सोशल मीडिया की दोस्ती और अनजाना क्राइम

Crime News in Hindi: अपना समय गुजारने के लिए कुछ महिलाएं सोशल मीडिया (Soical Media) से जुड़ जाती हैं, जो धीरेधीरे उन्हें अच्छा लगने लगता है. मीनू जैन के साथ भी ऐसा ही हुआ. लेकिन यह… मीनू जैन अपने पति रिटायर्ड विंग कमांडर वी.के. जैन (Retired Wing Commander V.K. Jain) के साथ दिल्ली में द्वारका के सेक्टर-7 स्थित एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट में रहती थीं. उन के परिवार में पति के अलावा एक बेटा आलोक और बेटी नेहा है. आलोक नोएडा स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी (Multinational company) में काम करता है, जबकि शादीशुदा नेहा गोवा में डाक्टर है. विंग कमांडर वी.के. जैन एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद इन दिनों इंडिगो एयरलाइंस (Indigo Airlines) में कमर्शियल पायलट हैं.

25 अप्रैल, 2019 को वी.के. जैन अपनी ड्यूटी पर थे. फ्लैट में मीनू जैन अकेली थीं. शाम को मीनू जैन को उन के पिता एच.पी. गर्ग ने फोन किया तो बातचीत के दौरान मीनू ने उन्हें बताया कि आज उस की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए वह आराम कर रही है. दरअसल, उन के पिता उन से मिलने आना चाहते थे. लेकिन जब मीनू ने उन से आराम करने की बात कही तो उन्होंने वहां से जाने का इरादा स्थगित कर दिया.

अगले दिन सुबह एच.पी. गर्ग ने बेटी की खैरियत जानने के लिए उस के मोबाइल पर फोन किया. काफी देर तक घंटी बजने के बाद भी जब मीनू ने उन का फोन रिसीव नहीं किया तो वे परेशान हो गए. कुछ देर बाद वह अपने बेटे अजीत के साथ बेटी के फ्लैट की ओर रवाना हो गए.

मीनू का फ्लैट तीसरे फ्लोर पर था. उन्होंने वहां पहुंच कर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था. कई बार डोरबेल बजाने के बाद भी जब फ्लैट के अंदर से मीनू ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह परेशान हो गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि मीनू को ऐसा क्या हो गया, जो दरवाजा नहीं खोल रही.

इस के बाद एच.पी. गर्ग ने पड़ोसी योगेश के फ्लैट की घंटी बजाई. योगेश ने दरवाजा खोला तो एच.पी. गर्ग ने उन्हें पूरी बात बताई. स्थिति गंभीर थी, इसलिए उन्होंने अजीत और उस के पिता को अपने फ्लैट में बुला लिया. इस के बाद योगेश की बालकनी में पहुंच कर अजीत अपनी बहन मीनू के फ्लैट की खिड़की के रास्ते अंदर पहुंच गया.

जब वह बैडरूम में पहुंचा तो वहां बैड के नीचे मीनू अचेतावस्था में पड़ी थी. पास में एक तकिया पड़ा था, जिस पर खून लगा हुआ था. यह मंजर देख कर वह घबरा गया. उस ने अंदर से फ्लैट का दरवाजा खोल कर यह जानकारी अपने पिता को दी.

एच.पी. गर्ग और योगेश ने फ्लैट में जा कर मीनू को देखा तो वह भी चौंक गए कि मीनू को यह क्या हो गया. चूंकि वह क्षेत्र थाना द्वारका (दक्षिण) के अंतर्गत आता है, इसलिए पीसीआर की सूचना पर थानाप्रभारी रामनिवास इंसपेक्टर सी.एल. मीणा के साथ मौके पर पहुंच गए.

मौके पर उन्होंने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को बुलाने के बाद उच्चाधिकारियों को भी सूचना दे दी. डीसीपी एंटो अलफोंस भी घटनास्थल पर पहुंच गए. चूंकि मामला एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी के परिवार का था, इसलिए उन्होंने स्पैशल स्टाफ की टीम को भी बुला लिया.

क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम का काम निपट जाने के बाद थानाप्रभारी रामनिवास और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. मीनू की हालत और तकिए पर लगे खून को देख कर लग रहा था कि मीनू की हत्या तकिए से सांस रोक कर की गई है.

मीनू का मोबाइल फोन और उस की कीमती अंगूठी गायब थी. इस के बाद जब फ्लैट की तलाशी ली गई तो रोशनदान का शीशा टूटा हुआ मिला. फ्लैट के बाकी कमरों का सारा सामान अस्तव्यस्त था. कुछ अलमारियां खुली हुई थीं और उन में रखे सामान बिखरे हुए थे. किचन के वाश बेसिन में चाय के कुछ कप रखे थे. एक कप में थोड़ी चाय बची हुई थी.

यह सब देख कर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि हत्यारे जो कोई भी हैं, मीनू जैन उन से न केवल अच्छी तरह परिचित थीं, बल्कि हत्यारों के साथ उन के आत्मीय संबंध भी रहे होंगे. क्योंकि किचन में रखे चाय के कप इस ओर इशारा कर रहे थे. थाना पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. फिर एच.पी. गर्ग की शिकायत पर हत्या तथा लूटपाट का मामला दर्ज कर लिया गया.

द्वारका जिले के डीसीपी एंटो अलफोंस ने इस सनसनीखेज हाईप्रोफाइल मामले की तफ्तीश के लिए एसीपी राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर नवीन कुमार, इंसपेक्टर रामनिवास तथा इंसपेक्टर सी.एल. मीणा, एसआई अरविंद कुमार आदि को शामिल किया गया.

अगले दिन मृतका मीनू के पति वी.के. जैन ड्यूटी से वापस लौटे तो पत्नी की हत्या की बात सुन कर आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने फ्लैट में रखी सेफ आदि का मुआयना किया तो उस में रखी ज्वैलरी और कैश गायब था. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन के फ्लैट से करीब 35 लाख रुपए के कीमती जेवर और कुछ कैश गायब है. इस के अलावा मीनू के दोनों मोबाइल फोन भी गायब थे.

स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार ने एसीपी राजेंद्र सिंह के निर्देशन में काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने मीनू के दोनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट सोसायटी के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली.

