Top seven love and sex stories of 2023: आज हम आपके लिए लेकर आए है कुछ ऐसी स्टोरी जिन्हे पढ़ कर आप नई -नई जानकारियां हासिल कर पाएंगे , साथ ही इन कहानियों को पढ़कर आप आनंद ले पाएंगे. कहानियों को खुद से जोड़ भी पाएंगे. तो पढ़े Top seven love and sex stories in hindi.
1.प्यासी नदी : क्या थी नौकरानी की कहानी
मेरे पतिदेव को चलतेफिरते मुझे छेड़ते हुए शरारत करने की आदत है. वे कभी गाल छू लेते हैं, तो कभी कमर पर चुटकी ले लेते हैं. यह भी नहीं देखते कि आसपास कोई है या नहीं. बस, मेरे प्रति अपना ढेर सारे प्यार को सरेआम जता देते हैं. मेरे मना करने पर या ‘शर्म करो’ कहने पर कहते हैं, ‘अरे यार, अपनी खुद की बाकायदा बीवी को छेड़ रहा हूं, कोई राह चलती लड़की को नहीं और प्यार जता रहा हूं, सता नहीं रहा… समझी जानू…’
बेशक, मुझे भी उन का यों प्यार जताना गुदगुदा जाता है. कभी चुपके से मैं भी इन की पप्पी ले लेती हूं… हम मियांबीवी जो हैं. पर, 1-2 बार मैं ने नोटिस किया है कि मेरी कामवाली गीता हम पतिपत्नी की ये अठखेलियां दरवाजे के पीछे खड़ी रह कर छिपछिप कर देखती है. पहले तो मुझे लगा कि यह मेरा भरम है, पर अब तो गीता ऐसी हरकतें बारबार करने लगी थी. वैसे, गीता बहुत अच्छी है. स्वभाव भी मिलनसार और काम भी परफैक्ट, कभी शिकायत का मौका नहीं देती.
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2. रखैल नहीं : श्यामलाल की आंखो में किसका चेहरा नजर आ रहा था
रात के 10 बज चुके थे. टैलीविजन बंद कर के श्यामलाल बिस्तर पर लेट गए और सोने की कोशिश करने लगे, पर नींद ही नहीं आ रही थी. आंखों के सामने बारबार निम्मो का चेहरा और गदराया बदन आ रहा था.
एक घंटे बाद श्यामलाल ने निम्मो को फोन किया, ‘‘निम्मो…’’
‘हां बाबूजी, क्या बात है? तबीयत तो ठीक है न आप की?’ उधर से निम्मो की आवाज सुनाई दी.
‘‘सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है. जरा आ कर गोली दे दो और बाम भी लगा दो.’’
‘अभी आती हूं.’
कुछ देर बाद निम्मो कमरे में आ गई. सिरदर्द की गोली देते हुए वह बोली, ‘‘यह दर्द कब हुआ बाबूजी?’’
‘‘अभी थोड़ी देर पहले. नींद नहीं आ रही थी. राजू बेटा सो गया है क्या?’’
‘‘हां बाबूजी, हम दोनों ही सो गए थे,’’ निम्मो ने कहा और श्यामलाल के माथे पर बाम लगाने लगी.
कुछ देर बाद श्यामलाल ने अपनी बांहें निम्मो की कमर में डाल दीं.
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3. बदला: सुगंधा ने कैसे लिया रमेश से बदला
सुगंधा, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारी खूबसूरती पर मैं एक क्या कई जन्म कुरबान कर सकता हूं.’’ ‘‘चलो हटो, तुम बड़े वो हो. कुछ ही मुलाकातों में मसका लगाना शुरू कर दिया. मुझे तुम्हारी कुरबानी नहीं, बल्कि प्यार चाहिए,’’ फिर अदा से शरमाते हुए सुगंधा ने रमेश के सीने पर अपना सिर टिका दिया.
रमेश ने सुगंधा के बालों में अपनी उंगलियां उलझा दीं और उस के गालों को सहलाते हुए बोला, ‘‘सुगंधा, मैं जल्दी ही तुम से शादी करूंगा. फिर अपना घर होगा, अपने बच्चे होंगे…’’ ‘‘रमेश, तुम शादी के वादे से मुकर तो नहीं जाओगे?’’
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4. प्यार की आग : गब्बर ने मानी रीता की बात?
लकवे ने रीता की जिंदगी तबाह कर दी. पर उस के पति ने हिम्मत नहीं हारी और रीता की सेवा में जुट गया. इस सब के बावजूद रीता को लगा कि गब्बर को उस के तन की भूख सता रही होगी. उस ने अपनी छोटी बहन मीता से गब्बर का दूसरा ब्याह कराने की सोची. क्या गब्बर ने रीता की बात मान ली? वाकई गब्बर को औरत की देह की भूख थी?
