हाथ से लिखने की आदत न छोड़ें

आज हम कलमदवात से दूर होते जा रहे हैं. सब लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन आ गया है तो सारा काम उसी पर हो रहा है. पढ़ाईलिखाई भी, हिसाबकिताब भी, प्रेम संदेश भी और फोटो का लेना और भेजना भी. मगर इस सब के बीच जो चीज खोती जा रही है, वह है हाथ से लिखना. अगर हम हाथ से लिखना बंद कर देंगे तो कुछ सालों में कलम पकड़ना भी हमें मुश्किल लगने लगेगा. जरूरत पड़ने पर कागज पर आड़ेतिरछे शब्द लिखेंगे.

70 साल के बुजुर्ग हरीशजी ने उस दिन  3 चैक खराब किए. उन का एटीएम कार्ड कहीं खो गया था. उस दिन अचानक पैसे की जरूरत पड़ी तो उन के बेटे ने कहा चैक साइन कर दो, मैं बैंक से पैसे निकलवा लाता हूं, मगर वे अपना ही साइन ठीक से नहीं कर पा रहे थे. बारबार तिरछा साइन हो रहा था. इतने दिनों बाद कलम हाथ में पकड़ी तो लिखते समय हाथ कांपने लगे. 2 चैक फाड़ कर फेंकने पड़े. तीसरे चैक पर कहीं ठीक से साइन कर पाए.

उस दिन से हरीशजी और उन की पत्नी रोज अपने दस्तखत बनाने की प्रैक्टिस करते हैं. कभीकभी पुरानी डायरी खोल कर एकाध पेज कुछ लिखते भी हैं. 10 साल पहले तक औफिस में हरीशजी कैसे तेजी से कलम चलाते थे, मगर रिटायर होने के बाद हाथ से कलम छूटी तो लिखने की प्रैक्टिस भी छूटने लगी.

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बूढ़े लोग पहले खूब चिट्ठीपत्री लिखा करते थे. दोस्तोंरिश्तेदारों का हाल चिट्ठियां लिखलिख कर लिया करते थे, मगर अब वे भी नौजवान पीढ़ी की तरह ह्वाट्सएप करने लगे हैं. ह्वाट्सएप पर फोटो और वीडियो भेजने की भी सुविधा है. कुछ ज्यादा लंबा लिखना हो तो लैपटाप से ईमेल भेजने लगे हैं. पेन किसी अलमारी के कोने में पड़ा धूल खाता रहता है.

घर की औरतें पहले सारा हिसाबकिताब डायरी में लिखती थीं. धोबी वाले का हिसाब, दूध वाले का, सब्जी वाले को कितना दियालिया सब रसोई की अलमारी में पड़ी छोटी सी डायरी में लिखा रहता था, मगर अब डायरीकलम की जगह उन के हाथ में भी स्मार्ट फोन है, जिस में सारा हिसाबकिताब रहता है. कलम की जरूरत ही नहीं पड़ती.

तमाम दफ्तरों में कंप्यूटर लग गए हैं. अब वहां बाबुओं को बड़ेबड़े रजिस्टर नहीं संभालने पड़ते हैं, उन पर कोई एंट्री नहीं करनी पड़ती, बल्कि सारा काम कंप्यूटर पर होता है. कंप्यूटर पर फाइलें बनती हैं और प्रिंट निकाल कर हार्ड कौपी तैयार कर ली जाती है और वही अलमारियों में भर दी जाती है.

बीते तकरीबन 2 साल से कोरोना महामारी के चलते स्कूलकालेज बंद हैं. बच्चों की सारी पढ़ाई औनलाइन हो रही है. इम्तिहान औनलाइन हो रहे हैं. इस से बच्चों की लिखने की आदत खत्म होती जा रही है. जो बच्चे पहले क्लास में अपनी कौपी पर तेजी से कलम चलाते हुए टीचर की छोटी से छोटी बात लिख लेते थे, अब कलम उठाते उन के हाथ कांपते हैं. अब लिखने के बजाय दसों उंगलियों से टाइपिंग करते हैं जो औनलाइन क्लास के लिए जरूरी है. अगर यही हाल अगले कुछ साल और रहा तो बच्चे कौपी पर कलम से लिखना ही भूल जाएंगे.

कभी अपनी दादीनानी की पुरानी संदूकची खोलिए. उन के पुराने खत देखिए, जो उन के मातापिता या रिश्तेदारों ने उन्हें लिखे थे. उन की पुरानी डायरी खंगालिए, आप पाएंगे कि कैसे उन कागजों पर मोतियों की तरह सारी बातें उकेरी गई हैं. कितनी सुंदर लिखावट, हर अक्षर बराबरबराबर, जैसे किसी माला में एकजैसे सैकड़ों मोती पिरो दिए गए हों. आज ऐसी सुंदर लिखावट कम ही दिखती है.