सीसीटीवी फुटेज में 2 कारें संदिग्ध नजर आईं, जिन में एक स्विफ्ट डिजायर थी. दोनों कारों की जांच की गई तो पता चला स्विफ्ट डिजायर कार का नंबर फरजी है. टीम को इसी कार पर शक हो गया. जब गेट पर मौजूद गार्ड से स्विफ्ट डिजायर कार के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 25 अप्रैल, 2019 की दोपहर को करीब 2 बजे एक अधेड़ आदमी मीनू जैन से मिलने आया था. जब उस से रजिस्टर में एंट्री करने के लिए कहा गया तो उस ने तुरंत मीनू जैन को फोन मिला दिया. मीनू ने बिना एंट्री किए उसे अंदर भेजने को कहा.

इस पर गार्ड ने उस व्यक्ति को मीनू के फ्लैट का पता बता कर उन के पास भेज दिया. शाम को दोनों घूमने के लिए सोसायटी से बाहर भी गए थे. यह सुन कर उन्होंने अनुमान लगाया कि मीनू जैन की हत्या में इसी आदमी का हाथ रहा होगा.

फोन की लोकेशन जयपुर की आ रही थी

मीनू जैन के दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उन का एक फोन घटना वाली रात की सुबह तक चालू था, उस के बाद उसे स्विच्ड औफ कर दिया गया था. जबकि दूसरा फोन चालू था, जिस की लोकेशन जयपुर की आ रही थी.

पुलिस के लिए यह अच्छी बात थी. पुलिस टीम गूगल मैप की मदद से 29 अप्रैल को जयपुर पहुंच गई. फिर दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से जयपुर के मुरलीपुरा इलाके में स्थित स्काइवे अपार्टमेंट में छापा मारा. वहां से दिनेश दीक्षित नाम के एक शख्स को हिरासत में ले लिया. उस के पास से सफेद रंग की वह स्विफ्ट डिजायर कार भी बरामद हो गई जो उस अपार्टमेंट के बाहर खड़ी थी.

जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने 25 अप्रैल, 2019 की देर रात दिल्ली में मीनू जैन की हत्या और उस के फ्लैट में लूटपाट करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस की तहकीकात और आरोपी दिनेश दीक्षित के बयान के अनुसार, मीनू जैन की हत्या के पीछे जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

52 वर्षीय मीनू जैन के पति वी.के. जैन एयरफोर्स में विंग कमांडर पद से रिटायर होने के बाद इंडिगो एयरलाइंस में बतौर पायलट तैनात थे. वह कामकाज के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते थे. उन के दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे.

बेटा नोएडा में एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता था, जो वीकेंड में अपने मम्मीपापा से मिलने द्वारका आ जाता था. बेटी मोना (काल्पनिक नाम) डाक्टर थी, जो गोवा में रहती थी. ऐसे में मीनू जैन घर पर अकेली रहती थीं. वह अपना समय बिताने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती थीं.

सोशल मीडिया में बने प्रोफाइल पसंद आने पर बड़ी आसानी से नए दोस्त बन जाते हैं. बाद में दोस्ती बढ़ जाने के बाद आप उन से अपने विचार शेयर कर सकते हैं. अगर बात बन जाती है तो चैटिंग करने वाले आपस में अपने पर्सनल मोबाइल नंबर का आदानप्रदान भी कर लेते हैं. इस प्रकार दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ जाता है. मीनू जैन और दिनेश दीक्षित के मामले में भी ऐसा ही हुआ.

खिलाड़ी था दिनेश दीक्षित

जयपुर निवासी 56 वर्षीय दिनेश दीक्षित बेहद रंगीनमिजाज व्यक्ति था. उस ने 2 शादियां कर रखी थीं. उस की एक बीवी अपने 2 बेटों के साथ गांव में रहती थी, जबकि दूसरी बीवी के साथ वह जयपुर में किराए के एक फ्लैट में रहता था. बताया जाता है कि सन 2015 में ठगी के एक मामले में वह जेल भी जा चुका है. 2 साल जेल में रहने के बाद वह सन 2017 में जेल से बाहर आया था. इस के बाद वह अच्छी नस्ल के कुत्ते बेचने का बिजनैस करने लगा था.

इसी दौरान उस की मुलाकात दिल्ली के एक सट्टेबाज से हुई, जिस की बातों से प्रभावित हो कर वह क्रिकेट के आईपीएल मैचों में सट्टा लगाने लगा. इस धंधे की शुरुआत में उसे कुछ फायदा तो हुआ लेकिन बाद में उसे काफी नुकसान हुआ. वह कई लोगों का कर्जदार हो गया. इस कर्ज से उबरने के लिए उस ने अमीर औरतों को अपने जाल में फंसा कर उन से रुपए ऐंठने की योजना बनाई.

इस के बाद उस ने एक सोशल साइट के माध्यम से खूबसूरत और मालदार शादीशुदा औरतों से दोस्ती करनी शुरू कर दी. जल्द ही उस की दोस्ती कई ऐसी औरतों से हो गई, जो खाली समय में सोशल साइट पर दोस्तों के साथ अपना टाइमपास किया करती थीं.

करीब 5 महीने पहले सोशल साइट पर दिनेश दीक्षित और मीनू जैन दोस्त बन गए. अब जब भी खाली वक्त मिलता, दोनों सोशल साइट पर चैटिंग करते रहते थे. इस से उन का मन बहल जाता था और बोरियत महसूस नहीं होती थी. शीघ्र ही उन की दोस्ती गहरी हो गई.

मीनू जैन के पति चूंकि इंडिगो एयरलाइंस में पायलट थे, इसलिए वह घर से अकसर बाहर ही रहते थे. इस बात का फायदा उठा कर मीनू जैन ने पति की अनुपस्थिति में दिनेश दीक्षित को अपने फ्लैट में बुलाना शुरू कर दिया.

