World Cup Final: सट्टेबाजी, देशभक्ति और धर्मभक्ति के अंधकार में गुम होता खेल

Sports News in Hindi: हाथ को आया, पर मुंह न लगा. यह इस बार भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के साथ हुआ. फाइनल मुकाबले से पहले लगातार 10 मैच जीतने वाली नीली जर्सी पहने ‘टीम इंडिया’ (Team India) के सामने पीली जर्सी वाले आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खड़े थे, जो बड़े मैचों में गजब का खेल दिखाते हैं. 19 नवंबर, 2023 को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narender Modi Stadium) में भी यही हुआ. तकरीबन एक लाख, 30 हजार दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में उन्होंने भारी दबाव पर पार पाते हुए एक शानदार जीत हासिल की और भारत को 6 विकेट से हराते हुए चमचमाती ट्रॉफी अपने नाम कर ली. दरअसल, आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम की एक बड़ी खासीयत यह है कि वह दबाव वाले मैचों में सामने वाली टीम पर एकदम से हावी हो जाती है. इस टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी तो बढ़िया है ही, इन की फील्डिंग भी कमाल की होती है.

इस के अलावा यह टीम मानसिक रूप से बहुत ज्यादा मजबूत है. जब यह मैदान पर होती है, तो अलग ही रोब से अपना हर काम करती है. हर खिलाड़ी सामने वाली टीम के बल्लेबाजों पर हावी होने की फिराक में रहता है. गलती की नहीं कि भुगतो खमियाजा.

पर क्या आज की तारीख में क्रिकेट मनोरंजन करने का साधन भर रह गया है? ऐसा नहीं है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास आज अथाह पैसा है. इतना ज्यादा कि वह अपने खिलाड़ियों को मालामाल रखता है. इस बोर्ड पर काबिज होने के लिए नेता तक उतावले रहते हैं. अगर वे खुद नहीं कोई पद पाते हैं, तो अपने बच्चों को दिला देते हैं.

फिलहाल गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई के सचिव हैं और उन का पूरे बोर्ड पर दबदबा साफ दिखाई देता है. वजह साफ है कि बीसीसीआई सोने का अंडा देने वाली मुरगी है, जो आईसीसी पर भी रोब दिखाने में कोताही नहीं बरतती है.

एक कड़वी हकीकत यह भी है कि क्रिकेट चंद देशों में खेला जाने वाला खेल है खासकर यह उन देशों में ज्यादा मशहूर है, जो कभी अंगरेजों के गुलाम रहे थे. इंगलैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका में तो इसे आज भी ‘जैंटलमैन का गेम’ कहा जाता है, पर भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका में यह गलीकूचों में गेंदबल्ले से खेला जाने वाला सस्ता खेल है.

यही वजह है कि यह भारत और पाकिस्तान में हौकी जैसे उस खेल को खा गया है, जो कभी इन दोनों देशों की शान हुआ करता था. पाकिस्तान तो हौकी के लिहाज से ज्यादा गहरे गड्ढे में है. भारत के भी कुछ खास अच्छे हालात नहीं हैं.

सट्टेबाजी की गिरफ्त में

जहां अथाह पैसा होगा, वहां गैरकानूनी काम भी खूब होंगे. जब से बीसीसीआई ने क्रिकेट को कमाई का धंधा बना लिया है, तब से यह खेल मैदान से ज्यादा सट्टेबाजों के ठिकानों पर खेला जाने लगा है. लोग भले ही इस भरम में रहें कि इस वर्ल्ड कप को आस्ट्रेलिया ने जीता है, पर असली जीत तो हमेशा सटोरियों की होती है.

पता नहीं सटोरियों के उस पैसे का किस तरह का गलत इस्तेमाल होता है, वह ड्रग्स में लगता है या आतंकवाद को बढ़ावा देने में या फिर गैरकानूनी हथियार खरीदने में झोंक दिया जाता है, किसे पता. पर बेवकूफ लोग लगा देते हैं अपनी गाढ़ी कमाई इस गंदे कारोबार में.

‘फ्री प्रैस जर्नल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सट्टेबाज ने कहा था कि उस ने पहले कभी इतना तनाव और उत्साह नहीं देखा. मैच को ले कर लोगों में एक अलग लैवल का क्रेज देखने को मिला.

‘फ्री प्रैस जनरल’ के ही मुताबिक, दाऊद इब्राहिम गिरोह मुंबई, इंदौर, दिल्ली, अहमदाबाद, कराची, दुबई और बैंकौक में फैले सट्टेबाजों के अपने विशाल नैटवर्क के जरीए पूरी फौर्म में दिखा.

‘टीवी-9’ की रिपोर्ट को मानें तो फाइनल मुकाबले में 70,000 करोड़ रुपए का सट्टा लगाया गया था, जबकि भारत और पाकिस्तान के मैच पर 40,000 करोड़ की सट्टेबाजी हुई थी. एक और जानकारी के मुताबिक, इस फाइनल मुकाबले से पहले 500 से ज्यादा बैटिंग वैबसाइट और 200 के आसपास मोबाइल एप्स ऐक्टिव हो गए थे.

इतना ही नहीं, क्रिकेट वर्ल्ड कप में सट्टा लगवाने के आरोप में पतिपत्नी को नंदग्राम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वे दोनों राजनगर ऐक्सटैंशन, गाजियाबाद की एक सोसाइटी में फ्लैट किराए पर ले कर हाई प्रोफाइल लोगों को सट्टा लगवाते थे. इस के लिए वे दुबई से औनलाइन सट्टे की ट्रेनिंग ले कर आए थे.

पुलिस के मुताबिक, दोनों पतिपत्नी ने वर्ल्ड कप के और दूसरे मैचों के दौरान भी सट्टेबाजी करवाई थी. अंदाजा है कि उन्होंने 100 से ज्यादा लोगों के जरीए एक करोड़ रुपए से ज्यादा की सट्टेबाजी की है. आरोपियों के पास से पुलिस ने एक लैपटौप, 4 मोबाइल फोन और 5 सिमकार्ड बरामद किए.

इन के मुंह पर भी तमाचा

फाइनल मुकाबले में भारत की हार से उन लोगों को तो कड़ा सबक मिल गया होगा, जो खेलों को खेल से ज्यादा देशभक्ति या धर्मभक्ति से जोड़ कर देखते हैं. उन के लिए खेल किसी रणभूमि सा हो जाता है और वे अपने योद्धाओं को अजेय समझ लेते हैं. उन्हें तथाकथित ऊपर वाले का दूत मान बैठते हैं.

फाइनल मुकाबला शुरू होने से पहले एक अखबार ‘दैनिक जागरण’ की हैडिंग थी कि ‘आज होगा धर्मयुद्ध’. इस तरह की बचकाना हैडिंग का क्या मतलब? क्या अहमदाबाद में कोई ‘महाभारत’ रचा जा रहे था? ऐसे शीर्षक देश को भरमाने वाले होते हैं और लोगों को उकसाते हैं कि जीतने पर अपने खिलाड़ियों को भगवान मान लें और हारने पर उन्हें राक्षस का सा दर्जा दे दें.

इतना ही, बहुत से लोगों ने तो नरेंद्र मोदी को ही इस हार का जिम्मेदार ठहरा दिया और उन्हें ‘पनौती’ कहा, क्योंकि वे मैच देखने स्टेडियम गए थे. वैसे, यह जो देश का आज का माहौल है, उस में भारतीय जनता पार्टी का भी बड़ा खास रोल है, क्योंकि वह हर बात को देशभक्ति या धर्मभक्ति से जोड़ देती है.

देशभक्ति और धर्मभक्ति के नाम पर किसी गरीब के घर पर बुलडोजर चला दो या किसी का एनकाउंटर कर दो, सब सही मान लिया जाता है. ऐसा ही कुछ आलम इस बार स्टेडियमों में भी दिखा. भारत के मैचों में ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लग रहे थे. लोगों के घरों में हवन कराए जा रहे थे.

