Valentine’s Day 2024: कंवल और केवर की प्रेम कहानी

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Valentine’s Day 2024 – वादियों का प्यार: कैसे बन गई शक की दीवार

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Valentine’s Day 2024: दूर रहें या पास, बस बने रहें एहसास

विवाह का मकसद ही है लंबी दूरी तक एकसाथ चलते जाना, पर दूरी से विवाह और अपने फूलतेफलते कैरियर को क्यों प्रभावित होने दें? आजकल कई लड़कियां अपने लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को अपने कैरियर के बीच में नहीं आने देना चाहतीं. इस विषय पर कुछ पत्नियों से बात की गई. उन के विचार जान कर समाज में आता बदलाव साफ दिखाई देता है.

अलग अलग रहना आसान नहीं

मुंबई की कविता टीवी सीरियल्स में काम करती हैं. 7 साल पहले उन का विवाह दिल्ली के एक बिजनैसमैन से हुआ था. वे बताती हैं, ‘‘अलगअलग रहना आसान नहीं है. बहुत धैर्य रखना पड़ता है. एकदूसरे पर विश्वास रखना पड़ता है और एकदूसरे को समझना पड़ता है. हम अकसर फोन पर ही रहते हैं. वीडियो कौल चलती रहती है. हम अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. रोज हमें एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. 2-3 महीनों बाद ही मिलना होता है. बीचबीच में काम नहीं होता तो साथ रहना होता है. जब भी हम लंबे समय बाद मिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खोया प्यार मिल गया हो. यहां मुंबई में मैं अपने मातापिता के साथ रहती हूं. जब मुंबई में होती हूं पति और ससुराल की हर चीज याद आती है. दिल्ली में होती हूं तो पेरैंट्स याद आते हैं.’’

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रिश्ते में विश्वास जरूरी

अंधेरी, मुंबई निवासी सीमा बंसल ने दुबई निवासी अनिल मेहरा से विवाह किया. जैसे ही सीमा ने वहां जा कर घरगृहस्थी संभाली, उन्हें मुंबई में ड्रैस डिजाइनिंग का एक नया काम मिला. तब से वे हर महीने 15 दिनों के लिए मुंबई आती हैं. सीमा ने अपने अनुभव के बारे में बताया, ‘‘अब जीवन खूबसूरत लगता है. मैं दुबई शिफ्ट कर चुकी थी, क्योंकि मुझे अपनी घरगृहस्थी पर पूरा ध्यान देना था पर मैं यह औफर लेने से खुद को रोक नहीं पाई. मेरी ससुराल वाले आधुनिक और विकसित सोच वाले हैं. वे मुझ से पारंपरिक बहू बनने की उम्मीद भी नहीं करते. अनिल मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे मेरे लिए सब से महत्त्वपूर्ण हैं और वे मेरी दुनिया हैं. हमारा अफेयर 2 साल चला था. तब भी ये लौंग डिस्टैंस रिलेशन ही था. असल में दूर रहने से हम एकदूसरे को और अच्छी तरह जान गए. हमारे शौक भी एकजैसे हैं और हम एकदूसरे की स्पेस का सम्मान करते हैं. हमारे रिश्ते में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 2 ठोस चीजें हैं. जब मैं मुंबई में होती हूं, उन्हें बहुत याद करती हूं.’’

एक नया अनुभव

गीता देसाई दिल्ली में एक मौडल हैं. उन्होंने यू.एस. में रहने वाले वौलेंटियों से विवाह किया है. वे भी अब वहीं रहती हैं पर जब उन्हें कोई शो औफर होता है वे दिल्ली आ जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस विवाह ने मुझे एक ताकत, एक संतुलन दिया है. अब मैं ज्यादा सेफ, रिलैक्स्ड और तनावमुक्त रहती हूं. वे बहुत अंडरस्टैंडिंग हैं. मैं अपनी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ कैसे बैलेंस करती हूं यह देख कर वे हमेशा खुश होते हैं. बहुत दिनों के बाद मिलना हमेशा एक नया अनुभव होता है. विश्वास और सम्मान लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप की 2 महत्त्वपूर्ण चीजें हैं. मैं स्वयं को खुशहाल समझती हूं. मैं कई तरह के कल्चर, परंपराओं, लोगों और लाइफस्टाइल का अनुभव कर रही हूं.’’

आपसी प्यार और सहयोग जरूरी

मुंबई की ही अभिनेत्री नीता बंसल का कहना है, ‘‘मेरे पति कोलकाता में रहते हैं. मैं ने बे्रक लेने का फैसला किया था पर मेरे पति और सासूमां ने 6 महीनों बाद काम करने की छूट दे दी. उन्होंने मुझे अपनी मरजी से काम करने के लिए कहा. उन्हीं दिनों एक सीरियल का औफर मिला तो मैं फिर मुंबई आ गई. वीडियो चैट होती रहती है. मेरे पति का भी काम से मुंबई आना होता रहता है. कभी मैं चली जाती हूं तो कभी सब को बुला लेती हूं.’’

इन सब के विचार जानने के बाद लंबी दूरी के विवाह में सब से जरूरी चीजें हैं, आपस में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग. वैसे देखा जाए तो ये हर विवाह में जरूरी है, पर कई बार रोज साथ रह कर भी रिश्ते में खटास आ जाती है और कई बार दूर रह कर भी प्यार बना रहता है. आजकल लड़कियां भी कैरियर में कम मेहनत नहीं करतीं. ऐसे में विवाह के बाद सारी मेहनत पर पानी फिर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी और ससुराल वालों का थोड़ा सहयोग मिल जाए तो वे भी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में सफल हो कर जीवन का आनंद उठा सकती हैं. बात बस आपसी प्यार और सहयोग पर ही निर्भर करती है.

Valentine’s Day 2024- बारिश की बूंद: उस रात आखिर क्या हुआ

मेरी शक्लसूरत कुछ ऐसी थी कि 2-4 लड़कियों के दिल में गुदगुदी जरूर पैदा कर देती थी. कालेज की कुछ लड़कियां मुझे देखते हुए आपस में फब्तियां कसतीं, ‘देख अर्चना, कितना भोला है. हमें देख कर अपनी नजरें नीची कर के एक ओर जाने लगता है, जैसे हमारी हवा भी न लगने पाए. डरता है कि कहीं हम लोग उसे पकड़ न लें.’

‘हाय, कितना हैंडसम है. जी चाहता है कि अकेले में उस से लिपट जाऊं.’

‘ऐसा मत करना, वरना दूसरे लड़के भी तुम को ही लिपटाने लगेंगे.’

धीरेधीरे समय बीतने लगा था. मैं ने ऐसा कोई सबक नहीं पढ़ा था, जिस में हवस की आग धधकती हो. मैं जिस्म का पुजारी न था, लेकिन खूबसूरती जरूर पसंद करने लगा था.

एक दिन उस ने खूब सजधज कर चारबत्ती के पास मेरी साइकिल के अगले पहिए से अपनी साइकिल का पिछला पहिया भिड़ा दिया था. शायद वह मुझ से आगे निकलना चाहती थी.

उस ने अपनी साइकिल एक ओर खड़ी की और मेरे पास आ कर बोली, ‘माफ कीजिए, मुझ से गलती हो गई.’

यह सुन कर मेरे दिल की धड़कनें इतनी तेज हो गईं, मानो ब्लडप्रैशर बढ़ गया हो. फिर उस ने जब अपनी गोरी हथेली से मेरी कलाई को पकड़ा, तो मैं उस में खोता चला गया.

दूसरे दिन वह दोबारा मुझे चौराहे पर मिली. उस ने अपना नाम अंबाली बताया. मेरा दिल अब उस की ओर खिंचता जा रहा था.

प्यार की आग जलती है, तो दोनों ओर बराबर लग जाती है. धीरेधीरे वक्त गुजरता गया. इस बीच हमारी मुहब्बत रंग लाई.

एक दिन हम दोनों एक ही साइकिल पर शहर से दूर मस्ती में झूमते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे. आकाश में बादलों की दौड़ शुरू हो चुकी थी. मौसम सुहावना था. हर जगह हरियाली बिछी थी.

अचानक आसमान में काले बादल उमड़ने लगे, जिसे देख कर मैं परेशान होने लगा.

मुझे अपनी उतनी फिक्र नहीं थी, जितना मैं अंबाली के लिए परेशान हो उठा था, क्योंकि कभी भी तेज बारिश शुरू हो सकती थी.

मैं ने अंबाली से कहा, ‘‘आओ, अब घर लौट चलें.’’

‘‘जल्दी क्या है? बारिश हो गई, तो भीगने में ज्यादा मजा आएगा.’’

‘‘अगर बारिश हो गई, तो इस कच्ची और सुनसान सड़क पर कहीं रुकने का ठिकाना नहीं मिलेगा.’’

‘‘पास में ही एक गांव दिखाई पड़ रहा है. चलो, वहीं चल कर रुकते हैं.’’

‘‘गांव देखने में नजदीक जरूर है, लेकिन उधर जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. पतली पगडंडी पर पैदल चलना होगा.’’

‘‘अब तो जो परेशानियां सामने आएंगी, बरदाश्त करनी ही पड़ेंगी,’’ अंबाली ने हंसते हुए कहा.

हम ने अपनी चाल तेज तो कर दी, लेकिन गांव की पतली पगडंडी पर चलना उतना आसान न था. अभी हम लोग सोच ही रहे थे कि एकाएक मूसलाधार बारिश होने लगी.

कुछ दूरी पर घासफूस की एक झोंपड़ी दिखाई दी. हम लोग उस ओर दौड़ पड़े. वहां पहुंचने पर उस में एक टूटाफूटा तख्त दिखाई पड़ा, लेकिन वहां कोई नहीं था.