भोलीभाली मीनू जैन फंस गईं दिनेश दीक्षित के जाल में

दिनेश ने देखा कि मीनू जैन साफ दिल की भोलीभाली औरत हैं तो वह मन ही मन उन्हें लूटने की योजना बनाने लगा. करीब 5 महीने की दोस्ती के दौरान मीनू जैन को दिनेश दीक्षित पर इस कदर विश्वास हो गया कि जब भी उन के पति और बच्चे घर पर नहीं रहते, वह उसे मैसेज कर के अपने पास बुला लेतीं और फिर दोनों अपने दिल की तमाम हसरतें पूरी कर लिया करते थे.

25 अप्रैल, 2019 को भी वी.के. जैन अपने फ्लैट पर नहीं थे. पति की अनुपस्थिति का फायदा उठाते हुए मीनू जैन ने दिनेश दीक्षित को फ्लैट पर आने का मैसेज भेजा तो वह अपनी सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार से दोपहर के वक्त सोसायटी के गेट पर पहुंच गया.

जब सोसायटी के गेट पर मौजूद गार्ड ने उस का पता पूछा तो उस ने मीनू जैन को फोन कर गार्ड से उन की बात करा दी. मीनू जैन के कहने पर गार्ड ने उस की कार का नंबर रजिस्टर में नोट करने के बाद उसे अंदर जाने को कह दिया.

दिनेश दीक्षित मीनू जैन के फ्लैट में पहुंचा तो उसे सामने देख कर वह बहुत खुश हुईं. चाय और नमकीन लेने के बाद दोनों ही बातों में मशगूल हो गए. लगभग पौने 9 बजे मीनू और दिनेश दोनों डिनर के लिए कार से सोसायटी के बाहर निकले.

करीब आधे घंटे के बाद लौटते समय दिनेश ने मूड बनाने के लिए वोदका की एक बोतल और कुछ स्नैक्स खरीद लिए. सोसायटी में पहुंच कर दोनों ने ड्रिंक करनी शुरू कर दी. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए दिनेश दीक्षित ने मीनू जैन को अधिक मात्रा में वोदका पिलाई और खुद कम पी.

रात करीब 2 बजे मीनू जैन शराब के नशे में धुत हो कर शिथिल पड़ गईं तो दिनेश दीक्षित ने मौका देख कर तकिए से उन का मुंह दबा दिया. जब मीनू ने छटपटा कर दम तोड़ दिया तो उस ने बड़े इत्मीनान से उन की सेफ में रखे करीब 50 लाख रुपए के आभूषण और नकदी निकाल ली.

मीनू जैन की अंगुली में एक बेशकीमती अंगूठी थी. उस ने वह अंगूठी भी उतार कर अपने पास रख ली. इस के अलावा उन के दोनों मोबाइल फोन भी उठा लिए. रात भर वह मीनू की लाश के पास बैठ कर शराब पीता रहा और तड़के 5 बजे फ्लैट से सारा लूट का सामान ले कर रोशनदान से बाहर निकल गया. फिर अपनी स्विफ्ट कार से जयपुर के लिए रवाना हो गया.

गुड़गांव के टोल टैक्स से आगे निकलने के बाद उस ने मीनू जैन के एक मोबाइल फोन को स्विच्ड औफ कर दिया. जबकि दूसरे फोन को वह स्विच्ड औफ करना भूल गया. जयपुर पहुंचने के बाद वह पूरी तरह निश्चिंत था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकेगी. लेकिन 29 अप्रैल, 2019 को इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से मीनू जैन के यहां से लूटा गया सारा सामान बरामद कर लिया गया.

दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे द्वारका (साउथ) थाने के थानाप्रभारी रामनिवास को सौंप दिया. थाना पुलिस ने दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद उसे द्वारका कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसे फिर से द्वारका कोर्ट में पेश कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कथा लिखने तक दिनेश दीक्षित जेल में बंद था. केस की विवेचना थानाप्रभारी रामनिवास कर रहे थे.  द्य

—घटना में शामिल कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

‘लाइक’ के नाम पर 37 अरब की ठगी

दिल्ली के लक्ष्मीनगर के रहने वाले गौरव अरोड़ा नोएडा की एक रियल एस्टेट कंपनी में बढि़या नौकरी करते थे. लेकिन पिछले 2 सालों से वह काफी परेशान थे. इस की वजह यह थी कि जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई, तब से रियल एस्टेट के क्षेत्र में मंदी आ गई है. पहले जहां प्रौपर्टी की कीमतें आसमान छू रही थीं, अब वह स्थिर हो चुकी हैं. केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से इनवैस्टर भी अब प्रौपर्टी में इनवैस्ट करने से कतरा रहे हैं. इस का सीधा प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है, जिन की रोजीरोटी रियल एस्टेट के धंधे से चल रही थी. गौरव को हर महीने अपनी कंपनी का कुछ टारगेट पूरा करना होता था. पहले तो वह उस टारगेट को आसानी से पूरा कर लेता था, लेकिन प्रौपर्टी के क्षेत्र में आई गिरावट से अब बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल रहा था.

बच्चों की पढ़ाई के खर्च के अलावा उसे घर के रोजाना के खर्च पूरे करने में खासी परेशानी हो रही थी. एक दिन बौस ने उसे अपनी केबिन में बुला कर पूछा, ‘‘गौरव, यहां नौकरी के अलावा तुम और कोई काम करते हो?’’

‘‘नहीं सर, समय ही नहीं मिलता.’’ गौरव ने कहा.

‘‘देखो, मैं तुम्हें एक काम बताता हूं, जिसे तुम कहीं भी और दिन में कभी भी कर सकते हो. काम इतना आसान है कि तुम्हारी पत्नी या बच्चे भी घर बैठे कर कर सकते हैं.’’ बौस ने कहा.

‘‘सर, ऐसा क्या काम है, जो कोई भी कर सकता है?’’ गौरव ने पूछा.

‘‘नोएडा की ही एक कंपनी है सोशल ट्रेड. इस कंपनी के अलगअलग पैकेज हैं. आप जो पैकेज लेंगे, कंपनी उसी के अनुसार आप को लाइक करने को देगी. हर लाइक का 5 रुपए मिलता है.’’ बौस ने कहा.

‘‘सर, मैं कुछ समझा नहीं.’’ गौरव ने कहा.