उत्तर प्रदेश के कानपुर में वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की जीत के लिए कानपुर युवा उद्योग व्यापार मंडल श्याम बिहारी गुट के पदाधिकारियों ने झकरकटी में बने आशा माता मंदिर में हवनपूजन किया था. हरियाणा में अंबाला जिले के काली माता मंदिर में हवनयज्ञ कर भारत की जीत की कामना की गई थी.

क्रिकेटर विराट कोहली दिल्ली में पश्चिम विहार की जिस कालोनी में 10 सालों तक रहे थे, वहां के लोगों ने भारतीय टीम के जीतने और विराट कोहली की 51वीं सैंचुरी के लिए हवन किया था.

उत्तराखंड के कुमाऊं में पत्थरचट्टा में आनंदी मंदिर धाम में लोगों ने भारत की जीत के लिए हवनपूजन किया था, तो वहीं सीरगोटिया में मुसलिम औरतों ने दुआ मांगी था.

इतना ही नहीं, दोनों टीमों की कुंडलियों को खंगाला जा रहा था. सूर्य, मंगल, बुध, शनि, राहुकेतु की दशा और दिशा तय की जा रही थीं.

अहमदाबाद के एक ज्योतिषी कौशिक भाई जोशी ने दावा किया था कि भारतीय क्रिकेट टीम जीतेगी, क्योंकि मकर का चंद्रमा कमाल करेगा.

पंडित संजय उपाध्याय ने मैच से पहले ‘एबीपी न्यूज’ से बातचीत के दौरान बताया, ‘ज्योतिष विद्या के अनुसार इस समय बृहस्पति मेष राशि और राहु मीन राशि में मौजूद है और शनि राशि अपने मूल त्रिकोण राशि में मौजूद है. इस के अलावा मंगल राशि भी वृश्चिक राशि के साथ है.

‘वहीं दूसरी तरफ आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के भी राशि अनुकूल ही है, इसलिए निश्चित तौर पर आज होने वाले भारतआस्ट्रेलिया फाइनल मुकाबले में एक कड़ा रोमांचक मुकाबले देखने को मिल सकता है, लेकिन परिणाम भारत के पक्ष में बनने की ज्यादा स्थितियां देखी जा रही हैं.’

मेरठ के ज्योतिषाचार्य डाक्टर संजीव शर्मा के मुताबिक, ‘जैसा मैं ने देखा है कल मैच के समय की जो कुंडली रहेगी वह कुंभ लग्न की रहेगी. इस समय भारतवर्ष का शनि बहुत अच्छा चल रहा है और शनि देव गोचर में अपनी राशि में ही भ्रमण कर रहे हैं. जो स्टेडियम का नाम है वह नरेंद्र मोदी स्टेडियम है और हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदीजी का शनि भी बहुत अच्छा है.

‘… कुलमिला कर कल अपने तिरंगे की शान व प्रतिष्ठा के लिए 140 करोड़ भारतीय अपने सब्र का फल चखेंगे. दोस्तो, 19 नवंबर, 2023 इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाला है. कल कुछ अलग चमत्कारिक रिकौर्ड बनने वाले हैं. हम सब इस अविस्मरणीय पल का साक्षी बनें. कुछ तो बात है इस देश की माटी में जिस ने सचिन और विराट जैसे खिलाड़ियों को जन्मा है.’

एक ज्योतिषी ने तो भारत को स्टीवन स्मिथ, डेविड वार्नर और पैट कमिंस से बचने की सलाह दी थी. वे तीनों तो ज्यादा करामात नहीं कर पाए, लेकिन फिर भी भारत हार गया.

एक और ज्योतिषी ने तो यह तक कह दिया था कि भारत टौस हारेगा, पर मैच जीतेगा. कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा गेंदबाजी में कमाल दिखाएंगे, पर ऐसा भी नहीं हो पाया.

एक मैच को जिताने की खातिर न जाने कितने लोगों ने अपना कीमती समय खराब कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के काफिले ने स्टेडियम के आसपास के सिक्योरिटी के सारे इंतजाम गड़बड़ा दिए होंगे. मतलब हर तरह का कर्मकांड किया गया, देशभक्ति और धर्मभक्ति का हर पैतरा आजमाया गया, राजनीतिक कद को भुनाने की कोशिश की गई, पर कोई फायदा नहीं निकला.

दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया के लोग थे. स्टेडियम में सिर्फ ‘नीली जर्सी’ ही हर तरफ दिखाई दे रही थी. ‘पीली जर्सी’ के समर्थक न के बराबर थे. अगर यह इतना ही बड़ा उत्सव होता तो यकीनन आस्ट्रेलियाई लोग भी भारत आने को उतावले दिखते, पर ऐसा हुआ नहीं.

याद रहे कि हर चीज में देशभक्ति और धर्मभक्ति को ऊपर रखना एक खतरनाक ट्रैंड है, जो भविष्य में भारत की एकता के लिए महंगा पड़ सकता है, क्योंकि ऐसा दिमागी अंधापन लोगों के मन में जहर भर देता है.

यह ठीक है कि भारतीय क्रिकेट टीम देश की नुमाइंदगी करती है, पर उसे हर मैच के लिए पैसे मिलते हैं. वह एक प्रोफैशनल टीम है और उसे अपनी हारजीत का इतना ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है कि उसे देशभक्ति या धर्मभक्ति से जोड़ दिया जाए.

फाइनल मैच में हारने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने आस्ट्रेलिया की टीम को गले लग कर बधाई दी थी, फिर यह धर्मयुद्ध कैसे हो गया? वैसे भी इस वर्ल्ड कप में विजेता टीम आस्ट्रेलिया को तकरीबन 33 करोड़ रुपए मिले हैं और भारत को तकरीबन 16 करोड़ रुपए. वे तो सभी मालामाल हो गए हैं और लोग दकियानूसी बातों में उलझ कर अपना कीमती समय बरबाद कर रहे हैं.

28 गोल्ड, 38 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज से चमका भारत

‘बूस्ट इज द सीक्रेट औफ माय ऐनर्जी’. इस कैचलाइन से हम किसी सामान का प्रचार नहीं कर रहे हैं, पर कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हमारा हौसले बढ़ाने में शानदार काम करते हैं. ऐसा ही कुछ दिखा इस बार के 19वें एशियाई खेलों में. 23 सितंबर, 2023 को चीन के हांगझोऊ (हांगजो) शहर में शुरू हुए खेलों के इस महाकुंभ में भारतीय दल ‘इस बार, सौ पार’ के हौसला बढ़ाते शब्दों के साथ खेल के मैदान में उतरा था.


दरअसल, अब तक भारत ने इस खेल प्रतियोगिता में सब से ज्यादा साल 2018 में (जकार्ता, इंडोनेशिया) में 16 गोल्ड, 23 सिल्वर और 31 ब्रॉन्ज मिला कर कुल 70 मैडल जीते थे और चूंकि एशियाई खेलों का मोटो है ‘हमेशा आगे’, तो इसी आगे बढ़ने की भावना से ‘इस बार, सौ पार’ का नारा दिलों में ले कर 655 भारतीय खिलाड़ियों ने चीन की ओर कूच किया था.

अब सब से बड़ा सवाल यह था कि 70 से 100 तक कैसे पहुंचेंगे? वजह, इन एशियाई खेलों की शुरुआत में ही भारत के लिए अच्छी खबर नहीं आई थी. वेटलिफ्टिंग में अपने रिकौर्ड तोड़ने की आदत बनाने वाली मीराबाई चानू, जिन से गोल्ड मैडल की उम्मीद थी, 49 किलो भारवर्ग में चौथे नंबर पर रही थीं.

इतना ही नहीं, बैडमिंटन में पीवी सिंधू और कुश्ती की फ्रीस्टाइल कैटेगरी में 65 किलोग्राम भारवर्ग में बजरंग पूनिया, जो गोल्ड मैडल के दावेदार थे, ब्रॉन्ज मैडल तक की खुशबू तक नहीं सूंघ पाए.

