर्क में रहें.

मालूम हो कि केंद्रीय वित्तमंत्री ने सोमवार को कोविड की दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित सेक्टर्स और लोगों के लिए राहत पैकेज (रिलीफ मेजर्स ) की घोषणा की थी.

इसमें वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपए की गारंटी स्कीम के तहत 50 हजार करोड़ की लोन गारंटी योजना स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए और बाकी अन्य सेक्टर्स के लिए है. स्वास्थ्य सेक्टर्स के तहत जो पैसा मिलना है उसे इस क्षेत्र की बुनियादी संरचना को और मजबूत किया जाएगा. फोकस मेट्रोपोलिटन शहरों की जगह अपेक्षाकृत कम सुविधाओं वाले छोटे शहर होंगे. मालूम हो कि प्रदेश की योगी सरकार पहले से ही इस क्षेत्र में काम कर रही है. उसकी मंशा हर जिले में मेडिकल कॉलेज और राजधानी लखनऊ समेत गोरखपुर,वाराणसी, आगरा और कानपुर आदि में पीपीपी मॉडल पर सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल बनाने की है. पैकेज से मिले पैसे से जो काम चल रहे हैं उनकी गति और तेज हो जाएगी और कुछ नए काम भी शुरू हो सकेंगे.

भगवान श्रीराम, कृष्ण की धरती होने के साथ अपनी विविधता के कारण उत्तरप्रदेश में हर तरह के पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. प्रदेश सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए काम भी कर रही है. हालांकि कोरोना की वजह से यह सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित रहा. इस सेक्टर में जान डालने के लिए भी राहत पैकेज में कई घोषणाएं की गई हैं. मसलन 31 मार्च 2022 तक मुफ्त पर्यटक वीजा दिया जाएगा. इसमें पहले 5 लाख पर्यटकों को टूरिस्ट को वीजा शुल्क नहीं देना होगा.

11 हजार पंजीकृत टूरिस्ट गाइड का मदद दी जाएगी

टूर एजेंसियों को 11 लाख रुपये तक का गारंटी फ्री कर्ज मिलेगा.

आत्मनिर्भर भारत योजना की मियाद 31 मार्च 2022 बढ़ा दी गई है. एक लाख एक हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी योजना, 1.50 लाख करोड़ की अतिरिक्त क्रेडिट गारंटी योजना भी घोषित की गई है. पूर्व में ऐसी योजनाओं का सर्वाधिक सर्वाधिक लाभ प्रदेश को मिला है. आगे भी ऐसा हो इसका प्रयास सरकार करेगी.

गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत महामारी के दौरान कोई भूख न रहे, इसलिए दिवाली यानी नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज मिलता रहेगा. इस पर कुल दो लाख करोड़ तक का खर्च होगा.

डेल्टा प्लस पर यूपी के विशेषज्ञ डॉक्टरों रहे तैयार : सीएम योगी

लखनऊ . सुनियोजित नीति से कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर लगाम लगाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने नई चुनौतियों का सामना करने के लिए यूपी में व्‍यवस्‍थाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. दूसरे कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने से सीएम ने अधिकारियों को अलर्ट मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं. जिसके तहत अब प्रदेश में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी. प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा के लिए केजीएमयू और बीएचयू में सभी जरूरी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के निर्देश सीएम ने आला अधिकारियों को दिए हैं. बता दें कि साल 2021 की शुरुवात में ही सरकार ने कोरोना संक्रमण के नए स्‍ट्रेन को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) में जीन सीक्‍वेंसिंग की जांच को शुरू करने का फैसला लिया था. वायरस के नए स्‍ट्रेन की पहचान समय से करने के लिए जीन सीक्‍वेंसिंग की जांच केजीएमयू में जनवरी में ही शुरू कर दी गई थी.

प्रदेश में आने वाले सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर टेस्ट के सैंपल से जीन सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. रेलवे, बस , वायु मार्ग से प्रदेश में आ रहे लोगों के सैम्पल लेकर जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश के जिलों से भी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ के सैंपल लिए जाएंगे. रिपोर्ट के परिणाम स्वरूप डेल्टा प्लस प्रभावी क्षेत्रों की मैपिंग कराई जाने के आदेश सीएम ने दिए हैं.

डेल्टा प्लस पर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तैयार की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता बरतते हुए समय रहते ही सरकार ने ठोस रणनीति बना ली है. विशेषज्ञों के अनुसार इस बार का वैरिएंट पहले की अपेक्षा कहीं अधिक खतरनाक है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति ने इससे बचाव के लिए विस्तृत अनुशंसा रिपोर्ट तैयार की है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे आयु वर्ग के लोगों की अपेक्षा इस नए वैरिएंट का दुष्प्रभाव बच्चों पर कहीं अधिक हो सकता है. सीएम ने विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार बिना देर किए सभी जरूरी कदम उठाए जाने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति के सदस्यों व अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के जरिए जनजागरूकता का कार्य भी किया जाएगा.

बीएचयू और केजीएमयू ने संभाली कमान

किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय केजीएमयू के साथ ही बनारस के बीएचयू में जीन सीक्‍वेंसिंग की जांच शुरू की गई है. यूपी में अभी तक जीन सीक्‍वेंसिंग जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाता था पर अब प्रदेश में जांच शुरू होने से प्रदेश के बाहर स्थ्ति दूसरे संस्‍थानों में सैंपल नहीं भेजने पड़ेंगे. बता दें कि यूपी की पहली कोरोना टेस्‍ट लैब भी केजीएमयू में शुरू हुई थी.

जीन सीक्‍वेंसिंग अनिवार्य, दो हफ्तों में आएगी रिपोर्ट

अभी तक यूपी में आने वाले यात्रियों की  एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए कराई जा रही थी पर अब प्रदेश के सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर सैंपल से जीनोम सिक्वेंसिंग कर ‘डेल्टा+’ की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है. पॉजिटिव मरीज में कौन सा स्‍ट्रेन मौजूद है इसकी जांच के लिए जीन सीक्‍वेंसिंग की जांच को अनिवार्य किया गया है. ‘डेल्टा प्लस’ की रिपोर्ट दो हफ्तों में आती है.

11 देशों में पाए गए 197 केस, भारत में आठ

जून 16 तक दुनिया के 11 देशों में 197 केस सामने आए जिसमें ब्रिटेन, भारत, कनाडा, जापान,नेपाल, पोलैंड,तौरकी यूएस समेत अन्य देश शामिल हैं. जिसमें भारत में आठ केस की पुष्टि की गई है.

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्‍यक्ष डॉ अमिता जैन ने बताया कि प्रदेश में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के निर्देशानुसार लैब को एडवांस बनाते के लिए पहले से उपलब्‍ध संसाधनों के जरिए नई जांच को सबसे पहले केजीएमयू में शुरू किया गया था. संस्‍थान की जीन सीक्‍वेंसर मशीन से इस जांच से सिर्फ वायरस के स्‍ट्रेन की पड़ताल की जाएगी. इसके लिए लैब में कोरोना पॉजिटिव आए मरीजों के रैंडम सैंपल लिए जाएंगे.

यूपी के इतिहास में गेहूं की सबसे बड़ी खरीद

लखनऊ. योगी सरकार ने गेहूं खरीद में सबसे बड़ा रिकार्ड बनाया है. 4 साल में राज्‍य सरकार 33 लाख से अधिक किसानों से 162.71 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुकी है. इस साल अप्रैल माह से शुरू हुई खरीद में राज्य सरकार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. कुल 1288461 किसानों से 56.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है. किसानों को 10019.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जो अखिलेश सरकार के वर्ष 2016-17 में 7.97 लाख मीट्रिक टन खरीद के मुकाबले लगभग 8 गुना ज्‍यादा है.

राज्‍य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक रबी विपणन वर्ष 2017-18 में 800646 किसानों से 36.99 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई. 2018-19 में 52.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद कर 11,27195 किसानों को भुगतान किया. 2019-20 में 37.04 लाख मीट्रिक टन और 2020-21 में 35.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की गई. वहीं सपा सरकार में वर्ष 2015-16 में 403141 किसानों से 22.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया. 2016-17 में केवल 7.97 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की गई. 2013-14 में सबसे कम केवल 6.83 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई.

चार सालों में किसानों को उनके एक-एक दाने का भुगतान करने वाली राज्य सरकार ने 2017-18 में 6011.15 करोड़, 2018-19 में 9231.99 करोड़, 2019-20 में 6889.15 करोड़ और 2020-21 में 6885.16 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जबकि अखिलेश सरकार में वर्ष 2012-13 में 6504.45 करोड़, 2013-14 में 921.96 करोड़, 2014-15 में 879.23 करोड़, 2015-16 में 3287.26 करोड़ और 2016-17 में 1215.77 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया गया.

धान खरीद में भी पिछली सरकार को छोड़ा मीलों दूर

धान खरीद में भी पिछली सरकारों के मुकाबले योगी सरकार ने नई उपलब्धियां हासिल की हैं. खरीफ की फसल में वर्ष 2020-21 में 66.84 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर 13 लाख से अधिक किसानों को 12438.70 करोड़ रुपये भुगतान किया.  2019-20 में 706549 किसानों से 56.57 मीट्रिक टन खरीद की गई. 2018-19 में 684013 किसानों से 48.25 मीट्रिक टन और 2017-18 में 492038 किसानों से 42.90 मीट्रिक टन धान खरीदा गया. धान खरीद में पिछली सरकारों को पीछे छोड़ते हुए चार सालों में योगी सरकार ने किसानों को सर्वाधिक लाभ देने का काम किया. सपा सरकार में वर्ष 2012-13 में 299044 किसानों से 17.79 लाख मीट्रिक टन धान खरीद की थी. 2013-14 में 123476 किसानों से 9.07 लाख मीट्रिक टन, 2014-15 में 196044 किसानों से 18.18 लाख मीट्रिक टन, 2015-16 में 433635 किसानों से 43.43 लाख मीट्रिक टन धान खरीद ही कर पाई थी. राज्य सरकार ने जहां चार साल के कार्यकाल में 3188529 किसानों को 37825.66 करोड़ रुपये का भुगतान किया. वहीं अखिलेश सरकार 05 सालों में केवल 1487519 किसानों को 17190.85 करोड़ रुपये ही भुगतान कर पाई थी.

मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ रही है योगी सरकार

लखनऊ . योगी सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण की मुहिम के क्रम में  छात्रों की ऑनलाइन शिक्षा को लेकर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद और आईआईएम व आईआईटी के दिग्‍गज  मदरसा शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे. बाकायदा स्‍पेशल क्‍लासेज के जरिए शिक्षकों को बताया जाएगा कि ऑनलाइन पढ़ाई कैसे कराई जाए.

मदरसा बोर्ड की ओर से  ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें भाषा समिति के सदस्‍य दानिश आजाद, रजिस्‍ट्रार मदरसा बोर्ड आरपी सिंह समेत कई जिलों के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण अधिकारी व शिक्षाविद शामिल रहे.

प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों का आधुनिककरण शुरू कर दिया है. कोरोना काल में मदरसो में छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई चालू हो गई है. यूपी मदरसा बोर्ड भाषा समिति के सहयोग से मंडलवार शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर बच्‍चों को पढ़ाने के लिए तैयार कर रहा है. इसमें माध्‍यमिक शिक्षा परिषद से जुड़े शिक्षाविद व काउंसर और कई डीएमओ मदरसा शिक्षकों को विषय ट्रेनिंग दे रहे हैं.

खासकर शिक्षकों को बताया कि वह सरल तरीके से बच्‍चों को कैसे पढ़ाएं. दानिश आजाद बताते हैं कि मदरसा शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई की ट्रेनिंग देने के लिए आईआईटी व आईआईएम वर्तमान व पूर्व छात्रों से बात की गई है. कई छात्रों ने  शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने की हामी भर दी है. विश्‍वविद्यालयों के पूर्व कुलपति, रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़ने को तैयार हैं.

भाषा समिति के सदस्‍य दानिश आजाद बताते हैं कि उपनिदेशक संजय कुमार मिश्र व जगमोहन सिंह, मदरसा बोर्ड के रजिस्‍ट्रार आरपी सिंह व मदरसा शिक्षक एसोसिएशन की ओर से ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इसमें डीएमओ कानपुर वर्षा अग्रवाल, असमत मलिक प्रशिक्षक माध्‍यमिक शिक्षा परिषद, डीएमओ अमरोहा नरेश यादव व उर्दू और दीनीयात एक्‍सपर्ट डॉ एजाज अंजुम ने शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई की बारिकियों के बारे में बताया. उन्‍होंने कहा कि कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई ही जारी रहेगी. ऐसे में शिक्षकों को इसके लिए अपनी तैयारी करना चाहिए. दानिश आजाद ने बताया कि कौन-कौन सी ऑनलाइन एप के जरिए वह छात्रों से सीधे जुड़ सकते हैं. दानिश आजाद बताते हैं कि अभी हाल में मुलाकात के दौरान मुख्‍यमंत्री ने मदरसा छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने के निर्देश दिए थे.

इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनायेगी यूपी सरकार

लखनऊ . प्रदेश सरकार अब इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनाने की मुहिम में जुट गई है. इसके तहत राज्य में गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54 और चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने के सात प्रोजेक्ट लगाए जाने की कार्रवाई चल रही हैं. गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54  प्रोजेक्ट में से 27 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं, जबकि 27 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं, आगामी सितंबर के अंत तह यह भी पूरे हो जायंगे. चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट में भी अगले चंद महीनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्टों की समीक्षा करते हुए इनमें जल्द से जल्द इनमें उत्पादन शुरू करने के निर्देश हैं. उत्पादन शुरू करने के लिए एनओसी जारी करने में को विलंब ना हो, यह भी मुख्यमंत्री ने कहा है.

गन्ना राज्य के किसानों की एक मुख्य नगदी फसल है. बुन्देलखंड को छोड़ कर राज्य के हर जिले में किसान गन्ने की पैदावार होती हैं. कुछ समय पहले तक चीनी मिले, खंडसारी और गुड के कारोबारी ही गन्ने पैदावार के खरीददार थे लेकिन अब गन्ने से इथेनॉल भी बनाई जाने लगी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही पहल पर राज्य में इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए लोगों ने रूचि दिखाई है. जिसके चलते अब किसानों को चीनी मिलों या खांडसारी करोबारियों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. प्रदेश सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने की शुरुआत कर अब गन्ने को ग्रीन गोल्ड सरीखा बना दिया है. इस क्षेत्र में अब भारी निवेश हो रहा है. राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों के जरिए इथेनॉल बनाने के लिए 61 प्रोजेक्ट लगाने के लिए लोगों का आगे आना इसका सबूत है. निवेश के इन प्रस्तावों के सूबे में आने से अब गन्ना उत्पादन में इजाफा होगा. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों से इथेनॉल बनाने संबंधी लगाए जा रहे कुल 61 प्रोजेक्टों से 25 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा.

इन विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने तथा उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस योजना से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि इथेनॉल गन्ने,  मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है. ये विशेषज्ञों कहते हैं कि दो माह पहले केंद्र सरकार ने इथेनॉल को स्टैंडर्ड फ्यूल घोषित किया है. ऐसे में अब इथेनॉल की मांग में इजाफा होगा. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उचित समय पर इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट लगाने में तेजी दिखाई है. प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश इथेनॉल के उत्पादन सबसे अन्य राज्यों से बहुत आगे निकल जाएगा. अभी भी उत्तर प्रदेश से हर वर्ष 126.10 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जाती है. राज्य में करीब 50 आसवानियां इथेनॉल बना रही हैं. इस वर्ष इथेनॉल बनाने संबंधी नए प्रोजेक्टों में उत्पादन शुरू होने से इथेनॉल उत्पादन में प्रदेश देश में सबसे ऊपर होगा और राज्य के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा. क्योंकि इन प्रोजेक्ट में गन्ना देने वाले किसानों को उनके गन्ने का भुगतान पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. और किसान गन्ना की फसल बोने से संकोच नहीं करेंगे. गन्ना किसानों के किए सोने जैसा खरा साबित होगा. इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबधी प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान देते हुए उनके शुरू करने की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिया हैं.

क्या होता है  इथेनॉल  :

अगर आसान शब्दों में कहें तो इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. एथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है लेकिन अब प्रदेश सरकार ने चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से भी इसे तैयार करने के सात प्रोजेक्ट स्थापित करने की अनुमति दी है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में स्थापित और नए लग रहे प्रोजेक्ट से उत्पादित इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर 35 फीसदी तक कार्बन मोनोऑक्साइड कम किया जा सकता है. साथ ही, इससे सल्फर डाइऑक्साइड को भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार सरकार ने 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य रखा है.पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था. सरकार के इस फैसले से आम लोगों को प्रदूषण से राहत मिलेगी. इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा. क्योंकि शुगर मिलों के पास आसानी से पैसा उपलब्ध हो जाएगा.

फ्री टीकाकरण महाअभियान: चलेगा शहरों से लेकर गांवों तक

लखनऊ. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फ्री टीकाकरण को लेकर एक जून से होने वाले महाअभियान का प्लान तैयार कर लिया गया है. शहर से लेकर गांवों तक होने वाले टीकाकरण के लिए कम आबादी वाले हर जिले में कम से कम रोजाना एक हजार लोगों का टीकाकरण होगा. ऐसे ही अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक से दो अतिरिक्त कार्य स्थल पर कोविड वैक्सीनेशन सेंटर (सीवीसी) स्थापित किए जाएंगे. विभिन्न सरकारी कार्यों में फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व के सबसे बड़े निशुल्क टीकाकरण अभियान को और तेज गति से चलाने के निर्देश दिए हैं. कोविड वैक्सीनेशन संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवर है. देश में सबसे ज्यादा प्रदेश में 18 से 44 आयु वर्ग के युवाओं ने टीका लगवाया है. सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने फ्री टीकाकरण महाअभियान को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है. एक जून से होने वाले टीकाकरण के लिए हर जिले में 18 से 44 आयु वर्ग के लिए रोजाना चार कार्य स्थल पर सीवीसी का आयोजन किया जाएगा. इसमें जिले स्तर पर न्यायालय के लिए, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग कार्यालय में अधिकारियों और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए और सरकारी कार्य स्थल के लिए दो सत्र स्थापित किए जाएंगे.

अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक से दो अतिरिक्त कार्य स्थल पर सीवीसी लगाए जाएंगे. आवश्यकतानुसार कार्य स्थल पर सीवीसी का स्थान परिवर्तित करते हुए राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मी, परिवहन कर्मचारी, रेलवे और अन्य राजकीय कार्यालयों में भी टीकाकरण किया जाएगा. इसके अलावा एक सरकारी कार्य स्थल पर राजकीय और परिषदीय शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी. इसके अलावा हर जिले में रोजाना दो अभिभावक स्पेशल सीवीसी स्थापित किए जाएंगे, जिसमें 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता-पिता का टीकाकरण किया जाएगा.

सीएमओ को पहले दी जाएगी सूची, फिर होगा टीकाकरण

सूचना विभाग या मीडिया कर्मियों का टीकाकरण होने के बाद इसे सरकारी कर्मचारियों के कार्य स्थल में परिवर्तित कर दिया जाएगा और सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों का टीकाकरण किया जाएगा.

जिले स्तर पर रोजाना लगने वाले टीके की सूची न्यायालयों में जिला जज के कार्यालय से, मीडिया कर्मियों की सूची जिला सूचना अधिकारी से, शिक्षकों की सूची डीआईओएस या बीएसए से और अन्य सरकारी कर्मियों की सूची डीएम कार्यालय से पूर्व से बनाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिया जाएगा और उसी के अनुसार टीकाकरण कराया जाएगा. इन सभी कार्य स्थल पर सीवीसी में 45 और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए भी स्लाट रखे जाएंगे.

12 वर्ष से कम बच्चों के अभिभावकों को देना होगा प्रमाण पत्र

हर जिले में रोजाना दो अभिभावक स्पेशल सीवीसी लगाए जाएंगे, जिसमें 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता-पिता का टीकाकरण होगा. इसके लिए उन्हें पंजीकरण और टीकाकरण के समय अपने बच्चे की उम्र 12 वर्ष से कम होने का प्रमाण (आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र या कोई अन्य) पत्र देना होगा. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक अतिरिक्त अभिभावक स्पेशल सीवीसी लगाया जाएगा.

नगरों और गांवों पर भी फोकस

हर जिले में रोजाना तीन नगरीय क्षेत्रों में सीवीसी स्थापित किए जाएंगे. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त नगरीय स्पेशल सीवीसी लगाया जाएगा. नगरीय क्षेत्र के पास टीकाकरण के लिए हर जिले में रोजाना एक सीवीसी लगाया जाएगा. ऐसे ही हर जिले में रोजाना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दो सीवीसी स्थापित किए जाएंगे. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त सीवीसी स्थापित किए जाएंगे.

राशन वितरण अभियान से मिलेगा उत्तर प्रदेश के लोगों को राशन

लखनऊ . योगी सरकार गुरुवार को देश का सबसे बड़ा मुफ्त राशन वितरण अभियान शुरू करने जा रही है. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाएगा . सरकारी राशन दुकानों से पात्रों को 3 महीने मुफ्त राशन दिया जाएगा.

हर कार्ड धारक को 3 किलो गेहूं के साथ 2 किलो चावल दिया जाएगा . कम्‍युनिटी किचन और फूड पैकेट के जरिये रोज हजारों गरीबों तक भोजन पहुंचा रही योगी सरकार ने देश के सबसे बड़े राशन वितरण अभियान के लिए चाक चौबंद तैयारी की है. योगी सरकार ने अपने  मंत्रियों, विधायकों और अफसरों को मुफ्त राशन वितरण अभियान की निगरानी के लिए जिलों में तैनात रहने के निर्देश दिए हैं.

प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक अलग अलग जिलों में मौजूद रह कर राशन वितरण अभियान की शुरुआत करेंगे.

राशन वितरण की निगरानी के लिए सरकारी दुकानों पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है. पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और भ्रष्‍टाचार मुक्‍त बनाने के लिए राशन वितरण ई पॉस मशीनों के जरिये किया जाएगा.

पात्र गृहस्‍थी योजना के 13,41,77,983 लोगों के साथ अंत्‍योदय अन्‍न योजना के 1,30,07,969 पात्रों को भी मुफ्त राशन वितरण योजना का लाभ मिलेगा . यूपी के कार्ड धारकों के अलावा पोर्टबिलिटी के आधार पर कोई भी पात्र कार्ड धारक प्रदेश की सरकारी राशन दुकानों से मुफ्त राशन प्राप्‍त कर सकेगा. मई महीने का राशन वितरण गुरुवार से शुरू हो कर 31 मई तक चलेगा.

29 से 31 मई तक पोर्टबिलिटी के आधार पर पात्र लोगों को राशन वितरण किया जाएगा.  कम्‍युनिटी किचन और फूड पैकेट के जरिये पहले ही गरीबों तक भोजन पहुंचा रही योगी सरकार ने अब मुफ्त राशन वितरण अभियान के लिए बड़े स्‍तर पर तैयारी की है. प्रदेश की लगभग 80 हजार सरकारी राशन दुकानों तक खाद्यान्‍न पहुंचाने के साथ कोविड प्रोटोकाल के पालन के भी निर्देश जारी किए गए हैं .

खाद्यान्‍न वितरण में सोशल डिस्‍टेंसिंग के साथ टोकन सिस्‍टम लागू किया जा रहा है, ताकि भीड़ जुटने से रोका जा सके . राज्‍य सरकार ने हर राशन दुकान पर सेनिटाइर, साबुन और पानी की उपलब्‍धता अनिवार्य की है. ई पास मशीनों के इस्‍तेमाल से पहले सेनिटाइजेशन जरूरी होगा. एक दुकान पर एक समय में अधिकतम 5 उपभोक्‍ता ही मौजूद रह सकेंगे .

गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार ने पात्र कार्ड धारकों को 8 महीने तक मुफ्त राशन वितरण किया था. 5 किलो खाद्यान्‍न प्रति यूनिट की दर से राज्‍य सरकार ने सरकारी दुकानों से पिछले साल अप्रैल से नवंबर तक 60 लाख मी टन खाद्यान्‍न का मुफ्त वितरण किया था, जो कि देश में एक रिकार्ड है .

बच्‍चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जुटा उत्तर प्रदेश

लखनऊ. कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए योगी सरकार ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. विशेषज्ञ तीसरी लहर में बच्‍चों के लिए खतरनाक बना रहे हैं. ऐसे में अस्‍पतालों में अभी से बच्‍चों के इलाज से जुड़ी तैयारियां शुरू हो गई है. वहीं, आयुष विभाग ने भी कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. आयुष विभाग अपने सभी अस्‍पतालों में बच्‍चों के स्‍वस्‍थ्‍य को लेकर एक हेल्‍प डेस्‍क बनाने जा रहा है. साथ ही आयुष कवच एप पर बच्‍चों की सेहत से जुड़ा एक नया फीचर भी जोड़ने जा रहा है.

तीसरी लहर की तैयारी 

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने आयुष विशेषज्ञों से आयुर्वेद की पुरानी परम्‍पराओं से कोरोना संक्रामित लोगों के इलाज की बात कहीं थी. इसके बाद से आयुष विभाग लगातार होमआइसोलेटेड मरीजों को आयुर्वेदिक दवाएं, काढ़ा आदि वितरित करा रहा है. अब आयुष विभाग ने अब संभावित कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी शुरू कर दी है. आयुष विभाग के प्रभारी अधिकारी डॉ अशोक कुमार दीक्षित के मुताबिक कोरोना काल में आयुष कवच मोबाइल एप लोगों में काफी लोकप्रिय हुआ है. ढ़ाई लाख से अधिक लोग इसका इस्‍तेमाल कर रहे हैं.

उन्‍होंने बताया कि आयुष कवच एप पर जल्‍दी बच्‍चों की सेहत से जुड़ा एक फीचर जोड़ने की तैयारी चल रही है. इसमें बच्‍चों की सेहत का मौसम के हिसाब से कैसे ख्‍याल रखें, किस तरह से बच्‍चों में रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को बढ़ाया जाए, कौनसी घरेलू औषद्यीय के जरिए उनकी सेहत बेहतर बनाए, इसकी जानकारी लोगों को दी जाएगी.

अस्‍पतालों में बनेगी बच्‍चों के लिए हेल्‍प डेस्‍क

डॉ अशोक बताते हैं कि प्रदेश में आयुष विभाग के करीब 2104 चिकित्‍सालय हैं. इनमें से लखनऊ, बनारस, पीलीभीत समेत अन्‍य जिलों में 8 बड़े अस्‍पताल है. इन सभी अस्‍पतालों में बच्‍चों के स्‍वस्‍थ्‍य से जुड़ी एक हेल्‍पडेस्‍क बनाई जाएगी. जहां पर आयुष डॉक्‍टर लोगों को बच्‍चों की सेहत और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाई जाए इसकी जानकारी देंगे. इसके अलावा यहां से बच्‍चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का वितरण भी किया जाएगा. अस्‍पतालों में ओपीडी खुलने पर बच्‍चों का इलाज भी यहां शुरू किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश: जातीयता के जाल में उलझे राजा सुहेलदेव

राजनीति में जाति और धर्म का दबदबा पूरी तरह से हावी है. इस की सबसे बड़ी वजह है वोट. हमारे देश के लोकतंत्र की विडंबना यह है कि यहां जाति और धर्म के नाम पर ही वोट पड़ते हैं. संविधान में कुछ भी लिखा हो पर चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर मुद्दे तय करने में जाति और धर्म को आधार बनाया जाता है.

उत्तर प्रदेश में इस का सबसे बड़ा उदाहरण श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव के रूप में देखा जा सकता है. राजा सुहेलदेव की जाति को लेकर राजनीति ने कैसे-कैसे रंग बदले यह देखना काफी दिलचस्प है. राजा सुहेलदेव को कभी दलित कहा गया, कभी उन्हें पिछड़े तबके से जोड़ा गया तो कभी राजपूत माना गया. जैसेजैसे राजनीति के रंग बदले, वैसेवैसे राजा सुहेलदेव की जाति भी बदलती रही.

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भारतीय जनता पार्टी ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजा सुहेलदेव का महिमामंडन शुरू किया था. योगी सरकार बनने के बाद साल 2021 में चित्तौरा झील के किनारे राजा सुहेलदेव की भव्य मूर्ति लगाने का काम शरू किया. वीडियो कौंफ्रैंसिंग के जरीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने.

भाजपा के लिए राजा सुहेलदेव इस वजह से भी खास हो जाते हैं, क्योंकि उन्होंने गजनवी सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को हरा कर मार डाला था. ऐसे में भाजपा के लिए राजा सुहेलदेव धार्मिक धुर्वीकरण में खास हो जाते हैं. भाजपा अब यहां चित्तौरा झील के किनारे राजा सुहेलदेव का स्मारक बनवाना चाहती है. इस से नई तरह का विवाद भी खड़ा हो गया है. विवाद यह है कि दलित और पिछडी जातियों के साथसाथ अब राजपूत जातियां भी राजा सुहेलदेव पर अपना हक जताने लगी लगी हैं. पयागपुर के राजा यशुवेंद्र विक्रम सिंह ने अपनी 88 बीघा जमीन राजा सुहेलदेव के लिए दान कर दी है.

पत्रकार संजीव सिंह राठौर कहते हैं, ‘इस से बहराइच को पर्यटन स्थल के रूप में बदलने में मदद मिलेगी. पयागपुर राज परिवार और राजा यशुवेंद्र विक्रम सिंह ने जिस तरह से यह काम किया है, वह समाज के लिए एक मिसाल है.’

कौन थे राजा सुहेलदेव

सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा थे. उन्होंने 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में गजनवी सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को हरा कर मार डाला था. 17वीं शताब्दी के फारसी भाषा की कथा ‘मिरात ए मसूदी’ में उन का जिक्र किया गया है. 20वीं शताब्दी के बाद से हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा उन को एक हिंदू राजा के रूप में पहचान दिलाने का काम शुरू किया, जिस ने मुसलिम आक्रमणकारियों को हरा दिया था.

‘मिरात ए मसूदी’ मुगल सम्राट जहांगीर (1605-1627) के शासनकाल के दौरान अब्द उर रहमान चिश्ती ने लिखी थी. इस के मुताबिक सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के सब से बड़े बेटे थे. एक दूसरी किताब के मुताबिक, सुहेलदेव के पिता का नाम प्रसेनजित था और सुहेलदेव वसंत पंचमी के दिन पैदा हुए थे. वे नागवंशी भारशिव क्षत्रिय थे, जिन्हें आज ‘भर’ या ‘राजभर’ कहा जाता है.

महमूद गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद गाजी ने 16 साल की उम्र में सिंधु नदी को पार कर भारत पर हमला किया और मुलतान, दिल्ली, मेरठ और आखिर में सतरिख पर जीत हासिल की. सतरिख (बाराबंकी जिला) में उन्होंने अपना मुख्यालय बनाया था. वहां से राजाओं के साथ युद्व शरू किया गया. सैयद सैफ उद दीन और मियां राजब को बहराइच को भेज दिया गया था.

मसूद के पिता सैयद सालार साहू गाजी की अगुआई में सेना ने बहराइच के राजाओं को हरा दिया. वहां के राजा विद्रोह करने लगे. साल 1033 में मसूद ने खुद बहराइच में मोरचा संभाला. इसी दौर में राजा सुहेलदेव ने राजपाट संभाला. मसूद ने अपने दुश्मनों को हर बार हराया. आखिर में साल 1034 में सुहेलदेव की सेना ने मसूद की सेना को एक लड़ाई में हराया और मसूद की मौत हो गई.

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मसूद को बहराइच में दफनाया गया था और साल 1035 में यहां पर उस की याद में दरगाह शरीफ सैयद सालार जंग बनाई गई थी. बताया जाता है कि यहां पर हिंदू संत और ऋषि बलार्क का एक आश्रम था. फिरोज शाह तुगलक द्वारा उसे दरगाह में बदल दिया गया. इस तरह की पौराणिक वजहों से राजा सुहेलदेव की राजनीतिक अहमियत आज के दौर में बढ़ जाती है. राजा सुहेलदेव का स्मारक बनाना योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इस से राजनीतिक फायदा दिख रहा है.

जाति का विवाद

राजा सुहेलदेव को अलगअलग जातियों के लोग अपनीअपनी जाति का बताते रहे है. ‘मिरात ए मसूदी’ के मुताबिक, सुहेलदेव ‘भरथारू‘ समुदाय से संबंधित थे. पौराणिक कथाओं के कुछ के लेखकों ने उन की जाति को ‘भर राजपूत‘, ‘राजभर’, ‘थारू‘ और ‘जैन राजपूत’ रूप में भी लिखा है. साल 1940 में बहराइच के स्कूल में शिक्षक ने सुहेलदेव को जैन राजा और हिंदू संस्कृति के उद्धारकर्ता के रूप में पेश किया. साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद कविता का पहला मुद्रित संस्करण 1950 में दिखाई दिया. आर्य समाज, राम राज्य परिषद और हिंदू महासभा संगठन ने सुहेलदेव को हिंदू नायक के रूप में प्रदर्शित किया.

समाजसेवी जितेंद्र चतुर्वेदी कहते हैं, ‘सुहेलदेव को भर समुदाय का नायक माना जाता है. दलित समुदाय में आने वाली पासी जाति भी उन पर अपना अधिकार मानती है और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ‘भर या राजभर’ जाति के लोग भी उन्हें अपना नायक बताते हैं. इस को ले कर राजनीकि दल का भी गठन किया गया.’

अप्रैल, 1950 में इन संगठनों ने राजा के सम्मान में सालार मसूद की दरगाह में एक मेला आयोजित करने की योजना बनाई. दरगाह समिति के सदस्य ख्वाजा खलील अहमद शाह ने सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए जिला प्रशासन को प्रस्तावित मेले पर प्रतिबंध लगाने की अपील की. इस के बाद धारा 144 (गैरकानूनी असेंबली) के तहत निषिद्ध आदेश जारी किए गए थे. बहराइच के हिंदुओं ने आदेश के खिलाफ आयोजन किया और तब उन्हें दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए हिंदुओं ने एक हफ्ते के लिए स्थानीय बाजारों को बंद कर दिया और गिरफ्तार होने की पेशकश की. इस में कांग्रेस के नेताओं ने भी विरोध किया था. तकरीबन 2 हजार लोग जेल गए थे. कुछ समय के बाद प्रशासन ने मुकदमा वापस ले लिया. वहां 500 बीघा भूमि पर सुहेलदेव का एक मंदिर बनाया गया था.