पहले स्कूलों में कक्षा 6 तक बच्चे सुलेख लिखते थे. इस के लिए एक अलग पीरियड होता था. सुलेख की किताबें छापी जाती थीं, जिन में पहली लाइन के नीचे 3 खाली लाइन खिंची  होती थीं और जिन में ऊपर की लिखावट की हूबहू नकल उतरवा कर बच्चों की लिखाई को सुधारा जाता था.  अब ऐसी सुलेख वाली किताबें बच्चों को नहीं दी जाती हैं. अब तो पहली कक्षा का बच्चा भी डिजिटल क्लास कर रहा है. जिस उम्र में बच्चों की उंगलियां कलम पकड़ने का सलीका सीखती थीं, उस उम्र में वह टाइपिंग कर रहा है. अब लिखावट सुधारने की तरफ न तो बच्चे ध्यान देते हैं और न ही अध्यापक, जबकि हकीकत यह है कि भविष्य में कामयाब होने के लिए लिखावट का अच्छा होना बहुत जरूरी है.

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यह बात बिलकुल सही है कि आज के डिजिटल जमाने में आप की लिखावट का बहुत ज्यादा असर आप के भविष्य पर नही पड़ता है, मगर यह बात उन लोगों के लिए सही है जो लोग अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी कर के नौकरी कर रहे हैं. वे बच्चे जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं उन की लिखावट अच्छी न होने पर उन के रिजल्ट पर काफी बुरा असर पड़ता है. आखिर कभी तो उन को क्लास रूम में बैठ कर भी लैक्चर अटेंड करने होंगे, लिखित इम्तिहान देने ही होंगे. नौकरी के लिए जाएंगे तो वहां भी लिखित इम्तिहान होगा, जिस में तय समय के अंदर पेपर पूरा करना होगा. अगर लिखने की आदत ही न रही तो कैसे पेपर पूरा करेंगे?

कहा जाता है कि आप की लिखावट से ही पता चलता है कि आप पढ़ने में कैसे हैं. काफी अच्छी तरह से पढ़ने के बावजूद सिर्फ लिखावट के चलते नंबर कम आ सकते हैं, इसलिए लिखने की आदत बनाए रखना कैरियर के लिए जरूरी है.

कुछ नौजवान बहुत क्रिएटिव होते हैं. जवानी में कहानियां, कविताएं, गीतगजल खूब कहे और लिखे जाते हैं. पहले नौजवानों में डायरी लिखने का बड़ा शौक था. हर जवान लड़कालड़की के पास एक डायरी जरूर होती थी, जिस में वे छिपछिप  अपने दिल की बातें लिखा करते थे. प्रेमीप्रेमिका के प्रेमपत्र भी इन्हीं डायरियों में छिपा कर रखे जाते थे. ये लंबेलंबे प्रेमपत्र होते थे और सुंदर लिखावट में लिखे गए होते थे कि पहली ही नजर में पढ़ने वाला दीवाना हो जाए. वह भी बिना किसी गलती और कांटछांट के. मगर आज किसी नौजवान से कह दें कि आधा पेज का पत्र लिख दो तो तमाम गलतियां, काटछांट, ओवरराइटिंग से भरा पत्र ही होगा.

अब जवान लोग ह्वाट्सएप या ईमेल से अपने प्रेम का इजहार करते हैं. यहां गलतियों को तुरंत डिलीट किया जा सकता है. पर अगर गुलाबी पन्ने पर दिल की बात अपने हाथों से लिख कर अपने प्रिय तक पहुंचाई जाए तो क्या वह उसे सालों अपनी किताबों में छिपा कर सहेज कर नहीं रखेगा? हो सकता है आप का भेजा गया गुलाबी पैगाम वह जिंदगीभर संभाल कर रखे.

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लिखने का अभ्यास न छूटे यह बहुत जरूरी है वरना आने वाली पीढ़ियां कई सदियों के अभ्यास से सीखी गई लिखने की कला को भूल जाएंगे. आज से ही सुलेख का अभ्यास करें. किसी अखबार या किसी पत्रिका में से देख कर लिखने की आदत डालें. इस से कलम पर उंगलियों की पकड़ बुढ़ापे तक कमजोर नहीं होगी. लिखते समय शब्दों पर ध्यान दें और जो शब्द सुंदर नहीं बन रहे हैं, उन को ठीक तरीके से बनाने की प्रैक्टिस करें. आप जितना अधिक लिखेंगे उतना ही आप के लेखन में सुधार आएगा.

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