 

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इस तिहरे झटके के बावजूद भारतीय दल ने कई खेल प्रतियोगिता में उम्मीद से बढ़ कर भी मैडल जीते, जिस में महिला टेबल टैनिस टीम का ब्रॉन्ज (सुतीर्था मुखर्जी और अहिका मुखर्जी) शामिल है. पारुल चौधरी ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में आखिरी 30 मीटर में कमाल कर के गोल्ड मैडल जीत लिया.

इतना ही नहीं, भाला फेंक में ओलिंपिक और वर्ल्ड चैंपियन नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मैडल तो जीता ही, साथ ही किशोर जेना ने सिल्वर मैडल अपने नाम किया. केनोइंग में अर्जुन सिंह और सुनील सिंह ने ऐतिहासिक ब्रॉन्ज जीता, जबकि 35 किलोमीटर की पैदल चाल में रामबाबू और मंजू रानी को भी ब्रॉन्ज मैडल अपनी झोली में डाला.

इसी का नतीजा था कि इस बार भारत ने न केवल 100 मैडल जीतने का आंकड़ा पार किया, बल्कि 28 गोल्ड, 38 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज मैडल मतलब कुल 107 मैडलों की शानदार सौगात देश की जनता को दी.

भारत ने एक और कारनामा किया कि वह कई साल के बाद चौथे नंबर पर रहा. पहले नंबर पर चीन रहा जिस ने कुल 383 मैडल जीते. दूसरे नंबर पर 188 मैडलों के जापान ने बाजी मारी, जबकि तीसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया था, जिस ने वैसे तो 190 मैडल जीते थे, पर चूंकि जापान ने गोल्ड मैडल ज्यादा जीते थे, इसलिए उसे यह तीसरा नंबर हासिल हुआ.

वैसे, भारत साल 1951 में दूसरे नंबर पर रहा था और साल 1962 में तीसरे नंबर पर. अब कई साल बाद चौथे नंबर पर आना एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.

क्रिकेट : आईपीएल में भोजपुरी कमैंट्री खास या बकवास

इस बार के इंडियन प्रीमियर लीग में कुछ नए नियमों के साथ टीमें मैदान उतरी थीं और वे नियम बड़े फायदे के साबित हुए. इसी तरह इस बार कई नई भाषाओं में कमैंट्री सुनने को मिली, जिन में से भोजपुरी का अंदाज सब से ज्यादा लुभाने वाला महसूस हुआ.

ठीक उसी तरह जैसे हिंदी फिल्म ‘गुलामी’ के एक गाने के कुछ बोल भले ही समझ नहीं आए थे, पर शब्बीर कुमार और लता मंगेशकर की मीठी आवाज ने उसे यादगार बना दिया था.

अमीर खुसरो की एक कविता से प्रेरणा पा कर गीतकार गुलजार के लिखे इस गीत के बोल थे :

‘जिहाल ए मिस्कीं मकुन ब रंजिश

ब हाल ए हिज्रा बेचारा दिल है,

सुनाई देती है जिस की धड़कन

हमारा दिल या तुम्हारा दिल है…’

कुछ इसी तरह का मजा इस बार की आईपीएल भोजपुरी कमैंट्री को सुन कर तब मिला, जब सौरभ उर्फ रौबिन सिंह के साथ गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी के सुपरस्टार रविकिशन, कैमूर के शिवम सिंह, देवरिया के गुलाम अली, झारखंड के सत्य प्रकाश कृष्णा और वाराणसी के मोहम्मद सैफ कमैंट्री करते दिखे.

याद रहे कि आईपीएल में हिंदी, इंगलिश, भोजपुरी भाषा के अलावा जिन भाषाओं में कमैंट्री हो रही है, उन में मराठी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती और बंगाली भाषाएं शामिल हैं.

देश में तकरीबन 25 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा सुनते, बोलते और समझते हैं. जब रविकिशन ने अपने ही अंदाज में आईपीएल में कमैंट्री की, तो माहौल ही बन गया. एक बानगी देखिए:

बारबार धुआंधार प्रहार जारी बा. अद्भुत, अद्भुतम, अद्भुताय मैच बा हो. जे ऊहां पूरन बा, ऊ चूरन मार रहल बा. एकदम चौंचक बैटिंग होत बा… ई बैट नाहीं, लाठी ह. ऊ मरलें धौनी छक्का. अइसन छक्का मरलें कि गेना गोपालगंज से होत गंगा पार, गोरखपुर के गल्ली से निकल कर आरा पहुंच गईल…’

रविकिशन के बाद भोजपुरी सुपरस्टार दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और भोजपुरी हीरोइन आम्रपाली दुबे ने कमैंट्री का माइक संभाला.

इस दौरान दिनेशलाल यादव से पूछा गया कि अगर लगातार 3 विकेट गिरने पर ‘हैट्रिक’ कहते हैं, तो 4 विकेट गिरने पर क्या कहेंगे? इस पर दिनेशलाल यादव ने कहा कि अगर 3 विकेट गिरने पर ‘हैट्रिक’, तो 4 विकेट गिरने पर ‘चैट्रिक’ होगा. वहीं आम्रपाली दुबे से जब यही सवाल पूछा गया, तो उन्होंने पहले ‘चौट्रिक’ कहा, लेकिन फिर बाद में उन्होंने कहा कि ‘चैट्रिक’ ही कहेंगे.

भोजपुरी गायक व अभिनेता विवेक पांडेय ने इस नई शुरुआत पर कहा, ‘‘यह बहुत मजेदार है. भोजपुरी बड़ी मीठी और खांटी भाषा है. रविकिशन, मनोज तिवारी और दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ ने अपनी सुपरहिट फिल्मों से इस भाषा को जनजन तक पहुंचाया है. अब आईपीएल में भोजपुरी की कमैंट्री से यह भाषा उन लोगों तक भी पहुंचेगी, जो अब तक इस से अनजान हैं. मैं तो इस कमैंट्री का पूरा मजा ले रहा हूं.’’

ट्रोलिंग भी हुई

अगर भोजपुरी में कमैंट्री की तारीफ हुई, तो ट्रोलिंग भी खूब हुई. ‘यूपी में का बा’ वाली गायिका नेहा सिंह राठौर भोजपुरी कमैंट्री पर भड़कती नजर आईं.

नेहा सिंह राठौर बोलीं, ‘मैं ने भी जब भोजपुरी में कमैंट्री सुनी, मेरा एक घंटे तक दिमाग खराब रहा. इन की हिम्मत कैसे हुई… ये भोजपुरी को इस तरह से कैसे पेश कर सकते हैं. गर्दा उड़ा ए भाई साहब ई कैसन बालर है हो… ई तो जडि़या में मार देहलस. बैटवा में लागता कि तेल पिला के आइल बाड़े. छुआता और गेंद आरा तक उड़ जाता. ललचावा ताड़े, फिर घोलटाव ताड़े…

‘ई तो लालीपाप खिला के विकट लेले बाड़े, ए भइया हई का, ई नइका हथियार ह हो, हवाईजहाज शाट. कुछ भइल बा, गेंदा हवा में गइल बा. केहूके मुंह फोड़वा का.’

नेहा सिंह राठौर ने आगे कहा, ‘इस तरह के अजीबअजीब शब्द सुनने को मिल रहे हैं. पहले तो आप ने भोजपुरी गानों में यह सब किया, ‘लहंगा उठा दे रिमोट से’, ‘कुरती के टूटल बा पठानिया’, फिर उसी भाषा में जा कर आप आईपीएल में कमैंट्री कर रहे हो. मुझे तो बहुत दुख हुआ.

‘मैं उन लोगों से सवाल करना चाहती हूं,  जो भोजपुरी के हितैषी बनते हैं. कहां हैं वे लोग? सत्ता की चाटुकारिता से फुरसत नहीं मिल रही है आप को?

