टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का हुआ ऐलान, रोहित शर्मा IN, केएल राहुल OUT

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) मुख्य चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम की घोषणा कर दी है. टीम में दो मुख्य बदलाव किए गए हैं. ओपनर लोकेश राहुल को बाहर कर दिया गया है जबकि रोहित शर्मा की वापसी हुई है. युवा खिलाड़ी शुभमन गिल को टीम में शामिल किया है.

चयनकर्ताओं ने विकेटकीपर के तौर पर ऋषभ पंत और ऋद्धिमान साहा दोनों के नाम हैं. स्पिन डिपार्टमेंट में आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव हैं. जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा के अलावा मोहम्मद शमी के जिम्मे तेज आक्रमण रहेगा. वेस्टइंडीज दौरे से बाहर रहे अश्विन को टीम में बुला लिया गया है. अश्विन को टीम में शामिल न किए जाने के बाद चयनकर्ताओं के ऊपर सवाल उठाए गए थे. इस मामले पर टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री को बयान देना पड़ा था. हालांकि अश्विन की जगह पर हनुमा विहारी को टीम में शामिल किया गया था जिस खिलाड़ी ने अपनी प्रतिभा से सबका मुंह बंद कर दिया था.

ये भी पढ़ें- बियांका पैदा भी नहीं हुई थीं जब सेरेना ने जीता था पहला यूएस ओपन

टीम इंडिया की ओर से बल्लेबाज का आगाज रोहित शर्मा करेंगे. दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल होंगे. उधर, हनुमा विहारी मध्यक्रम में (छठे नंबर पर) में बने रहेंगे. रोहित शर्मा ने आखिरी बार मेलबर्न टेस्ट (26-30 दिसंबर 2018) में नंबर-6 पर बल्लेबाजी करते हुए 63 और पांच रनों की नाबाद पारी खेली थी, लेकिन इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के चौथे और आखिरी टेस्ट के अलावा बाद में वेस्टइंडीज सीरीज के लिए भी नहीं चुने गए.

रोहित शर्मा ने अब तक 27 टेस्ट मैचों के करियर में कभी टेस्ट में ओपनिंग नहीं की है. उन्होंने नंबर-3 पर चार मैच खेले हैं और 21.40 की औसत से 107 रन बनाए. उनके तीनों टेस्ट शतक नंबर-6 पर आए हैं. दूसरी तरफ कैरेबियाई सीरीज में सबसे अधिक रन (289) बनाने वाले हनुमा विहारी पर टीम की निगाहें होगीं.

टीम के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का कहना है कि हम रोहित शर्मा को टेस्ट में ओपनिंग का मौका देना चाहते हैं. ऐसा पहली बार होगा जब रोहित शर्मा टीम की ओपनिंग करेंगे. रोहित शर्मा का वनडे का रिकॉर्ड शानदार है. वो इस मौके को भुनाना चाहेंगे. रोहित शर्मा की भी दिली ख्वाइश रही है कि वो सफेद जर्सी में देश के लिए खेल पाएं. अब उनकी मुराद पूरी होती दिख रही है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. रोहित शर्मा ने 27 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 1585 रन भी बनाए हैं. रोहित शर्मा ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डेंस मैदान पर 6 नवंबर 2013 को टेस्ट मैच में डेब्यू किया था.

ये भी पढ़ें- US Open Final: राफेल नडाल ने जीता 19वां ग्रैंड

विराट कोहली (कप्तान), मयंक अग्रवाल, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे (उपकप्तान), हनुमा विहारी, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), ऋद्धिमान साहा (विकेटकीपर), आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह , ईशांत शर्मा, शुभमन गिल.

टी-20 सीरीज के बाद भारत और साउथ अफ्रीका की टीमें विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खेलेंगी. टेस्ट सीरीज का पहला मैच दो अक्टूबर से विशाखापत्तनम में, दूसरा 10 अक्टूबर से पुणे में और तीसरा 19 अक्टूबर से रांची में खेला जाएगा.