‘‘मैं तुम्हें विस्तार से समझाता हूं.’’ कह कर बौस ने एक खाली पेपर निकाला और उस पर समझाने लगे, ‘‘देखो, कंपनी के 4 तरह के प्लान हैं. पहला है एसटीपी-10, दूसरा है एसटीपी-20, तीसरा है एसटीपी-50 और चौथा है एसटीपी-100.

‘‘एसटीपी-10 का पैकेज 5750 रुपए का है. इस में तुम्हें रोजाना 10 लाइक करनी होंगी. एसटीपी-20 का पैकेज 11500 रुपए का है. इस में तुम को रोजाना 20 लाइक करने को मिलेंगे. एसटीपी-50 के पैकेज में 28,750 रुपए जमा कर के 50 लाइक प्रतिदिन करने को मिलेंगे और एसटीपी-100 के पैकेज में 57,500 रुपए जमा कर के 125 लाइक तुम्हारी आईडी पर करने को आएंगे.

‘‘पैकेज की इस धनराशि में 15 प्रतिशत टैक्स भी शामिल है. यह लाइक शनिवार, रविवार और सरकारी छुट्टियों को छोड़ कर एक साल तक आएंगे. हर लाइक के 5 रुपए मिलेंगे. तुम्हें जो इनकम होगी, उस में से सरकार के नियम के अनुसार टैक्स भी काटा जाएगा.

‘‘तुम्हें फायदे की एक बात बताता हूं. तुम जिस पैकेज में जौइन करोगे, 21 दिनों के अंदर उसी पैकेज में 2 और लोगों को जौइन करा दिया तो तुम्हारी आईडी बूस्टर हो जाएगी. यानी उस आईडी पर दोगुने लाइक आएंगे. अगर और ज्यादा कमाई करनी है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को जौइन कराओ, इस से डाइरेक्ट इनकम के अलावा बाइनरी इनकम भी मिलेगी.’’

बौस ने आगे बताया, ‘‘कंपनी हंडरेड परसेंट लीगल है. बिना किसी डर के तुम यहां काम कर के अच्छी कमाई कर सकते हो. यकीन न हो तो तुम मेरी बैंक पासबुक देख सकते हो.’’ इतना कह कर बौस ने गौरव को अपनी पासबुक दिखाई.

गौरव ने पासबुक देखी तो सचमुच उस में कंपनी की तरफ से कई हजार रुपए आने की एंट्री थी. उसे यह स्कीम अच्छी लगी. उसे लगा कि यह तो बहुत अच्छा काम है, जो घर पर कोई भी कर सकता है. उस ने बौस से कह दिया कि अभी उस के पास पैसे नहीं हैं. जैसे ही पैसों का जुगाड़ हो जाएगा, वह काम शुरू कर देगा.

घर पहुंचने के बाद गौरव के दिमाग में बौस द्वारा दिखाया गया सोशल ट्रेड कंपनी का प्लान ही घूमता रहा. उस ने सोचा कि अगर वह 57,500 रुपए जमा कर देगा तो 625 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे. सब कटनेकटाने के बाद 1,33,594 रुपए मिलेंगे यानी एक साल में उस के पैसे दोगुने से अधिक हो जाएंगे.

गौरव ने इस बारे में पत्नी को बताया तो पत्नी ने कहा कि इस तरह की कई कंपनियां लोगों के पैसे ले कर भाग चुकी हैं. इन के चक्कर में न पड़ा जाए तो बेहतर है. वैसे आप की मरजी. गौरव ने पत्नी की सलाह को अनसुना कर दिया. सोचा कि इसे कंपनी के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए यह ऐसी बातें कर रही है. बहरहाल उस ने ठान लिया कि वह यह काम जरूर करेगा. अगले दिन उस के एक नजदीकी दोस्त ने भी सोशल ट्रेड के प्लान के बारे में बताते हुए कहा कि वह खुद पिछले एक महीने से इस प्लान से अच्छी इनकम हासिल कर रहा है.

दोस्त ने गौरव से भी सोशल ट्रेड जौइन करने को कहा. गौरव को सोशल ट्रेड में काम करना ही था, इसलिए उस ने बौस के बजाय दोस्त के साथ जुड़ कर सोशल ट्रेड में काम करना उचित समझा.

गौरव के पास कुछ पैसे बैंक में थे, कुछ पैसे बैंक से लोन ले कर उस ने 1,15,000 रुपए कंपनी के खाते में जमा करा कर 2 आईडी ले लीं. उस की आईडी के बाईं साइड में उस की एक और आईडी लग चुकी थी. अगर उस के दाईं साइड में 57,500 रुपए की एक आईडी और लग जाती तो उस की मुख्य आईडी पर बूस्टर लग सकता था.

इसलिए गौरव इस फिराक में था कि 57,500 रुपए की एक आईडी किस की लगवाई जाए. उस ने अपने बड़े भाई कपिल अरोड़ा को सोशल ट्रेड के प्लान की इनकम के बारे में बताया. लालच में कपिल भी तैयार हो गया और उस ने भी 25 जनवरी, 2017 को 57,500 रुपए जमा करा दिए.

कपिल अरोड़ा की आईडी लगते ही गौरव की मुख्य आईडी बूस्टर हो गई और उस पर 125 के बजाए 250 लाइक आने लगे, जिस से उसे रोजाना 1250 रुपए की इनकम होने लगी. गौरव ने पेमेंट मोड 15 दिन का रखा था. 23 जनवरी, 2017 को उसे पहला पेआउट 4800 रुपए का मिला. कपिल की आईडी लग जाने के बाद उसे अगला पेआउट इस से डबल आने की उम्मीद थी, पर अगले 15 दिनों बाद उस का पेआउट नहीं आया.

यह बात गौरव ने अपने उस दोस्त से कही, जिस ने उसे जौइन कराया था. दोस्त ने उसे बताया कि कंपनी में अपग्रेडेशन का काम चल रहा है, इसलिए सभी के पेमेंट रुके हुए हैं. चिंता की कोई बात नहीं है, जो भी पेमेंट इकट्ठा होगा, वह सारा मिल जाएगा. यही नहीं, उस ने गौरव से कहा कि वह अपनी टीम बढ़ाए, जिस से इनकम बढ़ सके.

