सैक्स बुक
- सवाल : क्या खिलाने से लड़कियां सैक्स करने को तैयार हो जाती हैं?
- जवाब : आंवला खिलाने से.
- सवाल : अंग पर क्या लगा कर सैक्स में ज्यादा देर तक टिका रहा जा सकता है?
- जवाब : नीबू व शहद लगाने से.
- सवाल : योनि पर थप्पड़ मारने से क्या होता है?
- जवाब : लड़की जल्दी डिस्चार्ज नहीं होती है.
येऔर ऐसे सैकड़ों बेमतलब के और बेहूदा सवाल फेसबुक पर पूछे जाते हैं, जिन का हकीकत और विज्ञान से दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं होता है. सैक्स के नाम पर कचरा परोसती बातें फेसबुक पर इफरात से मौजूद हैं. इन्हें पढ़ और देख कर सिर पीट लेने का मन करने लगता है.
एक अंदाजे के मुताबिक, देशभर में तकरीबन 35 करोड़ लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं और अब ज्यादातर लोग सैक्स के छोटेछोटे वीडियो देखने के लिए लौगइन करते हैं. इस के अलावा फेसबुक पर पोर्न फिल्मों की भी भरमार है, जो ज्यादा हर्ज की बात नहीं है, लेकिन बीते कुछ समय से सैक्स के सवालजवाब वाले वीडियो लोग ज्यादा देख रहे हैं.
ये वीडियो मशहूर टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तर्ज पर होते हैं, जिन में एक सवाल पूछ कर 5 सैकंड यूजर को दिए जाते हैं. यूजर बड़ी दिलचस्पी से अपने अंदाजे के बाद जवाब सुनता है तो हैरान रह जाता है कि ऐसा कैसे हो सकता है. यह तो सरासर बेवकूफी वाली बात है.
मिसाल के तौर पर, योनि पर थप्पड़ मारने वाले जैसे सवाल ही अपनेआप में हिंसक होते हैं. जवाब बनाने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि लड़की का प्राइवेट पार्ट बहुत नाजुक होता है, जिस पर थप्पड़ मारने से उसे कितनी तकलीफ होगी. यह तो वह लड़की ही बता सकती है, जिस के प्राइवेट पार्ट पर थप्पड़ मारा जाए.
हैरानी नहीं होनी चाहिए कि दर्द से तिलमिलाती और बिलबिलाती लड़की गुस्से में लड़के के प्राइवेट पार्ट पर लात मार दे. फिर न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी वाली कहावत की तर्ज पर न हमबिस्तरी होगी, न दोनों में से कोई डिस्चार्ज होगा.
हां, मुमकिन यह है कि दोनों में से कोई एक या दोनों ही पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाते या डाक्टर के यहां इलाज कराते दिखें.
अब अगर कोई लड़का अपने अंग पर नीबूशहद लगाएगा, तो दर्द और जलन से आधा हो जाएगा, क्योंकि लड़कों का प्राइवेट पार्ट भी लड़कियों के प्राइवेट पार्ट से कम नाजुक नहीं होता.
एक और सवाल के जवाब में बताया जा रहा है कि शराब पीने से वीर्य जल्दी नहीं गिरता है, जबकि हकीकत में शराब पिया हुआ आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है और उस ने अगर ज्यादा चढ़ा रखी हो तो बिस्तर पर ही डिस्चार्ज हो जाता है, क्योंकि नशे में धुत्त रहने के चलते उसे कुछ सूझता ही नहीं.
होश वाले जरूर एक सवाल के जवाब के मुताबिक अंग पर तिल का तेल लगा कर सैक्स करें, तो वीर्य उन की मरजी से गिरने की गारंटी रहती है. अब कौन किस के सामने जा कर दुखड़ा रोए कि तिल और सांडे के तेल से भी चौथी ड्राइव में फुस हो गए थे. वीर्य ने मरजी की परवाह ही नहीं की, जिस से भद्द पिट गई पार्टनर के सामने.
तो फिर क्यों देखते हैं लोग
यह ठीक वैसी ही बात है, जैसी यह कि लोग सैक्स क्यों करते हैं? दरअसल, हमारे देश और समाज में सैक्स की चर्चा को यों बुरा समझा जाता है मानो यह कोई पाप हो, जबकि हर कोई जानता है कि सैक्स भोजन के बाद जिंदगी की दूसरी बड़ी जरूरत है.