बियांका पैदा भी नहीं हुई थीं जब सेरेना ने जीता था पहला यूएस ओपन

साल का चौथा और आखिरी ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन का शानदार समापन हुआ. पुरुष वर्ग में ये खिलाब स्पेनिश खिलाड़ी राफेल नडाल के पास गया तो महिला एकल वर्ग में बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू के पास. बियांका ने इतिहास रच दिया और जिसको हराया वो कोई और नहीं बल्कि 23 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता टेनिस की महान खिलाड़ी सेरेना विलियम्स. विलियम्स मां बनने के बाद पहली बार टेनिस कोर्ट में उतरी थीं. अमेरिका की खिलाड़ी के साथ पूरा क्राउड था. हजारों लोगों की भीड़ सेरेना को 24वां ग्रैंड स्लैम जीतते हुए देखना चाहती थी. भीड़ हर बार से कुछ ज्यादा थी. साफ था कि मां बनने के बाद पहली बार सेरेना विलियम्स के हाथों में ग्रैंड स्लैम की ट्राफी लोग देखना चाहते थे लेकिन हजारों लोगों की उम्मीद तोड़ कर एक नया इतिहास कायम किया कनाडा की महज 19 साल की खिलाड़ी बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू ने.

19 साल की बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू ग्रैंडस्‍लैम जीतने वाली पहली कनाडाई हैं. उन्‍होंने अमेरिका की सेरेना विलियम्‍स को सीधे सेटों में 6-3,7-5 से हराया. इस जीत के साथ ही बियांका ग्रैंडस्‍लैम जीतने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की विजेता बन गई हैं. उनसे पहले 2006 में रूस की मारिया शारापोवा ने यह रिकॉर्ड बनाया था. बियांका ने काफी तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी हैं. पिछले साल इन्‍हीं दिनों में वह रैंकिंग में टॉप 200 के बाहर थीं. लेकिन इन 12 महीनों में वह 15वीं रैंक पर पहुंच चुकी हैं.

ये भी पढ़ें- भारतीय सेना में शामिल हुआ अपाचे हेलिकौप्टर और AK-203 रायफल, दुश्मनों के उड़े होश

बियांका के लिए आसान नहीं था. सेरेना कोर्ट में बहुत चालाकी से गेम प्ले करती हैं. लेकिन बियांका ने फुर्ती और आक्रामता के साथ गेम खेला. बियांका ने बिग हिटिंग, बिग सर्विंग शैली का आक्रामक खेल दिखाते हुए सेरेना को सीधे सेटों में 6-3, 7-5 से हरा दिया. जीत की खुशी के साथ इस खिलाड़ी ने जता दिया कि दिल बड़ा कैसे किया जाता है. इस खिलाड़ी ने तुरंत सेरेना का अभिवादन किया. क्योंकि वो जानती थी कि जिस खिलाड़ी को उसने हराया उसको इस खेल का मास्टर कहा जाता है.

पिछले साल बियांका यूएस ओपन के लिए क्‍वालिफाई भी नहीं कर पाई थीं. पिछले 2 साल से वह यूएस ओपन के क्‍वालिफाइंग में पहले राउंड में ही हार रही थीं. 2019 की शुरुआत बियांका ने जबरदस्‍त तरीके से ही और बीएनपी परिबास ओपन जीता. लेकिन फिर एक चोट की वजह से पूरे क्‍ले कोर्ट और ग्रास कोर्ट के सीजन से बाहर रहीं. लेकिन वापसी करते ही जीत की राह पर चल पड़ीं. इस साल टॉप 10 खिलाड़ियों के खिलाफ बियांका का रिकॉर्ड 8-0 का है.