गौरव रोजाना अपनी आईडी पर आने वाले लाइक करता रहा. चूंकि उस का पेआउट नहीं आ रहा था, इसलिए उस ने और किसी को सोशल ट्रेड में जौइन नहीं कराया. उस का भाई कपिल भी अपनी आईडी पर आने वाले 125 लाइक रोजाना करता रहा. गौरव और कपिल कंपनी के एफ-472, सेक्टर-63 नोएडा स्थित औफिस भी गए.

उन की तरह अन्य सैकड़ों लोग वहां अपनी इसी समस्या को ले कर आजा रहे थे. सभी को यही बताया जा रहा था कि आईटी एक्सपर्ट सिस्टम को अपग्रेड करने में लगे हुए हैं. सोशल ट्रेड कंपनी से लाखों लोग जुड़े थे. उन में से अधिकांश के मन में इसी बात का संशय था कि पता नहीं कंपनी उन का रुका हुआ पेआउट देगी या नहीं. बहरहाल बड़े लीडर्स और कंपनी की ओर से परेशानहाल लोगों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा था.

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के सूरजपुर के रहने वाले दिनेश सिंह और पूर्वी दिल्ली के आजादनगर की रहने वाली पूजा गुप्ता ने भी दिसंबर, 2016 में अलगअलग 57,500 रुपए कंपनी के खाते में जमा करा कर आईडी ली थीं. ये भी रोजाना अपनी आईडी पर 125 लाइक करते थे. जौइनिंग के एक महीना बाद भी इन को इन के किए गए लाइक का पैसा नहीं मिला तो इन्हें भी चिंता होने लगी. न तो इन्हें अपने अपलाइन से और न ही कंपनी से कोई संतोषजनक जवाब मिल रहा था.

थकहार कर दिनेश सिंह ने 31 जनवरी, 2017 को गौतमबुद्धनगर के थाना सूरजपुर में कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस की जांच एसआई मदनलाल को सौंपी गई. पेआउट न मिलने से असंतुष्ट कई लोगों ने पुलिस और जिला प्रशासन से शिकायतें करनी शुरू कर दी थीं. सोशल ट्रेड कंपनी के खिलाफ  ज्यादा शिकायतें मिलने पर पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया.

नोएडा पुलिस ने जांच की तो पता चला कि सोशल ट्रेड कंपनी के नोएडा सेक्टर-63 स्थित कंपनी के औफिस में देश के अलगअलग शहरों से सैकड़ों लोग अपने पेमेंट न मिलने की शिकायत करने आ रहे हैं. तमाम लोगों ने कंपनी में मोटी रकम जमा करा रखी है.

पुलिस को मामला बेहद गंभीर लगा, इसलिए नोएडा पुलिस प्रशासन ने पुलिस महानिदेशक को इस मामले से अवगत करा दिया. पुलिस महानिदेशक ने स्पैशल टास्क फोर्स के एसएसपी अमित पाठक को इस मामले में आवश्यक काररवाई करने के निर्देश दिए.

एसएसपी अमित पाठक ने एसटीएफ के एडिशनल एसपी राजीव नारायण मिश्र के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में एसटीएफ लखनऊ के एडिशनल एसपी त्रिवेणी सिंह, एसटीएफ के सीओ आर.के. मिश्रा, एसआई सौरभ विक्रम, सर्वेश कुमार पाल आदि को शामिल किया गया.

टीम ने करीब 15 दिनों तक इस मामले की जांच कर के रिपोर्ट एसएसपी अमित पाठक को सौंप दी. कंपनी के जिस औफिस पर पहले सोशल ट्रेड का बोर्ड लगा था, उस पर हाल ही में 3 डब्ल्यू का बोर्ड लग गया. एसटीएफ को जांच में यह जानकारी मिल गई थी कि सोशल ट्रेड के जाल में कोई 100-200 नहीं, बल्कि कई लाख लोग फंसे हुए हैं.

इस के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर स्पैशल स्टाफ टीम ने सोशल ट्रेड के एफ-472, सेक्टर-63 नोएडा औफिस पर छापा मार कर वहां से कंपनी के डायरेक्टर अनुभव मित्तल, सीओओ श्रीधर प्रसाद और टेक्निकल हैड महेश दयाल से पूछताछ कर के हिरासत में ले लिया. इसी के साथ पुलिस ने उन के औफिस से जरूरी दस्तावेज और अन्य सामान जांच के लिए जब्त कर लिए.

एसटीएफ टीम ने सूरजपुर स्थित अपने औफिस ला कर तीनों से पूछताछ की. इस पूछताछ में सोशल ट्रेड के शुरुआत से ले कर 37 अरब रुपए इकट्ठे करने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

अनुभव मित्तल उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुआ कस्बे के रहने वाले सुनील मित्तल का बेटा था. उन की हापुड़ में मित्तल इलैक्ट्रौनिक्स के नाम से दुकान है. अनुभव मित्तल शुरू से ही पढ़ाई में तेज था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुभव का रुझान कोई नौकरी करने के बजाए अपना खुद का कोई बिजनैस करने का था. उस का रुझान आईटी क्षेत्र में ही कुछ नया करने का था, इसलिए वह नोएडा के ही एक संस्थान से कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने लगा.

सन 2011 में उस का बीटेक पूरा होना था. वह समय के महत्त्व को अच्छी तरह समझता था, इसलिए नहीं चाहता था कि बीटेक पूरा होने के बाद वह खाली बैठे. बल्कि कोर्स पूरा होते ही वह अपना काम शुरू करना चाहता था. पढ़ाई के दौरान ही वह इसी बात की प्लानिंग करता रहता था कि बीटेक के बाद कौन सा काम करना ठीक रहेगा.

बीटेक पूरा होने के एक साल पहले ही उस ने अपने एक आइडिया को अंतिम रूप दे दिया. सन 2010 में इंस्टीट्यूट के हौस्टल में बैठ कर उस ने अब्लेज इंफो सौल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बना ली और इस का रजिस्ट्रेशन 878/8, नई बिल्डिंग, एसपी मुखर्जी मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली के पते पर करा लिया. अनुभव ने अपने पिता सुनील मित्तल को इस का डायरेक्टर बनाया.

