टाइट बेल्ट पहनने से हो सकती हैं ये समस्याएं

अगर आप भी टाइट बेल्ट पहनते है तो जाइए सावधान क्योंकि टाइट बेल्ट पहनना हो सकता है खतरनाक. एक रिसर्च में सामने आया है की ज्यादातर लोगों को टाइट बेल्ट पहनने की आदत होती है. पर ये आदत उनकी जान का खतरा बन सकती है. दरअसल पेट के निचले हिस्से में जहां हम बेल्ट लगाते हैं, वहां शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग होते हैं और कई महत्वपूर्ण नसें वहां से गुजरती हैं. ऐसे में लंबे समय तक टाइट बेल्ट पहनने के कारण आपको ढेर सारी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. खासकर तब जब आप कोई सिटिंग जौब करते हो तो ये और भी खतरनाक होता हैं.

ये भी पढ़ें : क्या आप जानते हैं ठंडे पानी से नहाने के फायदे?

आपना मोटापा छुपाने या लोगों के बीच में खुद का पेट कम दिखाने के लिए बजार में कई ऐसे बेल्ट मिलते है जो आपके पेट को टाइट रखते हैं. ये सभी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह टाइट बेल्ट आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है.

1. हार्ट बर्न (एसिड रिफलक्स)

दिनभर टाइट बेल्ट पहनने के कारण आपको एसिड रिफलक्स या हार्ट बर्न का बहुत ज्यादा खतरा होता है. दरअसल टाइट बेल्ट आपके पेट पर दबाव बनाती है, जिससे खाना पचाने के लिए बनने वाला एसिड अपनी सीमा को पार कर फेफड़ों और गले में पहुंच जाता है. यही कारण है कि टाइट बेल्ट पहनने वाले लोगों में अक्सर सीने में जलन, बदहजमी, कब्ज और अपच की समस्या होती है. लंबे समय में ये समस्या गले के कैंसर का कारण भी बन सकती है.

ये भी पढ़ें- जानें क्यों लड़कों के लिए खतरनाक है प्रोस्‍टेट ग्‍लैंड का बढ़ना

2. प्रजनन क्षमता में कमी

लंबे समय तक टाइट बेल्ट पहनने के कारण पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है, जिससे इन्फर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल टाइट बेल्ट पहनने के कारण पेल्विक एरिया पर दबाव बनता है, जहां प्रजनन से जुड़े महत्वपूर्ण अंग होते हैं. इसके अलावा टाइट बेल्ट के कारण प्राइवेट अंगों तक हवा ठीक से नहीं पहुंच पाती और बॉडी टम्प्रेचर (शारीरिक गर्मी) बढ़ जाती है, जिससे स्पर्म काउंट (शुक्राणुओं की संख्या) कम होता है.

3. हर्निया की समस्या

टाइट बेल्ट पहनना आपको हर्निया जैसी गंभीर बीमारी का भी शिकार बना सकता है. हायटल हर्निया की स्थिति में पेट का ऊपरी हिस्सा अपने डायाफ्राम के कमजोर होने की वजह से डायाफ्राम से बाहर निकल आता है, जिसके चलते ये अपने अंदर बनने वाले एसिड को रोक नहीं पाता. ये एसिड पेट की नली में पहुंच कर जलन पैदा करते हैं, जिस से हमारे सीने में जलन और तेज दर्द महसूस होता है.

ये भी पढ़ें- पुरुषों को भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर, जानें कैसे

4. रीढ़ की हड्डी और घुटनों की समस्या

कमर पर टाइट बेल्‍ट बांधने से जब पुरुष खड़े होते हैं तो उनके एब्‍डोमिनल मांसपेशियों के इस्‍तेमाल करने का तरीका बदल जाता है. ऐसा उन मांसपेशियों पर पड़ने वाले अतिरिक्‍त दबाव के कारण होता है. यह अतिरिक्‍त दबाव रीढ़ की हड्डी में अकड़न ला सकता है. इसके साथ ही ज्‍यादा टाइट बेल्‍ट बांधने से सेंटर ऑफ ग्रेविटी और श्रोणिक क्षेत्र (पेल्विक एरिया) के कोणों में भी बदलाव आता है. इसके साथ ही यह घुटनों के जोड़ों पर भी अतिरिक्‍त दबाव डालता है.

