Social Problem : हर जगह पसरा नशा

Society Problem : बात चाहे शराब की हो या फिर स्मैक और गांजे की, सब से बड़ी चिंताजनक बात यह है कि बड़े तो दूर बच्चे भी अब नशे की लत में जकड़ते जा रहे हैं. इन में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं. किशोर उम्र के बच्चे गलत संगत के चलते बिगड़ रहे हैं और नशा कर रहे हैं.

नशे की लत लगने से जहां एक ओर नौजवान व बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उन का भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है.

स्मैक और गांजे का सेवन आम हो गया है. इन से शरीर का नाश ही नहीं होता है, बल्कि इन की लत को पूरा करने के लिए बहुत से बच्चे जुर्म के दलदल में फंस रहे हैं.

पुलिस के अब तक के ऐक्शन में यह सचाई सामने आई है कि गांजा और स्मैक पीने वालों की बढ़ती तादाद के चलते इस का गैरकानूनी कारोबार तेजी से पनपा है. यह नशा केबिन, ठेले और दुकानों पर आसानी से मिल रहा है. इन के खरीदार बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी खूब हैं.

हाल ही में भीलवाड़ा पुलिस के हाथ लगे बच्चे भी गांजा और स्मैक के आदी नजर आए. इज्जत को धक्का न लगे, इसलिए परिवार ने भी पुलिस अफसरों से गुजारिश कर के उन की कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया.

निशाने पर कोटा और सीकर के छात्र भी

देशभर से कोटा और सीकर शहर में तालीम के लिए आए छात्र ड्रग्स माफिया का सौफ्ट टारगेट बन रहे हैं. ड्रग कैरियर पहलेपहल बच्चों के रोजमर्रा के कामों में मदद कर के उन का भरोसा जीतते हैं, फिर पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने की ‘गोली’ देने के बहाने उन्हें ड्रग्स से जोड़ देते हैं. पहले कुछ दिन में एक पुडि़या या गोली से बात शुरू होती है, फिर धीरेधीरे लत लग जाती है.

ड्रग्स सप्लाई करने वालों ने कोचिंग और होस्टल वाले इलाकों के आसपास अपने ठिकाने बना रखे हैं, जहां से एक फोन करने पर ड्रग्स सप्लाई की जाती है. कोटा व सीकर में अलगअलग इलाकों में एमडी, गांजा, स्मैक और चरस के अलगअलग कोडवर्ड भी चलन में हैं.

‘पुडि़या’, ‘माल’, ‘बंशी’, ‘पीपी’, ‘टिकट’, ‘बच्चा’, ‘ट्यूब’, ‘पन्नी’, ‘डब्बा’ जैसे कोडवर्ड में नशे का कारोबार होता है. यहां 200 से 2,000 रुपए की कीमत पर गलीगली में नशा बिक रहा है. शहर में रोजाना 40 से
50 लाख रुपए का नशा बिकता है.

ड्रग्स के सौदागर छात्रों को होम डिलीवरी भी कर रहे हैं. बुकिंग सोशल मीडिया पर होती है और बिना नंबर की बाइक से ड्रग्स सप्लाई की जाती है.

प्राइवेट पार्ट में नशे का इंजैक्शन

नशे ने गांव से शहर तक नौजवानों को इस कदर अपने आगोश में ले लिया है कि नौजवान नशे के इंजैक्शन लगा कर अपनी जिंदगी को बरबाद कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि जब हाथपैर की नसें इंजैक्शन लगाने के काबिल नहीं रहती हैं, तो वे अपने प्राइवेट पार्ट पर भी इंजैक्शन लगाने लगते हैं और कुछ महीनों या कुछ साल नशा करने के बाद बहुत से तो दम तोड़ देते हैं.