हम दोनों भीग चुके थे. झोंपड़ी में शरण ले कर सोचा कि कुछ आराम मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

अंबाली ठंड से बुरी तरह कांपने लगी. जब उस के दांत किटकिटाने लगे, तो वह बोली, ‘‘मैं इस ठंड को बरदाश्त नहीं कर पाऊंगी.’’

‘‘कोई दूसरा उपाय भी तो नहीं है.’’

‘‘तुम मुझे अपने आगोश में ले लो. अपने सीने में छिपा लो, तुम्हारे जिस्म की गरमी से कुछ राहत मिलेगी,’’ अंबाली ने कहा.

‘‘अंबाली, हमारा प्यार अपनी जगह है, जिस पर मैं धब्बा नहीं लगने दूंगा, लेकिन तुम्हारी हिफाजत तो करनी होगी,’’ कह कर मैं ने अपनी कमीज उतार दी और उसे अपने सीने से चिपका लिया.

जब अंबाली मेरी मजबूत बांहों और चौड़े सीने में जकड़ गई, तो उस के होंठ जैसे मेरे होंठों से मिलने के लिए बेताब होने लगे थे.

मैं ने उस के पीछे अपनी दोनों हथेलियों को एकदूसरे पर रगड़ कर गरम किया और उस की पीठ सहलाने लगा, ताकि उस का पूरा बदन गरमी महसूस करे. तब मुझे ऐसा लगा, जैसे गुलाब की कोमल पंखुडि़यों पर ओस गिरी हो. मेरी उंगलियां फिसलने लगी थीं.

आधे घंटे के बाद बारिश कम होने लगी थी.

अंबाली मेरी बांहों में पूरी तरह नींद के आगोश में जा चुकी थी. मैं ने उसे जगाना ठीक नहीं समझा.

एक घंटे बाद मैं ने उसे जगाया, तब तक बारिश बंद हो चुकी थी.

अंबाली ने अलग हो कर अपने कुरते की चेन चढ़ाई और मुसकराते हुए पूछा, ‘‘तुम ने मेरे साथ कोई शैतानी तो नहीं की?’’

मैं हंसा और बोला, ‘‘हां, मैं ने तुम्हारे होंठों पर पड़ी बारिश की बूंदों को चूम कर सुखा दिया था.’’

‘‘धत्त…’’ थोड़ा रुक कर वह कहने लगी, ‘‘तुम्हारा सहारा पा कर मुझे नई जिंदगी मिली. ऐसा मन हो रहा था कि जिंदगीभर इसी तरह तुम्हारे सीने से लगी रहूं.’’

‘‘हमारा प्यार अभी बड़ी नाजुक हालत में है. अगर हमारे प्यार की जरा सी भी भनक किसी के कान में पड़ गई, तो हमारी मुहब्बत खतरे में तो पड़ ही जाएगी और हमारी जिंदगी भी दूभर हो जाएगी,’’ मैं ने कहा.

‘‘जानते हो, मैं तुम्हारे आगोश में सुधबुध भूल कर सपनों की दुनिया में पहुंच गई थी. मेरी शादी धूमधाम से तुम्हारे साथ हुई और विदाई के बाद मैं तुम्हारे घर पहुंची. वहां भी खूब सजावट थी.

‘‘रात हुई. मुझे फूलों से सजे हुए कमरे में पलंग पर बैठा दिया गया. तुम अंदर आए, दरवाजा बंद किया और मेरे पास बैठे.

‘‘हम दोनों ने वह पूरी रात बातें करते हुए और प्यार करने में गुजार दी,’’ इतना कह कर वह खामोश हो गई.

‘‘फिर क्या हुआ?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हवा का एक बवंडर आया और मेरा सपना टूट गया. मैं ने महसूस किया कि मैं तुम्हारी बांहों में हूं. मेरा जिस्म तुम्हारे सीने में समाया था,’’ इतना कहतेकहते वह मुझ से चिपक गई.

‘‘अंबाली, बारिश बंद हो चुकी है. अंधेरा घिरने लगा है. अब हमें अपने घर पहुंचने में बहुत देर हो जाएगी. तुम्हारे घर वाले चिंता कर रहे होंगे. कहीं हमारा राज न खुल जाए.’’

‘‘तुम ठीक कहते हो. हमें चलना ही होगा.’’

कुछ दिन कई वजहों से हम दोनों नहीं मिल सके. लेकिन एक शाम अंबाली मेरे पास सहमी हुई आई. मैं ने उस के चेहरे को देखते हुए पूछा, ‘‘आज तुम बहुत उदास हो?’’

‘‘आज मेरा मन बहुत भारी है. मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूंगी, कहीं मैं खुदकुशी न कर बैठूं, क्योंकि उस के सिवा कोई रास्ता नहीं सूझता,’’ कह कर अंबाली रो पड़ी.

‘‘ऐसा क्या हुआ?’’

‘‘मेरे घर वालों को हमारे प्यार के बारे में मालूम हो गया. अब मेरी शादी तय हो चुकी है. लड़का पढ़ालिखा रईस घराने का है. अगले महीने की तारीख भी तय कर ली गई. अब मुझे बाहर निकलने की इजाजत भी नहीं मिलेगी,’’ अंबाली रोते हुए बोली.

‘‘तुम्हारे घर वाले जो कर रहे हैं, वह तुम्हारे भविष्य के लिए ठीक होगा. मेरा तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं. उन के अरमानों पर जुल्म मत करना. हमारा प्यार आज तक पवित्र है, जिस में कोई दाग नहीं लगा. समझ लो कि हम दोनों ने कोई सपना देखा था.’’

‘‘यह कैसे होगा?’’

‘‘अपनेआप को एडजस्ट करना ही पड़ेगा.’’

‘‘मेरे लिए कई रिश्ते आए, पर मैं ने किसी को पसंद नहीं किया. उस के बाद मैं तुम्हें अपना दिल दे बैठी, अब तुम मुझे भूल जाने के लिए कहते हो. मैं तुम्हें बेहद प्यार करती हूं, मेरा प्यार मत छीनो. मैं तुम्हें भुला नहीं पाऊंगी. क्या तुम मुझे तड़पते देखते रहोगे? मैं तुम्हें हर कीमत पर हासिल करना चाहूंगी.’’

कुछ दिन हम लोग अपना दुखी मन ले कर समय बिताते रहे. किसी काम को करने की इच्छा नहीं होती थी. अंबाली की मां से उस की हालत देखी नहीं गई. वह एकलौती लाडली थी. उन्होंने अपने पति को बहुत समझाया.

अंबाली के पिता ने एक दिन हमारे यहां संदेशा भेजा, ‘आप लोग किसी दूसरे किराए के मकान में दूर चले जाइए, ताकि दोनों लड़केलड़की का भविष्य खराब न हो.’

हमें दूसरे मकान में शिफ्ट होना पड़ा. 3 महीने तक हम एकदूसरे से नहीं मिले. चौथे महीने अंबाली के पिता मेरे पिता से मिलने आए और साथ में मिठाई भी लाए थे.

बाद में उन्होंने कहा, ‘‘रिश्ता वहीं होगा, जहां अंबाली चाहेगी, इसलिए 2 साल में उस की पढ़ाई पूरी हो जाने पर विचार होगा. आप लोग दूर चले आए. हम दोनों की इज्जत नीलाम होने से बच गई, वरना ये आजकल के लड़केलड़की मांबाप की नाक कटा देते हैं.’’

मेरे पिता ने उन की बातों को सुना और हंस कर टाल दिया.

एक साल बीत जाने पर मेरा चुनाव एक सरकारी पद पर हो गया और मेरी बहाली दूसरे शहर में हो गई. मेरी शादी के कई रिश्ते आने लगे और मैं बहाने बना कर टालता रहा.

आखिर में मेरे पिता ने झुंझला कर कहा, ‘‘अब हम लोग खुद लड़की देखेंगे, क्योंकि तुम्हें कोई लड़की पसंद नहीं आती. अगर तुम ने हमारी पसंद को ठुकरा दिया, तो हम लोग तुम्हें अकेला छोड़ कर चले जाएंगे.’’

मुझे उन के सामने झुकना पड़ा और कहा, ‘‘आप लोग जैसा ठीक समझें, वैसा करें. मुझे कोई एतराज नहीं होगा.’’

शादी की जोरशोर से तैयारियां होने लगीं, लेकिन मुझे कोई दिलचस्पी न थी.

बरात धूमधाम से एक बड़े होटल में घुसी, जहां बताया गया कि लड़की के पिता बीमार होने के चलते द्वारचार पर नहीं पहुंच सके. उन के भाई बरात का स्वागत करेंगे.

लड़की को लाल घाघराचोली में सजा कर स्टेज तक लाया गया, पर उस के चेहरे से आंचल नहीं हटाया गया था.

लड़की ने मेरे गले में जयमाल डाली और मैं ने उस के गले में. तब लोग शोर करने लगे, ‘अब तो लड़की का घूंघट खोल दिया जाए, ताकि लोग उस की खूबसूरती देख सकें.’

लड़की का घूंघट हटाया गया, जिसे देख कर मैं हैरान रह गया. उस की आंखों से आंसू बह रहे थे, मानो उसे जबरदस्ती बांधा गया था.

मैं ने एक उंगली से उस की ठुड्डी को ऊपर किया. उस की नजरें मुझ से टकराईं, तो वह बेहोश होतेहोते बची.

सुहागरात में अंबाली ने मेरे आगोश में समा कर अपनी खुशी का इजहार किया. उस का प्यार जिंदा रह गया. मैं ने उस के गुलाबी गाल पर अपने होंठ रख कर प्यार से कहा, ‘‘अंबाली, तुम्हारे गालों पर अभी तक बारिश की बूंदें मोतियों जैसी चमक रही हैं. थोड़ा मुझे अपने होंठों से चूम लेने दो.’’

यह सुन कर अंबाली खिलखिला कर हंस पड़ी, जैसे वह कली से फूल बन गई हो.

