तेजस्वी के नजदीकी रिश्तेदार हैं अखिलेश यादव, क्या आपको पता है?

यूपी बिहार के जानेमाने नेता मुलायम सिंह और लालू प्रसाद यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे है लेकिन राजनीति में जितने इनके चर्चे है उससे कही ज्यादा इनके आपसी संबंध को लेकर बातें होते है. दोनों नेता मुलायम सिंह और लालू प्रसाद यादव एकदूसरे के समधी लगते है. जानिए कैसे?

 

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कन्नौज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए तेज प्रताप सिंह यादव पहले भी सांसद रहे चुके हैं. वह अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. लालू यादव की छोटी बेटी राज लक्ष्मी से उनकी शादी हुई है. तेज प्रताप को अखिलेश यादव का भरोसेमंद और करीबी परिवार में करीबी माना जाता है.

हालांकि तेज प्रताप सिंह यादव पहले भी चुनाव मैदान में दांव लगा चुके हैं. वह परिवार की पारंपरिक सीट मैनपुरी से सांसद रहे चुके हैं. वह मुलायाम सिंह यादव के भाई रतन सिंह यादव के पौत्र हैं. उन्होंने इंग्लैन के लीड्स यूनिवर्सिटी से एमएससी की हुई है. सांसद रहने से पहले वह सैफई के ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं. उनके पिता का नाम रणवीर सिंह यादव है, जो अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं.

आपको बता दें कि कई बात तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव को एक साथ एक मंच या फंक्शन में देखा गया है, पहली बार तब सुर्खियों में आंए थे जब तेजस्वी यादव की शादी थी.  यहां डिंपल और अखिलेश शादी में शरीक हुए है.

नई दिल्ली में समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बीच भी एक मुलाकात हुई थी. दिवंगत शरद यादव के घर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दोनों के बीच ये छोटी सी मुलाकात हुई.

ऐसे बदलेगी बिहार की सियासत

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में 17 साल बाद शाहनवाज हुसैन को अहमियत देने का काम किया है. इस के जरीए वह मुसलिमों को बताना चाहती है कि उन की चिंता भी उसे है.

दूसरी तरफ बिहार में नीतीश कुमार पर राष्ट्रीय जनता दल हमलावर है. उन को ‘निर्लज्ज कुमार’ का नाम दे कर 5 साल तक विधानसभा के बौयकौट का नारा दिया गया है. कमजोर पड़ते नीतीश कुमार को भाजपा भी बिहार से दूर करना चाहती है.

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया नाम ‘निर्लज्ज कुमार’ रख दिया है. तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक की चर्चा के दौरान विधानसभा में मौजूद विधायकों को जिस बुरी तरह से मारापीटा गया और उन की बेइज्जती की गई, उसे शब्दों में बताया नहीं जा सकता?है.

तेजस्वी यादव ने ये बातें अपने ट्विटर हैंडिल पर बताईं. उन्होंने लिखा, ‘महिला विधायक अनीता देवी नौनिया के पैर में चोट लगी. उन का ब्लाउज पकड़ कर घसीटा गया. उन के साथ बताई न जाने वाली बदसुलूकी की गई. जिस समय विधानसभा में यह हो रहा था, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के चरणों में बैठ कर आनंद ले रहे थे.’

तेजस्वी यादव ही नहीं, दूसरे कई विधायकों ने भी इस बात की शिकायत की. विधायक सत्येंद्र कुमार ने कहा, ‘एसपी ने मेरी छाती पर पैर रख कर बुरी तरह से मारा.’

इस घटना के विरोध में तेजस्वी यादव ने कहा, ‘अगर सीएम नीतीश कुमार ने घटना पर माफी नहीं मांगी, तो वे 5 साल तक विधानसभा का बौयकौट करेंगे.’

किसी विरोधी नेता द्वारा 5 साल तक विधानसभा के बौयकौट का यह पहला मामला है. वैसे, पिछले कुछ सालों में विधानसभा में मारपीट की तमाम घटनाएं हुई हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, पर किसी विपक्षी नेता द्वारा 5 साल तक विधानसभा का बौयकौट पहली बार हो रहा है.