बीटेक फाइनल करने के बाद उस ने छोटे स्तर पर सौफ्टवेयर डेवलपमेंट का काम शुरू कर दिया. अपनी इस कंपनी से उस ने सन 2015 तक मात्र 3-4 लाख रुपए का बिजनैस किया. जिस गति से उस का यह बिजनैस चल रहा था, उस से वह संतुष्ट नहीं था. इसलिए इसी क्षेत्र में वह कुछ ऐसा करना चाहता था, जिस से उसे अच्छी कमाई हो.

उसी दौरान सन 2015 में उस ने सोशल ट्रेड डौट बिज नाम से एक औनलाइन पोर्टल बनाया और सदस्यों को जोड़ने के लिए 5750 रुपए से 57,500 रुपए का जौइनिंग एमाउंट फिक्स कर दिया. इस में 15 प्रतिशत टैक्स भी शामिल कर लिया. जौइन होने वाले सदस्यों को यह बताया गया कि औनलाइन पोर्टल पर कुछ पेज लाइक करने पड़ेंगे. एक पेज लाइक करने के 5 रुपए देने की बात कही गई.

शुरुआत में अनुभव ने अपने जानपहचान वालों की आईडी लगवाई. धीरेधीरे लोगों ने माउथ टू माउथ पब्लिसिटी करनी शुरू कर दी. जिन लोगों की जौइनिंग होती गई, उन्हें कंपनी से समय पर पैसा भी दिया जाता रहा, जिस से लोगों का विश्वास बढ़ने लगा और कंपनी में लोगों की जौइनिंग बढ़ने लगी.

कंपनी ने सन 2015 में 9 लाख रुपए का बिजनैस किया. लोगों को बिना मेहनत किए पैसा मिल रहा था. उन्हें काम केवल इतना था कि कंपनी का कोई भी पैकेज लेने के बाद अपनी आईडी पर निर्धारित लाइक करने थे. एक लाइक लगभग 30 सैकेंड में पूरी हो जाता था. इस तरह कुछ ही देर में यह काम पूरा कर के एक निर्धारित धनराशि सदस्य के बैंक एकाउंट में आ जाती थी. शुरूशुरू में लोगों ने इस डर से कंपनी में कम पैसे लगाए कि कंपनी भाग न जाए. पर जब जौइन किए हुए सदस्यों के पैसे समय से आने लगे तो अधिकांश लोगों ने अपनी आईडी बड़े पैकेज में अपग्रेड करा लीं.

सन 2016 में ही अनुभव ने श्रीधर प्रसाद को अपनी कंपनी का चीफ औपरेटिंग औफीसर (सीओओ) बनाया. श्रीधर प्रसाद भी एक टेक्निकल आदमी था. उस ने सन 1994 में कौमर्स से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली के एनआईए इंस्टीट्यूट से एमबीए किया था. इस के बाद उस ने 1996 में ऊषा माटेन टेलीकौम कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में काम किया. मेहनत से काम करने पर सेल्स मैनेजर बन गया.

सन 2001 में उस की नौकरी विजय कंसलटेंसी हैदराबाद में बिजनैस डेवलपर के पद पर लग गई. इस दौरान वह कई बार यूके भी गया. सन 2005 में उस ने आईबीएम कंपनी जौइन कर ली. इस कंपनी में वह सौफ्टवेयर सौल्यूशन कंसल्टैंट के पद पर बंगलुरु में काम करने लगा. यहां पर उसे कंट्री हैड बनाया गया. आईबीएम कंपनी में सन 2009 तक काम करने के बाद उस ने नौकरी छोड़ कर सन 2010 में ओरेकल कंपनी जौइन कर ली.

कंपनी ने उसे बिजनैस डेवलपर के रूप में नाइजीरिया भेज दिया. बिजनैस डेवलपमेंट में उस का विशेष योगदान रहा. सन 2013 में श्रीधर प्रसाद बंगलुरु आ गया. लेकिन सफलता न मिलने पर वह सन 2014 में वापस नाइजीरिया ओरेकल कंपनी में चला गया.

सन 2016 में श्रीधर प्रसाद की पत्नी ने किसी के माध्यम से सोशल ट्रेड डौट बिज में अपनी एंट्री लगाई. पत्नी ने यह बात उसे बताई तो श्रीधर को यह बिजनैस मौडल बहुत अच्छा लगा. बिजनैस मौडल समझने के लिए वह कई बार अभिनव मित्तल से मिला.

बातचीत के दौरान अभिनव श्रीधर प्रसाद की काबिलियत को जान गया. उसे लगा कि यह आदमी उस के काम का है, इसलिए उस ने श्रीधर को अपनी कंपनी में नौकरी करने का औफर दिया. विदेश जाने के बजाय श्रीधर को अच्छे पैकेज की अपने देश में ही नौकरी मिल रही थी, इसलिए वह अनुभव मित्तल की कंपनी में नौकरी करने के लिए तैयार हो गया और सीओओ के रूप में नौकरी जौइन कर ली.

अनुभव मित्तल ने मथुरा के महेश दयाल को कंपनी में टेक्निकल हैड के रूप में नौकरी पर रख लिया. अनुभव के पास टेक्निकल विशेषज्ञों की एक टीम तैयार हो चुकी थी. उन के जरिए वह कंपनी में नएनए प्रयोग करने लगा. लालच ही इंसान को ले डूबता है. जिन लोगों की सोशल टे्रड डौट बिज से अच्छी कमाई हो रही थी, उन्होंने वह कमाई अपने सगेसंबंधियों व अन्य लोगों को दिखानी शुरू की तो उन की देखादेखी उन लोगों ने भी कंपनी में मोटे पैसे जमा करा कर काम शुरू कर दिया.

बड़ेबड़े होटलों में कंपनी के सेमिनार आयोजित होने लगे. फिर तो लोग थोक के भाव से जुड़ने लगे. इस तरह से भेड़चाल शुरू हो गई और सन 2016 तक कंपनी से 4-5 लाख लोग जुड़ गए. जब इतने लोग जुड़े तो जाहिर है कंपनी का टर्नओवर बढ़ना ही था. सन 2016 में कंपनी का कारोबार उछाल मार कर 26 करोड़ हो गया.