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दैनिक आहार में कुछ महत्त्वपूर्ण खाद्यपदार्थ शामिल कर आप अपने उन खास पलों के रोमांच को किस तरह बढ़ा सकते हैं, जरूर जानिए:

सामन: सामन ओमेगा-3 फैटी ऐसिड डीएचए और ईपीए का एक ज्ञात प्राकृतिक स्रोत है. इस से मस्तिष्क में डोपामाइन स्तर बढ़ने में मदद मिलती है, जिस से उत्तेजना पैदा होती है. ओमेगा-3 डोपामाइन की उत्पादन क्षमता बढ़ाता है. यह मस्तिष्क के लिए एक महत्त्वपूर्ण रसायन है, जो व्यक्ति के चरमसुख की भावना को ट्रिगर करता है.

कद्दू के बीज: कद्दू के बीज जस्ता (जिंक) का एक बड़ा स्रोत हैं, जो टेस्टोस्टेरौन को बढ़ा देते हैं. इन में आवश्यक मोनोअनसैचुरेटेड वसा भी होती है, जिस से शरीर में कोलैस्ट्रौल बनता है. यौन हारमोन को ठीक से काम करने के लिए कोलैस्ट्रौल की जरूरत पड़ती है.

बैरीज: स्ट्राबैरी, ब्लैकबैरी, नीले जामुन ये सभी प्राकृतिक मूड बूस्टर हैं. स्ट्राबैरी में पर्याप्त विटामिन सी और बी होता है. ब्लैकबैरी और नीले जामुन फाइटोकैमिकल युक्त होते हैं, जो व्यक्ति के मूड को रामांटिक बनाते हैं.

केला: केला पोटैशियम का प्राकृतिक स्रोत है. पोटैशियम एक महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, जो मांसपेशी संकुचन को बढ़ाता है और उन खास पलों में बहुत अहम होता है. साथ ही केला ब्रोमेलैन से समृद्ध होता है, जो टेस्टोस्टेरौन उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होता है.

तरबूज: तरबूज में 92% पानी है, लेकिन बाकी 8% पोषक तत्त्वों से भरा होता है. तरबूज का शांत प्रभाव रक्तवाहिकाओं को शांत करता है. यह स्त्री और पुरुष दोनों के अंगों में रक्तप्रवाह सुधारता है.

लहसुन: रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाला खास आहार लहसुन ऐलिकिन समृद्ध होता है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्तप्रवाह को बढ़ाता है. रात में शहद में भिगो कर रखा गया कच्चा लहसुन खाना लाभप्रद होता है.

केसर: केसर एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है, जो स्त्रीपुरुष दोनों के लिए उन पलों का आनंद बढ़ाने में मददगार होता है. सब से महंगे मसालों में से एक माने जाने वाले केसर में क्रोकटोन नामक मिश्रण होता है, जो मस्तिष्क में उत्तेजना वाले हारमोन को ट्रिगर करते हुए इच्छा बढ़ाता है. केसर में पिको क्रोकिन रसायन होता है, जो स्पर्श के प्रति संवेदना बढ़ाता है.

लौंग: सदियों से पुरुष यौन रोग का इलाज करने के लिए हमारे देश में लौंग का उपयोग किया जाता है. यदि नियमितरूप से लौंग खाई जाए तो यौन गतिविधि में वृद्धि होती है. इस के अलावा लौंग सांस की गंध से छुटकारा दिलाने में भी मददगार है. लौंग के साथ जीरा एवं दालचीनी का सेवन और अधिक कामोद्दीपक है.

डार्क चौकलेट: डार्क चौकलेट ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होती है, जिस के चलते अधिक अनुभूति के लिए यह एक स्वादिष्ठ तरीका है. ऐंटीऔक्सीडैंट उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करते हैं और यौन आनंद बढ़ाते हैं.

पालक: पालक जैसी पत्तेदार हरी सब्जियों में जबरदस्त फौलिक ऐसिड होते हैं, जो उर्वरता और कामेच्छा बढ़ाने में मदद करते हैं.

अंडे: अंडे उच्च स्तर के प्रोटीन से भरपूर होते हैं ये स्टैमिना का स्रोत हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप इन्हें कैसे खाते हैं. इन का किसी भी तरह खाना ऊर्जा प्रदान करता है.

Valentine’s Day 2024: ये 17 टिप्स हैं आपके रोमांटिक पलों के एनर्जी बूस्टर

नेहा की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए और अभी से अपने लाइफ पार्टनर के साथ रोमांस में इतनी उदासी. हालांकि उन का रिश्ता उतना पुराना नहीं हुआ जितनी उदासी उन दोनों ने ओढ़ रखी है. बेडरूम में घुसते ही उन्हें बोरियत महसूस होती है ऐसा क्या हुआ जो उन के रिलेशन में वो गरमाहट, वो रोमांस और वो प्यार नहीं रहा जो शादी के तुरंत बाद का था.

एक रिसर्च के मुताबिक मस्तिष्क में मौजूद लव केमिकल डोपामाइन, नोपाइनफ्रिन और फिलेथाइलामान कुछ सालों तक के लिए बहुत एक्टिव रहते हैं पर उम्र के साथसाथ ये कैमिकल थोड़े धीमे पड़ने लगते हैं. जब पतिपत्नी अपने रूटीन शेड्यूल में बिजी हो जाते हैं तब रिलेशन में धीरेधीरे प्रेम की मिठास और उसे पाने की ललक की रफ्तार धीमी पड़ जाती है. ऐसे समय में दोनों पार्टनर को सैक्स लाइफ में फिर से रोमांस भरने के लिए कुछ अलग और अनूठा करने की सलाह दी जाती है.

1. रिलेशन को बनाएं रोमांटिक

इस बारे में मशहूर साइकोलौजिस्ट अनुजा कपूर का कहना है कि पतिपत्नी के बिजी शेड्यूल और समय की कमी के कारण सैक्स और रोमांस करने में वो बात नहीं रही. बेडरूम में घुसते ही अपने पार्टनर के साथ वही बोरिंग टच, वही घिसीपिटी बातें, वही संतुष्टि और वही अहसास, सैक्स लाइफ का कब स्विच औफ कर देता है, पता ही नहीं चलता, पर चिंता की बात नहीं रिलेशन को रोमांटिक बनाने के लिए दोनों तरफ से पहल की जरूरत होती है. दो लोगों की थिंकिंग, फीलिंग ही किसी रिश्ते को खास बनाती है, कहते हैं न खुशियां हमारे आसपास ही होती हैं बस उसे ढूंढ़ने की जरूरत होती है, तो देर किस बात की, उम्र का कोई भी दौर हो, हर दौर में बौडी की जरूरत को समझते हुए आप अपनी सैक्सुअल लाइफ को उम्रभर रोमांटिक बनाए रखने के लिए कुछ रोमांटिक टिप्स फालो करें. क्योंकि ये ही आप की बोरिंग लाइफ में एनर्जी बूस्ट का काम करेंगे.

2. रोमांटिक पलों को खास बनाए रोमांटिक एनर्जी बूस्ट

सैक्स भी एक वर्कआउट की तरह होता है. जिस में ढेर सारी कैलोरीज बर्न होती है ऐसे में प्रत्येक महिला को 30 की उम्र के बाद ऐसे ऐनर्जी बूस्ट सप्लीमैंट्स लेने चाहिए जो आप का एनर्जी लेवल बढ़ाए इस के साथ ही एक्सरसाइज, योगा, ऐरोबिक्स आदि करें जिस से बौडी फ्लैक्सीबल बने.

3. खुद को करें ब्यूटीफाई

बढ़ती उम्र के साथ आप की बौडी में भी काफी चेंजेज आते हैं जैसे चेहरे पर फाइन लाइंस, ढलती स्किन आदि ऐसे में अपने को अपटूडेट रखने के लिए अपना ब्यूटी ट्रीटमैंट हर महीने करवाइए जिस से आप की खूबसूरती में और भी निखार आ सके और आप के पार्टनर आप की खूबसूरती में ही खो जाए.

4. फ्लर्टिंग है जरूरी

रोमांटिक पलों को खास बनाने के लिए आप को अपनी लाईफ में फ्लर्टिंग जरूर करनी चाहिए और वो भी हैल्दी फ्लर्टिंग. अब आप अपने पार्टनर के अलावा किसी और से हैल्दी फ्लर्टिंग करती हैं तो बौडी में एक्साइटमैंट और एनर्जी आती है और यही एनर्जी आप को अपने पार्टनर के साथ सैक्स के समय गुड फील कराती है कि पार्टनर के अलावा और भी कोई आप को औब्जर्व करता है जिस में, आप के लुक, ड्रेस की तारीफ या आप की पर्सनाल्टी की तारीफ भी हो सकती है, एक औरत को आप बांध नहीं सकते अगर आप किसी लड़के के साथ हैल्दी रिलेशनशिप नहीं रखेंगी तो अपने पार्टनर के साथ भी उदासीन रहेंगी.

5. पार्टनर की गर्लफ्रैंड बनें

रोमांस के समय अपने लाइफ पार्टनर की वाइफ न बन कर गर्लफ्रैंड बनने की कोशिश करें उस की आंखों में प्यार से देखें और उसे अपनी सैक्सी बातों और अदाओं से फील गुड कराना बहुत जरूरी है तभी आप अपनी सैक्स लाइफ में रोमांस का रंग भर सकती हैं.

6. ओपननैस बहुत जरूरी

अपनी सैक्स लाइफ में रोमांच भरने के लिए ओपननैस बहुत जरूरी है ऐसे समय में आप अपने पार्टनर से हर तरह की बात कर सकती हैं, उस के साथ पार्न मूवी देखें, जिस से आप अपने अंदर ऐक्साइटमेंट महसूस करें, नौनवेज जोक्स का मजा लें. हफ्ते में एक बार रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर पर जरूर जाएं. अगर घर में लाइफ बोरिंग हो रही हो तो सैक्स और रोमांस का मजा लेने के लिए आप दोनों किसी होटल व रिसौर्ट को भी चुन सकते हैं.