बियांका के माता-पिता रोमानिया के रहने वाले हैं. लेकिन दोनों कनाडा शिफ्ट हो गए और यहां की नागरिकता ले ली. उस समय बियांका की उम्र 11 साल थी. दिलचस्‍प बात है कि विबंलडन का खिताब जीतने वाली सिमोना हालेप भी रोमानिया से हैं.

इन सब में सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि सेरेना विलियम्‍स ने जब पहली बार 1999 में यूएस ओपन जीता था उस समय बियांका पैदा भी नहीं हुई थीं. सेरेना के नाम 6 यूएस ओपन खिताब है. वहीं बियांका ने पहली ही बार इस टूर्नामेंट में जगह बनाई थी और जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं. उन्‍होंने मोनिका सेलेस की बराबरी की है, जिन्‍होंने अपने चौथे ही ग्रैंडस्‍लैम में ही खिताब जीत लिया था.

ये भी पढ़ें- बौल टेंपरिंग विवाद के बाद मैदान में लौटते ही स्टीव

यूएस ओपन के फाइनल में दर्शक सेरेना का समर्थन कर रहे थे. सेरेना ने जब भी कोई पॉइंट जीता तो जोरदार शोर हुआ. एक समय तो ऐसा भी आया जब तेज शोर और सेरेना के समर्थन में हो रही नारेबाजी के चलते बियांका ने अपने कानों पर हाथ रख लिए. मैच जीतने के बाद प्रेजेंटर से बातचीत में उन्‍होंने सेरेना की हार के लिए दर्शकों से माफी मांगी. बियांका ने कहा, ‘मैं काफी दुखी हूं. मुझे पता है कि आप लोग सेरेना को जिताना चाहते थे.

जब से बियांका ने ये खिताब अपने नाम किया तब से सोशल मीडिया में वो छा गई हैं. उनका प्रोफाइल तलाशने के बाद पता चलता है कि वो फैशन और मौडलिंग की भी शौकीन हैं. बियांका की कई ग्लैमरस पिक्चर्स सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. लोग उनकी तुलना भारत की टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा ने कर रहे हैं. सानिया जब कोर्ट पर पहली बार उतरी थीं तो उनकी खूबसूरती के चर्चे खूब हुए थे.

टीम की चिंता या फिर तेंदुलकर जैसी विदाई की चाहत रखते हैं धोनी

लंबे बालों के साथ जब वो पहली बार क्रीज पर आया तो सभी ने उस खिलाड़ी की हेयर स्टाइल की तारीफ की लेकिन उसके बाद केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ही उनकी मुरीद हो गई. शायद आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी की. वो धोनी जितने भारत को क्रिकेट विश्व कप भी जिताया, टी-20 विश्व कप भी जिताया, एशिया कप भी जिताया और चैंपियन ट्रॉफी भी हम जीतकर आए. लेकिन समय के साथ सबके खेल में बदलाव आता है. ये हमने पहले भी कई खिलाड़ियों के साथ देखा है. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी आखिरी समय स्ट्रगल कर रहे थे. उनके भी संन्यास की बातें उठने लगीं थीं. लेकिन उस खिलाड़ी के जैसे हर किसी के नसीब पर वैसी विदाई नसीब नहीं होती.