राजद और बिहार सरकार के बीच विधानसभा में मारपीट का मामला नाक का सवाल बन गया है. राजद के नेता तेजस्वी यादव ही नहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी इस घटना को ले कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए अपने ट्विटर पर लिखते हैं, ‘लोहिया जयंती के दिन कुकर्मी आदमी कुकर्म नहीं करेगा, तो कुकर्मी कैसे कहलाएगा?’

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लालू प्रसाद यादव अपने ट्विटर पर आगे लिखते हैं, ‘जब पुलिस विधानसभा में घुस कर विधायकों को मार सकती है, तो सोचिए, जब उन के घर पर जाएगी, तो क्या करेगी.’

पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी अपने ट्विटर पर लिखा, ‘तुम ने आज जो चिनगारी भड़काई है, वह कल तुम्हारे काले सुशासन को जला कर राख कर देगी.’

इस घटना को ले कर तमाम ऐसे वीडियो भी सोशल मीडिया पर दिखे, जिन में पुलिस महिला विधायक को घसीट कर ले जा रही थी.

सरकार की तरफ से दावा किया  गया कि राजद के विधायक विधानसभा के अध्यक्ष को विधानसभा में आने से रोक रहे थे. विधायकों के हमले से उन्हें बचाने के लिए ऐसा किया गया.

तेजस्वी यादव और लालू परिवार के विरोध पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. नीतीश कुमार की खामोशी की वजह यह है कि वे इस घटना को तूल नहीं देना चाहते हैं, जबकि तेजस्वी यादव इस बात को मुद्दा बनाना चाहते हैं. आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार में राजनीति का नया अखाड़ा बनेगा.

क्या है बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधयेक 2021

बिहार विधानसभा में मारपीट की घटना का कारण राजद के विधायकों द्वारा बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधयेक 2021 का विरोध किया जाना था. राजद और बाकी विपक्ष जैसे कांग्रेस और वाम दलों का कहना है कि नीतीश सरकार इस विधेयक की आड़ में पुलिस को विशेष अधिकार दे रही है, जिस के बाद पुलिस बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है.

विधायक इस बात का विरोध कर रहे थे, जिस की वजह से विधानसभा में पुलिस बुलानी पड़ी और मारपीट की यह घटना घट गई, जिसे बिहार की राजनीति में एक काला अध्याय माना जा रहा है. यह केवल काला अध्याय ही नहीं है, बल्कि विपक्षी दलों को एकजुट करने का जरीया भी बन गया है.

बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को ले कर राजद, कांग्रेस और वाम दल नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. नीतीश कुमार की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी भी अलग से पूरे मामले को देख रही है. उस के लिए भी यह अवसर की तरह से है.

जैसेजैसे विपक्षियों द्वारा नीतीश कुमार पर हमले होंगे, उन की पकड़ बिहार से कम होगी. इस से भाजपा को नीतीश कुमार को हाशिए पर धकेलना आसान होता जाएगा.

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शाहनवाज बन सकते हैं भाजपा का नया चेहरा

बिहार की राजनीति में शाहनवाज हुसैन को ले कर अटकलों का दौर चल रहा है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शाहनवाज हुसैन बिहार में भाजपा का नया चेहरा होंगे. इन के जरीए वह मुसलिम तबके में अपनी पैठ बनाने का काम करेगी.

मुसलिम तबका बिहार में यादव समाज के साथ मिल कर भाजपा को विस्तार नहीं करने दे रहा है. राजद को कमजोर करने के लिए भी जरूरी है कि मुसलिम तबके को उस से अलग किया जाए. शाहनवाज हुसैन ऐसे नेता हैं, जिन से यह काम हो सकता है.

साल 2001 में 32 साल की उम्र में केंद्र की अटल सरकार में शाहनवाज हुसैन को उड्डयन मंत्री बनाया गया था. तब वे भाजपा के ‘पोस्टर बौय’ कहे  जाते थे.

शाहनवाज हुसैन की इमेज कट्टर मुसलिम की नहीं है. उन का प्रेम विवाह रेनू नामक लड़की से हुआ था, जो उन के साथ पढ़ती थी.

साल 2004 में जब वे किशनगंज सीट से अपना चुनाव हार गए, तो भाजपा की राजनीति में हाशिए पर चले गए. साल 2009 में वे सांसद बने, पर भाजपा में उन की अहमियत को कम कर दिया गया.

तकरीबन 17 साल बाद शाहनवाज हुसैन को केंद्र की राजनीति से बिहार भेजा गया. यहां नीतीश सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया.

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भाजपा की मुख्यधारा में शाहनवाज हुसैन की वापसी को नए नजरिए से देखा जा रहा है. बिहार में शाहनवाज हुसैन को मंत्री बनाने के लिए विधानपरिषद का सदस्य बनाया गया. इस के बाद वे उद्योग मंत्री बनाए गए. उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.

शाहनवाज हुसैन के बहाने भाजपा मुसलिमों को यह संदेश देने का काम कर रही है कि वह उन की चिंता करती है. दिल्ली में मोदीशाह की जोड़ी बनने के बाद शाहनवाज हुसैन को पहली बार अहमियत दी जा रही है.

शाहनवाज हुसैन के बारे में यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र में उन की उपयोगिता दिख नहीं रही थी, जिस के चलते उन्हें बिहार भेजा गया?है.

गायब तेजस्वी यादव सामने आए और बताया कहां थे वह

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद ‘गायब’ तेजस्वी सामने आए और कहा,”मेरे प्यारे बिहार, मैं यहीं हूं।”
मालूम हो कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही बिहार में आरजेडी के युवा नेता और बिहार में महागठंधन की कमान संभालने वाले तेजस्वी यादव ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी और लोगों से मुखातिब हुए।

तेजस्वी ने क्या कहा

तेजस्वी के सक्रिय राजनीति से दूर रहने की वजह से विपक्ष के नेता उन पर राजनीतिक कटाक्ष कर रहे थे। कईयों ने तो यहां तक कह दिया था कि तेजस्वी यादव आरजेडी को मिली करारी हार की वजह से डर गए हैं और उन की राजनीति में पुनर्वापसी का इरादा नहीं है।
सोशल मीडिया पर भी तरहतरह के कयास लगाए जा रहे थे और यूजर्स उन्हें ट्रोल भी कर रहे थे।
एक ने लिखा था,”बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत हो रही है और उधर तेजस्वी इंगलैंड में क्रिकेट वर्ल्ड कप का मजा ले रहे हैं।”

तेजस्वी का जवाब

इधर सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय होते हुए तेजस्वी ने ट्वीट कर इस का जवाब देते हुए कहा है,”पिछले कुछ हफ्तों से मैं अपने चोट के इलाज में व्यस्त था। हालांकि, मैं राजनीतिक विरोधियों के साथसाथ मसालेदार कहानियों को पकाने वाले मीडिया के एक वर्ग को देख कर मजा ले रहा हूं।”

इस के बाद तेजस्वी ने एक के बाद एक 4 ट्वीट कर कहा, “हम उन लोगों के प्रति जवाबदेह हैं, जो हम में एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के विकल्प की तलाश करते हैं और यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारी लड़ाई जारी है।”

बच्चों की मौत दुखद

तेजस्वी ने बिहार में चमकी बुखार से सैकङों गरीब बच्चों की मौत पर संवेदना जताते हुए कहा,”इस दुखद समय में पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं से बिना किसी फोटोबाजी किए पीड़ित परिवारों के घर जाने को कहा गया। इस के अलावा सांसदों से इस मामले को संसद में उठाने को कहा गया, मेरे प्रिय बिहार, मैं यहीं हूं।”

राबङी को क्यों आया था गुस्सा

हाल ही में पत्रकारों के एक सवाल पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबङी देवी झल्ला उठी थीं।
दरअसल, जब पत्रकारों ने पूछा कि तेजस्वी बहुत दिनों से नजर नहीं आ रहे, क्या वे इंगलैंड में क्रिकेट वर्ल्ड कप देखने गए हैं? तो राबङी देवी को इस सवाल पर गुस्सा आ गया और कहा कि नहीं, तेजस्वी तुम्हारे घर में हैं।

अब जब तेजस्वी ने जवाब दे दिया है तो सोशल मीडिया पर लोग उन्हें आराम करने की सलाह दे रहे हैं। कुछ कह रहे हैं, नेता को भी हक है निजी जीवन जीने की।
बात तो सही है, पर यहां डर्टी पौलिटिक्स की शुरुआत भी तो नेता लोग ही करते हैं, जनता जनार्दन तो बस उस में तङका लगाती है बस।

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