7. लव एंड टच का तड़का

अपने प्यार का प्रदर्शन करने के लिए एकदूसरे को समयसमय पर टच करना, हग करना और किस करने, प्यार की थपकी देना और पब्लिक प्लेस पर हाथ पकड़ने का अहसास ही काफी रोमांटिक होता है.

8. रूम को करें डेकोरेट

रोमांस में डूबने के लिए अगर मूड नहीं बन रहा है तो कुछ सुझाव आजमाएं. सेंटेड कैंडल और फूलों से कमरा सजाए. असैंसिशयल औयल की कुछ बूंदें चादर और तकिए पर भी छिड़क सकती हैं. इस से प्यार का असर दोगुना होगा.

म्यूजिक थेरेपी से अपनी लव लाइफ को बेहतर बनाने के लिए दोनों गीतसंगीत का आनंद लं. संगीत आप के अंदर छाई उदासीनता को एनर्जी से भर देता है, रोमांटिक संगीत सेक्स और रोमांस में फील गुड साबित होता है, तनाव के स्तर को कम करता है और मन को खुश रखता है. इस से मूड क्रिएट होता है.

9. यादें संजोए

पुरानी यादों को ताजा करें पुरानी पिक्चर व विडियो देख कर, पुरानी बातों को फिर से दोहराएं. इस से आप का प्यार और गहरा होगा.

10. कैद करें प्यार के पलों को

जब आप अपने पार्टनर के साथ हों तो उस खूबसूरत अहसास को कैमरे में कैद कर अपनी व अपने पार्टनर की शानदार तस्वीरें लें. इन पलों के कुछ विडियो बनाएं और सयसमय पर इस का आनंद लें.

11. सैक्सी लांजरी का चुनाव करें

अपनी लव लाइफ को और सैक्सी बनाने के लिए ऐसी लौंजरी का चुनाव करें जो ज्यादा कौंप्लीकेटेड न हो अगर आप की लौंजरी बड़ी सरता से पाट्रनर के हाथों से उतरती तो उस रोमांचित एहसास के कहने ही क्या.

एक नैटवर्किंग साइट के सर्वे के अनुसार 100 में से 80 पुरुष अपने पार्टनर को सैक्सी लौंजरी में देखना पसंद करते हैं, कोई अपने साथी को स्विमसूट में देखना चाहता है तो कोई नैट वाली बिकनी में तो कोई केवल हाफ कप वाली लौंजरी में इस के अलावा रंग भी बहुत मैटर करता है. रेड, ब्लैक जैसे कलर पुरुषों को बहुत पसंद आते हैं तो अगली बार जब भी लौंजरी की शौपिंग पर जाएं तो उन प्यार भरे एहसासों की छवि अपने जेहन में जरूर बना लें. जब यह सैक्सी लौंजरी पहन कर आप अपने पार्टनर के सामने जाएंगी तो आप का यह रूप आप की सैक्स लाइफ को बूस्ट करेगा.

12. फुल अटैंशन दें

रोमांस के समय एकदूसरे को फुल अटैंशन देना ही एक प्यारा एहसास है. अपने पार्टनर को यह एहसास दिलाएं कि सिर्फ आप की उस का सब कुछ हो उन के अलावा आप कुछ भी नहीं. ऐसे समय पर और कोई बात न कर के सिर्फ और सिर्फ सैक्स रोमांस की बातें करें.

13. सेक्सुअल प्लेजर दें

अपने पार्टनर को रोमांस के हर पहलू को समझाएं, उसे हर पौसिबल सैक्सुअल प्लेजर दें. सैक्स के बारे में कम्यूनिकेशन करें, यह जानने के लिए कि आप की रोमांटिक बातों का आप के पार्टनर पर क्या इफैक्ट पड़ता है.

14. गेम खेलें

अपनी लाइफ में रोमांस को बरकरार रखने के लिए सैक्स गेम्स खेले पर ये मस्ती भरे और एक्साइटमैंट वाले होने चाहिए, ये गेम्स नई चीजें ट्राई करने की नर्वसनेस से पीछा छुड़ाते हैं और आप अपने पार्टनर के साथ खुल कर मजा लेते हैं.

15. लव नोट्स लिखें

अपने पाट्रनर के लिए दिल की बातें कागज पर लिखें, लव नोट्स बहुत प्रभाव डालते हैं. आप के पार्टनर ने आप के लिए कुछ लिखा है यही सोच कर आप को एक अलग सी फीलिंग्स होगी जो आप के प्यार के पलों को और रोमांटिक बनाएगी.

16. मूड को करें फ्रेश

मूड को फ्रेश करने के लिए आप सैक्सी अंदाज में चौकलेट केक एक दूसरे को खिलाएं. ये अंदाज सामान्य मूड को भी सैक्सी मूड बना देगा और आप का मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

17. हाइजीन जरूरी

मूड को फ्रेश करने के लिए आप दोनों एकसाथ हर्बल बाथ लें, एकदूसरे की मसाज एसेंशियल औयल करें. ये ही पल खुशनुमा पल आप को और ज्यादा एक्साइटमेंट देंगे. सैक्स और रोमांस के एंजौयमेंट के लिए जरूरी है बौडी पर किस का मजा उठाने के लिए ब्रश करें, माउथवाश से क्लीन करें, महकती साफसुथरी बौडी को किस करना आप का पार्टनर कभी नहीं भूलेगा.

प्यार और रोमांस सिर्फ फिजिकल नहीं होना चाहिए. प्यार में इमोशनल फीलिंग ही रिलेशन को स्ट्रांग बनाती है और अगर इस से आप सैक्स और रोमांस का तड़का लगा देंगी तो लाइफ बनेगी स्ट्रांग से भी स्ट्रांग. तो क्यों ना इन बातों का पालन अभी से किया जाए.

इस Valentines Day जानिए आखिर क्या है मेल पिल्स

मेल कौंट्रासैप्टिव पिल्स के अनुसंधान की शुरुआत हालांकि 7वें दशक के प्रारंभ में हो गई थी किंतु सफलता नहीं मिल पाने के पीछे वैज्ञानिकों की अपनी मजबूरी थी. इस की राह में पुरुषों के प्रजनन अंगों की रचना और फिजियोलौजी की जटिलताएं बारबार आड़े आती रहीं. महिलाओं में ओव्यूलेशन से ले कर फर्टिलाइजेशन और भू्रण को गर्भाशय के अंदर इंप्लांटेशन को रोक कर गर्भधारण को बाधित करना अपेक्षाकृत आसान है. पुरुषों के साथ ऐसी बात नहीं है.

महिला की एक ओवरी से पूरे महीने में मात्र एक ही अंडा निकलता है जिस को नियंत्रित करने में वैज्ञानिकों को विशेष परेशानी नहीं हुई. ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार हार्मोंस की मात्रा को बाधित कर देने पर न तो अंडे का निर्माण संभव है और न ही ओव्यूलेशन. इसलिए फीमेल पिल्स की ईजाद में चिकित्सा वैज्ञानिकों को विशेष परेशानी नहीं हुई, लेकिन पुरुषों में न तो कभी वीर्य का निर्माण और न ही स्खलन बाधित होता है.

इतना ही नहीं, प्रत्येक स्खलन के दौरान वीर्य के प्रति मिलीलिटर में लगभग 100 मिलियन से भी अधिक शुक्राणु होते हैं. जहां तक प्रैग्नैंसी की बात है, इस के लिए मात्र एक ही शुक्राणु काफी होता है और वह शुक्राणु कोई भी हो सकता है. ऐसी स्थिति में, एकसाथ इतने शुक्राणुओं को नियंत्रित करना वैज्ञानिकों के लिए आसान बात नहीं थी, फिर भी इसी को आधार बना कर शुरुआती दिनों में गोसिपोल नामक गोली के निर्माण में वैज्ञानिकों को आंशिक सफलता मिली. लेकिन ऐसा देखा गया कि इस से शुक्राणुओं की संख्या में तेजी से कमी आती है और 10 फीसदी पुरुष स्थायी रूप से संतानोत्पत्ति में असमर्थ पाए गए. सो, इस के प्रयोग को तुरंत बंद कर दिया गया.

शुरुआती दौर में गोसिपोल का प्रयोग असफल साबित हुआ, किंतु इतना तो स्पष्ट हो गया कि मेल पिल्स के निर्माण में सैक्स हार्मोंस द्वारा ही सफलता मिल सकती है. अर्थात इस की विभिन्न मात्रा का प्रयोग कर ऐसी गोलियां बनाई जा सकती हैं जो शुक्राणुओं के निर्माण को न तो स्थायी रूप से बाधित करें और न ही प्रैग्नैंसी की संभावनाओं को स्थायी रूप से खत्म करें. इस के साथसाथ, वैज्ञानिकों ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्लैंड नामक विशेष ग्रंथि को भी नियंत्रण में रखा जाए तो शुक्राणुओं के निर्माण को नियंत्रण में रखा जा सकता है.

वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान केंद्रित करने लगे कि शुक्राणुओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा स्राव को बाधित कर दिया जाए तो बिना किसी साइड इफैक्ट या सैक्स की क्रियाशीलता को बाधित किए शुक्राणुओं की संख्या में कमी ला कर प्रैग्नैंसी को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन अनुसंधान के क्रम में शीघ्र ही एक नए सैक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का पता चला जो अंडकोष से स्रावित होता है.

शोध से यह भी पता चला कि टेस्टोस्टेरोन नामक यह हार्मोन शुक्राणुओं के निर्माण से ले कर मैच्योर होने के लिए जिम्मेदार है. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि यह पुरुषार्थ के साथसाथ मांसपेशियों के विकास तथा दाढ़ीमूंछ के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाता है.