और भी तमाम लोगों ने इसे फूहड़ बताया, तो रविकिशन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘लोग बहुत तारीफ कर रहे हैं. ज्यादातर सभी को बेहद पसंद आ रही है भोजपुरी कमैंट्री. मैं नैगेटिविटी को नहीं देखता. मैं ने न उन्हें कभी बढ़ावा दिया है और न ही ऐसे लोगों को पढ़ता या सुनता हूं.

‘कुछकुछ लोग तो होते ही नैगेटिव हैं. अब सूरज क्यों उगता है, उस से भी उन्हें परेशानी है. अब

ऐसे 3-4 लोगों के बारे में क्या ही

कहा जाए…’

 

खेल: डोपिंग का खेल, खिलाड़ी हुए फेल

गुजरात में 29 सितंबर, 2022 से 12 अक्तूबर, 2022 तक 36वें नैशनल गेम्स हुए थे. इन में 36 खेलों में तकरीबन 15,000 खिलाडि़यों ने हिस्सा लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे खेल उत्सव की तरह मनाने को कहा था.

ऐसा हुआ भी, पर उसी दौरान नैशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की ओर से खिलाडि़यों की सैंपलिंग की गई थी. फिर आए कुछ चौंकाने वाले नतीजे, जिन्होंने खेल और खिलाडि़यों को शर्मसार कर दिया.

दरअसल, नैशनल डोप टैस्ट लैबोरेटरी की टैस्टिंग में 2 वेटलिफ्टर, 2 बार की कौमनवैल्थ गेम्स की गोल्ड मैडलिस्ट संजीता चानू, चंडीगढ़ की वीरजीत कौर डोप टैस्ट में फंस गई थीं. इन दोनों ने गुजरात में हुए नैशनल गेम्स में सिल्वर मैडल जीते थे.

इस के अलावा कुश्ती में 97 किलो में गोल्ड मैडल जीतने वाले हरियाणा के दीपांशु और सिल्वर मैडल जीतने वाले रवि राजपाल स्टेरौयड मिथेंडियोनौन के सेवन के लिए, 100 मीटर में कांसे का तमगा जीतने वाली महाराष्ट्र की डियांड्रा स्टेरौयड स्टेनोजोलौल के सेवन के लिए, लौन बौउल में सिंगल का सिल्वर मैडल जीतने वाले पश्चिम बंगाल के सोमेन बनर्जी डाइयूरेटिक्स, एपलेरेनौन के सेवन के लिए और फुटबाल का कांसे का मैडल जीतने वाली केरल की टीम के सदस्य विकनेश बीटा-2 एगोनिस्ट टरब्यूटालाइन के सेवन लिए पौजिटिव पाए गए थे.

मैडल जीतने वाले 7 विजेताओं के अलावा साइकिलिस्ट रुबेलप्रीत सिंह, जुडोका नवरूप कौर और वूशु खिलाड़ी हर्षित नामदेव भी डोप टैस्ट में फंसे थे. इन 10 में से 8 खिलाडि़यों पर टैंपरेरी बैन लगा दिया गया.

विकनेश और सोमेन बनर्जी पर टैंपरेरी बैन नहीं लगा. उन के नमूने में वाडा की स्पैसीफाइड सूची में शामिल स्टीमुलैंट और बीटा-2 एगोनिस्ट पाए गए थे.

इन सब खिलाडि़यों में सब से ज्यादा चौंकाने वाला नाम दीपा करमाकर था, जिन पर 21 महीने का बैन लगाया गया. दीपा करमाकर को बैन की गई दवा हाइजेनामाइन लेने का दोषी पाया गया.

इंटरनैशनल टैस्टिंग एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि दीपा करमाकर के नमूने 11 अक्तूबर, 2022 को लिए गए थे और उन पर यह बैन 10 जुलाई, 2023 तक जारी रहेगा.

दीपा करमाकर भारत की ऐसी पहली जिम्नास्ट थीं, जिन्होंने साल 2016 में रियो ओलिंपिक गेम्स में चौथा स्थान हासिल किया था. इस से पहले उन्होंने साल 2014 के ग्लास्गो कौमनवैल्थ गेम्स में कांसे का तमगा जीता था. ऐसा करने वाली वे पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट थीं.

दीपा करमाकर ने एशियन जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में भी कांसे का तमगा जीता था और साल 2015 की वर्ल्ड आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में 5वां स्थान हासिल किया था.

क्या बला है डोपिंग

ऐसा माना जाता है कि साल 1968 में मैक्सिको में हुए ओलिंपिक गेम्स में पहली बार डोप टैस्ट हुए थे, लेकिन इंटरनैशनल एथलैटिक्स फैडरेशन पहली ऐसी संस्था थी, जिस ने साल 1928 में डोपिंग को ले कर नियम बनाए थे.

इसी तरह साल 1966 में इंटरनैशनल ओलिंपिक काउंसिल ने डोपिंग को ले कर एक मैडिकल काउंसिल बनाई थी, जिस का काम डोप टैस्ट करना था.

डोपिंग में आने वाली दवाओं को 5 अलगअलग कैटेगरी में बांटा गया है, जैसे स्टेरौयड, पैप्टाइड हार्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग.

स्टेरौयड हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता है, जैसे टैस्टेस्टेरौन. खिलाड़ी अपने शरीर में मांसपेशियां बढ़ाने के लिए स्टेरौयड के इंजैक्शन लेते हैं, जो शरीर में मांसपेशियां बढ़ा देता है.

पैप्टाइड हार्मोन भी शरीर में मौजूद होते हैं. इंसुलिन नाम का हार्मोन डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी हार्मोन है, लेकिन किसी सेहतमंद इनसान को इंसुलिन दिया जाए तो इस से शरीर से फैट घटने लगता है और मसल्स बनती हैं.

ब्लड डोपिंग में खिलाड़ी कम उम्र के लोगों का ब्लड खुद को चढ़ाते हैं. वजह, कम उम्र के लोगों के ब्लड में रैड ब्लड सैल्स ज्यादा होते हैं, जो ज्यादा औक्सिजन खींच कर ताकत देते हैं.

खेल के दौरान दर्द का अहसास होने पर अकसर खिलाड़ी नार्कोटिक्स जैसी दर्दनाशक दवाएं लेते

हैं, जो उन्हें तुरंत राहत देती हैं.

डाइयूरेटिक्स शरीर से पानी को बाहर निकाल देता है. इसे जल्दी से जल्दी वजन कम करने वाले खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं, ताकि ज्यादा वजन के चलते वे गेम से ही न बाहर हो जाएं.

ऐसे होता है डोप टैस्ट

खेलों में बैन की गई दवाओं के चलन को रोकने के लिए 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) बनाई गई थी. इस के बाद हर देश में नैशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) बनाई जाने लगी थीं. इस में दोषी पाए जाने वाले खिलाडि़यों को 2 साल की सजा से ले कर जिंदगीभर के लिए बैन तक सजा दी जा सकती है.

ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए डोप टैस्ट किया जाता है. किसी भी खिलाड़ी का किसी भी वक्त डोप टैस्ट लिया जा सकता है. ऐसे टैस्ट नाडा या वाडा या फिर दोनों की ओर से किए जा सकते हैं. इस के लिए खिलाडि़यों के पेशाब के सैंपल लिए जाते हैं. नमूना एक बार ही लिया जाता है.

पहले चरण को ‘ए’ और दूसरे चरण को ‘बी’ कहते हैं. ‘ए’ पौजीटिव पाए जाने पर खिलाड़ी को बैन कर दिया जाता है. अगर खिलाड़ी चाहे तो एंटी डोपिंग पैनल से ‘बी’ टैस्ट सैंपल के लिए अपील कर सकता है. अगर खिलाड़ी ‘बी’ टैस्ट सैंपल में भी पौजिटिव आ जाए, तो उस पर बैन लगा दिया जाता है.

वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी हर साल खिलाडि़यों के लिए नए डोपिंग कोड बनाती है. इस डोपिंग कोड के मुताबिक, 500 से 600 तरह की दवाएं पूरी तरह से बैन हैं.

खिलाड़ी वाडा की वैबसाइट पर जा कर बैन की गई दवाओं वगैरह की लिस्ट देख सकते हैं. खिलाड़ी एंटी डोपिंग टीम से भी बैन की गई दवाओं की जानकारी ले सकते हैं.

अगर दवा खिलाड़ी के लिए बेहद जरूरी है, तो पहले उसे संबंधित स्पोर्ट्स डिपार्टमैंट या वाडा को इस की जानकारी देनी होगी, उस के बाद ही खिलाड़ी उस दवा का सेवन कर सकते हैं.

खेल का मैदान: कहीं जीता दिल, कहीं किया शर्मसार

शनिवार, 12 जून, 2021 को फुटबाल के ‘यूरो कप’ में अपने पहले मुकाबले में कमजोर फिनलैंड ने डैनमार्क को 1-0 से हरा दिया. पर इस फुटबाल मैच की जो सब से अहम घटना थी, वह डैनमार्क के शानदार खिलाड़ी क्रिश्चियन ऐरिक्सन से जुड़ी थी. दरअसल, मैच के हाफ टाइम से ठीक पहले वे मैदान में अचानक गिर कर बेहोश हो गए थे.

क्रिश्चियन ऐरिक्सन डैनमार्क के आक्रामक मिडफील्डर के तौर पर मशहूर हैं और उन्हें मैदान पर ऐसे पड़ा देख कर उन की टीम के सदस्य रोने लगे थे. डैनमार्क के फैन भी गमगीन थे.

यह हादसा देख कर अचानक खयाल आया कि 29 साल का इतना ज्यादा फिट इनसान देखतेदेखते कैसे उन हालात में जा सकता है कि उस के बचने की उम्मीद अचानक धुंधली पड़ती जाए? पर वहां मौजूद डाक्टरों की टीम ने कमाल का काम किया.

इसी बीच डैनमार्क के खिलाडि़यों ने घेरा बना कर जमीन पर पड़े ऐरिक्सन का मानो सुरक्षा कवच बना लिया था, हालांकि उन के चेहरे क्रिश्चियन ऐरिक्सन की विपरीत दिशा में थे.

डाक्टरों ने तो मानो अपना पूरा जोर लगा दिया था. उन्होंने क्रिश्चियन ऐरिक्सन की जोरजोर से छाती दबाई… और भी कई जरूरी तरीके अपनाए, पर डैनमार्क टीम के खिलाडि़यों के आंसू बता रहे थे कि हालात बेहद चिंताजनक हैं. लेकिन सब से अच्छी बात तो यह थी कि दर्शकों और मैदान पर जमा दूसरे लोगों ने घटनास्थल के पास कोई मजमा नहीं लगाया.

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वहां से थोड़ी दूर एक महिला भी मैदान पर थीं, जिन्हें डैनमार्क के कुछ खिलाड़ी दिलासा दे रहे थे. वे शायद क्रिश्चियन ऐरिक्सन की पत्नी थीं और रोए जा रही थीं. यह एक ऐसा सीन था, जिसे खेल के मैदान पर कोई नहीं  देखना चाहेगा.

उधर डाक्टरों की टीम अपने काम में जुटी हुई थी. चिकित्सा का पूरा ताम झाम डाक्टर ले आए थे, पर जब उन्हें लगा कि अब क्रिश्चियन ऐरिक्सन को अस्पताल ले जाना पड़ेगा, तो उन्होंने वही किया. तब तक क्रिश्चियन ऐरिक्सन बेहोश थे और मैडिकल इमर्जेंसी के चलते मैच को निलंबित कर दिया गया था.

काफी देर के बाद टूर्नामैंट के आयोजक यूईएफए ने जानकारी दी कि क्रिश्चियन ऐरिक्सन को होश आ गया है और उन की हालत फिलहाल ‘स्थिर’ है. यह खबर सुखद थी.

दोनों टीमों से बात कर के कुछ देर बाद मैच फिर से शुरू हुआ. पर तब तक शायद डैनमार्क के खिलाडि़यों की लय बिगड़ चुकी थी, जिस के चलते यह मैच फिनलैंड ने 1-0 से अपने नाम कर लिया.

मैच खत्म होने के बाद डैनमार्क की टीम के हैड कोच कैस्पर हेजुलमैन ने कहा, ‘‘यह टीम के लिए बेहद मुश्किल शाम थी, जब हम सभी को इस बात का अहसास हुआ कि जिंदगी में सब से अहम चीज रिश्ते हैं. हम ऐरिक्सन और उन के परिवार के साथ हैं.’’

यूईएफए के अध्यक्ष एलैक्जैंडर चैफरीन ने कहा, ‘‘इस तरह के वाकिए आप को एक बार फिर जिंदगी के बारे में सोचने का मौका देते हैं. इस तरह के वाकिए बताते हैं कि फुटबाल खेल के परिवार में कितनी एकता है. मैं ने सुना दोनों टीमों के फैंस ऐरिक्सन का नाम ले रहे थे. ऐरिक्सन बेहतरीन खिलाड़ी हैं और बेहतरीन फुटबाल खेलते हैं.

‘‘पर, मैं साथ में उन डाक्टरों की टीम की तारीफ भी करूंगा, जिस ने बिना देरी किए ऐरिक्सन को बचाने के लिए हर मुमकिन तरीका अपनाया और एक बेहतरीन खिलाड़ी को नई जिंदगी दी.’’

पर एक और टीम खेल क्रिकेट में हुई एक घटना ने क्रिकेट प्रेमियों को शर्मिंदा कर दिया. हुआ यों कि क्रिकेट की ढाका प्रीमियर लीग में शुक्रवार, 11 जून, 2021 को खेले गए एक ट्वैंटी20 मैच के दौरान बंगलादेशी खिलाड़ी शाकिब अल हसन अंपायर से भिड़ पड़े थे और गुस्से में स्टंप्स पर भी लात मारते हुए दिखाई दिए थे.

इस घटना के गवाह एक वीडियो  में दिखा कि शाकिब अल हसन ने  दूसरी टीम के बल्लेबाज मुशफिकुर रहीम के खिलाफ अपनी गेंदबाजी पर एलबीडब्ल्यू की अपील की और जब अंपायर ने नौटआउट करार दिया, तो उन्होंने पहले स्टंप्स पर लात मारी और फिर अंपायर से भी भिड़ गए.

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लेकिन बाद में शाकिब हल हसन को ही यह सब करना भारी पड़ गया. उन के खराब बरताव के लिए उन्हें ढाका प्रीमियर लीग में 4 मैचों के लिए बैन कर दिया गया और 4 लाख रुपए से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया गया.

हालांकि, शाकिब अल हसन ने अपने इस बरताव के लिए माफी मांगते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘प्रिय फैंस और फौलोवर, मैं अपना आपा खोने और इस तरह से सभी से मैच को बरबाद करने के लिए माफी मांगता हूं, खासतौर पर उन लोगों से जो घर पर बैठ कर यह मुकाबला देख रहे थे.

‘मेरे जैसे एक अनुभवी खिलाड़ी को इस तरह का बरताव नहीं करना चाहिए, लेकिन कभीकभी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से ऐसा हो जाता है. मैं टीमों से, मैनेजमैंट से, टूर्नामैंट के औफिशिल्स से और टूर्नामैंट के आयोजकों से इस भूल के लिए माफी मांगता हूं. उम्मीद है कि भविष्य में मैं इस तरह का बरताव फिर कभी नहीं करूंगा. धन्यवाद और सभी को प्यार.’

माना कि खेल के मैदान पर हारजीत के तनाव में खिलाड़ी आपा खो देते हैं, पर शाकिब अल हसन का गुस्सा होना और वह भी इस हद तक कि पहले विकेट पर लात दे मारी और फिर अंपायर पर ही चढ़ गए, कहीं से जायज नहीं था. उन का बाद में माफी मांगना यह साबित करता है कि उन की हरकत स्कूली क्रिकेट के किसी खिलाड़ी की तरह बचकानी थी, जो विकेट न मिलने पर ऐसा बरताव करे.