5. कमर दर्द और पैरों में सूजन

अगर आप टाइट बेल्ट बांधते हैं तो आपको कमर में दर्द की समस्या हो सकती है. इसका कारण यह है कि आपके कमर के आसपास से साइटिक नर्व और कई दूसरी महत्वपूर्ण नसें गुजरती हैं, जिसपर पड़ने वाला दबाव आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा कमर के आसपास प्रेशर बनने से आपको पांव में सूजन की समस्‍या भी आ सकती है.

ये भी पढ़ें : वजन कम करने के लिए डाइट में नींबू का ऐसे करें इस्तेमाल

तो ये है कुछ समस्याएं जो आपको टाइट बेल्ट पहनने से हो सकती हैं. इसलिए जितना हो सके टाइट बेल्ट पहनना अवौइड करें.

जागरूकता: मैं कुंआरी हूं

संवाददाता

क्या यह पता चल सकता है कि कोई लड़की कुंआरी है या नहीं?

पहली रात को खून नहीं निकलता तो क्या लड़की ने सैक्स किया है?

क्या खेलकूद से भी कुंआरेपन की झिल्ली फट जाती है?

ऐसा क्या करें कि कुंआरेपन की झिल्ली सुहागरात तक बची रहे?

पहली बार सैक्स करने में दर्द नहीं तो क्या लड़की कुंआरी नहीं है?

क्या एक बार खोया हुआ कुंआरापन फिर से पाया जा सकता है?

क्या ज्यादा सैक्स करने से औरत के अंग में ढीलापन आ जाता है?

कोई लड़की अपने कुंआरेपन को कैसे साबित कर सकती है?

लड़के के जोर लगाने से क्या लड़की की सुहागरात का पता चलता है?

द्य क्या ज्यादा हस्तमैथुनकरने से कुंआरेपन की झिल्ली फट सकती है?

तकरीबन 42 फीसदी लड़कियों को ही पहले सैक्स के दौरान खून आता है,

इसलिए यह कहना समझदारी नहीं है कि जिन्हें खून नहीं आया है वे कुंआरी भी नहीं हैं.

ऐसे कई सवाल हैं, जो बड़े होने की दहलीज पर खड़े लड़केलड़कियों के मन में कौंधते रहते हैं, पर उन्हें इन का सही जवाब नहीं मिल पाता. इस की एक वजह तो जरूरी सैक्स ऐजूकेशन का न होना है. चूंकि कुंआरेपन का पहलू बड़े तौर पर लड़कियों से ही जुड़ा रहता है, इसलिए लड़कियां ही इस मामले में ज्यादा परेशान रहती हैं. कई लड़कियां तो प्यार, सैक्स और शादी को ठीक से एंजौय नहीं कर पाती हैं.

एक सर्वे से पता चला था कि भारतीय लड़कियां 17 साल की औसत उम्र में अपना कुंआरापन खो रही हैं, जबकि भारतीय लड़की की शादी की औसत उम्र इस से ज्यादा होती है.

एक और सैक्स सर्वे के मुताबिक, शादी से पहले सैक्स कर चुके मर्दों की तादाद औरतों के मुकाबले 3 गुना है. इस के बावजूद 77 फीसदी मर्द कुंआरी दुलहन ही चाहते हैं. इन का कहना है कि अगर इन्हें पता चले कि उन की होने वाली पार्टनर या पत्नी ने पहले सैक्स किया हुआ है, तो वे उस से संबंध ही नहीं बनाएंगे. यही नहीं, शादी से पहले प्यार करने वाले भी चाहते हैं कि लड़की का किसी से पहले सैक्स न हुआ हो.