अब वैज्ञानिकों का सारा ध्यान इसी हार्मोन पर था. वे अपने अनुसंधान से यह पता लगाने में लग गए कि किस तरह इस हार्माेन के स्राव को नियंत्रित किया जाए. जैसेजैसे अनुसंधान आगे बढ़ता गया, इस रहस्य से परदा उठने लगा और शीघ्र ही पता चल गया कि शुक्राणुओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार अंडकोष से स्रावित होने वाले टेस्टोस्टेरोन का तार पिट्यूटरी ग्लैंड से जुड़ा है.

इस दौरान यह भी पता चला कि जब इस की मात्रा रक्त में सामान्य से ज्यादा हो जाती है या फिर बाहर से इस का समावेश किया जाता है तो शुक्राणु का निर्माण पूरी तरह बाधित हो जाता है. लेकिन इस से कई दूसरे अवांछित साइड इफैक्ट भी देखने को मिलने लगे. चेहरे पर कीलमुंहासे, वजन में बढ़ोत्तरी के साथसाथ पौरुषग्रंथि में वृद्धि होने की शिकायतें आने लगीं.

इस के बाद वैज्ञानिकों ने एक दूसरा रास्ता निकाला. टेस्टोस्टेरोन के साथ एक दूसरा सैक्स हार्मोन प्रोजेस्टेरोन की एक निश्चित मात्रा मिला कर प्रयोग करने पर विचार किया गया. इस के पीछे वैज्ञानिकों का तर्क था कि यह हार्मोन पुरुष और महिला दोनों में रिप्रौडक्टिव हार्मोन सिस्टम के स्राव को कम कर देता है. ऐसा करने में वैज्ञानिकों को आशातीत सफलता मिली.

लंबे अनुसंधान के बाद यह तय हो गया है कि मेल पिल्स में प्रोजेस्टेरोन तथा टेस्टोस्टेरोन दोनों तरह के हार्मोन का मिश्रण जरूरी है. इस के साथ यह समस्या आने लगी कि प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन से निर्मित पिल्स के खाने के बाद आंत में जा कर पाचक रस और विभिन्न एंजाइम्स के प्रभाव से विच्छेदित हो जाता है, जिस से इस की क्रियाशीलता तथा प्रभाव दोनों कम हो जाते हैं. इसलिए शोधकर्ता अब इन दोनों हार्मोंस के मिश्रण को त्वचा में इंप्लांट करने के लिए इस के माइक्रो कैप्सूल तथा इंजैक्शन विकसित कर रहे हैं, ताकि टेस्टोस्टेरोन की क्रियाशीलता प्रभावित न हो. दुनिया के कई देशों में माइक्रो पिल्स, इंजैक्शन क्रीम, जैल आदि का निर्माण करने पर विचार किया गया.

परीक्षण अब अंतिम चरण में

पिल्स का परीक्षण दुनिया के कई देशों में अब अंतिम दौर में है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब महिलाओं की तरह पुरुष भी मैडिकल शौप से बर्थ कंट्रोल की गोलियां, क्रीम, जैल की शीशियां खरीदते, अस्पतालों में इस का इंजैक्शन लेते और परिवार नियोजन केंद्रों पर इस के सेवन के तरीकों पर चर्चा करते नजर आएंगे.

हाल ही में लगभग 1 हजार पुरुषों पर इस के इंजैक्शन का परीक्षण किया जा चुका है और 99 फीसदी कारगर भी साबित हुआ है. यह अस्थायी तौर पर रिप्रौडक्टिव हार्माेनल सिस्टम को या तो कम कर देता है या उसे पूरी तरह से रोक देता है. खास बात यह है कि यह पूरी तरह रिवर्सिबल है और इस का सेवन छोड़ देने पर 67 फीसदी पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 6 माह के भीतर सामान्य हो जाती है. शतप्रतिशत सामान्य होने में लगभग 1 साल का समय लगता है. इस में किसी तरह के साइड इफैक्ट देखने को नहीं मिले.

यूनाइटेड नैशन वर्ल्ड और्गेनाइजेशन यूनिवर्सिटीज औफ कैलिफोर्निया, लौस एंजेल्स तथा यूनिवर्सिटीज औफ सिडनी में भी इस का परीक्षण पूरा किया जा चुका है. पौरुष को मैंटेन रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस हार्मोन के सेवन से बिना किसी परेशानी के स्पर्म काउंट में कमी तो आई लेकिन बांझपन, उत्तेजना या इच्छा में कमी जैसे विकार देखने को नहीं मिले. यूनिवर्सिटीज औफ वाशिंगटन के पौपुलेशन सैंटर फौर रिसर्च इन रिप्रौडक्शन के विशेषज्ञ डा. एंड्रियू कोवियेलो के शब्दों में, ‘‘पुरुष कौंट्रोसैप्टिव के लिए यदि टेस्टोस्टेरोन का प्रयोग किया जाता है तो 3 महीने के बाद तक इस का स्राव होता रहता है. यानी इस का प्रयोग 3 महीने बाद तक सुरक्षित माना जा सकता है. फलस्वरूप इस के माइक्रो कैप्सूल विकसित करने की कोशिश की जा रही है जिस में गाढ़े तरल पदार्थ के रूप में हार्मोन होगा और जिसे हथेली तथा बांह की त्वचा के नीचे इंप्लांट करने की सुविधा होगी.’’

आस्टे्रलिया के शोधकर्ताओं ने पुरुषों के लिए जैब नामक नौन बैरियर कौंट्रासैप्टिव मैथड के अंतर्गत इंजैक्शन के निर्माण में सफलता पा ली है. इसे प्रोजेस्टेरोन तथा टेस्टोस्टेरोन के मिश्रण से बनाया गया है और इसे 2 से 3 माह के अंतराल में लगाने की जरूरत होती है.

यह वीर्य का निर्माण नहीं होने देता और इस का प्रभाव स्थायी भी नहीं होता है. एनजेक रिसर्च इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी औफ सिडनी तथा कोनकार्ड हौस्पिटल ने 18 से 51 वर्ष के लगभग 1756 पुरुषों के बीच इस का परीक्षण करने के बाद पाया कि यह इंजैक्शन काफी तेज और प्रभावी है.

इस परीक्षण में शामिल एसोसिएट प्रोफैसर पीटर लिउ के अनुसार, ‘‘आज इस की काफी जरूरत है क्योंकि कई महिलाएं पिल्स का सेवन करना नहीं चाहतीं या फिर इसे किसी कारणवश टौलरेट नहीं कर पातीं. उसी तरह कई पुरुष ऐसे होते हैं जो अपने बंध्याकरण को देर से कराना चाहते हैं या फिर कराना नहीं चाहते.’’

परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार जैब इंजैक्शन बंध्याकरण की तरह उतना ही इफैक्टिव है जितना महिलाओं के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली पिल्स. इस के सेवन के बाद न तो सर्जरी और न ही दूसरी वजह से स्पर्म के निर्माण को पूरी तरह बंद करने की जरूरत होगी.

अभी मेल पिल्स मार्केट में आई भी नहीं, पर इस को ले कर तरहतरह के सवाल उठ रहे हैं. सवाल तब भी उठे थे जब फीमेल पिल्स पहली बार मार्केट में आई थी. तब यह बात उठी थी कि इस से मां के नैसर्गिक अधिकार का अतिक्रमण होगा. समाज में विकृतियां आएंगी. नैतिक, सामाजिक, वैचारिक मूल्यों में गिरावट आएगी. यौनशोषण को बढ़ावा मिलेगा. अब, लगभग 60 वर्षों के बाद जब मेल पिल्स मार्केट में आने वाली है तब भी कुछ इसी तरह के सवाल उठने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि इस से सामाजिक तानाबाना छिन्नभिन्न हो जाएगा. पतिपत्नी और दांपत्य में दरार आएगी, तलाक में इजाफा होगा. सामाजिक कटुता और वैमनस्य बढ़ेंगे आदि.

दुनिया के मशहूर जर्नल फैमिली प्लानिंग ऐंड रिप्रौडक्टिव हैल्थकेयर में यूएसए के यूनिवर्सिटीज औफ सोशल फ्यूचर इंस्टिट्यूट के प्रो. जुडिथ इबरहार्डथ ने लगभग 140 पुरुषों और 240 महिलाओं के बीच बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आम लोग इस के सेवन के प्रति कितना सहज, सतर्क तथा ईमानदार होंगे.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि मल्टी सैक्सुअल पार्टनर तथा लिव इन रिलेशनशिप पर विश्वास करने वाले पुरुषों के बीच यदि कंडोम का प्रयोग कम हुआ तो एड्स तथा गुप्त रोग फैलने की संभावना काफी बढ़ जाएगी.

एक बात और, ऐसी महिलाएं जो प्रैग्नैंसी के बाद पुरुष को जबरदस्ती शादी करने के लिए बाध्य करती हैं, वैसे पुरुषों के लिए यह पिल्स वरदान साबित हो सकती है. साथ ही वे पुरुष जो कंडोम का इस्तेमाल करते हैं, इस पिल्स को इस्तेमाल जरूर करेंगे.

वादियों का प्यार: कैसे बन गई शक की दीवार – भाग 3

और मैं ने अचानक निश्चय कर लिया कि मैं अभी इसी वक्त अपने मायके चली जाऊंगी. साकेत से मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए. इतना बड़ा धोखा मैं कैसे बरदाश्त कर सकती थी? और मैं दोपहर को ही बिना किसी से कुछ कहेसुने अपने मायके के लिए चल पड़ी. आते समय एक नोट जल्दी में गुस्से में लिख कर अपने तकिए के नीचे छोड़ आई थी :

‘मैं जा रही हूं. वजह तुम खुद जानते हो. मुझे धोखे में रख कर तुम सुख चाहते थे पर यह नामुमकिन है. अपने जीवनसाथी के साथ विश्वासघात करते तुम को शर्म नहीं आई? क्या मालूम और कितनी लड़कियां ऐसे फांस चुके हो. मुझे तुम से नफरत है. मिलने की कोशिश मत करना.   -सुनीता’

घर आ कर मम्मीपापा को मैं ने यह सब बताया तो उन्होंने सिर धुन लिया. पापा गुस्से में बोले, ‘उस की यह हिम्मत, इतना बड़ा जुर्म और जबान तक न हिलाई. अब मैं भी उसे जेल भिजवा कर रहूंगा.’