सूरज हर रोज की तरह आज भी अपनी धुन में मगन सा निकला, पर अब यह सूरज रीता के लिए और दिन जैसा नहीं रहा था. कहते हैं कि दिन खोटे होने में पलभर भी नहीं लगता, बस ऐसा ही कुछ रीता के साथ हुआ था. एक रात ने उस की जिंदगी को खोटा कर दिया. वह रात में अचानक कांपने लगी. उस की जबान तालू से चिपक गई. वह कुछ बोल नहीं पा रही थी.
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5. लुट गई जोगी तेरे प्यार में
जमीला और शर्मिला पक्की सहेलियां थीं. उन की दोस्ती को देख कर घरपरिवार वाले और पड़ोसी उन्हें दो जिस्म एक जान कहते थे.
दोनों सहेलियों ने गांव में ही एकसाथ पढ़ाई की थी. आगे की पढ़ाई के लिए गांव में स्कूल न होने, गरीबी और परदा प्रथा की वजह से उन के परिवारों ने आगे दिलचस्पी नहीं दिखाई. नतीजतन, वे दोनों घर पर ही रह कर परिवार के साथ बीड़ी बनाने का काम करने लगीं.
जमीला कब जवान हो गई, उस की सम?ा में नहीं आया. घर के बड़ेबूढ़े जब उसे टोकते, ‘बड़ी हो गई है तू, ठीक से दुपट्टा ओढ़ कर बाहर निकला कर. अकेले घूमने मत जाना. बहू, इसे नकाब ला कर दे. अब कोई छोटी बच्ची थोड़े ही है, बड़ी हो गई…’
वह सोचती, ‘आखिर मु?ा में ऐसा क्या हुआ है? जब मैं स्कूल जाती थी, तब कोई कुछ नहीं कहता था.
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6. फंसे ऐश करने में: क्या प्रकाश और सुरेंद्र की लालसा हो पाई पूरी
सुरेंद्र पहले ऐसा नहीं था. वह अपने परिवार में मस्त रहता था, पर काम करते उस के दोस्त प्रकाश ने उस की सोच बदल दी. वे दोनों सैंट्रल रेलवे मुंबई के तकनीकी विभाग में थे और बहुमंजिला इमारत में अपने फ्लैट में रहते थे.
सुरेंद्र का फ्लैट तीसरी मंजिल पर था, जबकि प्रकाश का पहली मंजिल पर. सुरेंद्र तकरीबन 54 साल का था और प्रकाश भी उसी का हमउम्र था. दोनों के पत्नी व बच्चे उन के साथ ही रहते थे.एक बार उन दोनों के परिवार वाले त्योहार में शामिल होने के लिए किसी रिश्तेदारी में चले गए.
शाम को दफ्तर से लौटने पर दोनों बैठ कर जाम चढ़ाते, फिर घूमने निकल जाते. खापी कर दोनों देर रात को लौटते. बच्चे बड़े हो गए थे. उन की पढ़ाई और कैरियर बनाने की चिंता सताने लगती. बड़ी होती बेटियों की शादी की चिंता से छुटकारा पाने के लिए दोनों बोतल खोल कर बैठ जाते. ह्विस्की के रंगीन नशे में आसपास घूमती खूबसूरत लड़कियों को पाने की लालसा उन की बातचीत का मुद्दा बनने लगीं.
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7. प्यार : होटल में उस रात क्या हुआ
अरे संजय… चल यार, आज मजा करेंगे,’’ बार से बाहर निकलते समय उमेश संजय से बोला. दिनेश भी उन के साथ था.
संजय ने कहा, ‘‘मैं ने पहले ही बहुत ज्यादा शराब पी ली है और अब मैं इस हालत में नहीं हूं कि कहीं जा सकूं.’’
उमेश और दिनेश ने संजय की बात नहीं सुनी और उसे पकड़ कर जबरदस्ती कार में बिठाया और एक होटल में जा पहुंचे.
वहां पहुंच कर उमेश और दिनेश ने एक कमरा ले लिया. उन दोनों ने पहले ही फोन पर इंतजाम कर लिया था, तो होटल का एक मुलाजिम उन के कमरे में एक लड़की को लाया.
उमेश ने उस मुलाजिम को पैसे दिए. वह लड़की को वहीं छोड़ कर चला गया.
वह एक साधारण लड़की थी. लगता था कि वह पहली बार इस तरह का काम कर रही थी, क्योंकि उस के चेहरे पर घबराहट के भाव थे. उस के कपड़े भी साधारण थे और कई जगह से फटे हुए थे.
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