गायनोकोलौजिस्ट की राय

हाइमन रैस्टोरेशन या रीवर्जिनेशन एक कौस्मैटिक सर्जरी है, जो फटी झिल्ली को रिपेयर करने के लिए की जाती है. टांकों द्वारा फटी झिल्ली को पुरानी जैसा बनाया जाता है. हाइमनोप्लास्टी के बढ़ते चलन के पीछे शादी से पहले सैक्स की बढ़ती सोच है. यह लड़कियों की शादीशुदा जिंदगी पर असर डाल सकती है. हाइमन केवल सैक्स से ही नहीं, बल्कि खेल जैसे घुड़सवारी या मुश्किल शारीरिक कसरत या फिर नाचने से भी फट सकती है.

यह ओपीडी प्रोसीजर है, जो लोकल एनैस्थिसिया दे कर किया जाता है और इस में तकरीबन डेढ़ घंटे का वक्त लगता है. अगर इसे माहिर डाक्टर द्वारा कराया जाए, तो साइड इफैक्ट जैसे आपरेशन के बाद दर्द, असामान्य रूप से खून बहना, असामान्य वैजाइनल डिस्चार्ज, जलन या इंफैक्शन या अंसतोषजनक नतीजे बहुत कम देखने को मिलते हैं. लड़की 2-3 दिन में सामान्य हो कर काम पर लौट सकती है. पूरी तरह से ठीक होने में 6-7 हफ्ते लगते हैं. आपरेशन के 2-3 हफ्तों तक बैठने और भारी कसरत के प्रति सावधानी बरतें. इस के बाद पहली बार सैक्स करने पर दर्द और खून निकलता है.

हाइमनोप्लास्टी सर्जरी को सुहागरात में लड़की कुंआरी है और खून नहीं निकला, इस के लिए कराई जाती है. इस सर्जरी में वैजाइना से ही टिशू ले कर कृत्रिम हाइमन झिल्ली बनाई जाती है. इस का खर्च तकरीबन 70-80 हजार रुपए आता है. यह सर्जरी एक बार के लिए ही होती है.

लेबियाप्लास्टी यानी डिजाइनर अंग आपरेशन के जरीए जननांग के अंदरूनी हिस्से को कम कर दिया जाता है. हीनभावना के चलते लड़कियां लेबियाप्लास्टी कराती हैं. इस में प्यूबिक एरिया की ऐक्स्ट्रा चरबी को लिपोसक्शन के जरीए कम या फिर सर्जरी से ड्रिम कर देते हैं. इस सर्जरी में भी दिन में ही डिस्चार्ज मिल जाता है और इस का खर्च तकरीबन 50-60 से एक लाख रुपए तक आता है.

वैजाइनोप्लास्टी या कहें वैजाइना टाइटनिंग. यह बाकी 2 सर्जरी से बड़ी सर्जरी है. इस के लिए एक दिन रुकना पड़ सकता है. वैजाइना का ढीला हो जाना और उसे सर्जरी द्वारा टाइट व कसावट लाने के लिए यह सर्जरी की जाती है. इस का खर्च 50-60 हजार रुपए ही है. इस में भी 3 हफ्ते तक सैक्स संबंध मना होते हैं. डिलीवरी के बाद महिला के अंग का ढीला पड़ जाना सामान्य बात है. इसे लैक्स पैरिनियम कहते हैं. वैजाइना से ऐक्स्ट्रा लाइनिंग को हटा कर व चारों ओर के मुलायम टिशू और मांसपेशियों में कसावट ला कर वैजाइना का ढीलापन दूर किया जा सकता है.

आम सवाल

मैं कैसे पता करूं कि मेरी गर्लफ्रैंड या होने वाली बीवी कुंआरी है?