विश्व कप 2019 में लोगों ने अनुमान लगाया था कि लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर टीम इंडिया विश्व कप उठाएगी और एम एस धोनी की विदाई भी उसी तरह होगी जैसे 2011 में मुंबई के वानखेड़े मैदान पर सचिन तेंदुलकर की हुई थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. भारत की आकांक्षाओं को न्यूजीलैंड से मुकम्मल नहीं होने दिया और भारत को सेमीफाइनल में ही हार कर टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. विश्व कप के दौरान पूरी टीम अस्त-व्यस्त दिखी. धोनी को लेकर सवाल उठते रहे. कहा जाने लगा कि धोनी को अब मैनेजमेंट ढो रहा है, सच यो ये था कि धोनी को टीम में जगह उनके खेल को लेकर नहीं था बल्कि मैदान में उनके अनुभवों को लेकर था. इंग्लैंड के साथ मैच हारने के बाद भी धोनी के ऊपर सवाल उठे. सवाल तभी भी उठे जब न्यूजीलैंड के खिलाफ धोनी का रन बनाने के औसत 50 से भी कम का होने लगा. ऐसा लगने लगा था कि हेलीकॉप्टर शॉट्स खेलने वाला ये बल्लेबाज आज एक-एक रन में स्ट्रगल कर रहा है. धोनी क्रीज पर जम तो जाते थे लेकिन वो बड़े शॉट्स नहीं खेल पा रहे थे. सेमीफाइऩल में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में रवींद्र जडेजा की पारी जब तक चल रही थी जब तक धोनी की बल्लेबाजी पर कोई ज्यादा गौर नहीं कर रहा था लेकिन उसके बाद धोनी का खेल वाकई जीत वाला नहीं था.

ये भी पढ़ें- रोजर फेडरर को पहले ही सेट में मात देने वाले सुमित 

धोनी को संन्यास लेना चाहिए या नहीं ये उऩका निजी फैसला है लेकिन टीम मैनेंजमेंट को ये सोचना चाहिए कि धोनी से रिटायरमेंट की बात करें और उनसे पूछें कि उनका क्या प्लान है. भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भी खुलासा किया था कि चयनकर्ताओं ने उनसे कोई भी बात नहीं कि और सीधे टीम से निकाल दिया गया. ऐसा ही गौतम गंभीर के साथ भी हुआ.

भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर है जहां पर टीम दो टेस्ट, दो टी20 और तीन वनडे खेलने है. दौरा पूरा भी हो गया है. केवल एक टेस्ट मैच खेला जा रहा है. यहां पर भी धोनी का चयन नहीं किया गया. बाद में चयनकर्ताओं की तरफ से ये कहा गया कि धोनी ने इस दौरे के लिए अपने आपको अनुप्लब्ध बताया था. लेकिन सच्चाई यही है कि धोनी को टीम मे जगह ही नहीं दी गई थी. धोनी पैरा-कमांडो की ट्रेनिंग के लिए कश्मीर चले गए. वहां वो आर्मी के साथ ट्रेनिंग करते रहे और सोशल मीडिया में कई वीडियो उनके आते रहे जिसमें वो वॉलीबॉल खेलते दिखे कहीं पर वो एक्सरसाइज करते दिखे.

वेस्टइंडीज दौरे के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का चयन दक्षित अफ्रीका के खिलाफ होने वाले टी-20 के लिए किया गया. उसमे भी धोनी का चयन नहीं किया गया. यहां भी चयनकर्ताओं का वहीं घिसा पिटा बयान आया कि धोनी उपलब्ध नहीं है. जबकि यहां भी सच्चाई छिपाई गई. अब धोनी को लेकर कहा जा रहा है कि उनको टीम की चिंता है इसलिए वो संन्यास नहीं ले रहे. मतलब कि धोनी को लगता है कि अभी तक उनके जगह पर कोई परफेक्ट खिलाड़ी नहीं आया इसलिए वो संन्यास नहीं आया. लेकिन धोनी को और टीम दोनों को एक दूसरे के बगैर रहने की आदत डालती होगी. इस बात में कोई शक नहीं है कि धोनी महान खिलाड़ी है लेकिन मुझे याद सुनील गावस्कर की एक बात याद आती है उन्होंने कहा था कि आपको तब संन्यास ले लेना चाहिए जब लोग ये कहने लगें कि ये संन्यास कब लेगा. मसलन की धोनी को अब खुद संन्यास की घोषणा कर देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- कैसे पीवी सिंधु बनी बैडमिंटन की विश्व विजेता, 

धोनी के मन में क्या है ये तो महज धोनी ही जानते हैं लेकिन मेरे अनुसार धोनी टी-20 विश्व कप के बाद संन्यास की घोषणा जरुर करेंगे. धोनी हमेशा से चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. जब उन्होंने कप्तानी छोड़ी थी तभी भी चौंका दिया था उसके बाद क्रिकेट के मैदान पर भी उनके कई निर्णय चौंकाने वाले होते हैं. फिलहाल वक्त यही कह रहा है कि धोनी को संन्यास ने लेना चाहिए.