एक उम्र के बाद लड़केलड़कियां कुदरती तौर पर इस के बारे में जानने को मजबूर और बेचैन हो जाते हैं और जहां से उन्हें जानकारी मिलती है, वे उस पर टूट पड़ते हैं.
इंटरनैट के इस दौर में लोग खासतौर से कम उम्र के लड़के व लड़कियां अगर इसी के लिए फेसबुक भी खोलने लगे हैं, तो इस में हैरत की कोई बात नहीं है. जब वीडियो नहीं होते थे, तो नौजवान चोरीछिपे सैक्स से जुड़ी पत्रिकाएं और किताबें खरीद कर पढ़ते थे.
कहीं पकड़े न जाएं, इस का जरा सा भी खटका होता था, तो किताब या मैगजीन तोड़मरोड़ कर पाजामे या बिस्तर में छिपाना पड़ता था, लेकिन अब स्मार्टफोन पर ऐसा कोई खतरा नहीं है. जरा सी भी आहट हो तो बैक हुआ जा सकता है.
उस दौर में लड़के अपने दोस्तों से और लड़कियां अपनी भाभी, मामी, मौसी या शादीशुदा सहेलियों से सैक्स से जुड़ी जानकारियां शेयर करती थीं, पर अब ये सिलसिले और रिश्ते गांवदेहात तक में इंटरनैट ने छीन लिए हैं.
पर अफसोस की बात आज भी यह है कि इन ख्वाहिशमंदों को आज भी सटीक और सही जानकारी कहीं से नहीं मिल रही है. सोशल मीडिया, जो जानकारी पाने का सब का एकलौता सहारा हो चला है, के तमाम प्लेटफार्म उन्हें पोर्न वीडियो तो दिखा रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि सैक्स कोई हौआ नहीं है और न ही हमबिस्तरी में ज्यादा पहलवानी दिखाना कोई मर्दानगी की बात है.
अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी और सही जानकारी देने वाली किताबें और पत्रिकाएं पढ़ेंगे, तो कभी परेशान या चिंतित नहीं होंगे, फिर तनाव होना तो दूर की बात है, क्योंकि ये किताबें और पत्रिकाएं समाज के जिम्मेदार लोग छापते और बेचते हैं, जो किसी भी कीमत पर लोगों को गुमराह नहीं कर सकते.
इन की पहचान बहुत आसान है कि ये नामी बुक स्टोर्स पर मिलती हैं और रैगुलर मिलती हैं. मुनाफा कमाना इन का एकलौता मकसद नहीं होता है.
भोपाल के न्यू मार्केट इलाके में छोटी सी गुमटी लगाने वाले दुर्ग से आए नौजवान विकास का कहना है कि वह फेसबुक वगैरह पर जब भी सैक्स संबंधित जानकारियां ढूंढ़ने की कोशिश करता है, तो ऐसे पेज या वीडियो तुरंत सामने आ जाते हैं और वह इन्हीं में भटक कर रह जाता है. बहुत कम पेज या वीडियो ऐसे मिलते हैं, जो उस के सवालों के ठीकठीक जवाब दे पाएं.
परेशानी में डालती गलत जानकारियां
विकास को नहीं पता कि मर्द के अंग की औसत लंबाई कितनी होती है या कितनी होनी चाहिए. इस बाबत जब उस ने फेसबुक खंगाला, तो ऐसे विज्ञापनों की भरमार थी, जो अंग के मजबूत, बड़े और कड़े होने का दावा कर रहे थे.
विकास ने रात को बाथरूम में अपना अंग नाप कर देखा तो वह 5 इंच से कुछ कम निकला, जिसे ले कर वह टैंशन में आ गया और उसे अपना अंग औरों से छोटा लगने लगा, जबकि उस ने किसी और का अंग कभी नाप कर नहीं देखा था. 2 दिन बाद ही उस ने एक मालिश वाला तेल और्डर कर दिया.
