निशा के साथ मनोहर का मेलजोल बढ़ता रहा. वह भी फिल्म नगरी के इस अंधकार से ऊब चुकी थी. वह भी यहां से कहीं दूर जाना चाहती थी, पर अकेली कहां जाए? हर जगह इनसान के रूप में ऐसे भेडि़ए मौजूद हैं जो उस जैसी अकेली को नोचनोच कर खा जाना चाहते हैं.
मनोहर व निशा को एकदूसरे के सहारे की जरूरत थी. सो, उन्होंने शादी कर ली.
कुछ दिनों बाद वे दोनों मुंबई से हजारों किलोमीटर दूर इस शहर में आ गए थे.
यहां आ कर अपने पैर जमाने के लिए मनोहर को बहुत मेहनत करनी पड़ी थी.
15 साल बीत गए. इस बीच निशा ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसे मधुरिमा कहा जाने लगा. मधुरिमा अब 10वीं में और कमल बीए फाइनल में पढ़ रहा था.
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जनकपुरी में रिकशा रुका तो मनोहर यादों से बाहर निकला. रिकशे वाले को पैसे दे कर वह भारी मन से घर पहुंचा. एक कमरे में सोफे पर जा कर वह पसर गया. उस ने आंखें बंद कर लीं. बारबार आंखों के सामने वही सीन आ रहा था, जब नीलू सीढि़यों से लुढ़क कर गिरती है.
मनोहर के पास आ कर निशा सोफे पर बैठते हुए बोली, ‘‘देख आए वह सीन. सचमुच देखा नहीं जाता. बहुत दुख होता है. उस समय नीलू को कितना दर्द सहना पड़ा होगा.’’
मनोहर कुछ नहीं बोला.
‘‘मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं,’’ कह कर निशा रसोईघर की ओर चल दी.
मनोहर की नजर दीवार पर लगी नीलू की तसवीर पर चली गई. वह एकटक उस की ओर ही देखता रहा.
निशा ने चाय मेज पर रखते हुए कहा, ‘‘चाय पी लीजिए. मन ज्यादा दुखी करने से कुछ नहीं होगा.’’
मनोहर ने चाय पीते हुए पूछा, ‘‘कमल अभी तक नहीं आया? कहां रह गया वह? उस का कोई फोन आया या नहीं?’’
‘‘हां, एक घंटा पहले आया था कि अभी पहुंच रहा हूं.’’
‘‘फिल्म की शूटिंग देखने वह लखनपुर गया है?’’
‘‘हां, मैं ने तो उसे बहुत मना किया था, पर वह माना नहीं, बच्चों की तरह जिद करने लगा. कह रहा था कि पहली बार फिल्म की शूटिंग देखने जा रहा हूं. बचपन में मुंबई में देखी होगी, वह तो अब याद नहीं. साथ में उस का दोस्त सूरज भी जा रहा है. बस शाम तक लौट आएंगे?’’
‘‘फिल्मी दुनिया की चमकदमक किसे अच्छी नहीं लगती,’’ मनोहर ने कह कर लंबी सांस छोड़ी.
मधुरिमा दूसरे कमरे में पढ़ाई कर रही थी, तभी घर के बाहर मोटरसाइकिल के रुकने की आवाज आई तो मनोहर समझ गया कि कमल आ गया है.
कमल कमरे में घुसा. उस के माथे पर पट्टी बंधी देख मनोहर व निशा बुरी तरह चौंक उठे.
‘‘यह क्या हुआ? कोई हादसा हो गया था क्या?’’ मनोहर ने पूछा.
‘‘नहीं पापा…’’
‘‘फिर यह चोट…? तू तो लखनपुर शूटिंग देखने गया था न? वहां किसी से झगड़ा तो नहीं हो गया?’’ निशा ने कमल की ओर देखते हुए पूछा.
तभी मधुरिमा भी कमरे से बाहर निकल आई. उस ने भी एकदम पूछा, ‘‘यह क्या हुआ भैया?’’
कमल ने कहा, ‘‘मैं शूटिंग देखने ही गया था. जैसे ही शूटिंग शुरू हुई तो हीरो के डुप्लीकेट के पेट में भयंकर दर्द हो गया. जब दवा से भी आराम नहीं हुआ तो उसे शहर के एक बड़े अस्पताल में भेज दिया. प्रोड्यूसर माथा पकड़ कर बैठ गया, तभी डायरैक्टर की नजर मुझ पर पड़ी…’’
‘‘फिर…?’’ मनोहर ने पूछा.
‘‘डायरैक्टर ने मुझे अपने पास बुलाया. नीचे से ऊपर तक देखा और कहा कि एक छोटा सा काम करोगे. काम बहुत आसान है. हीरोइन नाराज हो कर जाती है. हीरो आवाज देता है, पर हीरोइन सुनती नहीं और चली जाती है. हीरो उस के पीछे दौड़ता है. पैर फिसलता है और छोटी सी पहाड़ी से लुढ़क कर नीचे गिरता है. बस यही काम था उस डुप्लीकेट का.
‘‘मैं मना नहीं कर सका. सीन ओके हो गया. तब डायरैक्टर ने मेरी पीठ थपथपा कर मुझे 10,000 रुपए भी दिए थे. सिर में मामूली सी चोट लग गई है. 2-4 दिन में ठीक हो जाएगी,’’ कमल ने बताया.
यह सुन कर मनोहर ने एक जोरदार थप्पड़ कमल के मुंह पर मारा और चीखते हुए कहा, ‘‘तू भी बन गया डुप्लीकेट. दफा हो जा मेरी नजरों के सामने से. मैं तेरी सूरत भी नहीं देखना चाहता. जा, भाग जा… चला जा मुंबई. वहां जा कर देख कि किस तरह कीड़ेमकोड़े की जिंदगी जीते हैं ये डुप्लीकेट.
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‘‘मेरे साथ चल कर देख फिल्म ‘अपना कौन’ में तेरी मम्मी डुप्लीकेट का काम करतेकरते हमेशा के लिए हमें छोड़ कर चली गई. मुझे इस काम से क्यों नफरत हो गई थी. मैं यह काम छोड़ कर क्यों मुंबई से यहां आ गया था? तुझे भी तो यह सब मालूम है, फिर तू ने क्यों जानबूझ कर अपने माथे पर डुप्लीकेट का लेबल लगा लिया?
‘‘अगर तुझे आज कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता? यह सब नहीं सोचा होगा तू ने,’’ कहतेकहते मनोहर का गला भर्रा उठा.
कमल को अपनी भूल का अहसास हो रहा था. वह बोला, ‘‘माफ कर देना पापा, मुझे दुख है कि मैं ने आप का दिल दुखाया. यह मेरी पहली और आखिरी भूल है.’’