रोजर फेडरर को पहले ही सेट में मात देने वाले सुमित नांगल के बारे में जानिए,

क्रिकेट भारत की आत्मा में बसता है. ये बात सच है लेकिन क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों में भी अब भारतीय तिरंगा लहराने लगा है. क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम की हार ने करोड़ों खेल प्रेमियों का दिल तोड़ दिया था. उस हार के सदमें में कई क्रिकेट प्रेमियों ने खाना भी नहीं खाया था. लेकिन बीते एक पखवाड़ा में भारतीय खिलाड़ियों ने पूरे विश्व में अपना दमखम दिखाया है. पहले भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर हिंदुस्तान को गौरन्वांवित किया, उसके बाद युवा टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने जो किया वो अपने आपने में एक चौंकाने वाला है.

अक्सर खिलाड़ी की वाह-वाही तब होती है जब वो मैच जीत जाता है लेकिन सुमित नांगल के साथ ऐसा नहीं हुआ. सुमित नांगल मैच हार भी गए फिर भी उनको पूरे देश की तमाम बड़ी हस्तियों से शाबासी मिली. हरियाणा के झज्जर जिले में जन्म लेने वाले 22 वर्षीय नांगल का डेब्यू मैच ही रोजर फेडरर के साथ पड़ गया. अब आप समझ ही गए होंगे कि किसी का डेब्यू मैच हो उसके सामने वो खिलाड़ी हो जिसको इस खेल का महान खिलाड़ी कहा जाता हो तो फिर उस खिलाड़ी की सांसे तेज होना तो लाजिमी है लेकिन नांगल की सांसे तेज नहीं हुईं बल्कि टेनिस बैट से निकलने वाले शॉट्स तेज हो गए.

ये भी पढ़ें- कैसे पीवी सिंधु बनी बैडमिंटन की विश्व विजेता, 

साल के चौथे ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन के पहले ही राउंड में सुमित का सामना टेनिस जगत के दिग्गज रोजर फेडरर से हुआ. मंगलवार को न्यूयॉर्क के आर्थर ऐश स्टेडियम में 22 साल के जोशिले क्वालिफायर सुमित नागल ने 38 साल के तजुर्बेकार फेडरर को जोरदार टक्कर दी. 20 बार ग्रैंड स्लैम विजेता रोजर फेडरर ने नागल को हल्के में ले लिया. फेडरर को यही गलती भारी पड़ गई. नांगल ने फेडरर को पहले सेट में 6-4 से हराकर अपनी ग्रांड ओपनिंग दी. फेडरर को समझ आ गया था कि ये कोई साधारण खिलाड़ी नहीं है. अंत में स्विस स्टार फेडरर ने नागल को 4-6, 6-1, 6-2, 6-4 से मात दी.

हरियाणा को खिलाड़ियों की धरती भी कहा जाता है. ओलंपिक में पदक जीतने वाले ज्यादातर खिलाड़ी इसी प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. सुमित नागल भी हरियाणा के झज्जर जिले के जैतपुर गांव से हैं. परिवार में किसी की खेलों में जरा भी दिलचस्पी नहीं रही. उनके फौजी पिता सुरेश नागल को टेनिस में रुचि थी. सुमित को उनके पिता ने ही टेनिस खिलाड़ी बनाने के बारे में सोचा. सुरेश को एक रोज ख्याल आया कि उनका बेटा भी तो दूसरे खिलाड़ियों की तरह खेलता नजर आ सकता है. हरियाणा के सुमित नागल ने आठ साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था.