बीते कुछ ही महीनों में राजस्थान के अलगअलग इलाकों से 2 दर्जन से ज्यादा नौजवानों की मौत की ऐसी ही खबरें सामने आई हैं. ये नौजवान सुनसान जगहों पर जा कर नशे का इंजैक्शन लगाते हैं और फिर ओवरडोज से वहीं दम तोड़ देते हैं.

8 जनवरी, 2025 को जयपुर के चाकसू कसबे के एक सूखे तालाब में एक नौजवान की लाश मिली थी, जिस के नशे की ओवरडोज से मौत होने की बात सामने आई है.

पिछले कुछ महीनों में देहात इलाकों में नशे का चलन खतरनाक ढंग से बढ़ा है. नौजवान समूह में झाडियों व सुनसान जगह जा कर नशा कर रहे हैं.

जो नौजवान नशे के आदी हो चुके हैं, उन में ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम है. ये नौजवान नशे को स्टेटस सिंबल बना रहे हैं और फिर इस मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. जिसे एक बार नशे की लत लग जाती है, वह फिर नशा करने के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देता है.

ये नशेड़ी कृषि यंत्रों, कबाड़ की दुकानों, धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाते हैं. नशे की ललक पूरी करने के लिए वे अपने घर का सामान तक भी चोरी कर के बेच देते हैं.

स्मैक के बढ़ते मामलों पर ऐक्सपर्ट लोगों का मानना है कि यह ऐसा नशा है, जिस से मुंह से बदबू नहीं आती. ऐसे में परिवार के दूसरे सदस्य को इस का पता नहीं चल पाता. जब नशे की लत पड़ जाती है, तो वे घर में छोटीबड़ी चोरियां करने लगते हैं.

जब तक उन की हरकतों का पता परिवार वालों को चलता है, तब तक वे नशे के पूरी तरह आदी हो चुके होते हैं और अब तो नौजवानों के साथ ही औरतें और लड़कियां भी नशा कर रही हैं. यह बड़ी चिंता की बात है.

बच्चों में नशे के लक्षण

डाक्टरों के मुताबिक, जिन बच्चों को गांजे और दूसरे नशे की लत पड़ जाती है, उन के बरताव में बदलाव होता है. वे अनिद्रा के शिकार होने लगते हैं, आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ जाते हैं, वे पढ़ाई में दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं. इस के साथ घर से चोरी और झूठ का सहारा तक लेते हैं.

इस के समाधान के लिए आने वाली नौजवान पीढ़ी को नशामुक्ति अभियान से जोड़ना जरूरी है. स्कूलों में बच्चों के साथ काउंसिलिंग कर के उन को नशे के गलत नतीजों के बारे में समयसमय पर बताना जरूरी है.

इस के तहत बच्चों को नशे का प्रकार, शारीरिक नुकसान, गलत संगति और बुरे असर के बारे में अच्छी तरह से बताना जरूरी है. इस के अलावा परिवार वालों के साथ टीचर भी बच्चों पर नजर रखें.

दिक्कत यह है कि लोग इस समस्या को छोटा समझ कर अनदेखा कर देते हैं. पुलिस प्रशासन भी ढीला पड़ जाता है. यही वजह है कि नशे का दानव दिनोंदिन अपने पैर पसार रहा है.

अगर आपको भी है सिगरेट पीने की आदत तो इस खबर को जरूर पढ़ें

Lifestyle tips in Hindi: स्मोकिंग (Smoking) करने वाले लोग अक्सर ऐसा सोचते हैं कि वह सिर्फ खुद को हानी पहुंचा रहें है परंतु उन्हे ये नहीं पता कि वे अपने साथ साथ पूरे समाज को नुकसान दे रहें हैं. सिगरेट का धुंआ एक्टिव स्मोकर से ज्यादा पैसिव स्मोकर के लिए हानिकारक (Harmful) होता है और सिगरेट पीने से समाज में बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. स्मोकिंग करने वाले लोग शारिरिक बिमारियों (Physical Disease) के साथ साथ मानसिक बिमीरियों (Mental Disease) का भी शिकार होते चले जाते हैं.