मैं यह सब सुन कर जड़ सी हो गई. यद्यपि मैं साकेत को जेल भिजवाना नहीं चाहती थी पर पापा मुकदमा करने पर उतारू थे.

मेरी समझ को तो जैसे लकवा मार गया था और पापा ने कुछ दिनों बाद ही साकेत पर इस जुर्म के लिए मुकदमा ठोंक दिया. मैं भी पापा के हर इशारे पर काम करती रही और साकेत को दूसरा विवाह करने के अपराध में 3 वर्षों की सजा हो गई.

मेरे सासससुर ने साकेत को बचाने के लिए बहुत हाथपैर मारे, पर सब बेकार.

इस फैसले के बाद मैं गुमसुम सी रहने लगी. कोर्ट में आए हुए साकेत की उखड़ीउखड़ी शक्ल याद आती तो मन भर आता, न जाने किन निगाहों से एकदो बार उस ने मुझे देखा कि घर आने पर मैं बेचैन सी रही. न ठीक से खाना खाया गया और न नींद आई.

साकेत के साथ बिताया, हुआ हर पल मुझे याद आता. क्या सोचा था और क्या हो गया.

इन सब उलझनों से मुक्ति पाने के लिए मैं ने स्थानीय माध्यमिक विद्यालय में अध्यापिका की नौकरी कर ली.

दिन गुजरते गए और अब स्कूल की तरफ से ही शिमला आ कर मुझे पिछली यादें पागल बनाए दे रही थीं.

बाहर लड़कियों के खिलखिलाने के स्वर गूंज रहे थे. मैं अचानक वर्तमान में लौट आई. निर्मला जब मेरे करीब आई तो वह हंसहंस कर ऊंचीनीची पहाडि़यों से हो कर आने की और लड़कियों की बातें सुनाती रही और मैं निस्पंद सी ही पड़ी रही.

दूसरे दिन से एनसीसी का काम जोरों से शुरू हो गया. लड़कियां सुबह होते ही चहलपहल शुरू कर देतीं और रात तक चुप न बैठतीं.

एक दिन लड़कियों की जिद पर उन्हें बस में मशोबरा, फागू, कुफरी और नालडेरा वगैरह घुमाने ले जाया गया. हर जगह मैं साकेत की ही याद करती रही, उस के साथ जिया हरपल मुझे पागल बनाए दे रहा था.

हमारे कैंप के दिन पूरे हो गए थे. आखिरी दिन हम लोग लड़कियों को ले कर माल रोड और रिज की सैर को गए.

मैं पुरानी यादों में खोई हुई हर चीज को घूर रही थी कि सामने भीड़ में एक जानापहचाना सा चेहरा दिखा. बिखरे बाल, सूजी आंखें, बढ़ी हुई दाढ़ी पर इस सब के बावजूद वह चेहरा मैं कभी भूल सकती थी भला? मैं जड़ सी हो गई. हां, वह साकेत ही थे. खोए, टूटे और उदास से.

मुझे देख कर देखते ही रहे, फिर बोले, ‘‘क्या मैं ख्वाब देख रहा हूं? तुम और यहां? मैं तो यहां तुम्हारे साथ बिताए हुए क्षणों की याद ताजा करने के लिए आया था पर तुम? खैर, छोड़ो. क्या मेरी बात सुनने के लिए दो घड़ी रुकोगी?’’

मेरी आंखें बरस पड़ने को हो रही थीं. निर्मला से सब लड़कियों का ध्यान रखने को कह कर मैं भीड़ से हट कर किनारे पर आ गई. मुझे लगा साकेत आज बहुतकुछ कहना चाह रहे हैं.

सड़क पार कर साकेत सीढि़यां उतर कर नीचे प्लाजा होटल में जा बैठे, मैं भी चुपचाप उन के पीछे चलती रही.

साकेत बैठते ही बोले, ‘‘सुनीता, तुम मुझ से बगैर कुछ कहेसुने चली गईं. वैसे मुझे तुम को पहले ही सबकुछ बता देना चाहिए था. उस गलती की मैं बहुत बड़ी सजा भुगत चुका हूं. अब यदि मेरे साथ न भी रहना चाहो तो मेरी एक बात जरूर सुन लो कि मेरी शादी मधु से हुई जरूर थी पर पहले दिन ही मधु ने मेरे पैर पकड़ कर कहा था, ‘आप मेरा जीवन बचा सकते हैं. मैं किसी और से प्यार करती हूं और उस के बच्चे की मां बनने वाली हूं. यह बात मैं अपने पिताजी को समझासमझा कर हार गई पर वे नहीं माने. उन्होंने इस शादी तक मुझे एक कमरे में बंद रखा और जबरदस्ती आप के साथ ब्याह दिया.

‘‘‘मैं आप की कुसूरवार हूं. मेरी वजह से आप का जीवन नष्ट हो गया है पर मैं आप के पैर पड़ती हूं कि मेरे कारण अपनी जिंदगी खराब मत कीजिए. आप तलाक के लिए कागजात ले आइए, मैं साइन कर दूंगी और खुद कोर्ट में जा कर सारी बात साफ कर दूंगी. आप और मैं जल्दी ही मुक्त हो जाएंगे.’

‘‘यह कह कर मधु मेरे पैरों में गिर पड़ी. मेरी जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ हुआ था पर उस को जबरदस्ती अपने गले मढ़ कर मैं और बड़ी गलती नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं ने जल्दी ही तलाक के लिए अरजी दे दी. मुझे तलाक मिल भी जाता, पर तभी तुम जीवन में आ गईं.’’

‘‘मैं स्वयं चाह कर भी अपनी तरफ से तुम्हें मैसेज नहीं लिख रहा था पर जब तुम्हारा मैसेज आया तो मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है और मैं अनचाहे ही तुम्हें भावभरे मैसेज भेजता गया.

‘‘फिर तुम्हारे पापा ने जब सगाई करनी चाही तो मैं अपनी बात कहने के लिए इसलिए मुंह नहीं खोल पाया कि कहीं इस बात से बनीबनाई बात बिगड़ न जाए और मैं तुम्हें खो न बैठूं.

‘‘बस, वहीं मुझ से गलती हुई. तुम्हें पा जाने की प्रबल अभिलाषा ने मुझ से यह जुर्म करवाया. शिमला की रंगीनियां कहीं फीकी न पड़ जाएं, इसलिए यहां भी मैं ने तुम्हें कुछ नहीं बताया. उस के बाद मुझे लगा कि यह बात छिपाई जा सकती है और तलाक मिलने पर तुम्हें बता दूंगा पर वह नौबत ही नहीं आई. तुम अचानक कहीं चली गईं और मिलने से भी मना कर गईं.

‘‘जेल की जिंदगी में मैं ने जोजो कष्ट सहे, वे यह सोच कर दोगुने हो जाते थे कि अब तुम्हारा विश्वास कभी प्राप्त न कर सकूंगा और इस विचार के आते ही मैं पागल सा हो जाता था.

‘‘पिछले महीने ही मैं सजा काट कर आया हूं पर घर में मन ही नहीं लगा. तुम्हारे साथ बिताए हर पल दोबारा याद करने के लालच में ही मैं यहां आ गया.’’

और साकेत उमड़ आए आंसुओं को अपनी बांह से पोंछने लगे, फिर झुक कर बोले, ‘‘हाजिर हूं, जो सजा दो, भुगतने को तैयार हूं. पर एक बार, बस, इतना कह दो कि तुम ने मुझे माफ कर दिया.’’

मैं बौराई हुई सी साकेत की बातें सुन रही थी. अब तक सिर्फ श्रोता ही बनी रही. भर आए गले को पानी के गिलास से साफ कर के बोली, ‘‘क्या समझते हो, मैं इस बीच बहुत सुखी रही हूं? मुझे भी तुम्हारी हर याद ने बहुत रुलाया है. बस, दुख था तो यही कि तुम ने मुझ से इतनी बड़ी बात छिपाई.

‘‘यदि एक बार, सिर्फ एक बार मुझे अपने बारे में खुल कर बता देते तो यहां तक नौबत ही न आती. पतिपत्नी में जब विश्वास नाम की चीज मर जाती है तब उस की जगह नफरत ले लेती है. इसी वजह से मैं ने तुम्हें मिलने को भी मना कर दिया था पर तुम्हारे बिना रह भी नहीं पाती थी.

‘‘जब तुम्हें सजा हुई तब मेरे दिल पर क्या बीती, तुम्हें क्या बताऊं. 3-4 दिनों तक न खाना खाया और न सोई, पर खैर उठो…जो हुआ, सो हुआ, विश्वास के गिर जाने से जो खाई बन गई थी वह आज इन वादियों में फिर पट गई है. इन वादियों के प्यार को हलका न होने दो.’’

और हम दोनों एकएक कप कौफी पी कर हाथ में हाथ डाले होटल से बाहर आ गए माल रोड की चहलपहल में खो जाने के लिए, एकदूसरे की जिंदगी में समा जाने के लिए.

वादियों का प्यार: कैसे बन गई शक की दीवार – भाग 2

कहीं ऐसा तो नहीं कि साकेत ने पहले कोई लड़की पसंद कर के उस से सगाई कर ली हो और फिर तोड़ दी हो या फिर प्यार किसी से किया हो और शादी मुझ से कर ली हो? आखिर हम ने साकेत के बारे में ज्यादा जांचपड़ताल की ही कहां है. जीजाजी भी उस के काफी वक्त बाद मिले थे. कहीं तो कुछ गड़बड़ है. मुझे पता लगाना ही पड़ेगा.