महीनेभर बाद विकास ने फिर अंग नापा, तो वह पिछली बार जितना ही निकला, जिस से
उसे समझ आया कि वह उल्लू बन गया है और चायसमोसे बेच कर वह जो लगभग 1,000-500 रुपए के बीच कमाता था, उन में से एक दिन की कमाई इस तेल की बलि चढ़ गई है.
फिर भी विकास कहता है कि रोजाना की मालिश से यह फायदा तो हुआ कि अंग जल्दी जोश में आ जाता है और थोड़ा साफ व गोरा भी दिखने लगा है.
बात केवल ऐसी एक सवाल की नहीं, बल्कि जिज्ञासाओं से भरे सैकड़ों सवालों की है, जिन के जवाब करोड़ों विकासों को चाहिए.
सैक्स और हमबिस्तरी से ताल्लुक सही जानकारियां न मिलना उतनी परेशानी की बात नहीं है जितनी यह है, कि गलत जानकारियों को लोग सही समझ कर अमल में लाने लगते हैं.
इश्तिहारों के लिए है कचरा
सैक्स के प्रोडक्ट बेचने वाले अब औनलाइन सक्रिय हो कर धंधा कर रहे हैं. इस चक्कर में कई बार सही इश्तिहार गलत और गलत इश्तिहार सही समझ लिए जाते हैं.
मिसाल फेसबुक की ही लें, तो जान कर हैरानी होती है कि इश्तिहारों से उस की आमदनी प्रति घंटा 100 करोड़ रुपए है और उस की इश्तिहार पौलिसी में सबकुछ जायज है.
पोर्न फिल्मों और सवालजवाब वाले सैक्सी वीडियो के बीच सब से ज्यादा इश्तिहार दिखाए जाते हैं और अकसर उसी समय दिखाए जाते हैं, जब वीडियो या तो क्लाइमैक्स पर होता है या उस में यह इशारा कर दिया जाता है कि इश्तिहार के बाद वाले सीन में वह सब दिखाया जाने वाला है, जिस के लिए आप ने वीडियो देखना शुरू किया है. तो यूजर इश्तिहार भी देख लेता है, जिस से आमदनी फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों की बढ़ती है.
ये इश्तिहार ज्यादा बड़े भी नहीं होते, इसलिए भी यूजर इन्हें नहीं हटाता. ज्यादातर इश्तिहारों में लड़की का सवाल पूछना भी लोगों को भाता है, जो नाजुक अंगों और हमबिस्तरी के लिए बेहिचक चालू शब्दों का इस्तेमाल करती है.
नतीजतन, धीरेधीरे लोग इन इश्तिहारों पर भरोसा करने लगते हैं और प्रोडक्ट कभी न कभी और्डर कर ही देते हैं. अब इन में से कितने इश्तिहार असरदार हैं और कितने बेकार हैं, इस का कोई पैमाना किसी के पास नहीं है, क्योंकि सारे प्रोडक्ट औनलाइन ही मंगाए जाने का इंतजाम रहता है, इसलिए ठगे गए या लुटेपिटे लोग किसी से शिकायत भी नहीं कर पाते हैं, जिस से बेचने वाला और फेसबुक अपनी तिजोरी भरते खुश होते रहते हैं और सैक्स के नाम पर नएनए प्रयोग करते रहते हैं, जिस से उन का फेस खिला रहे.
भोपाल के एक नामी वकील का कहना है कि लोग कोई दूसरा घटिया प्रोडक्ट मिलने पर तो उपभोक्ता फोरम में दावा ठोंक देते हैं, जिन में सैक्स प्रोडक्ट का एक भी दावा नहीं होता, क्योंकि इस से उन की पहचान और बात उजागर होगी और उन की ही जगहंसाई होगी.
एक 50 पैसे के आंवले में अगर लड़की पट कर हमबिस्तारी करने के लिए तैयार नहीं होती है, तो लोग कहां जा कर शिकायत करेंगे. ऐसे टोनेटोटकों से लोगों को खुद ही आगाह रहना पड़ेगा.
इस से तो बेहतर है कि लोग सैक्स संबंधी जानकारियां वहीं से लें, जहां से दूसरी जानकारियां भी सच्ची वाली मिलती हों और जो सिर्फ तगड़े मुनाफे के लिए सैक्स और उस से जुड़े प्रोडक्ट का ही कारोबार न करते हों.