कैसे करता है निकोटिन दिमाग पर असर –

सिगरेट में मिले निकोटिन का असर सीधा हमारे दिमाग पर होता है. आमतौर पर हर व्यक्ति स्मोकिंग करने की शुरूआत सिर्फ शौक के तौर पर करता है और वो ये सोचता है कि उसे इसकी आदत नहीं लग सकती पर कब वे स्मोकिंग करने का आदी बन जाता है उसे खुद पता नहीं चलता. नियमित रूप से सिगरेट पीने से हमारे अंदर कई सारे बदलाव आते है जैसे कि सिगरेट ना मिलने पर हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है , स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है और सिगरेट की तलब के कारण स्मोकर जो अपने साथ साथ दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.

एसा नहीं है कि स्मोकर सिगरेट छोड़ने की कोशिश ही नहीं करता, वे कोशिश तो करता है परंतु नाकामयाब रहता है क्यूंकि सिगरेट में मिला निकोटिन उसके दिमाग पर इतना असर कर चुका होता है कि वे चाह कर भी स्मोकिंग करना नहीं छोड़ पाता. सिगरेट में मिला निकोटिन तय करता है कि स्मोकिंग आपके दिमाग पर किस प्रकार असर करेगी. जिस प्रकार निकोटिन की मात्रा हमारे दिमाग पर असर करेगी उसी प्रकार स्मोकिंग का असर शरीर और मन पर होगा.

स्मोकिंग करते समय निकोटिन का एक डोज़ 10 सेकेंड के अंदर दिमाग तक पहुंच जाता है और मसल्स को रिलेक्स कर देता है. निकोटिन का दिमाग तक पहुंचना हमारा मूड अच्छा करने के साथ साथ भूख भी मिटा देता है. जब भी निकोटिन की सप्लाई हमारे दिमाग में कम होती है, तभी हमें ईसकी ज़रूरत महसूस होने लगती है और फिर से स्मोकिंग करते ही सब अच्छा लगने लगता है.

युवाओं में फैलता सिगरेट का ट्रेंड-

आजकल हमारे समाज के युवा बहुत कम उम्र में ही ये सब शुरू कर देते हैं और इसका कारण है उनकी सोसाइटी. जब वे अपनी उम्र के लोगों को स्मोकिंग करते देखते है तो उनके मन में भी इसे ट्राई करने की इच्छा जाग उठती है. कई युवा अपनी मेच्योरिटी दिखाने के लिए भी स्मोकिंग करना शुरू कर देते हैं.

सिगरेट पीने वाले लोग यह साचते हैं कि स्मोकिंग करने से उनका दिमाग शांत हो जाता है व तनाव कम हो जाता है और तनाव से पीछा छुड़ाने के लिए ही अक्सर वे स्मोकिंग करते हैं परंतु ऐसा होता नहीं है क्यूंकि रिलेक्स होने की फीलिंग जल्द ही खत्म हो जाती है और फिर से स्मोकिंग करने को दिल मचलने लगता है.

घर या ऑफिस से उन्हें अनचाहा तनाव मिलते ही हल निकालने की बजाए वे स्मोकिंग करने लग जाते हैं जिससे की तनाव घटना नहीं बल्की और ज्यादा बढ़ जाता है.

कैसे छोड़ें सिगरेट-

अपना ज्यादा से ज्यादा समय परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं और उन्हे अपनी इस आदत के बारे में बताएं जिससे की वे सब आपकी मदद कर पाएंगे.

कोशिश करें की आप सिगरेट पीने वाले लोगों के साथ भी न बैठें जिन्हे देख के आपका मन सिगरेट की ओर आकर्शित हो.