पता नहीं इसी उधेड़बुन में मैं कब तक खोई रही और फिर यह सोच कर शांत हो गई कि जो कुछ भी होगा, साकेत से पूछ लूंगी.

किंतु रात को अकेले होते ही साकेत से जब मैं ने यह बात पूछनी चाही तो साकेत मुझे बाहों में भर कर बोले, ‘देखो, कल रात कालका मेल से शिमला जाने के टिकट ले आया हूं. अब वहां सिर्फ तुम होगी और मैं, ढेरों बातें करेंगे.’ और भी कई प्यारभरी बातें कर मेरे निखरे रूप का काव्यात्मक वर्णन कर के उन्होंने बात को उड़ा दिया.

मैं ने भी उन उन्मादित क्षणों में यह सोच कर विचारों से मुक्ति पा ली कि ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि प्यार किसी और से किया होगा पर विवाह तो मुझ से हो गया है. और मैं थकान से बोझिल साकेत की बांहों में कब सो गई, मुझे पता ही न चला.

दूसरे दिन शिमला जाने की तैयारियां चलती रहीं. तैयारियां करते हुए कई बार वही सवाल मन में उठा लेकिन हर बार कोई न कोई बात ऐसी हो जाती कि मैं साकेत से पूछतेपूछते रह जाती. रात को कालका मेल से रिजर्व कूपे में हम दोनों ही थे. प्यारभरी बातें करतेकरते कब कालका पहुंच गए, हमें पता ही न चला. सुबह 7 बजे टौय ट्रेन से शिमला पहुंचने के लिए उस गाड़ी में जा बैठे.

घुमावदार पटरियों, पहाड़ों और सुरंगों के बीच से होती हुई हमारी गाड़ी बढ़ी जा रही थी और मैं साकेत के हाथ पर हाथ धरे आने वाले कल की सुंदर योजनाएं बना रही थी. मैं बीचबीच में देखती कि साकेत कुछ खोए हुए से हैं तो उन्हें खाइयों और पहाड़ों पर उगे कैक्टस दिखाती और सुरंग आने पर चीख कर उन के गले लग जाती.

खैर, किसी तरह शिमला भी आ गया. पहाड़ों की हरियाली और कोहरे ने मन मोह लिया था. स्टेशन से निकल कर हम मरीना होटल में ठहरे.

कुछ देर आराम कर के चाय आदि पी कर हम माल रोड की सैर को निकल पड़े.

साकेत सैर करतेकरते इतनी बातें करते कि ऊंची चढ़ाई हमें महसूस ही न होती. माल रोड की चमकदमक देख कर और खाना खा कर हम अपने होटल लौट आए. लौटते हुए काफी रात हो गई थी व पहाड़ों की ऊंचाईनिचाई पर बसे होटलों व घरों की बत्तियां अंधेरे में तारों की झिलमिलाहट का भ्रम पैदा कर रही थीं. दूसरे दिन से घूमनेफिरने का यही क्रम रहने लगा. इधरउधर की बातें करतेकरते हाथों में हाथ दिए हम कभी रिज, कभी माल रोड, कभी लोअर बाजार और कभी लक्कड़ बाजार घूम आते.

दर्शनीय स्थलों की सैर के लिए तो साकेत हमेशा टैक्सी ले लेते. संकरी होती नीचे की खाई देख कर हम सिहर जाते. हर मोड़ काटने से पहले हमें डर लगता पर फिर प्रकृति की इन अजीब छटाओं को देखने में मग्न हो जाते.

इस प्रकार हम ने वाइल्डफ्लावर हौल, मशोबरा, फागू, चैल, कुफरी, नालडेरा, नारकंडा और जाखू की पहाड़ी सभी देख डाले.

हर जगह ढेरों फोटो खिंचवाते. साकेत को फोटोग्राफी का बहुत शौक था. हम ने वहां की स्थानीय पोशाकें पहन कर ढेरों फोटो खिंचवाईं. मशोबरा के संकरे होते जंगल की पगडंडियों पर चलतेचलते साकेत कोई ऐसी बात कह देते कि मैं खिलखिला कर हंस पड़ती पर आसपास के लोगों के देखने पर हम अचानक अपने में लौट कर चुप हो जाते.

नारकंडा से हिमालय की चोटियां और ग्लेशियर देखदेख कर प्रकृति के इस सौंदर्य से और उन्मादित हो जाते.

इस प्रकार हर जगह घूम कर और माल रोड से खापी कर हम अपने होटल लौटने तक इतने थक जाते कि दूसरे दिन सूरज उगने पर ही उठते.

इस तरह घूमतेघूमते कब 10 दिन गुजर गए, हमें पता ही न चला. जब हम लौट कर वापस दिल्ली पहुंचे तो शिमला की मस्ती में डूबे हुए थे.

साकेत अब अपनी वर्कशौप जाने लगे थे. मैं भी रोज दिन का काम कराने के लिए रसोई में जाने लगी.

एक दिन चुपचाप मैं अपने कमरे में खिड़की पर बैठी थी कि साकेत आए. मैं अभी कमरे में उन के आने का इंतजार ही कर रही थी कि मेरी सासूजी की आवाज आई, ‘साकेत, कल काम पर मत जाना, तुम्हारी तारीख है.’ और साकेत का जवाब भी फुसफुसाता सा आया, ‘हांहां, मुझे पता है पर धीरे बोलो.’

उन लोगों की बातचीत से मुझे कुछ शक सा हुआ. एक बार आगे भी मन में यह बात आई थी लेकिन साकेत ने टाल दिया था. मुझे खुद पर आश्चर्य हुआ, पहले दिन जिस बात को साकेत ने प्यार से टाल दिया था उसे मैं शिमला के मस्त वातावरण में पूछना ही भूल गई थी. खैर, आज जरूर पूछ कर रहूंगी. और जब साकेत कमरे में आए तो मैं ने पूछा, ‘कल किस बात की तारीख है?’

साकेत सहसा भड़क से उठे, फिर घूरते हुए बोले, ‘हर बात में टांग अड़ाने को तुम्हें किस ने कह दिया है? होगी कोई तारीख, व्यापार में ढेरों बातें होती हैं. तुम्हें इन से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. और हां, कान खोल कर सुन लो, आसपड़ोस में भी ज्यादा आनेजाने की जरूरत नहीं. यहां की सब औरतें जाहिल हैं. किसी का बसा घर देख नहीं सकतीं. तुम इन के मुंह मत लगना.’ यह कह कर साकेत बाहर चले गए.

मैं जहां खड़ी थी वहीं खड़ी रह गई. एक तो पहली बार डांट पड़ी थी, ऊपर से किसी से मिलनेजुलने की मनाही कर दी गई. मुझे लगा कि दाल में अवश्य ही कुछ काला है. और वह खास बात जानने के लिए मैं एड़ीचोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हो गई.

दूसरे दिन सास कहीं कीर्तन में गई थीं और साकेत भी घर पर नहीं थे. काम वाली महरी आई. मैं उस से कुछ पूछने की सोच ही रही थी कि वह बोली, ‘मेमसाहब, आप से पहले वाली मेमसाहब की साहबजी से क्या खटरपटर हो गई थी कि जो वे चली गईं, कुछ पता है आप को?’

यह सुन कर मेरे पैरों तले जमीन खिसकने लगी. कुछ रुक कर वह धीमी आवाज में मुझे समझाती हुई सी बोली, ‘साहब की एक शादी पहले हो चुकी है. अब उस से कुछ मुकदमेबाजी चल रही है तलाक के लिए.’ सुन कर मेरा सिर चकरा गया.

सगाई और शादी के समय साकेत का खोयाखोया रहना, सगाई के लिए मांबाप तक को न लाना और शादी में सिर्फ 5 आदमियों को बरात में लाना, अब मेरी समझ में आ गया था. पापा खुद सगाई के बाद आ कर घरबार देख गए थे. जा कर बोले थे, ‘भई, अपनी सुनीता का समय बलवान है. अकेला लड़का है, कोई बहनभाई नहीं है और पैसा बहुत है. राज करेगी यह.’

उन को भी तब इस बात का क्या गुमान था कि श्रीमान एक शादी पहले ही रचाए हुए हैं.

जीजाजी भी तब यह कह कर शांत हो गए थे, ‘लड़का मेरा जानादेखा है पर पिछले 5 वर्षों से मेरी इस से मुलाकात नहीं हुई, इसलिए मैं इस से ज्यादा क्या बता सकता हूं.’

इन्हीं विचारों में मैं न जाने कब तक खोई रही और गुस्से में भुनभुनाती रही कि वक्त का पता ही न चला. अपने संजोए महल मुझे धराशायी होते लगे. साकेत से मुझे नफरत सी होने लगी.

कंवल और केवर की प्रेम कहानी- भाग 3

कैद में पड़ी कंवल को रहरह कर केवर की याद सताए जा रही थी. चिंता में डूबी जमीन पर पड़ी कंवल के सामने एकदम से टुन्ना मानो कहीं से प्रकट हो गई. कंवल ने उसे देख कर हैरानी से पूछा, ‘‘तुम यहां कैसे आई?’’ टुन्ना ने हड़बड़ी में कंवल से कहा, ‘‘मैं और सां झी यहां दासदासी बन कर आए हैं.

कल ही मैं ने यहां दासी की नौकरी ली है. केवर सिंह को भी बंदी बनाया गया है. मैं तु झ तक सारे संदेश पहुंचाती रहूंगी, तू बस सब्र रखना. हम तुम दोनों को जल्द ही छुड़ा कर ले जाएंगे.’’ केवर के बंदी बनाए जाने की खबर सुन कंवल को खूब चोट पहुंची.