इस तरह के आम सवाल डाक्टरों और कौस्मैटिक सर्जनों के मेल बौक्स में ज्यादा पूछे गए हैं. इस का जवाब है कि इसे जानने का कोई रास्ता नहीं है.

डाक्टरों के मुताबिक,कुंआरापन कोई बड़ा मसला नहीं है, मगर मर्दों की यह पुरानी शिकायत रही है कि पहली रात को खून नहीं निकला. ऐसा सभी के साथ होना जरूरी नहीं है. इस का मतलब यह नहीं है कि वह लड़की कुंआरी नहीं है. किसी लड़की की अंदरूनी झिल्ली स्कूल के दिनों में ही फट जाती है, तो किसी की सुहागरात पर भी नहीं फटती.

एक सच

एक गायनोकोलौजिस्ट के मुताबिक, लड़की के प्राइवेट पार्ट में मौजूद झिल्ली के फटने से खून निकलना कुंआरेपन का सुबूत नहीं है. सच बात यह भी है कि कुछ लड़कियों में झिल्ली जन्म से नहीं होती, लेकिन कुछ लड़कियों की यह परत बेहद लचीली होती है और सैक्स के दौरान भी नहीं फटती है. इतना ही नहीं, कई लड़कियों को इस परत के बारे में भी पता नहीं चल पाता है. झिल्ली को सैक्स किए बिना दूसरी चीजों से नुकसान पहुंच सकता है.

ऐसे पता चले कुंआरापन

लड़की या तो खुद स्वीकार कर ले या वह शादी से पहले पेट से हो चुकी हो. बता दें कि एक झिल्ली कभी भी कुंआरेपन का सुबूत नहीं हो सकती, क्योंकि आजकल तो रीवर्जिनिटी के जरीए सर्जन आसानी से झिल्ली की तरह के टिशू बना लेते हैं.

अगर चौइस दी जाए, तो शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने वाले नौजवान ज्यादातर मामलों में अपने लिए भी कुंआरा पार्टनर ही चाहते हैं. ऐसा लड़के और लड़कियां दोनों के केस में

देखने को मिलता है. लड़कों को लड़कियों के मुकाबले इस मामले में अपनी इच्छा जाहिर करने का ज्यादा मौका मिलता है, इसलिए यह माना जाता है कि कुंआरेपन को ले कर मर्द ज्यादा चिंतित रहते हैं.

सर्जरी कराने या न कराने पर कोई ऐसा दर्द नहीं होता, जो झेला न जा सके. ज्यादातर औरतों को सुहागरात की वजह से भी सैक्स के दौरान होने वाला दर्द बढ़ जाता है.

हमारे समाज में लड़कियों को ऐसे सपने दिखाए जाते हैं कि तकरीबन हर लड़की कुंआरेपन के बारे में सोचते हुए ही बड़ी होती है. आसपास के हालात कैसे भी हों, हर लड़की शादी के बाद सुहागरात को सजनेसंवरने और दुनिया की सब से खास शादी करना चाहती है.

जिंदगी की परेशानियों, हालात से इस दिन का कुछ लेनादेना नहीं रह गया है. यही वजह है कि लड़कियों पर इतने फालतू के दबाव बना दिए गए हैं कि उस से प्यार, लिवइन व शादी तक अनछुई, अनदेखी होने की उम्मीद की जाती है.

लड़की के पार्टनर की सब से बड़ी ख्वाहिश यह होती है कि लड़की कुंआरी हो यानी उस के किसी के साथ शारीरिक संबंध न रहे हों. इस बात को शादी से पहले तो लड़का इशारों में खुले तौर पर लड़की से पूछ ही लेता है. प्यार करने वाले भी पूछे बिना नहीं रहते. लड़की के चालचलन के बारे में पूरी जांचपड़ताल कर ली जाती है.

लड़का सुहागरात के दिन लड़की का कुंआरापन भंग करने के सपने देखता है. आजकल भी कई जगहों पर दूल्हे के घर वाले अगले दिन चादर पर दुलहन का कुंआरापन भंग होने की निशानी यानी खून के धब्बे खोजते हैं. जब ‘कुंआरेपन की झिल्ली’ साइकिल चलाने, दौड़ने, तैरने जैसे सामान्य कामों में ही फट सकती है, तो लड़कियों के पास ही रास्ता बचता है रीवर्जिनिटी पाने का. एक डाक्टरी संस्थान के सर्वे से पता चला है कि लड़कियां रीवर्जिनिटी इसलिए करवाती हैं, ताकि उन की शादीशुदा जिंदगी शांति से बीते.

जब सब की नजर में आप दिखना चाहें  नंबर वन

नया साल नई उम्मीद के साथ आता है, इसलिए लोग साल की शुरुआत को खुशनुमा तरीके से मनाते हैं. इस बार चीजें थोड़ी नियंत्रण में हैं तो एहतियात के साथ सजनासंवरना और खुशियां मनाना बनता है तो आइए जानते हैं क्या आउटफिट पहनें.

नए साल को हमेशा गर्मजोशी के साथ आमंत्रित किया जाता रहा है. उस दिन चारों तरफ रोशनी से पूरा देश जगमगा उठता है. लेकिन पिछले 2 सालों से कोविड ने सभी उत्सवों के सैलिब्रेशन पर पाबंदी सी लगा दी है. कोविड के कम होने और सभी लोगों के 2 वैक्सीन लग चुकी होने की वजह से इस बार सभी ने न्यू ईयर के सैलिब्रेशन को एक बार फिर अच्छी तरह से मनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. होटल और रैस्तरां सभी प्रीबुक हो चुके हैं. लेकिन कोविड के औमिक्रोन वैरिएंट के बढ़ने की वजह से महाराष्ट्र में 144 धारा लगा दी गई है ताकि लोग समूह में एक जगह इकट्ठा न हों. यह सही भी है, क्योंकि कोविड की दूसरी लहर का असर समने के पहले ही काफी लोगों ने अपनी जान गंवाई है. ऐसे में पूरा विश्व अब गलतियां करने से खुद को रोक रहा है पर इतना तय है कि इस बार नए साल को, हलके थोड़े में ही सही, पर मनाएंगे सभी अवश्य.

होड़ लेटैस्ट ट्रैंड की

फैशन हर साल मौसम के अनुसार बदलता रहता है. इसलिए हर साल के ट्रैंड को जानना आवश्यक है. इस बार नए साल की पार्टी में सभी ने कुछ न कुछ तैयारी अपने स्तर पर की है. सब से अधिक उत्साहित यूथ हैं. मुंबई की साक्षी कहती हैं, ‘‘मैं ने नए साल की पार्टी के लिए ब्लैक कलर का शिमरी गाउन सिलवाया है, क्योंकि इस बार यह फैशन में है.’’

22 साल की नूपुर ने लैदर स्कर्ट और लैदर जैकेट खरीदी है. इस के अलावा कुछ यूथ फैशन डिजाइनर्स के पास जा कर लेटैस्ट ट्रैंड की पोशाक खरीद रहे हैं, ताकि वे पार्टी में सैंटर औफ अट्रैक्शन बने रहें. गर्ल्स उस दिन लाइटवेट ड्रैस अधिक प्रिफर करती हैं. न्यू ईयर पार्टी में अधिकतर वैस्टर्न वियर ही पहने जाते हैं. इस में वन पीस, शौर्ट ड्रैस पहनने से इसे संभालना आसान होता है.