फुटबाल और क्रिकेट जैसे टीम खेल में अपने साथियों के साथसाथ विरोधी टीम के खिलाडि़यों और मैदान पर मौजूद अंपायर या रैफरी के साथ अच्छा बरताव करना बहुत जरूरी होता है.

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आपा खोया नहीं कि लेने के देने पड़ जाते हैं. अगर क्रिश्चियन ऐरिक्सन वाले मामले में डाक्टरों की टीम भी अपना आपा खो देती तो शायद वह एक उम्दा खिलाड़ी की जान नहीं बचा पाती, जो खेल जगत के लिए कभी न भर पाने वाला नुकसान होता.

इंग्लैंड के इस गेंदबाज ने 5253 गेंदों के बाद फेंकी पहली नो बौल, उसमें भी मिला विकेट

क्रिकेट में हर दिन कोई न कोई रिकौर्ड दर्ज होता है लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि किसी गेंदबाज का पूरा करियर बिना नो बौल फेंके ही बीत जाए. हालांकि ये रिकौर्ड दर्ज होते-होते रह गया लेकिन ये भी कम नहीं था कि किसी गेंदबाज ने पांच हजार से ज्यादा गेंदे फेंकी हों और उनमें से एक भी नो बौल न गई हो. इंग्लैंड के क्रिस वोक्स (Chris Woakes) ने करियर की 5253 गेंदें फेंक दी लेकिन एक भी नो बौल नहीं डाली.

औस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई एशेज सीरीज में वोक्स का नो बौल ना फेंकने का सिलसिला टूट गया. उन्होंने सीरीज के पांचवें मैच में टेस्ट करियर की पहली नो बौल फेंकी. उस पर विकेट भी लगभग मिल ही गया था लेकिन कुछ ऐसा हुआ, कि बल्लेबाज आउट नहीं हुआ. इसकी वजह भी ऐसी थी, जिसे वोक्स शायद ही भूल पाएं.

इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के बीच खेली गई एशेज सीरीज से ड्रौ रही. दोनों टीमों ने 2-2 मैच जीते. सीरीज का एक मैच बेनतीजा रहा. सीरीज के पांचवें मैच के चौथे दिन इंग्लैंड (England) के मीडियम पेस गेंदबाज क्रिस वोक्स ने अपने टेस्ट करियर की पहली नो बौल फेंकी. वैसे यह उनके टेस्ट करियर की 5254वीं गेंद थी. उन्होंने अपने करियर की शुरुआती 5253 गेंदों में एक बार भी नो बौल नहीं की थी.

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यह औस्ट्रेलिया की पारी के 31वें ओवर की दूसरी गेंद थी. क्रिस वोक्स के सामने मिचेल मार्श (Mitchell Marsh) थे. वे अच्छी बैटिंग कर रहे थे. मिचेल मार्श ने इस ओवर की दूसरी गेंद को खेलना चाहा, लेकिन वे थर्ड स्लिप में कैच दे बैठे. क्रिस वोक्स विकेट मिलने की खुशी में उछल पड़े. मार्श भी पैवेलियन की ओर बढ़ गए. तभी फील्ड अंपायर ने मार्श को रोक लिया.

फील्ड अंपायर को शक था कि क्रिस वोक्स का पैर क्रीज से आगे निकला है. ओवर स्टेपिंग के कारण यह नो बौल हो सकती है. फील्ड अंपायर ने इस बारे में थर्ड अंपायर से पूछा. थर्ड अंपायर ने इसे नो बौल करार दिया. वोक्स का पैर वाकई में क्रीज से आगे निकल गया था. इस तरह मिचेल मार्श को नौट आउट करार दिया गया.

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क्रिस वोक्स का यह 31वां टेस्ट मैच था. उन्होंने इस मैच से पहले 87 विकेट लिए थे. वोक्स ने औस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों पारियों में कुल मिलाकर 17 ओवर की गेंदबाजी की और एक विकेट लिया. उन्हें दूसरा विकेट मिलते-मिलते रह गया. इस तरह 30 साल के क्रिस वोक्स ने अपने 31वें टेस्ट मैच में पहली नो बौल फेंकी. उन्होंने 31 टेस्ट मैच में 88 विकेट लिए हैं और 27.92 की औसत से 1145 रन भी बनाए हैं. इसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं. औलराउंडर वोक्स ने 99 वनडे और आठ टी20 मैच भी खेले हैं.

टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का हुआ ऐलान, रोहित शर्मा IN, केएल राहुल OUT

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) मुख्य चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम की घोषणा कर दी है. टीम में दो मुख्य बदलाव किए गए हैं. ओपनर लोकेश राहुल को बाहर कर दिया गया है जबकि रोहित शर्मा की वापसी हुई है. युवा खिलाड़ी शुभमन गिल को टीम में शामिल किया है.

चयनकर्ताओं ने विकेटकीपर के तौर पर ऋषभ पंत और ऋद्धिमान साहा दोनों के नाम हैं. स्पिन डिपार्टमेंट में आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव हैं. जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा के अलावा मोहम्मद शमी के जिम्मे तेज आक्रमण रहेगा. वेस्टइंडीज दौरे से बाहर रहे अश्विन को टीम में बुला लिया गया है. अश्विन को टीम में शामिल न किए जाने के बाद चयनकर्ताओं के ऊपर सवाल उठाए गए थे. इस मामले पर टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री को बयान देना पड़ा था. हालांकि अश्विन की जगह पर हनुमा विहारी को टीम में शामिल किया गया था जिस खिलाड़ी ने अपनी प्रतिभा से सबका मुंह बंद कर दिया था.

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टीम इंडिया की ओर से बल्लेबाज का आगाज रोहित शर्मा करेंगे. दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल होंगे. उधर, हनुमा विहारी मध्यक्रम में (छठे नंबर पर) में बने रहेंगे. रोहित शर्मा ने आखिरी बार मेलबर्न टेस्ट (26-30 दिसंबर 2018) में नंबर-6 पर बल्लेबाजी करते हुए 63 और पांच रनों की नाबाद पारी खेली थी, लेकिन इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के चौथे और आखिरी टेस्ट के अलावा बाद में वेस्टइंडीज सीरीज के लिए भी नहीं चुने गए.

रोहित शर्मा ने अब तक 27 टेस्ट मैचों के करियर में कभी टेस्ट में ओपनिंग नहीं की है. उन्होंने नंबर-3 पर चार मैच खेले हैं और 21.40 की औसत से 107 रन बनाए. उनके तीनों टेस्ट शतक नंबर-6 पर आए हैं. दूसरी तरफ कैरेबियाई सीरीज में सबसे अधिक रन (289) बनाने वाले हनुमा विहारी पर टीम की निगाहें होगीं.

टीम के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का कहना है कि हम रोहित शर्मा को टेस्ट में ओपनिंग का मौका देना चाहते हैं. ऐसा पहली बार होगा जब रोहित शर्मा टीम की ओपनिंग करेंगे. रोहित शर्मा का वनडे का रिकॉर्ड शानदार है. वो इस मौके को भुनाना चाहेंगे. रोहित शर्मा की भी दिली ख्वाइश रही है कि वो सफेद जर्सी में देश के लिए खेल पाएं. अब उनकी मुराद पूरी होती दिख रही है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. रोहित शर्मा ने 27 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 1585 रन भी बनाए हैं. रोहित शर्मा ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डेंस मैदान पर 6 नवंबर 2013 को टेस्ट मैच में डेब्यू किया था.

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विराट कोहली (कप्तान), मयंक अग्रवाल, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे (उपकप्तान), हनुमा विहारी, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), ऋद्धिमान साहा (विकेटकीपर), आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह , ईशांत शर्मा, शुभमन गिल.

टी-20 सीरीज के बाद भारत और साउथ अफ्रीका की टीमें विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खेलेंगी. टेस्ट सीरीज का पहला मैच दो अक्टूबर से विशाखापत्तनम में, दूसरा 10 अक्टूबर से पुणे में और तीसरा 19 अक्टूबर से रांची में खेला जाएगा.

बियांका पैदा भी नहीं हुई थीं जब सेरेना ने जीता था पहला यूएस ओपन

साल का चौथा और आखिरी ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन का शानदार समापन हुआ. पुरुष वर्ग में ये खिलाब स्पेनिश खिलाड़ी राफेल नडाल के पास गया तो महिला एकल वर्ग में बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू के पास. बियांका ने इतिहास रच दिया और जिसको हराया वो कोई और नहीं बल्कि 23 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता टेनिस की महान खिलाड़ी सेरेना विलियम्स. विलियम्स मां बनने के बाद पहली बार टेनिस कोर्ट में उतरी थीं. अमेरिका की खिलाड़ी के साथ पूरा क्राउड था. हजारों लोगों की भीड़ सेरेना को 24वां ग्रैंड स्लैम जीतते हुए देखना चाहती थी. भीड़ हर बार से कुछ ज्यादा थी. साफ था कि मां बनने के बाद पहली बार सेरेना विलियम्स के हाथों में ग्रैंड स्लैम की ट्राफी लोग देखना चाहते थे लेकिन हजारों लोगों की उम्मीद तोड़ कर एक नया इतिहास कायम किया कनाडा की महज 19 साल की खिलाड़ी बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू ने.

19 साल की बियांका एंड्रेस्‍क्‍यू ग्रैंडस्‍लैम जीतने वाली पहली कनाडाई हैं. उन्‍होंने अमेरिका की सेरेना विलियम्‍स को सीधे सेटों में 6-3,7-5 से हराया. इस जीत के साथ ही बियांका ग्रैंडस्‍लैम जीतने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की विजेता बन गई हैं. उनसे पहले 2006 में रूस की मारिया शारापोवा ने यह रिकॉर्ड बनाया था. बियांका ने काफी तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ी हैं. पिछले साल इन्‍हीं दिनों में वह रैंकिंग में टॉप 200 के बाहर थीं. लेकिन इन 12 महीनों में वह 15वीं रैंक पर पहुंच चुकी हैं.

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बियांका के लिए आसान नहीं था. सेरेना कोर्ट में बहुत चालाकी से गेम प्ले करती हैं. लेकिन बियांका ने फुर्ती और आक्रामता के साथ गेम खेला. बियांका ने बिग हिटिंग, बिग सर्विंग शैली का आक्रामक खेल दिखाते हुए सेरेना को सीधे सेटों में 6-3, 7-5 से हरा दिया. जीत की खुशी के साथ इस खिलाड़ी ने जता दिया कि दिल बड़ा कैसे किया जाता है. इस खिलाड़ी ने तुरंत सेरेना का अभिवादन किया. क्योंकि वो जानती थी कि जिस खिलाड़ी को उसने हराया उसको इस खेल का मास्टर कहा जाता है.

पिछले साल बियांका यूएस ओपन के लिए क्‍वालिफाई भी नहीं कर पाई थीं. पिछले 2 साल से वह यूएस ओपन के क्‍वालिफाइंग में पहले राउंड में ही हार रही थीं. 2019 की शुरुआत बियांका ने जबरदस्‍त तरीके से ही और बीएनपी परिबास ओपन जीता. लेकिन फिर एक चोट की वजह से पूरे क्‍ले कोर्ट और ग्रास कोर्ट के सीजन से बाहर रहीं. लेकिन वापसी करते ही जीत की राह पर चल पड़ीं. इस साल टॉप 10 खिलाड़ियों के खिलाफ बियांका का रिकॉर्ड 8-0 का है.

बियांका के माता-पिता रोमानिया के रहने वाले हैं. लेकिन दोनों कनाडा शिफ्ट हो गए और यहां की नागरिकता ले ली. उस समय बियांका की उम्र 11 साल थी. दिलचस्‍प बात है कि विबंलडन का खिताब जीतने वाली सिमोना हालेप भी रोमानिया से हैं.

इन सब में सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि सेरेना विलियम्‍स ने जब पहली बार 1999 में यूएस ओपन जीता था उस समय बियांका पैदा भी नहीं हुई थीं. सेरेना के नाम 6 यूएस ओपन खिताब है. वहीं बियांका ने पहली ही बार इस टूर्नामेंट में जगह बनाई थी और जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं. उन्‍होंने मोनिका सेलेस की बराबरी की है, जिन्‍होंने अपने चौथे ही ग्रैंडस्‍लैम में ही खिताब जीत लिया था.

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यूएस ओपन के फाइनल में दर्शक सेरेना का समर्थन कर रहे थे. सेरेना ने जब भी कोई पॉइंट जीता तो जोरदार शोर हुआ. एक समय तो ऐसा भी आया जब तेज शोर और सेरेना के समर्थन में हो रही नारेबाजी के चलते बियांका ने अपने कानों पर हाथ रख लिए. मैच जीतने के बाद प्रेजेंटर से बातचीत में उन्‍होंने सेरेना की हार के लिए दर्शकों से माफी मांगी. बियांका ने कहा, ‘मैं काफी दुखी हूं. मुझे पता है कि आप लोग सेरेना को जिताना चाहते थे.

जब से बियांका ने ये खिताब अपने नाम किया तब से सोशल मीडिया में वो छा गई हैं. उनका प्रोफाइल तलाशने के बाद पता चलता है कि वो फैशन और मौडलिंग की भी शौकीन हैं. बियांका की कई ग्लैमरस पिक्चर्स सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. लोग उनकी तुलना भारत की टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा ने कर रहे हैं. सानिया जब कोर्ट पर पहली बार उतरी थीं तो उनकी खूबसूरती के चर्चे खूब हुए थे.

टीम की चिंता या फिर तेंदुलकर जैसी विदाई की चाहत रखते हैं धोनी

लंबे बालों के साथ जब वो पहली बार क्रीज पर आया तो सभी ने उस खिलाड़ी की हेयर स्टाइल की तारीफ की लेकिन उसके बाद केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ही उनकी मुरीद हो गई. शायद आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी की. वो धोनी जितने भारत को क्रिकेट विश्व कप भी जिताया, टी-20 विश्व कप भी जिताया, एशिया कप भी जिताया और चैंपियन ट्रॉफी भी हम जीतकर आए. लेकिन समय के साथ सबके खेल में बदलाव आता है. ये हमने पहले भी कई खिलाड़ियों के साथ देखा है. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी आखिरी समय स्ट्रगल कर रहे थे. उनके भी संन्यास की बातें उठने लगीं थीं. लेकिन उस खिलाड़ी के जैसे हर किसी के नसीब पर वैसी विदाई नसीब नहीं होती.

विश्व कप 2019 में लोगों ने अनुमान लगाया था कि लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर टीम इंडिया विश्व कप उठाएगी और एम एस धोनी की विदाई भी उसी तरह होगी जैसे 2011 में मुंबई के वानखेड़े मैदान पर सचिन तेंदुलकर की हुई थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. भारत की आकांक्षाओं को न्यूजीलैंड से मुकम्मल नहीं होने दिया और भारत को सेमीफाइनल में ही हार कर टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. विश्व कप के दौरान पूरी टीम अस्त-व्यस्त दिखी. धोनी को लेकर सवाल उठते रहे. कहा जाने लगा कि धोनी को अब मैनेजमेंट ढो रहा है, सच यो ये था कि धोनी को टीम में जगह उनके खेल को लेकर नहीं था बल्कि मैदान में उनके अनुभवों को लेकर था. इंग्लैंड के साथ मैच हारने के बाद भी धोनी के ऊपर सवाल उठे. सवाल तभी भी उठे जब न्यूजीलैंड के खिलाफ धोनी का रन बनाने के औसत 50 से भी कम का होने लगा. ऐसा लगने लगा था कि हेलीकॉप्टर शॉट्स खेलने वाला ये बल्लेबाज आज एक-एक रन में स्ट्रगल कर रहा है. धोनी क्रीज पर जम तो जाते थे लेकिन वो बड़े शॉट्स नहीं खेल पा रहे थे. सेमीफाइऩल में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में रवींद्र जडेजा की पारी जब तक चल रही थी जब तक धोनी की बल्लेबाजी पर कोई ज्यादा गौर नहीं कर रहा था लेकिन उसके बाद धोनी का खेल वाकई जीत वाला नहीं था.

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धोनी को संन्यास लेना चाहिए या नहीं ये उऩका निजी फैसला है लेकिन टीम मैनेंजमेंट को ये सोचना चाहिए कि धोनी से रिटायरमेंट की बात करें और उनसे पूछें कि उनका क्या प्लान है. भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भी खुलासा किया था कि चयनकर्ताओं ने उनसे कोई भी बात नहीं कि और सीधे टीम से निकाल दिया गया. ऐसा ही गौतम गंभीर के साथ भी हुआ.

भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर है जहां पर टीम दो टेस्ट, दो टी20 और तीन वनडे खेलने है. दौरा पूरा भी हो गया है. केवल एक टेस्ट मैच खेला जा रहा है. यहां पर भी धोनी का चयन नहीं किया गया. बाद में चयनकर्ताओं की तरफ से ये कहा गया कि धोनी ने इस दौरे के लिए अपने आपको अनुप्लब्ध बताया था. लेकिन सच्चाई यही है कि धोनी को टीम मे जगह ही नहीं दी गई थी. धोनी पैरा-कमांडो की ट्रेनिंग के लिए कश्मीर चले गए. वहां वो आर्मी के साथ ट्रेनिंग करते रहे और सोशल मीडिया में कई वीडियो उनके आते रहे जिसमें वो वॉलीबॉल खेलते दिखे कहीं पर वो एक्सरसाइज करते दिखे.

वेस्टइंडीज दौरे के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का चयन दक्षित अफ्रीका के खिलाफ होने वाले टी-20 के लिए किया गया. उसमे भी धोनी का चयन नहीं किया गया. यहां भी चयनकर्ताओं का वहीं घिसा पिटा बयान आया कि धोनी उपलब्ध नहीं है. जबकि यहां भी सच्चाई छिपाई गई. अब धोनी को लेकर कहा जा रहा है कि उनको टीम की चिंता है इसलिए वो संन्यास नहीं ले रहे. मतलब कि धोनी को लगता है कि अभी तक उनके जगह पर कोई परफेक्ट खिलाड़ी नहीं आया इसलिए वो संन्यास नहीं आया. लेकिन धोनी को और टीम दोनों को एक दूसरे के बगैर रहने की आदत डालती होगी. इस बात में कोई शक नहीं है कि धोनी महान खिलाड़ी है लेकिन मुझे याद सुनील गावस्कर की एक बात याद आती है उन्होंने कहा था कि आपको तब संन्यास ले लेना चाहिए जब लोग ये कहने लगें कि ये संन्यास कब लेगा. मसलन की धोनी को अब खुद संन्यास की घोषणा कर देनी चाहिए.

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धोनी के मन में क्या है ये तो महज धोनी ही जानते हैं लेकिन मेरे अनुसार धोनी टी-20 विश्व कप के बाद संन्यास की घोषणा जरुर करेंगे. धोनी हमेशा से चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. जब उन्होंने कप्तानी छोड़ी थी तभी भी चौंका दिया था उसके बाद क्रिकेट के मैदान पर भी उनके कई निर्णय चौंकाने वाले होते हैं. फिलहाल वक्त यही कह रहा है कि धोनी को संन्यास ने लेना चाहिए.

VIDEO: 38 साल के हुए धोनी, टीम ने यूं मनाया जश्न

7 जुलाई, 1981 को जन्मे भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी 38 साल के हो गए हैं. पूरे देश में धोनी के फैंस ने धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया और पार्टी की. खुद धोनी ने पत्नी साक्षी, बेटी जीवा और अपनी पूरी टीम के साथ जन्मदिन का केक काटा और जमकर सेलिब्रेशन किया. इस सेलिब्रेशन की फोटोज और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. जिनमें धोनी मस्ती के मूड में नजर आ रहे हैं. धोनी इन दिनों वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड में हैं.

विराट ने कहा- बड़े भाई की तरह….

विराट कोहली ने भी धोनी को जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि आप टीम में बड़े भाई की तरह हैं. खबर है 2019 का वर्ल्ड कप धोनी का आखिरी वर्ल्ड कप होगा क्योंकि इसके बाद वो क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे. ज्ञात हो कि धोनी पर फिल्म भी बन चुकी है जिसमें उनकी पूरी कहानी को दिखाया गया था. धोनी भारतीय टीम के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं और इनकी निजी जिंदगी भी काफी रोमांचक भरी है ये बात तो फिल्म ‘एमएस धोनी- ए अनटोल्ड स्टोरी’ से सबको पता ही चल गई होगी.

 

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You just have to say something says cutie #zivadhoni ❤❤❤❤

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धोनी का विनिंग छक्का…

याद होगा जब 2011 में वर्ल्ड कप में धोनी ने लास्ट में छक्का मारकर इंडिया को जिताया था. उस वक्त टीम इंडिया में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा जैसे क्रिकेटर टीम में थे और महेंद्र सिंह धोनी इस टीम की कप्तानी कर रहें थे. वे दिन कोई नहीं भूल सकता जब इंडिया विश्वकप जीती थी.

कैप्टन कूल…

कैप्टन कूल के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी जब फील्ड पर उतरते थे तो लोग कहते थें धोनी धो डाल और आज भी उनका खेलने का अंदाज बेहद अलग है. टीम इंडिया को धोनी के रूप में बहुत ही मजबूत और दमदार खिलाड़ी मिला है, जो फील्ड पर उतरते ही चौके छक्के की लड़ी लगा देता था. धोनी को पद्मभूषण से सम्मानित भी किया गया है. भारतीय क्रिकेट का इतिहास धोनी द्वारा रचा गया है.

2011 में जब इंडिया ने विश्वकप जीता था तो सचिन तेंदुलकर ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था की महेंद्र सिंह धोनी एक दमदार कप्तान है, जिनके अंडर में मैंने खेला है. मैंने ऐसी कप्तानी अपने 22 साल के करियर में नहीं देखी. अब तक धोनी 90 टेस्ट, 348 वन-डे और 98 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनकी बल्लेबाजी भले ही आज उतना कमाल न दिखाती हो लेकिन उनका अब तक का रिकौर्ड काफी अच्छा रहा है.

 

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Happy Bday ❤️

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फिल्मी है लव स्टोरी…

अगर उनके निजी जिंदगी की बात की जाए तो उनकी शादी की कहानी भी काफी दिल्चस्प रही है. महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म ‘एमएस धोनी-ए अनटोल्ड स्टोरी’ में धोनी और साक्षी की पहली मुलाकात एक फाइव स्टार होटल में होना दिखाया गया है. लेकिन ये सच नहीं है. महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी एक दूसरे को बचपन से जानते थे. दोनों की मुलाकात हुई, दोस्ती हुई और फिर शादी हो गई. आज उनकी एक बेटी है. मार्च 2008 में दोंनों ने एक दूसरे को डेट करना शुरू किया था. इसके बाद साक्षी टीम इंडिया के कप्तान के जन्मदिन में भी शामिल हुईं. रिलेशन में आने के बाद भी किसी को नहीं पता चला था कि दोनों रिलेशन में हैं लेकिन एक दिन तो सच सबको पता चलना ही था. कुछ ऐसी ही बहुत सी बातें है धोनी के बारे में जिनको जान कर आपको हैरानी होगी.

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