उसे अब यह महसूस होने लगा कि शायद दोनों की कहानी यहीं इसी कैद में सिमट कर खत्म हो जाएगी कि तभी कुछ सोचविचार कर टुन्ना ने इधरउधर नजरें दौड़ा कर माहौल का मुआयना करते हुए कंवल के कान में एक योजना सुनाते हुए कहा, ‘‘देख कंवल, मैं और सां झी एक बहुत बड़ी योजना के साथ यहां आए हैं, तो सुन…’’ टुन्ना ने सारी योजना कंवल को कह सुनाई. उस रात ही टुन्ना खाना ले कर केवर सिंह की कोठरी में पहुंची. खाने की थाली के नीचे टुन्ना ने एक कटार को ठीक से पकड़ रखा था.

जैसे ही टुन्ना ने थाली को केवर सिंह की ओर सरकाया, साथ में कटार भी सरका दी.  केवर सिंह टुन्ना को वहां देख कर अवाक से रह गया. टुन्ना ने आंखें बड़ी करते हुए केवर को चुप रहने का इशारा किया और बाहर खड़े सिपाही फालूदा खां को एक गिलास भांग पकड़ाते  हुए बोली, ‘‘यह तुम्हारे लिए है  फालूदा खां.’’ ‘‘मेरे लिए… पर क्यों?’’ ‘‘नहीं चाहिए, तो लाओ वापस ले जाती हूं.’’

‘‘अरे, नहींनहीं अब पी ही लेता हूं,’’ फालूदा खां ने एक सांस में सारी भांग गटकते हुए टुन्ना को धन्यवाद दिया, पर इतना कहते ही वह सिपाही खूनी उलटी करता हुआ वहीं ठंडा पड़ गया.

कोठरी में बैठा हुआ केवर सबकुछ देख रहा था. सिपाही के दम तोड़ते ही वह इस सब का मतलब सम झ चुका था. उन्होंने वह कटार उठाई और किसी तरह से उस कोठरी से निकल गया.

अ गले दिन केवर के कोठरी से भाग जाने की खबर पूरे दरबार में फैल गई. बादशाह ने अब केवर को जिंदा या मुरदा लाने का आदेश दे डाला.  आदेश मिलते ही औसाफ खां नामक दरबारी ने केवर को मारने का जिम्मा उठा लिया. उधर केवर मेवाड़ के एक सरहदी गांव के मुखिया गंगो भील से मदद की संधि करने पहुंचा.  गंगो भील ने उसे भरोसा दिया कि अगर लड़ाई हुई तो उसे 60 गांवों के भीलों का पूरा समर्थन रहेगा.  औसाफ खां केवर की तलाश कर के थक चुका था.

उस ने बड़े भारी मन से महमूद को जा कर अपनी नाकामी की खबर सुनाई.  महमूद ने पूरे गुजरात में केवर की धर पकड़ शुरू करवा दी. बाहर से आने वाली हर पालकी, हर घुड़सवार, व्यापारी, हर किसी की तलाशी ले कर ही उसे सरहद के भीतर आने दिया जाता.  योजना के मुताबिक दूसरी पारी खेलने की बारी कंवल की थी. कंवल ने महमूद से कहा, ‘‘बादशाह, मैं अब केवर का इंतजार करकर के थक चुकी हूं. मैं नामसम झ थी जो आप के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा कर केवर के पीछे पागल थी, पर अब इस बेवकूफ कंवल को सम झ आ चुका है कि उस ने कितनी बड़ी भूल की है.

आप मु झे माफ कर दीजिए और एक बार मु झे अपनी गलती सुधारने का मौका दीजिए.’’ ‘‘तुम ने सही सम झा. अब तक उस केवर की लाश कहीं पड़ी सड़ रही होगी. बस एक सपना अधूरा रह गया हमारा कि हम उस के सामने तुम से निकाह करना चाहते थे,’’ बादशाह महमूद खुद को काफी नरमदिल और महान दिखाने की कोशिश में लगा था, पर अंदर ही अंदर वह भी कंवल जैसी खूबसूरत लड़की  को जल्द से जल्द अपनी बेगम बनाना चाहता था.  कंवल धीरे से बोली, ‘‘लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं.’’ ‘‘कैसी शर्तें?’’ कंवल ने शर्तें बतानी शुरू कीं, ‘‘पहली, हमारी शादी एकादशी वाले दिन ही होगी.

दूसरी, विवाह हिंदू रीतिरिवाज से ही होगा. तीसरी, शादी के दिन जब आप बुलंद गुंबज में पधारें तो खूब आतिशबाजियां हों और आखिरी शर्त यह कि हमारी शादी देखने का हक सब को होना चाहिए. मेरी मां भी पालकी में बैठ कर बुलंद गुंबज में आएं.’’

‘‘हमें तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर हैं,’’ महमूद उस दिन काफी खुश था. कंवल को मालूम था कि सां झी और केवर मेवाड़ में उस का अगला संदेशा आने का इंतजार कर रहे होंगे.

अब टुन्ना को महल से निकालने की बारी थी, सो उसी के हाथ यह आखिरी संदेशा भिजवाना रह गया था.  कंवल ने टुन्ना से कहा, ‘‘केवर से कहना कि एकादशी को मारवाड़ के व्यापारी मूंदड़ा की बरात अजमेर से अहमदाबाद आएगी. रास्ते में आप उसी बरात में वेश बदल कर शरीक हो जाना, ताकि बरात के साथसाथ आप भी दरबार में प्रवेश कर सकें.

‘‘यही एक रास्ता है अहमदाबाद में घुसने का, क्योंकि अब भी यहां आप की छानबीन खूब जोरशोर से चल रही है. आगे की योजना अहमदाबाद पहुंचने  के बाद.’’ जाने से पहले टुन्ना ने कंवल को एक बार गले लगा कर कहा, ‘‘अब कुछ ही दिनों की बात है कंवल…’’

एकादशी का दिन भी नजदीक था, उधर टुन्ना के मुंह से यह संदेशा सुन कर केवर और सां झी ने अपने दूसरे दोस्तों के साथ अहमदाबाद में घुसने की तैयारियां शुरू कीं. महमूद भी कंवल से अपनी शादी की तैयारियों में दिल से जुटा हुआ था. वह आखिरी घड़ी आज आ चुकी थी और हथियारों से लैस केवर और उस के साथी तयशुदा समय और योजना के मुताबिक बरात में जा मिले.

उधर महमूद के लिए हाथी सजाया जा चुका था. बरात के आगेपीछे शहनाई वादक थे, नगाड़े बज रहे थे, ढोल की थाप सब के जी में खड़े हो कर नाचने की उमंग भर रही थी. बीच मे हाथी पर सवार महमूद के आगे सिपाहियों के घोड़े और हाथी थे.

उधर कंवल की मां जवाहर पातुर के घर पर अपनी योजना के मुताबिक केवर तैयार बैठा था. पालकी वाले जवाहर पातुर को बुलंद गुंबज में ले जाने को आ चुके थे.  टुन्ना ने पालकी वालों का ध्यान भटकाए रखा और उधर केवर साड़ी पहने पालकी के भीतर जा बैठा.

बुलंद गुंबज पहुंचते ही कंवल पालकी देख खुशी से  झूम उठी. सैनिकों ने पालकी को जमीन पर रखा कि टुन्ना ने उन्हें बाहर भेज दिया. केवर बाहर निकला. साड़ी में होने के चलते उस पर किसी को कोई शक नहीं हुआ.  सैनिक बाहर जा चुके थे. अब अंदर सिर्फ केवर और कंवल ही थे. इतने दिनों बाद एकदूसरे को आमनेसामने देख दोनों के सब्र का बांध टूट गया.

कंवल से रहा न गया और वह दौड़ती हुई केवर से जा मिली. दोनों ने खूब आंसू बहाए. तभी टुन्ना के कानों में पटाकों की आवाज सुनाई पड़ी.  कंवल ने कहा, ‘‘महमूद शाह आ गया है.’’ केवर जा कर पीछे वाली एक मीनार के पीछे छिप गया. कंवल सहजता के भाव लिए अपनी जगह पर पहुंच गई.

अब थोड़ी ही देर में गुंबज के भीतर सिर्फ 4 जने ही थे टुन्ना, कंवल, केवर और बादशाह महमूद.  महमूद अपनी बेगम से मिलने को उतावला उस के कमरे में जाने ही वाला था कि उधर से केवर ने महमूद की गरदन को अपनी बगल में भींचते हुए उस का दम निकलना चाहा.

महमूद का चेहरा अब पीला पड़ने लगा था. उस की आंखें बाहर को निकल आईं कि तभी महमूद अपनी तलवार तक अपना हाथ पहुंचाने में कामयाब हो गया, पर उस की तलवार का वार केवर के सिर के ऊपर से गुजर गया.  क ेवर दांवपेंच में कुशल था, सो निहत्था ही चंद मिनटों की गहमागहमी के बाद महमूद पर काबू पा गया.  महमूद की चीखें सुनने वाला कोई न था.

बाहर आतिशबाजी और कारतूसों के धमाके उस की चीखें दबा रहे थे. अपनी ही तलवार के वार से महमूद के प्राण पखेरू उड़ गए.  टुन्ना ने किसी के अंदर आने से पहले ही कंवल और केवर को पालकी में बैठा दिया और पालकी वालों को बुला कर कहा, ‘‘लो जवाहर पातुर को उन के घर छोड़ दो. आज बादशाह  रानी कंवल के साथ यहीं रुकेंगे तो  उन्हें परेशान न कीजिएगा,’’ कह कर टुन्ना भी फटाफट जवाहर पातुर के घर पहुंच गई. जवाहर पातुर के घर पहुंच कर कंवल और केवर ने उन के चरणों में गिर कर आशीर्वाद मांगा. बाहर सां झी  3 घोड़े लिए तैयार खड़ा था.  सां झी ने टुन्ना और केवर ने कंवल को अपने साथ अपने घोड़े पर बैठाया और पीछेपीछे जवाहर पातुर भी अपनी नई आजाद जिंदगी इज्जत से जीने की चाह लिए घोड़े पर चली जा रही थी.

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