1950-60 के दशक के दौरान स्थानीय नेताओं ने सुहेलदेव को पासी राजा बताना शुरू किया. पासी एक दलित समुदाय है और बहराइच के आसपास एक खास वोटबैंक भी है. धीरेधीरे पासी समाज ने सुहेलदेव को अपनी जाति के सदस्य के रूप में महिमामंडित करना शुरू कर दिया. बहुजन समाज पार्टी ने मूल रूप से दलित वोटरों को आकर्षित करने के लिए सुहेलदेव का इस्तेमाल किया. भारतीय जनता पार्टी ने भी दलितों को आकर्षित करने के लिए सुहेलदेव के नाम का इस्तेमाल किया.

80 के दशक में राजा सुहेलदेव के नाम पर मेले और नौटंकी का आयोजन किया गया, जिस में उन्हें मुसलिम आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़े एक हिंदू दलित के रूप में दिखाया गया. 29 दिसंबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजा सुहेलदेव की याद में एक डाक टिकट जारी किया था. योगी सरकार अब वहां भव्य स्मारक बनाने जा रही है.

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‘मिरात ए मसूदी’ के बाद के लेखकों ने सुहेलदेव को भर, राजभर, बैस राजपूत, भारशिव या फिर नागवंशी क्षत्रिय तक बताया है. इसी आधार पर क्षत्रिय समाज इस बात पर एतराज जता रहा है कि सुहेलदेव को उन की जाति के नायक के बजाय किसी और जाति को नायक के रूप में क्यों बताया जा रहा है? ट्विटर पर इस के खिलाफ बाकायदा अभियान छेड़ा गया और ‘राजपूतविरोधीभाजपा‘ हैशटैग को ट्रैंड कराया गया.

क्षत्रिय समाज के नेता मनोज सिंह चौहान कहते हैं, ‘क्षत्रिय समाज के राजा सुहेलदेव बैस के इतिहास से छेड़छाड़ करने को राजपूत समाज बरदाश्त नहीं करेगा. यह हमारे मानसम्मान और स्वाभिमान से जुड़ा मामला है.’

पूर्वी उत्तर प्रदेश में तकरीबन 18 फीसद राजभर हैं और बहराइच से ले कर वाराणसी तक के 15 जिलों की 60 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का काफी असर है. राजभर उत्तर प्रदेश की उन अतिपिछड़ी जातियों में से हैं जो लंबे समय से अनुसूचित जाति में शामिल होने की मांग कर रहे हैं. साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बनाई.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पहले भाजपा के साथ राजग गठबंधन में थी. ओम प्रकाश राजभर साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री थे, लेकिन विवादों के बाद उन्हें साल 2019 में पिछड़ा कल्याण मंत्री के पद से हटा दिया गया था.

राजनीति का खेल

बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल लाखों लोग आते हैं. यह जगह राजा सुहेलदेव स्मारक से 12 किलोमीटर दूर है. इस समाधि पर मुसलमानों के साथसाथ हिंदुओं की भी आस्था है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों से लोग यहां पहुंचते हैं. मसूद की दरगाह को गाजी मियां के नाम से भी जाना जाता है. वहां हर साल मई में उर्स के मौके पर बड़ा मेला लगता है. इस में हर जातिधर्म के लोग आते हैं और एक भाव से मन्नतें मांगते हैं. इस मौके पर गाजी मियां की बरात भी निकाली जाती है. माना जाता है कि उन्हें शादी से पहले कत्ल कर दिया गया था.

बहराइच का मेला गरमी में एक रविवार से तब शुरू होता है, जब बाराबंकी के देवा शरीफ से गाजी मियां की बरात आती है. लेकिन पिछले कई सालों से कट्टर हिंदुत्ववादी राजा सुहेलदेव का विजयोत्सव मनाने लगे हैं. जिस के चलते यहां तनाव रहने लगा है. अब सुहेलदेव का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. सुहेलदेव को उन परम हिंदू राजा के तौर पर चित्रित किया जा रहा है, जिन्होंने मुसलिम आक्रांताओं को हराया. पौराणिक कहानियों में बताया गया कि सुहेलदेव को हराने के लिए सालार मसूद ने अपनी सेना के आगे गाएं खड़ी कर दी थीं, ताकि सुहेलदेव उस पर हमला न कर पाएं. लेकिन सुहेलदेव ने युद्ध से एक रात पहले गायों को छुड़वा लिया और फिर मसूद को हरा दिया.

साल 2001 में गाजी मियां की दरगाह की जगह मंदिर बनाने की मांग सुहेलदेव समिति ने की. मई, 2004 में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस जगह पर 5 दिनों का उत्सव रखा. साल 2002 में खुद को राजभरों का मसीहा मानने वाले ओम प्रकाश राजभर ने सुहेलदेव के नाम पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बनाई. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 8 सीटें दी थीं, जिन में से वे 4 सीटें जीत पाए थे.

अब राजा सुहेलदेव के स्मारक और मसूद गाजी की दरगाह को ले कर नया विवाद खड़ा हो रहा है. ऐसे में बहराइच विवाद का एक नया केंद्र बनता दिख रहा है.

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