कारोबार बढ़ा तो कंपनी ने आगामी योजनाएं बनानी शुरू कीं. पहला कदम ईकौमर्स में रखना था. इस के जरिए वह जरूरत की हर चीज ग्राहकों को उपलब्ध कराना चाहता था. सोशल ट्रेड डौट बिज के बाद उस ने फ्री हब डौटकौम नाम की कंपनी  बनाई. ईकौमर्स के लिए उस ने इनमार्ट डौटकौम नाम की कंपनी बनाई. इस के जरिए खरीदारी करने पर भी उस ने अतिरिक्त इनकम का प्रावधान रखा.

अभिनव जानता था कि भारत में करोड़ों लोग फेसबुक यूज करते हैं, जिस से मोटी कमाई फेसबुक के ओनर को होती है. फेसबुक की ही तरह भारतीय सोशल साइट बनाने का विचार उस के दिमाग में आया. इस बारे में उस ने अपनी आईटी टीम से विचारविमर्श किया. अपनी टीम के साथ मिल कर अनुभव ने इस तरह की सोशल साइट बनाने पर काम शुरू कर दिया, जिस में फेसबुक से ज्यादा फीचर हों. अपनी इस सोशल साइट का नाम उस ने डिजिटल इंडिया डौट नेट रखा. इस में इस तरह की तकनीक डालने की उन की कोशिश थी कि किसी की आवाज या फोटो डालने पर उस व्यक्ति के एकाउंट पर पहुंचा जा सके.

उधर सोशल ट्रेड में भारत से ही नहीं, विदेशों से भी एंट्री लगनी शुरू हो चुकी थीं. इनवेस्टरों ने भी मोटा पैसा यहां इनवेस्ट करना शुरू कर दिया. अब कंपनी को करोड़ों रुपए की कमाई होने लगी. किसी वजह से कंपनी ने लोगों को पेआउट देना बंद कर दिया. लोगों ने अपने सीनियर लीडर्स और कंपनी औफिस जा कर संपर्क किया तो उन्हें यही बताया गया कि कंपनी के सौफ्टवेयर में अपग्रेडिंग का काम चल रहा है. जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा, सारे पेआउट रिलीज कर दिए जाएंगे.

अब तक कंपनी में करीब साढ़े 6 लाख लोगों ने 9 लाख से अधिक आईडी लगा रखी थीं. कंपनी के पास इन्होंने लगभग 3 हजार 726 करोड़ रुपए जमा करा रखे थे. जब उन्हें कंपनी की तरफ से पैसे आने बंद हो गए तो लोगों में बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक थी. कुछ लोगों ने मोटी रकम लगाई थी, उन की तो नींद हराम हो गई.

सीनियर लीडर उन्हें यही भरोसा दिलाते रहे कि उन का पैसा कहीं नहीं जाएगा. जो लोग कंपनी से लंबे समय से जुड़े थे, उन्हें विश्वास था कि कंपनी कहीं जाने वाली नहीं है. अपग्रेडेशन का काम पूरा होने के बाद सभी के पैसे खाते में भेज देगी. लेकिन जिन लोगों को जौइनिंग के बाद फूटी कौड़ी भी नहीं मिली थी, उन की चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी. आखिर वे भरोसे की गोली कब तक लेते रहते.

लोगों ने नोएडा के जिला और पुलिस प्रशासन से सोशल ट्रेड की शिकायतें करनी शुरू कर दीं. लोगों ने सोशल ट्रेड के औफिस पर जब 3 डब्ल्यू का बोर्ड लगा देखा तो उन्हें शक हो गया कि कंपनी भाग गई है. कंपनी के अंदर ही अंदर बदलाव की क्या प्रक्रिया चल रही है, इस से लोग अनजान थे.

15 दिनों की गोपनीय जांच करने के बाद पुलिस प्रशासन को भी लगा कि अनुभव मित्तल ने सोशल ट्रेड कंपनी के नाम पर लोगों से अरबों रुपए की ठगी की है. तब पुलिस ने 1 फरवरी, 2017 को अनुभव मित्तल और कंपनी के 2 पदाधिकारियों श्रीधर प्रसाद और महेश दयाल को हिरासत में ले लिया.

अनुभव मित्तल से पूछताछ के बाद पता चला कि उस की कंपनी के गाजियाबाद के राजनगर में कोटक महिंद्रा बैंक में एक एकाउंट, यस बैंक में 2 एकाउंट, एक्सिस बैंक में 2 एकाउंट, केनरा बैंक में 3 एकाउंट हैं. जांच में पुलिस को केनरा बैंक में 480 करोड़ रुपए और यस बैंक में 44 करोड़ रुपए मिले. पुलिस ने इन खातों को फ्रीज करा दिया.

जांच में पुलिस को जानकारी मिली है कि कंपनी ने दिसंबर, 2016 के अंत में सोशल ट्रेड डौट बिज से माइग्रेट कर के फ्री हब डौटकौम लांच कर दिया और उस के 10 दिन के अंदर ही फ्री हब डौटकौम से इनमार्ट डौटकौम पर माइग्रेट किया. इस के बाद 27 जनवरी, 2017 को इनमार्ट से फ्रिंजअप डौटकौम पर माइग्रेट कर लिया.

कंपनी में इतनी जल्दीजल्दी बदलाव करने के बाद अनुभव मित्तल ने गिरफ्तारी के 7 दिनों पहले ही दिल्ली की एक नई कंपनी 3 डब्ल्यू खरीद कर उस का बोर्ड भी अपने औफिस के बाहर लगा दिया. इस के अलावा अनुभव मित्तल ने सोशल ट्रेड डौट बिज के डोमेन पर प्राइवेसी प्रोटेक्शन प्लान भी ले लिया था, ताकि कोई भी व्यक्ति या जांच एजेंसी डोमेन की डिटेल के बारे में पता न लगा सके.

पुलिस को पता चला कि वह फेसबुक पेज लाइक करने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहा था. कंपनी द्वारा सदस्यों को धोखे में रख कर उन से पैसे लिए जाते थे और जब अपने पेज को लौगइन करते तो विज्ञापन पेजों के या तो गलत यूआरएल होते थे या उन्हीं सदस्यों के यूआरएल को आपस में ही लाइक कराया जा रहा था. कंपनी द्वारा कोई वास्तविक विज्ञापन या कोई लौजिकल या रियल सर्विस नहीं उपलब्ध कराई जा रही थी.

कंपनी के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था, वह सदस्यों के पैसों को ही इधर से उधर घुमा रही थी, जोकि द प्राइज चिट्स ऐंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) एक्ट 1978 की धारा 2(सी)/3 के तहत अवैध है. इस एक्ट की धारा 4 में यह अपराध है.

पुलिस ने अनुभव मित्तल, सीओओ श्रीधर प्रसाद और टेक्निकल हैड महेश दयाल को विस्तार से पूछताछ करने के बाद 2 फरवरी, 2017 को गौतमबुद्धनगर के सीजेएम-3 की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस ने लखनऊ की फोरैंसिक साइंस लेबोरैटरी, रिजर्व बैंक औफ इंडिया, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, सेबी, कारपोरेट अफेयर मंत्रालय की फ्रौड इनवेस्टीगेशन टीम को भी जानकारी दे दी है. सभी विभागों के अधिकारी अपनेअपने स्तर से मामले की जांच में लग गए हैं. जांच में पता चला है कि अनुभव मित्तल ने लाइक के जरिए 3700 करोड़ रुपयों की ठगी की है.

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद ने मामले की गहन जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है. आईजी (क्राइम) भगवानस्वरूप के नेतृत्व में बनी इस जांच टीम में मेरठ रेंज के डीआईजी के.एस. इमैनुअल, एडिशनल एसपी (क्राइम) गौतमबुद्धनगर, एसटीएफ के एडिशनल एसपी राजीव नारायण मिश्रा, सीओ राजकुमार मिश्रा, गौतमबुद्धनगर के 2 इंसपेक्टर, एसआई सर्वेश कुमार पाल, सौरभ आदि को शामिल किया गया है.

टीम ने इस ठगी में फंसे लोगों को अपनी शिकायत भेजने के लिए एक ईमेल आईडी सार्वजनिक कर दी है. मीडिया में यह ईमेल जारी हो जाने के बाद देश से ही नहीं, विदेशों से भी भारी संख्या में शिकायतें आनी शुरू हो गई हैं. कथा लिखे जाने तक एसटीएफ के पास करीब साढ़े 6 हजार शिकायतें ईमेल से आ चुकी थीं. इन में से 100 से अधिक नाइजीरिया से मिली है. केन्या और मस्कट से भी पीडि़तों ने ईमेल से शिकायतें भेजी हैं.

पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि अभिनव ने इतनी मोटी रकम आखिर कहां इनवैस्ट की है. बहरहाल जिन लोगों ने अनुभव मित्तल की कंपनी में पैसा लगाया है, अब उन्हें पछतावा हो रहा होगा.

– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

सोशल मीडिया क्राइम: नाइजीरियन ठगों ने किया कारनामा

यह ठगी की क्राइम स्टोरी पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे की ठगी के कैसे-कैसे नायाब नमूने लोगों ने इजाद कर लिए हैं. इस संदर्भ में कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ की
राजनांदगांव पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. सोशल मीडिया के जरिए आनलाइन ठगी करने वाले दो नाईनीरियन को पुलिस ने नईदिल्ली से गिरफतार किया है इनके नाम- किबी स्टेनली ओकवो और नवाकोर इमानुएल हैं.

दंपत्ति से 44 लाख की ठगी

पुलिस अधीक्षक कमललोचन कश्यप ने बताया कि राजनांदगांव निवासी श्रीमती सुनीता आर्य पति चैतूराम आर्य ने विगत एक दिसंबर को उक्त आरोपियों के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा था कि जुलाई 2018 में किसी डेविड सूर्ययन नामक व्यक्ति उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी. तथा खुद को लंदन निवासी होना बताया. काफी दिनों तक दोनों के बीच चेटिंग होती रही और एक दिन उपरोक्त व्यक्ति ने कहा कि वह उसे मोबाइल, गोल्डन ज्वेलरी, रिंग, जूते, कोट, घडी चैनल, बैग इत्यादि सामान गिफट करना चाहता है परंतु उसका जहांज फिनलैण्ड में रूका पड़ा है, उसके बाद पीड़िता के पास एक व्यक्ति का फेान आया जिसने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उपरोक्त सामान चाहिऐ तो उसे 62500 रूपये जमा कराने होंगे. इस तरह क्राइम प्रारंभ हो गया विश्वास करके आगे दंपत्ति ने यूपी जमाने प्रारंभ कर दिए और धीरे धीरे 44लाख रुपए की चपत उन्हें लग गई.

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ऐसे हुआ ठगी का एहसास

इधर पीड़िता ने उसके झांसे में आते हुए रकम जमा कर दी परंतु जब सामान नही पहुंचा तेा उसने डेविड सूर्ययन से संपर्क करना चाहा मगर उसका सोशल मीडिया एकाउंट और मोबाइल नम्बर बंद बताया जा रहा था. आश्चर्य कि इस तरह पीड़िता से कुल 44 लाख की आनलाइन धोखाधड़ी हो गई. उसके बाद पीड़िता ने राजनंदगांव पुलिस अधीक्षक एवं अधिकारियों से संपर्क किया जिन के निर्देश पर कोतवाली थाना में मामला दर्ज हुआ. रिपोर्ट
दर्ज करने के बाद पुलिस ने भादवि की धारा 420, 34 एवं 66 डी के तहत जुर्म दर्ज किया.

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अंततः अपराधी पकड़े गए

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जाल बिछाकर ठगों को दबोच लिया। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव पुलिस ने ऑनलाइन साइबर क्राइम को बहुत गंभीरता से लिया और इसके लिए एक क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई जोशीला पुलिस कप्तान कश्यप को रिपोर्ट कर रही थी बहुत ही चालाकी से दोनों नाइजीरियन नागरिकों को पुलिस ने जाल में फंसाया और गिरफ्तार करके राजनंदगांव ले आई है पुलिस ने दोनों का बयान दर्ज किया उन्होंने स्वीकार किया कि यह काम वह विगत 2 वर्षों से कर रहे थे और अनेक लोगों को अपना शिकार बनाया है. पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया जहां से जमानत के अभाव में उन्हें जेल भेज दिया गया है.

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