सुमित के परिवार को उनकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली शिफ्ट होना पड़ा. 2010 में अपोलो टायर वालों की टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में सुमित चुन लिए गए. दो साल तक उन्होंने स्पॉन्सर किया. सुमित ने महेश भूपति की एकेडमी में भी ट्रेनिंग ली थी. पिछले नौ साल से वो कनाडा, स्पेन, जर्मनी में ट्रेनिंग कर चुके हैं.

आंकड़ों के हिसाब से अगर भारत में टेनिस खिलाड़ियों की बात करें तो सानिया मिर्जा, लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना, सोमदेव देववर्मन, युकी भांबरी, अंकिता रैना इनका नाम ही सबसे ज्यादा लिया जाता है लेकिन अब इस लिस्ट में सुमित नांगल का नाम जुड़ गया. लिएंडर पेस भारत के शानदार टेनिस खिलाड़ी हैं. युगल और मिश्रित युगल में इनके नाम कुल चौदह ग्रैंड स्लैम खिताब है. डेविस कप में भारत के लिए उनका योगदान अकल्पनीय है. 1996 में अटलांटिक ओलंपिक खेलों में इन्होने कांस्य पदक जीता था. इसके बाद नंबर आता है महेश भूपति का. महेश भूपति के नाम चार ग्रैंड स्लैम युगल खिताब है. टेनिस खिलाडी लिएंडर के साथ उनकी जोड़ी शानदार रही है. महेश ने दोहा में 2006 में लिएंडर पेस के साथ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. भूपति डेविस कप में भी भारत के लिए भाग ले चुके हैं. भूपति ने कुल 46 डेविस कप खेले हैं जिनमे से 28 में जीत और 18 हार हाथ लगी.

वह भारतीय टेनिस के इतिहास में सर्वोच्च महिला टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं सानिया मिर्जा. इन्होने तीन प्रमुख मिश्रित युगल जीते 2009 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 2012 फ्रेंच ओपन और 2014 में अमेरिकी ओपन. 2014 के एशियाई खेलों में सानिया ने साकेत मिरेनी के साथ मिश्रित युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और महिलाओं की डबल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था. अक्टूबर 2014 में डब्ल्यूटीए फाइनल में जीत हासिल की थी.

सोमदेव देवबर्मन ने 2002 में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था और 2004 में एफ 2 कोलकाता चैम्पियनशिप में जीत के साथ सुर्खियों में आये. सोमदेव ने राष्ट्रमंडल खेल 2010 में एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था साथ ही एशियाई खेल 2010 में एकल और डबल्स इवेंट में भी स्वर्ण पदक हासिल किया.

इन सबके अलावा हमको दो नाम कभी नहीं भूलना चाहिए. जिन्होंने भारत को टेनिस से अवगत कराया. या यूं कहें कि भारत में टेनिस के जन्मदाता ही यही खिलाड़ी रहे हैं. पहला नाम आता है रमेश कृष्णन भारत के प्रसिद्ध टेनिस प्रशिक्षक और पूर्व टेनिस खिलाड़ी हैं. 1970 के दशक के अंत में जूनियर विंबल्डन और फ्रेंच ओपन में पुरुष एकल का खिताब जीता था. वर्ष 1980 के दशक में तीन ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचे और डेविस कप टीम में भी फ़ाइनल तक पहुंचे थे. रमेश कृष्णन 2007 में भारत के डैविस कप कप्तान रहे थे. इनके पिता रामनाथन कृष्णन थे जोकि भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी रहे हैं. इन्हें 1998 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया था.

दूसरा नाम आता है विजय अमृतराज. अमृतराज के छोटे भाई आनंद और अशोक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ी थे. विजय ने अपना पहला ग्रांड प्रिक्स 1970 में खेला था। 1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें