लकवे ने रीता की जिंदगी तबाह कर दी. पर उस के पति ने हिम्मत नहीं हारी और रीता की सेवा में जुट गया. इस सब के बावजूद रीता को लगा कि गब्बर को उस के तन की भूख सता रही होगी. उस ने अपनी छोटी बहन मीता से गब्बर का दूसरा ब्याह कराने की सोची. क्या गब्बर ने रीता की बात मान ली? वाकई गब्बर को औरत की देह की भूख थी?

सूरज हर रोज की तरह आज भी अपनी धुन में मगन सा निकला, पर अब यह सूरज रीता के लिए और दिन जैसा नहीं रहा था. कहते हैं कि दिन खोटे होने में पलभर भी नहीं लगता, बस ऐसा ही कुछ रीता के साथ हुआ था. एक रात ने उस की जिंदगी को खोटा कर दिया. वह रात में अचानक कांपने लगी. उस की जबान तालू से चिपक गई. वह कुछ बोल नहीं पा रही थी.

गब्बर ने रीता से कई बार पूछा, उस के हाथपैर रगड़े, पर कुछ नहीं हुआ. फिर उस ने रीता को हौस्पिटल ले जाने में थोड़ी भी देरी नहीं की और उसे भरती करा दिया.

डाक्टरों ने जो बताया, उस से गब्बर के तो जैसे होश उड़ गए. वह कांप गया. डाक्टर बोला, ‘‘आप की पत्नी को लकवा मार गया है. उन का कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह से लुंज हो गया है. कहें तो बेजान हो चुका है.’’

उस रात के बाद रीता ह्वील चेयर पर थी. पहले वह दुबलीपतली गोरीभूरी गुडि़या सी थी, लेकिन अब धीरेधीरे दुबलीपतली सी मरियल और गोरीभूरी की तो जैसे बात ही खत्म हो गई थी.

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