अगर आप भी करते हैं तंबाकू का सेवन तो हो जाइए सावधान

तंबाकू से बनी बीड़ी व सिगरेट में कार्बन मोनोऔक्साइड, थायोसाइनेट, हाइड्रोजन साइनाइड व निकोटिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं, जो न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि शरीर को भी कई खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलते हैं. जो लोग तंबाकू या तंबाकू से बनी चीजों का सेवन नहीं करते हैं, वे भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों खासकर बीड़ीसिगरेट पीने वालों की संगत में बैठ कर यह बीमारी मोल ले लेते हैं. इसे अंगरेजी भाषा में ‘पैसिव स्मोकिंग’ कहते हैं.

नुकसान ही नुकसान

तंबाकू के सेवन में न केवल लोगों की कमाई का ज्यादातर हिस्सा बरबाद होता है, बल्कि इस से उन की सेहत पर भी कई तरह के गलत असर देखने को मिलते हैं, जो बाद में कैंसर के साथसाथ फेफड़े, लिवर व सांस की नली से जुड़ी कई बीमारियों को जन्म देने की वजह बनते हैं. तंबाकू या सिगरेट का इस्तेमाल करने से सांस में बदबू रहती है व दांत गंदे हो जाते हैं. इस में पाए जाने वाला निकोटिन शरीर की काम करने की ताकत को कम कर देता है और दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों के साथसाथ ब्लड प्रैशर की समस्या से भी दोचार होना पड़ता है.

पहचानें कैंसर को

डाक्टर वीके वर्मा का कहना है कि पूरी दुनिया में जितनी तादाद में मौतें होती हैं, उन में से 20 फीसदी मौतों की वजह सिर्फ कैंसर है. गाल, तालू, जीभ, होंठ व फेफड़े में कैंसर की एकमात्र वजह तंबाकू, पान, बीड़ीसिगरेट का सेवन है. अगर कोई शख्स तंबाकू या उस से बनी चीजों का इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे नियमित तौर पर अपने शरीर के कुछ अंगों पर खास ध्यान देना चाहिए.

अगर आप पान या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो यह देखते रहें कि जिस जगह पर आप पान या तंबाकू ज्यादातर रखते हैं, वहां पर कोई बदलाव तो नहीं दिखाई पड़ रहा है. इन बदलावों में मुंह में छाले, घाव या जीभ पर किसी तरह का जमाव, तालू पर दाने, मुंह का कम खुलना, लार का ज्यादा बनना, बेस्वाद होना, मुंह का ज्यादा सूखना जैसे लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जा कर अपनी जांच कराएं. बताए गए सभी लक्षण कैंसर की शुरुआती दशा में दिखाई पड़ते हैं.

बढ़ती तंबाकू की लत

अकसर स्कूलकालेज जाने वाले किशोरों व नौजवानों को शौक में सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाते देखा जा सकता है. यह आदत वे अपने से बड़ों से सीखते हैं. सरकार व कोर्ट द्वारा सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है और अगर ऐसा करते हुए किसी को पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना भी लगाए जाने का कानून है, लेकिन यह आदेश सिर्फ आदेश बन कर ही रह गया है. हम गुटका खा कर जहांतहां थूक कर साफसुथरी जगहों को भी गंदा कर बैठते हैं, जो कई तरह की संक्रामक बीमारियों की वजह बनता है.

पा सकते हैं छुटकारा

एक सर्वे का आंकड़ा बताता है कि 73 फीसदी लोग तंबाकू खाना छोड़ना चाहते हैं, लेकिन इस का आदी होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते हैं. अगर आप में खुद पर पक्का यकीन है, तो आप तंबाकू की बुरी लत से न केवल छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि तंबाकू को छोड़ कर दूसरों के लिए भी रोल मौडल बन सकते हैं.

तंबाकू या उस से बनी चीजों का सेवन करने वाला शख्स अगर कुछ देर इन चीजों को न पाए, तो वह अजीब तरह की उलझन यानी तलब का शिकार हो जाता है, क्योंकि उस का शरीर निकोटिन का आदी बन चुका होता है. ऐसे में लोग तंबाकू के द्वारा निकोटिन की मात्रा को ले कर राहत महसूस करते हैं, लेकिन यही राहत आगे चल कर जानलेवा लत भी बन सकती है.

इन सुझावों को अपना कर भी तंबाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है:

* तंबाकू की लत को छोड़ने के लिए अपने किसी खास के जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी दूसरे खास दिन को चुनें और आदत छोड़ने के लिए इस दिन को अपने सभी जानने वालों को जरूर बताएं.

* कुछ समय के लिए ऐसी जगह पर जाने से बचें, जहां तंबाकू उपयोग करने वालों की तादाद ज्यादा हो, क्योंकि ये लोग आप को फिर से तंबाकू के सेवन के लिए उकसा सकते हैं.

* तंबाकू, सिगरेट, माचिस, लाइटर, गुटका, पीकदान जैसी चीजों को घर से बाहर फेंक दें.

* तंबाकू या उस से बनी चीजों के उपयोग के लिए जो पैसा आप द्वारा खर्च किया जा रहा था, उस पैसे को बचा कर अपने किसी खास के लिए उपहार खरीदें. इस से आप को अलग तरह की खुशी मिलेगी.

* तंबाकू की तलब होने के बाद मुंह का जायका सुधारने के लिए दिन में 2 से 3 बार ब्रश करें. माउथवाश से कुल्ला कर के भी तलब को कम कर सकते हैं.

* हमेशा ऐसे लोगों के साथ बैठें, जो तंबाकू या सिगरेट का सेवन नहीं करते हैं और उन से इस बात की चर्चा करते रहें कि वे किस तरह से इन बुरी आदतों से बचे रहे हैं.

* बीड़ीसिगरेट पीने की तलब महसूस होने पर आप अपनेआप को किसी काम में बिजी करना न भूलें. पेंटिंग, फोटोग्राफी, लेखन जैसे शौक पाल कर तंबाकू की लत से छुटकारा पा सकते हैं.

इस मुद्दे पर डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि अकसर उन के पास ऐसे मरीज आते रहते हैं, जो किसी न किसी वजह से नशे का शिकार होते हैं और वे अपने नशे को छोड़ना चाहते हैं. लेकिन नशे के छोड़ने की वजह से उन को तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है, जिस में तंबाकू या सिगरेट छोड़ने के बाद लोगों में दिन में नींद आने की शिकायत बढ़ जाती है और रात को नींद कम आती है.

सिगरेट छोड़ने वाले को मीठा व तेल वाला भोजन करने की ज्यादा इच्छा होती है. इस के अलावा मुंह सूखने का एहसास होना, गले, मसूढ़ों व जीभ में दर्द होना, कब्ज, डायरिया या जी मिचलाने जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. इस की वजह से वह मनोवैज्ञानिक रूप से मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है.

ऐसी हालत में तंबाकू की लत के शिकार लोगों को एकदम से इसे छोड़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि धीरेधीरे छोड़ने वाले अकसर फिर से तंबाकू की लत का शिकार होते पाए गए हैं. तंबाकू छोड़ने के बाद अकसर कोई शख्स हताशा का शिकार हो जाता है. इस हालत में उसे चाहिए कि वह समयसमय पर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेना न भूले.

अगर आप भी हैं सिगरेट पीने की आदत से परेशान, तो जरूर फौलौ करें ये टिप्स

युवा ये जानते हैं कि सिगरेट पीना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन चाह कर भी उन्हें इस लत से छुटकारा नहीं मिल पाता. लेकिन ये संभव है. आज हम आपकों बताएंगे ऐसे उपाय जिनके इस्तेमाल से आप इस जानलेवा लत से छुटकारा पा सकते हैं.

  • जेब में सिगरेट की बजाय मुलेठी रखें. स्मोकिंग की इच्छा होने पर मुलेठी चबाएं. सिगरेट पीने की तलब कम हो जाएगी.
  • स्मोकिंग की तलब होने पर च्युइंगम चबाएं. इससे आपका मुंह भी बिजी हो जाएगा और सिगरेट पीने की तरफ से आपका ध्यान हट जाएगा.
  • अपनी डाइट में ओट्स को शामिल करें. ओट्स शरीर के टौक्सिन्स को बाहर निकालता है और स्मोकिंग की इच्छा को कम करता है.
  • आंवले के टुकड़ों में नमक मिलाकर सुखा लें. स्मोकिंग होने पर इनको चूस लें. इसमें मौजूद विटामिन सी निकोटिन लेने की इच्छा को कम करता है.
  • सिगरेट पीने की इच्छा हो तो दालचीनी चबाएं या इसका टुकड़ा मुंह में रखें. इसका स्वाद निकोटिन की इच्छा को कम करता है.
  • दिन भर में 6 से 8 गिलास पानी पीएं. इससे आपकी बॉडी हाइड्रेट रहती है साथ ही खतरनाक टौक्सिन भी बौडी से निकल जाते हैं.
  • बेकिंग सोडा बौडी में पीएच लेवल को मेंटेन करता है. जिससे निकोटिन लेने की इच्छा में भी कमी आती है. दिन में दो-तीन बार पानी में बेकिंग सोडा घोलकर पीएं.
  • जब सिगरेट पीने की तलब लगे तो एक चम्मच शहद चाट लें. ये स्मोकिंग से हुए नुकसान को ठीक करते हैं.

फ्लेवर्ड हुक्का है सिगरेट से भी ज्यादा नुकसानदायक, जानें कैसे

भारत में आज कल हर छोट बड़े शहरों और मौल्‍स में हुक्‍का बार या शीशा लाउंज पौपुलर हो रहे हैं. खासकर युवा वर्ग अकसर बार में हुक्के के कश लगाते दिख जाते हैं. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि हुक्का पीना सिगरेट पीने से ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता. उनका मानना है कि हुक्के से खींचा जाने वाला तंबाकू पानी से होते हुए आता है इसलिए वह ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता. लेकिन हाल ही सामने आई एक रिसर्च से पता चला है कि हुक्का भी सिगरेट के बराबर हार्ट को नुकसान पहुंचाता है. इससे दिल की बीमारी होने खतरा बढ़ जाता है.

वहीं ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हुक्का में जिस तंबाकू का इस्तेमाल होता है, उसमें कई तरह के अलग-अलग फ्लेवर का भी इस्तेमाल होता है. यही वजह है कि आज कल युवा इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. हुक्के का स्वाद बदलने के लिए उसमें फ्रूट सिरप मिलाया जाता है, जिससे किसी भी तरह का विटामिन नहीं मिलता. लोगों को लगता है कि हुक्के में मिलाया जाने वाला यह फ्लेवर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.

इसके अलावा हुक्के में सिगरेट की ही तरह कार्सिनोजन लगा होता है जिससे कैंसर होने की संभावना प्रबल होती है. हुक्के का धुआं ठंडा होने के बाद भी नुकसान पहुंचाता है. यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है.

यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया की रिसर्च के मुताबिक हुक्के में इस्तेमाल किए जाने वाले हशिश (एक प्रकार का ड्रग) सेहत के लिए हानिकारक होता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग हुक्का पीते हैं उनकी धमनियां सख्त होने लगती हैं और हार्ट से संबंधित बारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक हुक्के में भी सिगरेट की तरह हानिकारक तत्व व निकोटीन पाए जाते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए लोगों को यह मानना बंद कर देना चाहिए कि इसकी लत नहीं लग सकती. हुक्के में मौजूद तंबाकू में 4000 तरह के खतरनाक रसायन होते हैं. हुक्के के बारे में सच यही है कि इसका धुआं सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक होता है.

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