एंजौय करना है प्राथमिकता

नए साल के फैशन ट्रैंड के बारे में पूछे जाने पर सैलिब्रिटी डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं, ‘‘कोविड की वजह से सभी ने पिछले 2 सालों से घर के कपड़े पजामा और टीशर्ट के साथ ही नए साल का स्वागत किया था, लेकिन इस साल सभी ने एंजौय करने को सोचा था, लेकिन औमिक्रोन ने इस पर थोड़ी पाबंदी लगा दी है. मेरे हिसाब से कमोबेश सभी नजदीक के रैस्तरां और होटलों में जाएंगे, लेकिन छोटे ग्रुप्स में जाएंगे और कोविड में वही सही भी रहेगा. इस बार चीयरफुल, ग्लिटरी, सीक्वैंस, शाइनी और शिमर वाली ड्रैसेस फैशन में हैं. ट्रैंड में रैड और ब्लैक पार्टी कलर हावी रहेगा, क्योंकि इन दोनों रंगों की ड्रैस काफी स्टाइलिश हैं, जो पार्टी में काफी हौट और बोल्ड लुक देती हैं.’’

ब्राइट कलर्स, जिस में बरगंडी, वाइन, बौटल ग्रीन, पर्पल और रौयल ब्लू जैसे डार्क कलर्स आते हैं और जो विंटर के चर्चित रंग हैं, उन की प्राथमिकता रहेगी. इस के अलावा सीक्वैंस के जैकेट, एक ही रंग के पैंट, जैकेट और टौप होंगे. ये इस साल यूथ को बहुत पसंद आ रहे हैं. ये नए साल के फैशन ट्रैंड में भी हैं. इन में भी डार्क कलर्स के साथ ब्राइट प्रिंट होने पर उत्सव का रंग उन में दिखेगा. लोग घर पर रहरह कर थक चुके हैं, इसलिए वे थोड़ाबहुत फैशन के मूड में हैं.

डिजाइनर श्रुति संचेती आगे कहती हैं, ‘‘जो लोग घर से दूर किसी स्थान पर नए साल को मनाने जाते हैं, वे मैक्सी, कफ्तान, शौर्ट्स आदि पहन सकते हैं. इस साल में बदलाव बहुत आया है.

‘‘एक्सेसरीज की अगर बात करें तो एकसाथ कई चेन्स गले में पहनना या एक अच्छे कान के सैट को पहनना ट्रैंड में है. अधिक एक्सेसरीज इस बार फैशन में नहीं है. इसलिए ड्रैस के अनुसार एक्सेसरीज पहनें. इस बार सभी उत्साहित हैं, पार्टियां छोटी रहेंगी पर स्पिरिट उतनी ही हाई रहेगी.’’

ट्रैंड फ्लौवरी फैशन का

डिजाइनर राहुल मिश्रा के कपड़े हाईएंड क्लासी फैशन में आते हैं. लेकिन इस साल उन्होंने नए साल के लिए भी कुछ नए क्रिएशंस मार्केट में उतारे हैं. उन का कहना है कि नए साल में मुंबई जैसे शहर, जहां कम ठंड होती है, में गर्ल्स लाइट फ्रीफ्लोइंग, फ्लौवरी, शिफौन की ड्रैस, फ्रौक्स पहन सकती हैं. लेकिन ठंड वाले स्थानों पर फुलस्लीव शौर्ट ड्रैस, लैदर जैकेट, शौर्ट स्कर्ट, गाउंस आदि पहनें तो अच्छा रहेगा. वाइब्रैंट कलर्स, जिस में औरेंज, रैड, ब्लैक, ग्रीन आदि प्रमुख होने के साथसाथ, उस पर मोटिफ्स, एंब्रौयडरी, नैट्स, सीक्वैंस आदि किसी को भी एक नया लुक दे सकते हैं.

इस बार नए साल में खूबसूरत पोशाक के साथ मेकअप ट्रैंड हलका और न्यूड ही रहेगा, ताकि ड्रैस के साथ मेकअप मैच करते हुए एक खूबसूरत मुसकान हो. लेकिन इन सब के साथसाथ फौलो करना होगा कोविड के नियम, ताकि आप बाद में भी स्वस्थ रहें और नए साल को एंजौय करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें