Crime Story: लुटेरी दुल्हन – 4 शादियां और लाखों की ठगी

Crime Story: छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक उलझे हुए और चौंकाने वाले मामले का परदाफाश किया है, जिस में एक जवान लड़की और उस की मां को 4 अलगअलग मर्दों से शादी कर के उन्हें ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

यह मामला राजधानी रायपुर का है. पुलिस अफसर लाल उम्मेद सिंह के मुताबिक, आरोपी जवान लड़की, जिस की पहचान पूजा देवांगन उर्फ गीतांजलि के रूप में हुई है, ने अपनी मां गायत्री देवांगन के साथ मिल कर कई मर्दों को अपने रूपजाल में फंसाया और उन से लाखों रुपए के गहने और नकदी ठग ली.

सोशल मीडिया से शिकार

पुलिस को जांच में पता चला है कि पूजा देवांगन सोशल मीडिया प्लेटफार्म और औनलाइन वैवाहिक साइटों का इस्तेमाल कर के अपने भावी दूल्हों (शिकारों) को ढूंढती थी. वह आकर्षक प्रोफाइल बना कर और खुद को एक संस्कारी और सुशील लड़की के रूप में पेश कर के मर्दों को अपनी ओर खींचती थी. इस के बाद वह उनसे दोस्ती करती थी और धीरेधीरे उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसा लेती थी.

एक बार जब मर्द पूजा देवांगन के जाल में फंस जाते थे, तो वह उन से शादी करने का दबाव डालती थी. शादी के बाद पूजा और उस की मां पीड़ितों से दहेज की मांग करती थीं और तथाकथित पति और उन के परिवारों को सताती थीं. कुछ मामलों में पूजा देवांगन पीड़ितों के घरों से कीमती गहने और नकदी चुरा कर फरार हो जाती थी.

कई पीड़ित आए सामने

पुलिस के मुताबिक, जांच में यह भी पता चला है कि पूजा देवांगन ने साल 2015 से साल 2023 के बीच 4 अलगअलग मर्दों से शादी की थी. उस के पहले पतियों के नाम उमेश देवांगन, पुरुषोत्तम देवांगन और लोकनाथ देवांगन हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि पूजा देवांगन ने अपने पहले पतियों से तलाक लिए बिना ही शुभम देवांगन से चौथी शादी की थी.

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब शुभम देवांगन ने मुजगहन थाने में पूजा देवांगन और उस की मां के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. शुभम देवांगन के मुताबिक, पूजा देवांगन ने शादी के बाद उस से दहेज की मांग की और उसे और उस के परिवार को सताया. उस ने यह भी आरोप लगाया कि पूजा देवांगन ने उस के घर से तकरीबन 5 लाख रुपए के गहने चुरा लिए थे और फरार हो गई थी.

पुलिस ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की और पूजा देवांगन और उस की मां को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उन के पास से चोरी किए गए गहने और नकदी भी बरामद की.

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे औनलाइन वैवाहिक साइटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अजनबियों से सावधान रहें और किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचें.

Love Crime: इश्क में डूबा शादाब, विवाहिता के इश्क ने ले ली जान!

Love Crime: सुबह के 10 बज रहे थे. बरसात का मौसम होने के कारण उस दिन सुबह से ही उमस भरी गरमी पड़ रही थी. अफजाल उस समय अपने ड्राईंगरूम में बैठा चाय पी रहा था. जैसे ही उस ने चाय का प्याला खाली कर के रखा तो अचानक उस के घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी थी.

कौन है?’’ अफजाल ने पूछा

मैं हूं भाईजान, सावेज.’’ बाहर से आवाज आई.

अरे सावेज, तुम? अंदर आ जाओ.’’ यह कहते हुए अफजाल ने दरवाजा खोल दिया था.

इस के बाद सावेज अंदर आ कर अफजाल के पास बैठ गया था. सावेज अफजाल का छोटा भाई था. अफजाल की बीवी मरजीना ने जब सावेज को आया देखा था तो वह उस के लिए चाय बनाने किचन में चली गई थी. इस के बाद अफजाल व सावेज एकदूसरे का हालचाल पूछने लगे थे और आपस में बातें भी करने लगे थे.

अचानक सावेज बोला, ”भाई, तुम ने भाभी मरजीना के बारे में कुछ सुना है?’’

हां सावेज, रिश्तेदारी और मोहल्ले में जो बातें फैल रही हैं, मैं उस से बाकायदा वाकिफ हूं. पड़ोसी कस्बे मंगलौर के रहने वाले शादाब द्वारा समाज व रिश्तेदारी में हमें बदनाम किया जा रहा है, जिस से हम समाज में सिर उठा कर जी न सकें.’’ अफजाल बोला. 

मगर यह बात भी भाभी मरजीना द्वारा ही शुरू की गई थी. भाभी को रील बनाने की और उसे फेसबुक पर लोड करने की आदत थी तथा वह अपनी आदत के चलते पड़ोस के युवक शादाब से दिल लगा बैठी थी. इस के बाद भाभी उस के साथ लिवइन में रहने लगी थी.’’ सावेज बोला.

तेरी भाभी के शादाब के साथ लिवइन में रहने के कारण हमें कस्बा मंगलौर छोडऩा पड़ा था. इसी कारण हमें वहां से 10 किलोमीटर दूर यहां रुड़की में आ कर रहना पड़ रहा है. मैं जानता हूं कि तेरी भाभी पहले रंगीली तबियत की थी, मगर अब तो शादाब हमें लगातार बदनाम करने में लगा है. अब हम कैसे अपनी इज्जत बचाएं?’’ अफजाल बोला.

तुम इस की चिंता मत करो भाईजान, मैं ने इस का रास्ता ढूंढ लिया है. हमें शादाब को जल्दी से जल्दी रास्ते से हटाना पड़ेगा. भाभी मरजीना से कहेंगे कि वह फोन कर के शादाब को अपने घर बुला ले. इस के बाद हम उसे घेर लेंगे. फिर हम तीनों उस की गला दबा कर हत्या कर देंगे. फिर यह मामला खुद ही शांत हो जाएगा.’’ सावेज बोला.

मगर शादाब की हत्या के बाद उस की लाश को हम लोग कहां छिपाएंगे? ”अफजाल ने पूछा.

तुम उस की चिंता मत करो. यह काम मुझ पर छोड़ दो भाईजान. शादाब की लाश को हम बोरे में डाल कर पास में बह रही गंगनहर में रात में ही फेंक देंगे. इस के बाद किसी को भी पता नहीं चलेगा कि शादाब कहां चला गया.’’

कैसे रची मौत की साजिश

सावेज की इस योजना पर अफजाल व मरजीना ने अपनी मुहर लगा दी थी और वे तीनों अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने की फिराक में लग गए थे. शादाब के साथ लिवइन में पहले तो मरजीना रहती थी, मगर मंगलौर में अपनी हो रही बदनामी की वजह से वह रुड़की रेलवे स्टेशन के पास की कालोनी तेलीवाला में अपने पति व देवर के साथ आ कर रहने लगी थी. मरजीना का शौहर बिजली मैकेनिक था.

वह 23 अगस्त, 2024 की सुबह थी. उस वक्त सुबह के 11 बज रहे थे. कोतवाली मंगलौर के कोतवाल शांति कुमार उस वक्त अपने औफिस में बैठे फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे थे. उस वक्त मंगलौर के मोहल्ला मलकपुरा निवासी 55 वर्षीय मुस्तकीम कोतवाल से मिलने पहुंचा था. उस वक्त मुस्तकीम के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं और वह घबराया हुआ सा लग रहा था. मुस्तकीम ने कोतवाल को बताया कि उस का 24 वर्षीय बेटा शादाब आसपास के क्षेत्र में फेरी लगाकर कपड़े बेचता है. गत दिवस वह किसी से मिलने के लिए घर से निकला था, मगर आज तक वह वापस घर नहीं लौटा है. उस का मोबाइल नंबर भी स्विचऔफ चल रहा है.

जब कोतवाल शांति कुमार ने मुस्तकीम से पूछा कि शादाब की किसी से दुश्मनी तो नहीं थी तो मुस्तकीम ने बताया कि शादाब का सभी से अच्छा व्यवहार था. मुझे उस के अपहरण की भी आशंका नहीं है. मुझे शक है कि शादाब किसी साजिश का शिकार तो नहीं हो गया. इस के बाद शांति कुमार ने मुस्तकीम को शादाब की गुमशुदगी की तहरीर लिख कर उस का फोटो ले कर कोतवाली आने को कहा था. 

मलकपुरा मोहल्ला एसआई रफत अली के हलके में आता था, अत: शांति कुमार ने शादाब की गुमशुदगी का मामला रफत अली को ही सौंप दिया था. शादाब की गुमशुदगी का मामला हाथ में आते ही रफत अली सक्रिय हो गए. सब से पहले उन्होंने कांस्टेबल मनोज वर्मा व पप्पू कश्यप को मोहल्ला मलकपुरा में भेजा तथा उन से शादाब के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने को कहा. इस के बाद रफत अली ने एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह से संपर्क कर के उन से इस मामले में उन का निर्देशन मांगा.

स्वप्न किशोर सिंह ने तत्काल गुमशुदा शादाब के मोबाइल की काल डिटेल्स एसओजी से निकलवाने के निर्देश रफत अली को दिए. अगले दिन पुलिस को शादाब की काल डिटेल्स भी मिल गई थी. शादाब के मोबाइल पर आई अंतिम काल पर एसआई रफत अली के शक की सूई अटक गई थी. उधर सिपाही मनोज वर्मा व पप्पू कश्यप ने शादाब के बारे में जो जानकारी हासिल की तो वह चौंकाने वाली थी. पता चला कि शादाब की कई महीनों से मरजीना नामक महिला से दोस्ती थी. मरजीना शादीशुदा थी, लेकिन वह शादाब के साथ लिवइन में रहती थी. शादाब उस पर रुपए उड़ाता था. शादाब के घर वालों ने उसे काफी समझाया, लेकिन वह उस का साथ छोडऩे को तैयार नहीं था.

घर बुला कर क्यों की हत्या

अपने शौहर की बदनामी की वजह से मरजीना ने मंगलौर कस्बा छोड़ दिया था और रुड़की के रेलवे स्टेशन से सटी कालोनी तेलीवाला में आ कर रहने लगी थी. दोनों सिपाहियों ने एसआई रफत अली को बताया कि शादाब के लापता होने में मरजीना का हाथ हो सकता है. यह जानकारी पा कर रफत अली ने मरजीना से पूछताछ करने का विचार बनाया. यह भी पता चला कि शादाब के मोबाइल पर आई अंतिम काल भी मरजीना के ही फोन से की गई थी.

वह 26 अगस्त, 2024 का दिन था. रफत अली ने शादाब के लापता होने के बारे में पूछताछ करने के लिए मरजीना व उस के पति अफजाल को कोतवाली मंगलौर में बुलाया था. शाम को जब मरजीना अपने शौहर अफजाल के साथ कोतवाली पहुंची तो उस समय वहां पर सीओ (मंगलौर) विवेक कुमार भी मौजूद थे. सीओ विवेक कुमार ने शादाब के बारे में मरजीना से पूछताछ की तो मरजीना व अफजाल के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया. पहले तो दोनों ने पुलिस को गच्चा देने का प्रयास किया था, मगर वे दोनों सीओ विवेक कुमार के प्रश्नों के जवाब में ही उलझ गए थे. 

अंत में मरजीना ने पुलिस के सामने शादाब की हत्या की बात कुबूल कर ली थी. मरजीना ने पुलिस को बताया कि गत 22 अगस्त, 2024 को मैं ने ही शादाब को फोन कर के अपने घर पर बुलाया था. शादाब द्वारा हमारे परिवार को बदनाम करने के कारण हम उस से बदला लेना चाहते थे. जब शादाब मरजीना के घर पर पहुंचा तो मरजीना और उस के पति अफजाल ने शादाब के हाथ व पैर पकड़ लिए थे. इस के बाद सावेज ने शादाब का गला दबा कर उस की हत्या कर दी थी. रात को 2 बजे तीनों ने शादाब के शव को एक बोरे में डाल लिया. फिर उस बोरे को बाइक पर ले जा कर अफजाल व सावेज ने शव गंगनहर में डाल दिया था.

पुलिस ने मरजीना के ये बयान रिकौर्ड कर लिए थे. इस के बाद सावेज को भी हिरासत में ले लिया गया. सावेज की निशानदेही पर शादाब का मोबाइल फोन व उस की चप्पलें भी बरामद कर ली गईं. अफजाल व सावेज ने मरजीना के दिए बयानों का समर्थन किया था. फिर एसएसपी प्रमेंद्र डोवाल ने मंगलौर कोतवाली पहुंच कर शादाब हत्याकांड का खुलासा कर दिया. इस के बाद पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया था.

कथा लिखे जाने तक मंगलौर पुलिस व जल पुलिस द्वारा गंगनहर के अथाह जल में शादाब के शव को तलाश किया जा रहा था. मरजीना, अफजाल व सावेज रुड़की जेल में बंद थे. शादाब हत्याकांड की विवेचना थानेदार रफत अली द्वारा की जा रही थी. रफत अली शीघ्र ही आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटा कर चार्जशीट अदालत में भेजे जाने की तैयारी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Murder Story : सगाई तोड़ने का लिया बदला, भरे बाजार उतारा मौत के घाट

Murder Story : 17 अप्रैल, 2023 को रोशनी का डिजिटल मार्केटिंग का पेपर था. वह जालौन जिले के एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल डिग्री कालेज में बीए (द्वितीय वर्ष) की छात्रा थी. इसी कालेज में उस की बड़ी बहन शीलम भी पढ़ती थी. वह बीए फाइनल में थी. उस का हिंदी साहित्य का पेपर था. सुबह 8 बजे उन दोनों को उन का भाई श्रीचंद्र अपनी बाइक से कालेज गेट पर छोड़ कर चला गया था.

लगभग साढ़े 10 बजे रोशनी और शीलम परीक्षा दे कर कालेज से निकलीं. हाथों में प्रवेश पत्र थामे दोनों बहनें अपने घर की तरफ चल दीं. चलतेचलते दोनों आपस में बातचीत भी करती जा रही थी. जैसे ही वे कोटरा तिराहे की ओर बढ़ीं, तभी रोशनी एकाएक ठिठक कर रुक गई.

किसी अनचाहे शख्स के अंदेशे में उस ने पलट कर देखा. पीछे एक बजाज पल्सर बाइक सवार को देख कर उस की आंखों में खौफ की छाया तैर गई. क्योंकि वह बाइक पर पीछे की सीट पर बैठे युवक को जानती थी. रोशनी ने तुरंत अपनी बड़ी बहन शीलम का हाथ जोर से पकड़ा और घसीटते हुए कहा, ”जरा तेज कदम बढ़ाओ.’’

शीलम ने रोशनी को खौफजदा पाया तो फौरन पलट कर पीछे देखा. वह भी पूरा मामला समझ गई. इस के बाद दोनों बहनें फुरती से तेजतेज चलने लगीं.

 

चेहरे पर हलकी दाढ़ी और सख्त चेहरे वाला युवक राज उर्फ आतिश था, जो रोशनी का मंगेतर था, पर किसी वजह से उस से सगाई टूट गई थी. राज व उस के साथी को देख कर दोनों बहनों की चाल में लडख़ड़ाहट आ गई थी. आशंका को भांप कर रोशनी ने मोबाइल निकाल कर किसी का नंबर मिलाया.

वह मोबाइल पर बात कर पाती, उस के पहले ही राज बाइक से उतर कर उस के पास पहुंच गया. उस ने मोबाइल वाला हाथ झटकते हुए रोशनी का गला दबोच लिया. गले पर कसते सख्त हाथों की गिरफ्त से छूटने के लिए रोशनी ने जैसे ही हाथ चलाने की कोशिश की, राज ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रोशनी के सिर पर सटा कर फायर कर दिया.

गोली लगते ही रोशनी चीखी और सड़क पर बिछ गई. उस के सिर से खून की धार बह निकली. कुछ देर छटपटाने के बाद रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. बदहवास शीलम ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन उस के गले से आवाज निकलने के बजाय वह जड़ हो कर रह गई. इसी बीच कुछ लोगों को आते देख कर राज डर गया. हड़बड़ाहट में वह भागा तो उस का तमंचा हाथ से छूट गया. वह बिना तमंचा उठाए ही अपने साथी के साथ बाइक पर सवार हो कर फरार हो गया.

हत्यारे फरार हो गए, तब शीलम जोरजोर से चीखने लगी. उस ने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मुंह फेर लिया. उस के बाद उस ने हिम्मत जुटा कर मोबाइल फोन से अपने घर वालों को जानकारी दी.

सामने हुई हत्या तमाशबीन क्यों रहे लोग

रोशनी की हत्या की खबर सुनने के बाद घर में कोहराम मच गया. कुछ ही देर बाद मृतका के मम्मीपापा, भाई व परिवार के अन्य लोग वहां पहुंच गए और खून से लथपथ रोशनी की लाश देख कर दहाड़ मार कर रोने लगे.

रोशनी की हत्या दिनदहाड़े कस्बे के कोटरा तिराहे के भीड़ भरे बाजार में की गई थी, लेकिन हत्यारों का सामना करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा सका था. दुकानदार तो इतने दहशत में आ गए थे कि वे अपनी दुकानों के शटर गिरा कर तमाशबीन बन गए थे.

 

दरअसल, दहशत इसलिए थी कि एक दिन पहले ही कुख्यात माफिया अतीक व उस के भाई की हत्या प्रयागराज में गोली मार कर की गई थी. लोगों के दिमाग में भय था कि इस हत्या का कनेक्शन कहीं उस वारदात से तो नहीं जुड़ा है.

घटनास्थल से एट कोतवाली की दूरी मात्र 200 मीटर थी. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह चौहान को वारदात की खबर लगी तो वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पहुंच गए. पुलिस के पहुंचते ही भीड़ का सैलाब उमड़ पड़ा. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने मामले की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, फिर निरीक्षण में जुट गए.

21 वर्षीया रोशनी की हत्या सिर में गोली मार कर की गई थी. शव के पास ही .315 बोर का तमंचा पड़ा था, जिस से उस की हत्या की गई थी. पुलिस ने तमंचे को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. मृतका का मोबाइल फोन व प्रवेशपत्र भी वहीं पड़ा था. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया.

अभी यह सब काररवाई चल ही रही थी कि एसपी डा. ईरज राजा, एएसपी असीम चौधरी तथा सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

पुलिस अफसरों के आते ही चीखपुकार बढ़ गई. मृतका की मम्मी सुनीता, पापा मानसिंह तथा भाई श्रीचंद्र दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें शव से अलग किया, फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए.

घटनास्थल पर मृतका की बहन शीलम मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों को उस ने बताया कि उस की बहन रोशनी की हत्या उस के मंगेतर राज उर्फ आतिश ने की है. वह कंदौरा थाने के गांव जमरेही का रहने वाला है. रोशनी और राज आपस में प्रेम करते थे. मम्मीपापा ने दोनों का रिश्ता भी तय कर दिया था.

लेकिन जब रोशनी को पता चला कि राज गुस्से वाला, शक्की व सनकी स्वभाव का है तो रोशनी ने उस से शादी करने से इंकार कर दिया. इस से वह नाराज हो गया और रोशनी को डराने धमकाने लगा. रोशनी नहीं मानी तो आज उस ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. उस के साथी को वह जानती पहचानती नहीं है.

निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतका रोशनी के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही मृतका की बड़ी बहन शीलम की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत राज उर्फ आतिश तथा एक अज्ञात व्यकित के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने ऐसे ढूंढ निकाला आरोपी

एसपी डा. ईरज राजा ने छात्रा रोशनी हत्याकांड को बड़ी गंभीरता से लिया. अत: आरोपियों को पकडऩे के लिए उन्होंने पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. एक टीम सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई तथा दूसरी टीम कोतवाल अवधेश कुमार सिंह की अगुवाई में गठित की.

एसओजी तथा सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए शामिल किया. इन चारों टीमों ने आरोपितों के हरसंभावित ठिकानों, हमीरपुर, कंदौरा, जमरेही, विवार तथा धनपुरा में ताबड़तोड़ दबिशें दीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

शाम 5 बजे कोतवाल अवधेश कुमार सिंह को मुखबिर के जरिए पता चला कि आरोपी राज एट थाने के गांव सोमई में किसी परिचित के घर छिपा है. इस सूचना पर पुलिस टीम ने सोमई गांव में दबिश डाल कर और उसे दबोच लिया. पुलिस टीम ने उस की बिना नंबर प्लेट वाली बजाज पल्सर बाइक भी बरामद कर ली. पूछताछ के लिए उसे थाना एट लाया गया.

थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और रोशनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोशनी उस की प्रेमिका थी. वह उस से शादी करना चाहता था. घर वाले भी राजी हो गए थे, लेकिन रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया. उस ने उसे प्यार से भी समझाया और धमकाया भी. लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे मौत की नींद सुला दिया.

”तुम्हारे साथ जो अन्य युवक था, उस से तुम्हारा क्या संबंध है?’’ कोतवाल अवधेश सिंह ने पूछा.

”सर, वह मेरा  ममेरा भाई रोहित उर्फ गोविंदा था. वह हमीरपुर जिले के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला है. हमारे और रोशनी के बारे में उसे सब पता था. हम ने जब उसे प्रेमिका की बेवफाई और उसे सबक सिखाने की बात कही तो वह साथ देने को राजी हो गया.’’

”तुम्हारी बाइक की नंबर प्लेट नहीं है. क्या वह चोरी की है?’’ श्री सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, बाइक चोरी की नहीं है. हम ने पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट जंगल में छिपा दी तथा खून से सने कपड़े चिकासी गांव के पास बेतवा नदी में फेंक दिए थे.’’

चूंकि सबूत के तौर पर खून से सने कपड़े तथा नंबर प्लेट बरामद करना जरूरी था, अत: कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने आरोपी राज की निशानदेही पर कपड़े व प्लेट बरामद करने पुलिस टीम के साथ निकल पड़े. अब तक अंधेरा छा चुका था. राज जब पचखौरा नहर पुलिया के पास पहुंचा तो उस ने पुलिस जीप रुकवा दी.

वह नीचे उतरा और बताया कि यहीं नहर झाडिय़ों में उस ने नंबर प्लेट छिपाई थी. पुलिस के साथ राज झाडिय़ों की तरफ बढ़ा, तभी अचानक उस ने कोतवाल अवधेश कुमार सिंह के हाथ से सरकारी पिस्टल छीन ली और फायर झोंकने की धमकी दे कर भागने लगा. पुलिस टीम ने भी उस की घेराबंदी कर जवाबी काररवाई शुरू कर दी.

राज ने एक फायर किया, तभी पुलिस ने भी गोली चला दी. पुलिस की गोली राज के पैर में लगी, जिस से वह जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़ा. घायल राज को तुरंत जिला अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया गया.

पुलिस की अन्य टीमें दूसरे आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा को पकडऩे के लिए अथक प्रयास में जुटी रहीं, लेकिन वह हाथ नहीं आया. पुलिस जांच में एक ऐसे शक्की व सनकी प्रेमी की कहानी सामने आई, जिस ने एक होनहार छात्रा की सांसें छीन लीं और स्वयं का जीवन भी अंधकारमय बना लिया.

मौसी के घर ऐसे बढ़ी प्रेम की बेल

उत्तर प्रदेश का एक जिला है जालौन. इसी जिले के एट थाना अंतर्गत ऐंधा गांव में मानसिंह अहिरवार सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे हरीश कुमार, श्रीचंद्र और 4 बेटियां रजनी, मोहनी, शीलम तथा रोशनी थी. मानसिंह किसान था.

खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस का बड़ा बेटा हरीश कुमार उरई में प्राइवेट जौब करता था, जबकि छोटा बेटा श्रीचंद्र खेती के काम में हाथ बंटाता था. 2 बेटियों रजनी व मोहनी के जवान होते ही मानसिंह ने उन का विवाह कर दिया था.

मानसिंह की सब से छोटी बेटी का नाम रोशनी था. वह बहुत चंचल थी. इसलिए वह किसी से भी बातचीत में नहीं झिझकती थी. रोशनी से बड़ी शीलम थी. वह भी बातूनी व हंसमुख थी. दोनों बहनें सुंदर तो थीं ही, पढऩे में भी तेज थी.

दोनों एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय में पढ़ती थीं और साथसाथ कालेज जाती थीं. कालेज में लड़के लड़कियां साथ पढ़ते थे, लेकिन कभी किसी लड़के की हिम्मत नहीं हुई कि वह इन दोनों बहनों से पंगा ले.

रोशनी की मौसी अनीता, कदौरा थाने के गांव जमरेही में ब्याही थी. वह रोशनी को बहुत चाहती थी. बात उन दिनों की है, जब रोशनी ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. मौसी के बुलावे पर वह जमरेही गांव पहुंची. वहां मौसी ने उस की खूब आवभगत की और कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर रोक लिया था.

मौसी के घर पर ही एक रोज रोशनी की मुलाकात राज उर्फ आतिश से हुई. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. राज उर्फ आतिश, रोशनी की मौसी अनीता का पड़ोसी था और उस की जातिबिरादरी का था.

चूंकि राज का अनीता के घर बेरोकटोक आनाजाना था, इसलिए उस की मुलाकातें बढऩे लगीं. उन मुलाकातों ने दोनों के दिलों में प्रेम के बीज बो दिए. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. खूबसूरत रोशनी जहां राज के दिल में समा गई थी, वहीं स्मार्ट राज से बातचीत करना रोशनी को भी अच्छा लगने लगा था.

एक रोज राज अनीता के घर गया तो वह घर में नहीं दिखी. इस पर राज ने पूछा, ”रोशनी, आंटी नहीं दिख रहीं, क्या वह कहीं गई हैं?’’

”हां, मौसी खेत पर गई हैं. घंटे-2 घंटे बाद ही आएंगी.’’ रोशनी ने जवाब दिया.

रोशनी की बात सुन कर राज मन ही मन खुश हुआ. उसे लगा कि आज उसे अपने दिल की बात कहने का अच्छा मौका मिला है. अत: वह बोला, ”रोशनी आओ, मेरे पास बैठो. मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. लेकिन..?’’

”लेकिन क्या?’’ रोशनी ने आंखें नचा कर पूछा.

”यही कि डर लगता है कि कहीं तुम मेरी बात का बुरा न मान जाओ.’’

”तुम मुझे गाली तो दोगे नहीं, फिर भला मैं बुरा क्यों मान जाऊंगी?’’

”रोशनी, तुम मेरे जीवन को भी रोशनी से भर दो.’’ कहते हुए राज ने रोशनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर बोला, ”रोशनी, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. मैं तुम्हें अपने घर की रोशनी बनाना चाहता हूं.’’

रोशनी कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ”राज, मुझे तुम्हारा प्यार तो कुबूल है, लेकिन शादी का वादा नहीं कर सकती. क्योंकि एक तो मैं अभी पढ़ रही हूं, दूसरे शादी विवाह की बात घर वाले ही तय करेंगे. मैं ऐसा कोई वादा नहीं करना चाहती, जिस के टूटने से तुम्हारे दिल को ठेस लगे.’’

इस के बाद रोशनी और राज का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया था, अत: उन की बात देरसवेर फोन पर भी होने लगी थी. ज्यादा देर बात करने को मौसी टोकती तो वह कालेज की सहेली से बात करने का बहाना बना देती. कभीकभी मां या बड़ी बहन से बात करने की बात कहती. अनीता उस की बातों पर सहज ही विश्वास कर लेती.

लेकिन अनीता के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक शाम धुंधलके में राज और रोशनी को आपस में छेड़छाड़ करते देख लिया. दूसरे रोज अनीता ने रोशनी को प्यार से समझाया, ”बेटी, लड़की की इज्जत सफेद चादर की तरह होती है. भूल से भी उस पर दाग लग जाए तो वह दाग जीवन भर नहीं जाता.’’

रोशनी समझ गई कि मौसी को उस पर शक हो गया है. उस ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा. लेकिन अनीता ने यकीन नहीं किया. उस ने राज को भी फटकार लगाई. इसी के साथ वह दोनों पर निगरानी रखने लगी. लेकिन फिर भी दोनों फोन पर बतिया लेते थे और दिल की लगी बुझा लेते थे.

अनीता नहीं चाहती थी कि उस के घर पर रहते रोशनी कोई गलत कदम उठाए और वह बदनाम हो जाए. अत: उस ने रोशनी को उस के घर ऐंधा भेज दिया. रोशनी प्रेम रोग ले कर घर वापस आई थी. अत: उस का मन न तो पढ़ाई मेंं लगता था और न ही घर के दूसरे काम में.

वह खोईखोई सी रहने लगी थी. बड़ी बहन शीलम ने उस से कई बार पूछा कि वह खोईखोई सी क्यों रहती है? लेकिन रोशनी ने उसे कुछ नहीं बताया. वह बुत ही बनी रही.

बड़ी बहन को ऐसे पता लगा रोशनी के अफेयर का

एक रोज रोशनी बाथरूम में थी, तभी उस के फोन पर काल आई. काल शीलम ने रिसीव की और पूछा, ”आप कौन और किस से बात करनी है?’’

इस पर दूसरी ओर से आवाज आई, ”मैं राज बोल रहा हूं. मुझे रोशनी से बात करनी है. जब वह मौसी के घर जमरेही आई थी, तभी उस से जानपहचान हुई थी.’’

”ठीक है, अभी वह घर पर नहीं है.’’ कह कर शीलम ने काल डिसकनेक्ट कर दी. फिर सोचने लगी कि कहीं रोशनी किसी लड़के के प्यार के चक्कर में तो नहीं पड़ गई. कहीं रोशनी उसी के प्यार में तो नहीं खोई रहती. यदि ऐसा कुछ है तो वह आज भेद खोल कर ही रहेगी.

कुछ देर बाद रोशनी बाथरूम से बाहर आई तो शीलम ने पूछा, ”रोशनी, यह राज कौन है? तू उसे कैसे जानती है?’’

”दीदी, मैं किसी राज को नहीं जानती.’’ रोशनी धीमी आवाज में सफेद झूठ बोल गई.

”देखो रोशनी, अभी कुछ देर पहले जमरेही से राज का फोन आया था. वैसे तो उस ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है. लेकिन मैं सच्चाई तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं.’’

रोशनी समझ गई कि उस की आशिकी का भेद खुल गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई है. अत: वह बोली, ”दीदी, जब हम मौसी के घर गए थे तो वहां हमारी मुलाकात मौसी के पड़ोस में रहने वाले अशोक अहिरवार के बेटे राज उर्फ आतिश से हुई थी. कुछ दिनों बाद ही हमारी मुलाकातें प्यार में बदल गईं और हम दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीदी, राज पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक है. राज मुझे बेहद प्यार करता है और शादी करना चाहता है.’’

सच्चाई जानने के बाद शीलम ने सारी बात अपनी मम्मी सुनीता तथा पापा मानसिंह को बताई तो उन के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उन दोनों ने पहले प्यार से फिर डराधमका कर रोशनी को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोशनी नहीं मानी. दोनों भाइयों ने भी रोशनी को समझाया. पर रोशनी ने राज से बातचीत करनी बंद नहीं की. वह कालेज आतेजाते तथा देर रात में राज से बातें करती रहती.

रोशनी की दीवानगी देख कर घर वालों को लगा कि यदि रोशनी पर ज्यादा सख्ती की गई तो कहीं ऐसा न हो कि रोशनी पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर अपने प्रेमी के साथ फुर्र न हो जाए. इसलिए मानसिंह ने अपने परिवार के साथ इस गहन समस्या पर मंथन किया. फिर निर्णय हुआ कि रोशनी की शादी राज के साथ तय कर दी जाए. लेकिन शर्त होगी कि शादी बीए फाइनल करने के बाद ही होगी.

इस के बाद सुनीता अपने पति मानसिंह के साथ अपनी बहन अनीता के घर जमरेही पहुंची. उस ने बहन को राज और रोशनी के प्रेम संबंधों के बारे में बताया और दोनों की शादी तय करने की बात कही. अनीता को दोनों के संबंधों के बारे में पहले से ही पता था सो वह राजी हो गई. अनीता ने कहा कि राज पढ़ालिखा है. संपन्न किसान का बेटा है. सब से बड़ी बात जातबिरादरी का है. अत: रिश्ता हर मायने में सही है.

सब को रिश्ता उचित लगा तो मानसिंह ने अशोक अहिरवार से उन के बेटे राज उर्फ आतिश के रिश्ते की बात चलाई. अशोक भी तैयार हो गया. उस के बाद रोशनी का रिश्ता राज के साथ तय हो गया. शर्त यह रखी गई कि रोशनी जब बीए पास कर लेगी, तब दोनों की शादी होगी. इस शर्त को राज व उस के घर वालों ने मान लिया.

शादी तय हो जाने के बाद राज का रोशनी के घर आनाजाना शुरू हो गया. वह हर सप्ताह बाइक से रोशनी के घर पहुंच जाता, रोशनी उस के साथ घूमने फिरने निकल जाती. फिर शाम को ही वापस आती. इस बीच दोनों खूब हंसते बतियाते, रेस्तरां में खाना खाते और जम कर लुत्फ उठाते. उन पर घर वालों की कोई पाबंदी न थी. अत: उन्हें किसी प्रकार का कोई डर भी न था. इस तरह एक साल बीत गया.

रोशनी अब तक बीए (प्रथम वर्ष) पास कर द्वितीय वर्ष में पढऩे लगी थी. जबकि उस की बड़ी बहन शीलम तृतीय वर्ष में पढ़ रही थी. दोनों बहनें एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय की छात्रा थीं. वह घर से कालेज साथ ही आतीजाती थीं. रोशनी को फोन पर बतियाने का बहुत शौक था. कालेज से निकलते ही वह बतियाने लगती थी. जबकि शीलम गंभीर थी. उसे फालतू बकवास पसंद न थी.

मंगेतर को ऐसे हुआ रोशनी पर शक

एक रोज राज ने रोशनी को काल की तो उस का नंबर व्यस्त बता रहा था. कई बार कोशिश करने पर भी जब रोशनी से बात नहीं हो पाई तो राज के मन में शक बैठ गया कि रोशनी उस के अलावा किसी और से भी प्यार करती है. जिस से वह घंटों बतियाती है. इसलिए उस का फोन व्यस्त रहता है. उस रोज वह बेहद परेशान रहा और कई तरह के विचार उस के मन में आते रहे.

राज के मन में शक समाया तो वह दूसरे रोज सुबह 11 बजे कालेज गेट पहुंच गया. रोशनी कालेज से निकली तो वह उस का पीछा करने लगा. उस रोज रोशनी कालेज अकेले ही आई थी. कुछ दूर पहुंचने पर रोशनी फोन पर किसी से हंसहंस कर बातें करने लगी. राज का शक यकीन में बदल गया कि रोशनी का कोई और भी यार है.

गुस्से से भरा राज रोशनी के पास जा पहुंचा और मोबाइल छीन कर बोला, ”तुम हंसहंस कर किस से बात कर रही थी. क्या मेरे अलावा कोई और भी दिलवर है?’’

राज को सामने देख कर रोशनी घबरा गई और बोली, ”मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी. वह आज कालेज आई नहीं थी. लेकिन तुम यह बहकीबहकी बातें क्यों कर रहे हो?’’

”क्योंकि मुझे सच्चाई पता है. तुम सहेली से नहीं, अपने यार से बात कर रही थी.’’

”लगता है तुम शक्की और सनकी इंसान हो. मुझ पर यकीन नहीं तो मिलने क्यों आते हो. लगता है तुम्हारा प्यार छलावा है. तुम तो प्यार के काबिल ही नहीं हो.’’

उन दोनों के बीच उस दिन जम कर बहस हुई. इस बहस से रोशनी का दिल टूट गया. राज के प्रति उस की जो मोहब्बत थी, वह घायल हो गई. वह सोचने को मजबूर हो गई कि ऐसे शक्की इंसान के साथ वह जीवन कैसे गुजार सकेगी. रोशनी इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. जबकि बड़ी बहन शीलम उसे समझाती कि वह चिंता न करे. सब ठीक हो जाएगा.

कहते हैं कि शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. राज के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस का शक दिनबदिन बढ़ता ही गया. वह जब भी रोशनी को किसी से फोन पर बात करते देख लेता तो वह बात करने से रोकता, साथ ही उसे डांटता व अपशब्द भी कहता.

रोशनी को यह नागवार गुजरता था. फिर भी उस ने कई बार राज को समझाया भी कि वह अपनी दोस्त सहेलियों से ही बात करती है. लेकिन राज रोशनी की कोई बात सुनने को तैयार न था. कई बार समझाने पर भी जब राज के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया तो रोशनी उस से दूरी बनाने लगी. उस ने उस से मिलना भी कम कर दिया.

राज के दुव्र्यवहार से अब रोशनी चिंतित रहने लगी थी. सुनीता ने बेटी के माथे पर चिंता की लकीरें पढ़ीं तो उस ने एक रोज रोशनी से पूछा, ”बेटी, आजकल तू गुमसुम रहती है. चेहरे से हंसी भी गायब है, खाना भी समय पर नहीं खाती. आखिर बात क्या है?’’

मां की सहानुभूति पा कर रोशनी की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ”मां, मैं राज को ले कर चिंतित हूं. वह शक्की इंसान है. फोन पर किसी से बात करते देखता है तो शक करता है. मैं ने उस से दिल लगा कर भूल की है. मैं ऐसे शक्की इंसान से शादी नहीं कर सकती.’’

बेटी के दर्द से सुनीता भी तड़प उठी. उस ने यह बात पति मानसिंह को बताई तो उस का पारा भी चढ़ गया. इस के बाद मानसिंह ने अपनी पत्नी व बेटों से विचारविमर्श किया और शादी तोड़ देने का निश्चय किया. रिश्ता खत्म करने की जानकारी मानसिंह ने अशोक अहिरवार व उस के बेटे राज को भी दे दी.

राज क्यों नहीं चाहता था रोशनी से रिश्ता तोडऩा

रिश्ता टूटने से राज उर्फ आतिश बौखला गया. उस ने रोशनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने काल रिसीव ही नहीं की. दूसरे रोज राज रोशनी के कालेज पहुंच गया. रोशनी कालेज के बाहर आई तो उस ने पूछा, ”रोशनी, रिश्ता तुम ने तोड़ा है या तुम्हारे घर वालों ने?’’

”मैं ने अपनी व घर वालों की मरजी से खूब सोचसमझ कर रिश्ता तोड़ा है.’’

”क्यों तोड़ा है?’’ राज ने पूछा.

”इसलिए कि तुम शक्की व सनकी इंसान हो. तुम जैसे इंसान के साथ मैं जीवन नहीं बिता सकती.’’

”सोच लो. कहीं तुम्हारा यह फैसला भारी न पड़ जाए.’’ राज ने धमकी दी.

”मैं ने अच्छी तरह सोचसमझ कर ही फैसला लिया है. तुम्हारी धमकी से मैं डरने वाली नही हूं. और हां, आज के बाद मुझ से मिलने कालेज में मत आना.’’

लेकिन रोशनी की बात पर राज ने गौर नहीं किया. वह अकसर कालेज आ जाता और रोशनी को धमकाता कि वह उस से शादी करे. यही नहीं राज रोशनी के मम्मीपापा व भाइयों को भी फोन पर धमकाने लगा था कि रिश्ता तोड़ कर तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया. अब भी समय है रिश्ता जोड़ लो. वरना परिणाम अच्छा न होगा.

अप्रैल, 2023 के दूसरे सप्ताह से रोशनी और शीलम की वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई थी. दोनों बहनें साथसाथ परीक्षा देने आतीजाती थीं. 14 अप्रैल, 2023 को रोशनी व शीलम पेपर दे कर निकलीं तो कालेज गेट से कुछ दूरी पर राज ने रोशनी को रोक लिया और बोला, ”रोशनी, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि मुझ से रिश्ता जोड़ोगी या नहीं?’’

रोशनी गुस्से से बोली, ”मैं तुम से एक बार नहीं, सौ बार कह चुकी हूं कि तुम जैसे शक्की और सनकी इंसान से मैं शादी हरगिज नहीं करूंगी.’’

”यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ राज ने आंखें तरेर कर पूछा.

”हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रोशनी ने भी आंखें तरेर कर ही जवाब दिया.

”तो तुम मेरा फैसला भी सुन लो, यदि तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की दुलहन भी नहीं बनने दूंगा.’’ धमकी दे कर राज चला गया.

राज उर्फ आतिश का ममेरा भाई था रोहित उर्फ गोविंदा. वह हमीरपुर जनपद के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला था. राज की रोहित से खूब पटती थी. रोहित को रोशनी और राज के रिश्तों की बात पता थी. प्यार में जख्मी राज रोहित के पास पहुंचा और उसे बताया कि रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया है. वह उस को बेवफाई का सबक सिखाना चाहता है. उस की मदद चाहिए.

रोहित मदद को राजी हो गया. इस के बाद दोनों ने मिल कर तमंचा व कारतूस का इंतजाम किया और एट आ गए.

17 अप्रैल, 2023 को शीलम और रोशनी अपनाअपना पेपर दे कर कालेज से निकलीं तो बाइक से राज व रोहित ने उन का पीछा करना शुरू किया. शीलम व रोशनी जैसे ही कोटरा तिराहा पहुंचीं, तभी राज व रोहित ने उन्हें घेर लिया. फिर बिना कुछ कहे राज ने रोशनी के सिर में तमंचा सटा कर फायर कर दिया. रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

पूछताछ करने के बाद 19 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी राज उर्फ आतिश को उरई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. दूसरा आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Crime : प्रेमिका के मोबाइल की बिजी कौल ने प्रेमी को बना दिया हत्यारा

Love Crime : त्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के थाना बहरियाबाद क्षेत्र में एक गांव है बघांव. पेशे से अध्यापक दीपचंद राम अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी सुमन के साथसाथ 2 बेटे थे सुरेश और सुरेंद्र तथा 2 बेटियां थीं चंदना और वंदना. चंदना सब से बड़ी, समझदार और खूबसूरत लड़की थी. वह दीपचंद और सुमन की लाडली थी. 16 मार्च, 2018 की सुबह करीब 9-10 बजे चंदना मां से खेतों पर जाने को कह कर घर से बाहर निकली तो दोपहर के 1 बजे तक घर नहीं लौटी. दीपचंद और सुमन को चिंता हुई. सयानी बेटी के इस तरह से गायब हो जाने से मांबाप परेशान हो गए. उन्होंने अड़ोसपड़ोस में चंदना को ढूंढा, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. उन की समझ में नहीं रहा था कि चंदना रहस्यमय तरीके से कहां लापता हो गई.

मामला जवान बेटी से जुड़ा था, इसलिए संवेदनशील दीपचंद ने यह सोच कर इस बारे में किसी को नहीं बताया कि व्यर्थ में अंगुलियां उठने लगेंगी. धीरेधीरे शाम ढलने लगी, लेकिन चंदना घर नहीं लौटी. ऐसे में दीपचंद और सुमन की घबराहट और बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक ही थी. दोनों बेटी के बारे में सोचसोच कर परेशान थे. उन की बेचैनी और चंदना को ढूंढने की वजह से कुछ लोगों ने अनुमान लगा लिया था कि चंदना गायब है. फलस्वरूप धीरेधीरे यह बात पूरे गांव में फैल गई थी. गांव वाले चंदना को ले कर तरहतरह की बातें करने लगे थे. जब शाम तक चंदना का कहीं पता नहीं चला तो दीपचंद गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर बहरियाबाद थाने पहुंचा

थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी थाने में ही मौजूद थे. जब दीपचंद अन्य लोगों के साथ थाने पहुंचा तब तक अंधेरा घिर आया था. थानाप्रभारी ने दीपचंद से रात में थाने आने का कारण पूछा तो दीपचंद ने उन्हें पूरी बात बता दीमामला गंभीर था. दीपचंद की बातें सुन कर थानाप्रभारी सिद्दीकी ने लिखने के लिए एक सादा पेपर दीपचंद की ओर बढ़ा दिया और तहरीर लिख कर देने के लिए कहा. दीपचंद ने तहरीर लिख कर दे दी. पुलिस ने दीपचंद की तहरीर पर चंदना की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर के जरूरी काररवाई शुरू कर दी.

लहूलुहान हालत में मिली चंदना की लाश अगली सुबह यानी 17 मार्च को बघांव का रहने वाला लल्लन यादव गांव के बाहर अपने खेत में पंपिंग सेट देखने पहुंचा. उस ने अपने खेत में पंपिंग सेट लगा रखा था. पैसा ले कर वह दूसरों के खेतों की सिंचाई किया करता था. खेतों में पहुंच कर लल्लन की नजर गेहूं की फसल पर पड़ी तो उसे कुछ अजीब सा लगा. खेत के बीच में काफी दूर तक फसल रौंदी पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे किसी जानवर ने खेत में घुस कर उत्पात मचाया हो. पड़ताल करने के लिए लल्लन अंदर पहुंच गया. उस की नजर जब बरबाद हुई गेहूं की फसल पर पड़ी तो वह वहां का नजारा देख घबरा गया. वह वहां से भागा तो सीधा दीपचंद के घर ही जा कर रुका

दीपचंद जिस बेटी को 24 घंटे से तलाश कर रहा था, उस की अर्द्धनग्न लाश लल्लन यादव के खेत में पड़ी थी. किसी ने उस के गले और पेट पर चाकू से अनगिनत वार कर के मौत के घाट उतार दिया था. चंदना की लाश मिलते ही दीपचंद के घर में कोहराम मच गया. दीपचंद और गांव के तमाम लोग लल्लन के खेत पर जा पहुंचे, जहां चंदना की रक्तरंजित लाश पड़ी थी. चंदना की लाश देख कर गांव वालों ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने दुष्कर्म करने के बाद अपनी पहचान छिपाने के लिए उस की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी होगी. लोगों ने घटनास्थल देख अनुमान लगाया कि हत्यारों की संख्या 2-3 से कम नहीं रही होगी, क्योंकि काफी दूरी तक गेहूं की फसल रौंदी हुई थी.

भीड़ में से किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी. कंट्रोलरूम से वायरलैस सेट पर यह सूचना बहरियाबाद थाने को दे दी गई. इस घटना से गांव वाले काफी गुस्से में थे. उन लोगों ने चंदना की लाश ले कर बहरियाबादचिरैयाकोट मार्ग (गाजीपुरमऊ मार्ग) पर जाम लगा दिया. कंट्रोलरूम से दी गई सूचना के आधार पर बहरियाबाद थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की टीम में एसआई विपिन सिंह, प्रशांत कुमार चौधरी, विकास श्रीवास्तव, संजय प्रसाद, दिनेश यादव शामिल थे. पुलिस को देखते ही ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. वे पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे

शमीम अली सिद्दीकी ने स्थिति की नजाकत को समझते हुए कप्तान सोमेन वर्मा को फोन कर के फोर्स भेजने का आग्रह किया. पुलिस कप्तान ने तत्काल सीओ (सैदपुर) मुन्नीलाल गौड़, सीओ (भुड़कुड़ा) प्रदीप कुमार, सीओ (जखनिया) आलोक प्रसाद सहित जिले के कई थानों के थानाप्रभारियों को मौके पर पहुंचने का आदेश दिया. वह खुद भी मौके पर पहुंच गए. कुछ ही देर में बहरियाबादचिरैयाकोट मार्ग पर खाकी वरदी ही वरदी नजर आने लगीं. पुलिस ने पंचनामा के लिए चंदना की लाश लेने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को लाश देने से मना कर दिया. उन की 2 मांगें थीं, पहली यह कि घटनास्थल पर डौग स्क्वायड को बुलवाया जाए और दूसरी यह कि हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए.

 गांव वालों का विरोध प्रदर्शन पुलिस कप्तान सोमेन वर्मा ने लोगों की पहली मांग पूरी करने में असमर्थता जताई, क्योंकि जिले में डौग स्क्वायड की कोई व्यवस्था नहीं थी. अलबत्ता उन्होंने प्रदर्शनकारियों की दूसरी मांग पूरी करने का भरोसा देते हुए वादा किया कि हत्यारों को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस की 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एसपी वर्मा के आश्वासन पर गांव वाले शांत हुए. पुलिस ने जल्दीजल्दी पंचनामा भर कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. इस के साथ ही अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. घटना की तफ्तीश की जिम्मेदारी थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी को सौंपी गई.

चंदना की हत्या किस ने और क्यों की, पुलिस के लिए यह गुत्थी सुलझाना आसान नहीं था. थानाप्रभारी ने सब से पहले घटनास्थल का दौरा किया और फिर मृतका चंदना के घर जा कर उस के पिता दीपचंद से पूछताछ की. दीपचंद ने थानाप्रभारी को बताया कि उस की या उस की बेटी चंदना की किसी से कोई अदावत नहीं थी. वैसे भी चंदना अपने काम से मतलब रखती थी. वह किसी के घर भी ज्यादा नहीं उठतीबैठती थी. चंदना हत्याकांड की गुत्थी काफी उलझी हुई थी. जांच अधिकारी के लिए यह मामला काफी चुनौतीपूर्ण था. उधर चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि उस के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. उस की मौत का कारण अत्यधिक खून बहना बताया गया था.

थानाप्रभारी शमीम अली ने चंदना हत्याकांड का खुलासा करने के लिए कई मुखबिर लगा दिए थे. इसी बीच जांच के दौरान उन्हें पता चला कि चंदना अपने पास मोबाइल फोन रखती थी और सब से छिपछिपा कर किसी से अकसर बातें करती थी. यह बात वंदना के अलावा कोई नहीं जानता था. वंदना काफी छोटी थी. थानाप्रभारी शमीम ने सोचा अगर उस से डराधमका कर पूछताछ की गई तो वह डर जाएगी और फिर शायद ही कुछ बता पाए. इसलिए उस से बड़े प्यार और मनोवैज्ञानिक तरीके से बात करनी जरूरी थी. क्या करना है, यह फैसला कर के वह दीपचंद के घर जा पहुंचे.

पुलिस के हत्थे लगा चंदना का मोबाइल फोन उन्होंने वंदना के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘वंदना.’’ वंदना ने डरते हुए जवाब दिया.

‘‘किस क्लास में पढ़ती हो?’’

‘‘चौथी क्लास में.’’ उस ने उत्तर दिया.

‘‘क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी दीदी अपने पास एक मोबाइल रखती थी? वह मोबाइल कहां है?’’

‘‘जी सर, मुझे पता है दीदी अपने पास एक मोबाइल फोन रखती थी. यह भी पता है कि वह उसे कहां छिपा कर रखती थी.’’ वंदना ने कांपते स्वर में उत्तर दिया.

‘‘तो बताओ वह मोबाइल कहां छिपा कर रखती थी?’’ थानाप्रभारी ने बडे़ प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा.

‘‘मैं अभी लाती हूं.’’ वंदना ने जवाब दिया. फिर वह भागती हुई कमरे में गई और बक्से से मोबाइल फोन निकाल कर ले आई. उस ने मोबाइल थानाप्रभारी के हाथों में दे दिया. यह देख कर दीपचंद और उस की पत्नी भौचक्के रह गए. उन्हें पता ही नहीं था कि उन की बेटी उन की नाक के नीचे क्या गुल खिला रही थी. घर वालों को पता ही नहीं था कि छोटी बेटी भी उस के साथ मिली हुई थी. मांबाप माथा पकड़ कर बैठ गए.

‘‘बेटा, क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी बहन चंदना किस से बात करती थी?’’ जांच अधिकारी ने वंदना से अगला सवाल किया.

‘‘सर, मुझे उस का नाम तो नहीं पता लेकिन मैं इतना जानती हूं कि दीदी छिपछिप कर किसी से बात करती थी. मैं ने उसे कई बार बातें करते हुए देखा था.’’

‘‘ठीक है बेटा, तुम जा सकती हो. इस के आगे का पता मैं खुद लगा लूंगा.’’ उन्होंने कहा और चंदना का मोबाइल फोन ले कर चले गए. थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी के पास हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए मोबाइल ही आखिरी सहारा था. उन्होंने चंदना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि घटना वाले दिन यानी 16 मार्च की सुबह चंदना के फोन पर साढ़े 9 बजे के करीब आखिरी काल आई थी. मोबाइल से पहुंची कातिल तक पुलिस उस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था. जिस नंबर से चंदना को आखिरी काल आई थी, उस नंबर के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि वह नंबर मऊनाथ भंजन जिले के मुहम्मदाबाद गोहना थाना क्षेत्र के गांव उमनपुर निवासी विवेक कुमार चौहान का था.

उस नंबर पर चंदना की काफी लंबीलंबी बातें होती थीं. पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि मामला प्रेम प्रसंग का था. इसी प्रेम प्रसंग के चक्कर में उस की हत्या हुई थी. जांच अधिकारी शमीम अली ने दीपचंद को थाने बुलवा कर विवेक कुमार चौहान के बारे में पूछताछ की तो दीपचंद विवेक का नाम सुन कर चौंक गया. उस ने बताया कि विवेक उस के पड़ोस में रहने वाले रामधनी का नाती है. वह अकसर अपने नानानानी से मिलने ननिहाल आता रहता था. वह जब भी यहां आता था, मेरे घर पर भी सब से मिल कर जरूर जाता था. वह बहुत सीधासादा लड़का है.

काल डिटेल्स के आधार पर विवेक शक के दायरे में चुका था. घटना वाले दिन से उस का भी फोन बंद था. लेकिन घटना वाले दिन उस के सेलफोन की लोकेशन घटनास्थल पर ही थी. इसी वजह से विवेक शक के दायरे में गया. 19 मार्च, 2018 को थानाप्रभारी शमीम अली गाजीपुर से पुलिस फोर्स ले कर मऊनाथ भंजन पहुंचे. मुहम्मदाबाद गोहना थाने की पुलिस की मदद से उन्होंने उमनपुर स्थित विवेक के घर पर दबिश दी. संयोग से विवेक घर पर ही था. पुलिस उसे हिरासत में ले कर गाजीपुर ले आई. फिर पुलिस ने उसे बहरियाबाद थाने ले जा कर उस से कड़ाई से पूछताछ की

सख्ती से घबरा कर उस ने सब कुछ बता दिया. अपना जुर्म कबूलते हुए उस ने पुलिस को बताया कि चंदना उस की प्रेमिका थी और उसी ने चाकू से गोद कर उस की हत्या की थी. उस ने यह भी बताया कि उस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू छिपा दिया था. विवेक ने सिलसिलेवार पूरी कहानी बता दी. थानाप्रभारी ने विवेक की निशानदेही पर लल्लन के खेत से चाकू बरामद कर लिया. आरोपी विवेक से पूछताछ के बाद कहानी कुछ इस तरह पता चली. चंदना विवेक से लड़ा बैठा था नैना 21 वर्षीय चंदना खूबसूरत तो थी ही, ऊपर से चंचल भी थी. चंदना के पड़ोस में रामधनी चौहान का घर था. रामधनी भले ही दीपचंद की जाति के नहीं थे, लेकिन रामधनी के घर से दीपचंद के परिवार जैसे प्रगाढ़ संबंध थे.

रामधनी के घर जब भी कोई मेहमान आता था तो दीपचंद उसे बुला कर अपने घर ले आता और जम कर स्वागत करता. दीपचंद के मेहमाननवाजी से मेहमानों का दिल खुश रहता था. रामधनी की बेटी का एक बेटा था जिस का नाम विवेक कुमार चौहान था. 21-22 वर्षीय विवेक कभीकभार नानानानी के घर बघांव आया करता था. वह मऊनाथ भंजन जिले के उमनपुर गांव में अपने मांबाप के साथ रहता था. उस के पिता का नाम था विजय बहादुर चौहान. वह सरकारी नौकरी में थे. उसी से 5 सदस्यों वाले परिवार का भरणपोषण होता था. विवेक ने स्नातक तक पढ़ाई कर के नौकरी करने का मन बना लिया था.

3 साल पहले यानी सन 2015 में बात तब की है जब विवेक इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उन्हीं दिनों उस के ननिहाल बघांव में शादी थी. परिवार के साथ विवेक भी बघांव आया था. वहां उसे मामा के घर सप्ताह भर रहना था. घर वालों के साथ चंदना भी शादी में शामिल हुई. चंदना खूबसूरत तो थी ही, जब वह सफेद रंग के कपड़े पहन लेती थी तो और भी सुंदर लगती थी. उस दिन भी चंदना ने सफेद रंग की पोशाक पहनी थी. इस पोशाक में वह सब से अलग और बहुत खूबसूरत लग रही थी. अचानक उस पर विवेक की नजर पड़ गई तो वह उसे कुछ देर अपलक निहारता रह गया. थोड़ी देर बाद चंदना उस की नजरों के सामने से ओझल हो गई तो उस की आंखें उसे इधरउधर ढूंढने लगीं. लेकिन वह कहीं नहीं दिखी

प्यार में दोनों हो गए दीवाने पहली ही नजर में चंदना विवेक के दिल में घर कर गई थी. उस दिन के बाद से विवेक चंदना के करीब जाने के लिए बेताब रहने लगा. वैसे भी उस के लिए दीपचंद के घर आनेजाने की पूरी छूट थी. जब भी मौका मिलता, वह दीपचंद के घर चला जाता और घंटों चंदना के साथ बिताता. चूंकि चंदना के पिता दीपचंद अध्यापक थे, इसलिए उन का दिन स्कूल में ही बीतता था. बच्चे स्कूल चले जाते थे. चंदना की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी इसलिए वह और उस की मां सुमन घर पर ही रहती थी. सुमन को विवेक के चंदना से मिलने पर कोई ऐतराज नहीं था. वह सोचती थी कि विवेक बहुत सीधासादा और नेकदिल युवक है. वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगा, जिस से दोनों परिवारों की बदनामी हो.

विवेक जब भी चंदना के पास बैठता था, उसे दीवानगी भरी नजरों से निहारता था. चंदना को विवेक का ऐसा देखना अच्छा लगता था. उस के मन के भीतर एक अजीब सी गुदगुदी होती थी. धीरेधीरे चंदना भी विवेक को प्यार भरी नजरों से देखने लगी थीआंखों के रास्ते दोनों ने एकदूसरे के दिलों में अपना मुकाम बना लिया था. यह भी कह सकते हैं कि दोनों एकदूसरे को अपना दिल दे बैठे थे. जब दिलों की बातें हुईं तो मौका देख कर दोनों ने अपने प्यार का इजहार भी कर लिया. एक हफ्ते बाद विवेक अपने परिवार के साथ घर लौट गया.

विवेक अपने घर तो लौट आया, लेकिन उस का दिल, उस का चैन, उस का करार सब कुछ चंदना के पास रह गया था. चंदना के बगैर विवेक का मन नहीं लग रहा था. वह उस से मिलने के लिए तड़प रहा था. विवेक यही सोच रहा था कि चंदना से कैसे मिले, कैसे बातें करे. उधर चंदना का भी यही हाल था. विवेक के लिए वह तड़प रही थी. चंदना के पास सेलफोन भी नहीं था जो फोन कर के विवेक से बात कर लेती. मोहब्बत की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी. दोनों विरह की अग्नि में जल रहे थे. विवेक से जब चंदना की जुदाई बरदाश्त नहीं हुई तो वह मांबाप से झूठ बोल कर नानानानी से मिलने के बहाने बघांव चला आया. बघांव आते हुए रास्ते में उस ने चंदना को उपहार में देने के लिए एक मोबाइल फोन खरीदा. उस ने सोचा कि चंदना के पास सेलफोन होगा तो बात करने में आसानी रहेगी.

ननिहाल जाने के बहाने मिलता था प्रेमिका से विवेक बघांव पहुंचा तो उसे देख कर नाना रामधनी खुश हुए. उन्हें क्या पता था कि उन का नाती उन से नहीं, अपनी प्रेमिका चंदना से मिलने आया है. नानानानी से मिलना तो एक बहाना था. नानानानी से मिलने के बाद विवेक चंदना से मिलने उस के घर गया. घर में चंदना और उस की मां ही थीं. विवेक को देखते ही चंदना का चेहरा खिल उठा. वह उसे हसरत भरी नजरों से देखती रही. विवेक से वह कहना तो बहुत कुछ चाहती थी, लेकिन मां के डर की वजह से कुछ नहीं बोल पाई. मुंह से भले ही सही पर इशारोंइशारों में दोनों के बीच काफी बातें हुईं. वैसे भी जब दो प्रेमी दिल की गहराई से एकदूसरे को प्यार करते हों तो उन्हें अपनी बात कहने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती

नाश्ता वगैरह करने के बाद विवेक जब घर से निकलने लगा तो चंदना उसे विदा करने कमरे से बाहर आई. तभी उस ने झटके में मोबाइल फोन उस के हाथों में थमा दिया और बोला, ‘‘यह तुम्हारे लिए गिफ्ट है.’’ चंदना ने झट से फोन अपनी समीज के अंदर रख लिया ताकि कोई देख सके. उस रात विवेक नाना के घर पर ही रुक गया. अगली सुबह वह अपने घर मऊनाथ भंजन लौट आया. फोन मिल जाने से दोनों के बीच की दूरियां मिट गईं. भले ही वे एकदूसरे की सूरत देख नहीं पा रहे थे, लेकिन प्यार भरी मीठीमीठी बातें कर के अपने दिल को तसल्ली दे लेते थे. एक दिन चंदना की छोटी बहन वंदना ने उसे मोबाइल पर किसी से बात करते सुन लिया

उस ने जब इस बारे में बहन से पूछा तो वह घबरा गई. उस ने वंदना को इस बारे में किसी से कुछ भी बताने को कहा तो वह मान गई. वंदना ने वाकई किसी से कुछ नहीं बताया. हां, चंदना ने उसे यह नहीं बताया था कि वह किस से और क्यों बातें करती थी. धीरेधीरे दोनों का प्रेम जवां होता रहा. वे अपने प्यार को ले कर भविष्य के सुनहरे सपने संजोने लगे. रेत के ढेर पर ख्वाबों का आशियाना बनाने लगे. इसी बीच इन प्रेमियों के साथ एक नई घटना घट गई. पता नहीं दोनों के प्यार को किस की नजर लग गई थी.

अचानक बदल गया चंदना का व्यवहार विवेक ने महसूस किया कि चंदना अब उसे पहले जैसा प्यार नहीं कर रही है. पता नहीं क्यों वह उस से कटने लगी थी. पहले वह विवेक के फोन की घंटी बजते ही काल रिसीव कर लेती थी, पर अब लगातार फोन की घंटियां बजती रहती थीं. तो चंदना काल रिसीव करती थी और ही मिस्ड काल करती थीचंदना के इस व्यवहार पर विवेक को गुस्सा आता था. हद तो तब हो गई जब विवेक चंदना को काल करता तो वह अकसर दूसरी काल पर व्यस्त मिलती थी.

विवेक का शक पुख्ता हो गया था कि चंदना का किसी और के साथ संबंध बन चुका है. इसीलिए वह उस से कटीकटी सी रहने लगी है. इस बात को ले कर चंदना और विवेक के बीच विवाद हो गया. विवेक ने उसे बहुत भलाबुरा कहा. उस के बाद चंदना ने विवेक से बात करनी बंद कर दीबाद में विवेक ने किसी तरह चंदना को मना लिया और उस से माफी मांग ली. उस ने वादा किया कि अब दोबारा उस से ऐसी गलती नहीं होगी. चंदना से माफी मांग कर विवेक ने एक पैंतरा चला था. उस ने सोच लिया था कि अगर चंदना उस की नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं होगी

इसीलिए उस ने चंदना से माफी मांग कर उसे विश्वास में लिया ताकि कभी बुलाने पर वह उस की बात सुन ले. प्यार में अंधी चंदना को इस बात का तनिक भी भान नहीं था कि विवेक उस के पीठ पीछे क्या षडयंत्र रच रहा है. विवेक ईर्ष्या की आग में जल रहा था. वह दिनरात इसी सोच में डूबा रहता था कि चंदना उस की नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं होगी. आखिर विवेक ने उस की हत्या की योजना बना डाली. योजना बनाने के बाद विवेक बाजार जा कर एक फलदार चाकू खरीद लाया और उसे अपने बैग में छिपा दिया. 16 मार्च की सुबह विवेक मां से नानी के घर जाने को कह कर घर से निकला और बस स्टैंड जा पहुंचा. वहां से वह गाजीपुर जाने वाली एक सरकारी बस में बैठ गया. गाजीपुर पहुंचने के बाद उस ने चंदना को फोन कर के बताया कि वह मिलने रहा है. गांव के बाहर लल्लन यादव के खेत के पास पहुंचो, कुछ जरूरी बातें करनी हैं.

विवेक का फोन आने के बाद चंदना मां से खेतों पर जाने की बात कह कर विवेक के बताए स्थान पर जाने के लिए चल दी. चंदना को क्या पता था कि जो उस से मिलने रहा है, वह उस का वफादार प्रेमी नहीं बल्कि मौत हैसाढ़े 9 बजे के करीब चंदना लल्लन यादव के खेत पर पहुंच गई. वहां खेत के चारों ओर कोई नहीं था. तब तक विवेक भी वहां पहुंच गया. प्रेमिका को देख कर विवेक हौले से मुसकराया तो चंदना ने भी उसी अंदाज में मुसकरा कर जवाब दिया. फिर चंदना ने उस से बुलाने की वजह पूछी तो विवेक गुस्से से लाल हो गया और उसे भद्दीभद्दी गालियां देते हुए बोला, ‘‘मैं ने तुम्हारे लिए खुद को बरबाद कर दिया. तुम पर पानी की तरह पैसे बहाए. तुम ने बदले में मुझे क्या दिया बेवफाई.

मेरे प्यार को ठुकरा कर दूसरों की बाहों में रंगरलियां मना रही हो. ऐसा मैं हरगिज होने नहीं दूंगा. अगर तुम मेरी नहीं हुई तो तुम्हें किसी और की भी होने नहीं दूंगा.’’ विवेक ने किया चाकू से वार चंदना कुछ समझ पाती, इस से पहले ही विवेक ने बैग से फलदार चाकू निकाला और उस की गरदन पर जोरदार वार कर दिया. चंदना हवा में लहराती हुई जमीन पर जा गिरी. उस के बाद विवेक तब तक उस के पेट और गरदन पर वार करता रहा, जब तक उस के प्राणपखेरू नहीं उड़ गए. चंदना की निर्मम हत्या करने के बाद विवेक उस की लाश घसीटते हुए गेहूं के खेत में ले गया और लाश को ठिकाने लगा कर आराम से घर लौट आया.

विवेक ने जिस चालाकी और सफाई से काम किया था, उसे देख कर उसे लगा था कि पुलिस उस तक कभी नहीं पहुंच सकती. लेकिन पुलिस ने उस की सोच पर पानी फेर दिया. जिस शक की आग में वह जल रहा था, उसी शक की आग ने उसे खाक में मिला दिया. प्यार का ये मतलब नहीं होता कि किसी की निर्मम तरीके से हत्या कर दे. विवेक अगर समझदारी से काम लेता तो चंदना भी इस दुनिया में सांस ले रही होती. लेकिन एक शक की चिंगारी ने सब कुछ तहसनहस कर दिया.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Crime : प्रेमी ने ही प्रेमिका को उतारा मौत के घाट

Love Crime : गुरुवार 10 फरवरी, 2022 का दिन ढल चुका था. शाम के यही कोई 6 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश के जिला भिंड के सिटी कोतवाली स्थित थाने के ड्यूटी अफसर थाने पहुंचे ही थे कि एक युवक बदहवास हालत में थाना परिसर में दाखिल हुआ. उस के बाल बिखरे हुए थे. कपड़ों पर भी खून के ताजा दाग लगे हुए थे.

पहरा ड्यूटी पर मुस्तैदी के साथ तैनात संतरी ने उसे रोकने की भरसक कोशिश की, लेकिन वह सीधे ड्यूटी अफसर के सामने जा खड़ा हुआ और फिर हाथ जोड़ कर नमस्कार कर अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘सर, मेरा नाम रितेश शाक्य है. मैं भिंड जिला अस्पताल में वार्डबौय के पद पर नौकरी करता हूं और गांधीनगर में अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ रहता हूं.

कुछ देर पहले मैं ने स्टाफ नर्स के पद पर काम करने वाली अपनी प्रेमिका नेहा की गोली मार कर हत्या कर दी है. उस की लाश नवीन आईसीयू वार्ड के स्टोर रूम में पड़ी हुई है. सर, क्योंकि मैं ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर के बड़ा अपराध किया है, अत: मुझे गिरफ्तार कर लीजिए.

युवक की बातें सुन कर ड्यूटी पर तैनात सुरजीत तोमर सन्न रह गए. वह आंखें फाड़े उस युवक को देखने लगे कि कहीं यह नशेड़ी या सनकी तो नहीं है जो इस तरह की बात कर रहा है.

हालांकि थाने में आ कर कोई इस तरह का मजाक करने का साहस तो नहीं कर सकता, इसलिए जब उन्होंने उस युवक को गौर से देखा तो मासूम सा दिखने वाला वह युवक काफी संजीदा लगा. इस का मतलब साफ था कि वह जो कुछ कह रहा है, सच है.

तोमर ने इस बात की जानकारी कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरजीत यादव को दी तो उन्होंने तुरंत उस युवक को हिरासत में लेने के निर्देश दिए. तोमर ने तुरंत युवक को हिरासत में ले लिया. थानाप्रभारी उस समय क्षेत्र में थे. सूचना पा कर वह तुरंत थाने पहुंच गए.

सुरजीत यादव ने आरोपी रितेश से पूछताछ करने के बाद अस्पताल परिसर में स्थित पुलिस चौकी पर तैनात कांस्टेबल नागेंद्र राजावत से बात की तो उन्होंने भी घटना की पुष्टि कर दी.

साथ ही यह भी बताया कि घटना के विरोध में अस्पताल की नर्सें और अन्य कर्मचारी अस्पताल में धरने पर बैठ गए हैं. धरने को ले कर लोगों में काफी आक्रोश है.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी एसपी शैलेंद्र सिंह को दी. इस के बाद एसपी के आदेश पर जिले के कई थानों की पुलिस जिला अस्पताल पहुंच गई. पुलिस ने सब से पहले अस्पताल के स्टोर रूम में पहुंच कर स्टाफ नर्स नेहा की लाश अपने कब्जे में ली. वह वहां खून से लथपथ पड़ी थी.

उस की कनपटी के बाईं ओर गोली मारी गई थी. वह सलवारसूट के ऊपर सफेद रंग का एप्रिन पहने हुए थी, जो खून से भीगा हुआ था.

घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद वहां मौजूद नर्सों से पूछताछ करने पर यह मालूम हुआ कि मृतका आज ड्यूटी खत्म होने के बाद छुट्टी की एप्लीकेशन दे कर एक सप्ताह के लिए अपने मातापिता के पास अपना जन्मदिन मनाने के लिए मंडला जाने वाली थी. इस से पहले कि नेहा अवकाश पर मंडला के लिए रवाना हो पाती, यह घटना घट गई.

नेहा का जन्मदिन 14 फरवरी, 2022 को उस के गृहनगर मंडला में धूमधाम से मनाया जाने वाला था. स्टाफ नर्स की हत्या के बाद दिए जा रहे धरने से स्वास्थ्य सेवा लड़खड़ा जाने और वहां से तनावपूर्ण हालात के बारे में सूचना पा कर एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान एसपी (सिटी) आनंद राय, एसडीएम उदय सिंह सिकरवार फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर आ गए थे.

फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए. फोरैंसिक टीम का काम खत्म होते ही एसपी ने सीएमओ डा. अजीत मिश्रा, सिविल सर्जन डा. अनिल गोयल सहित जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. देवेश शर्मा की मौजूदगी में घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण तो किया ही, साथ ही जिला अस्पताल में कार्यरत स्टाफ से पूछताछ कर नेहा के अतीत के बारे में जानकारी एकत्र की.

इस से पता चला कि जिला अस्पताल में वार्डबौय के पद पर कार्यरत रितेश नेहा से प्रेम करता था और उस से मिलने उस के धर्मपुरी स्थित कमरे पर भी आताजाता रहता था. लेकिन आज उन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ, किसी को पता नहीं था.

इस के बाद पुलिस ने नेहा के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और उस के परिजनों को भी इस घटनाक्रम से अवगत कराते हुए शीघ्र भिंड आने के लिए कहा.

वहीं इस हत्याकांड की विवेचना का दायित्व सीएसपी आनंद राय को सौंप दिया. इस से पहले जिला अस्पताल पुलिस चौकी में तैनात कांस्टेबल नागेंद्र राजावत की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 तथा आर्म्स एक्ट 25, 27, 54, 59 के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया.

जिला अस्पताल की नर्स नेहा चंदेला की हत्या के विरोध में नर्सों का दूसरे दिन भी धरना जारी रहा. इस से जिला अस्पताल के अंदर वार्डों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह लड़खड़ा गई थी. तमाम लोग अपने मरीज की वक्त पर देखभाल न होने की वजह से मरीज को बिना छुट्टी के ही बेहतर उपचार के लिए वहां से ग्वालियर ले कर रवाना हो गए.

हड़ताली नर्सों को समझाने के लिए एसडीएम उदय सिंह सिकरवार, सीएमओ डा. अजीत मिश्रा, सिविल सर्जन डा. अनिल गोयल ने काफी जतन किया, लेकिन जब वे इस में सफल नहीं हुए तो उन्हें थकहार कर नर्सेज एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष रेखा पवार को ग्वालियर वाहन भेज कर बुलाना पड़ा, जिस के बाद उन की समझाइश पर आक्रोशित नर्सें शाम 4 बजे काम पर लौटने के लिए राजी हुईं.

हालांकि इस से पहले जिला अस्पताल के द्वार पर ताला जड़े रहने से उपचार के अभाव में नयापुरा निवासी फिरोज खान की बेगम नाजिया की मृत्यु हो गई थी.

रोज की तरह 10 फरवरी, 2022 को भी नेहा चंदेला अपनी ड्यूटी पर पहुंच कर अपने कामकाज में जुट गई थी. शाम के कोई 5 बजे के करीब उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उसे हैरानी हुई कि ड्यूटी समाप्त होने को है इस वक्त कौन फोन कर रहा है.

लेकिन जब मोबाइल फोन की स्क्रीन पर चिरपरिचित नंबर देखा तो वह चौंकी भी और परेशान भी हुई कि रितेश कैसा बेशरम शख्स है जो उस के मना करने के बावजूद भी हाथ धो कर पीछे पड़ गया है.

फोन रिसीव न करना शिष्टाचारवश उसे उचित नहीं लगा, क्योंकि वह इस बात को भलीभांति जानती थी कि रितेश तब तक काल करता रहेगा, जब तक कि वह उस की काल रिसीव नहीं कर लेगी.

लिहाजा नेहा ने मन मार कर रितेश का फोन रिसीव कर लिया तो रितेश ने उस से अनुरोध किया, ‘‘आज शाम छुट्टी खत्म करने के बाद मंडला जाने से पहले प्लीज एक मर्तबा तुम मुझ से अकेले में मुलाकात कर लो. इस के बाद मुझे कभी भी तुम से बात करने का मौका नहीं मिलेगा.’’

नेहा असमंजस में पड़ गई कि क्या करे क्या न करे. रितेश शाक्य नेहा का बौयफ्रैंड था. वह भी उसी अस्पताल में वार्डबौय था.

6 दिसंबर को नेहा की सगाई गौरव पटेल के साथ तय हो जाने के बाद उस ने रितेश से न सिर्फ बातचीत करनी बंद कर दी थी, बल्कि मेलमुलाकात करनी भी लगभग बंद कर दी थी. नेहा ने रितेश से साफतौर पर कह दिया था कि मेरी सगाई हो जाने के बाद मैं अब तुम से किसी भी तरह का रिश्ता नहीं रखना चाहती.

नेहा का रिश्ता तय होने से खार खाए बैठे रितेश ने नेहा से मोबाइल पर गिड़गिड़ाते हुए कहा था कि आज मिलने के बाद आइंदा वह न तो कभी फोन करेगा और न कभी मिलने की कोशिश करेगा, यह उस का वायदा है.

जिस दिन से नेहा ने रितेश से बात करनी और अकेले में मेलमुलाकात का सिलसिला बंद किया था, उसी दिन से रितेश काफी तनाव में रहने लगा था. रितेश के अनुरोध पर नेहा ने ड्यूटी खत्म होने के बाद स्टोररूम में सिर्फ अंतिम बार बात करने के लिए इस शर्त के साथ अनुमति दे दी थी कि वह अपनी बात मनवाने के लिए किसी तरह की हठ नहीं करेगा.

ड्यूटी समाप्त होने से कुछ समय पहले शाम 5 बज कर 10 मिनट पर रितेश कमर में देशी पिस्टल लगा कर स्टोररूम में दाखिल हुआ. रितेश को देख कर नेहा ने रूखी आवाज में कहा, ‘‘जो भी बात करनी है जल्दी करो, मुझे छुट्टी का एप्लीकेशन दे कर मंडला के लिए निकलना भी है.’’

वार्डबौय रितेश को इतनी तो समझ थी ही कि जिस नम्रता के साथ अपनी प्रेमिका से अंतिम बार मिलने के बहाने स्टोररूम में दाखिल हुआ है, उसी का आश्रय ले कर वह अपनी बात मनवाने के लिए नेहा पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा.

बातचीत की शुरुआत में ऐसा हुआ भी. उस ने नेहा से एक बार फिर गुजारिश की कि वह उस का ज्यादा वक्त नहीं लेगा, सिर्फ 10 मिनट ही इत्मीनान के साथ बातचीत करेगा.

नेहा चूंकि जिला अस्पताल में ड्यूटी पर थी, इसलिए उसे किसी तरह का खतरा रितेश से महसूस नहीं हुआ. नेहा का सोचना था कि रितेश अंतिम बार उस से इत्मीनान के साथ बातचीत कर अपनी भड़ास निकाल लेगा तो उस की शादी करने वाली हठ खत्म हो जाएगी.

इस के बाद हमेशा के लिए उस का रितेश से पीछा छूट जाएगा. यही सब सोच कर उस ने रितेश को बातचीत करने के लिए अपनी सहमति दी थी. उस वक्त उसे इस बात का कतई अंदेशा नहीं था कि आज रितेश के सिर पर हैवानियत सवार है. और वह उसे चिरनिद्रा में सुलाने की मंशा से आ रहा है.

बातचीत का दौर शुरू करने से पहले जैसे ही रितेश ने कमर में लगा देसी पिस्टल निकाल कर मेज पर रखा तो नेहा को यह समझते जरा भी देर नहीं लगी कि उस ने रितेश को बातचीत के लिए बुला कर बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले ली है.

नेहा के साथ बातचीत का दौर शुरू होते ही रितेश ने नेहा से दोटूक शब्दों में कहा, ‘‘तुम सिर्फ मेरी हो, मेरी ही रहोगी. मैं हरगिज किसी भी सूरत में तुम्हारी शादी गौरव पटेल के साथ नहीं होने दूंगा. बोलो, मेरे से शादी करोगी या नहीं?’’

नेहा ने रितेश से कहा, ‘‘तुम पहले से ही शादीशुदा ही नहीं 2 बच्चों के बाप भी हो. इसलिए मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. मेरे मांबाप ने जिस लड़के से मेरा रिश्ता तय किया है, मैं उसी के साथ शादी करूंगी.’’

इतना सुनते ही रितेश बुरी तरह बौखला गया. उस ने तत्काल मेज पर रखी देसी पिस्टल उठा कर उस की नाल का रुख नेहा की बाएं कनपटी की ओर कर के ट्रिगर दबा दिया. गोली लगते ही नेहा कुरसी पर बैठे ही बैठे चिरनिद्रा में डूब गई.

गोली चलने की आवाज सुनते ही अस्पताल का स्टाफ स्टोर रूम की ओर गया तो नेहा को कुरसी पर लहूलुहान देख कर सभी के जैसे होश उड़ गए. वार्डबौय रितेश के हाथ में तमंचा देख कर उन्हें वाकया समझने में देर नहीं लगी. रितेश सभी को धमकाते हुए अस्पताल से निकल कर सिटी कोतवाली थाने में चला गया और आत्मसमर्पण कर दिया.

कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरजीत यादव ने मृतका के मातापिता का पता ले कर उस के घर वालों को मंडला फोन कर के घटना की सूचना दे दी. सूचना पा कर नेहा का बड़ा भाई करीबी रिश्तेदारों को ले कर दूसरे दिन भिंड पहुंच गया.

पुलिस ने रितेश के पिता को भी थाने बुला कर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि रितेश का नेहा नाम की नर्स से प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस की वजह से रितेश की अपनी पत्नी से भी अनबन चल रही थी. वह नेहा से शादी करना चाह रहा था, लेकिन उन्हें इस बात की कतई जानकारी नहीं थी कि वह उक्त नर्स की हत्या कर देगा.

पूछताछ के बाद रितेश के पिता को घर जाने की अनुमति दे दी गई. पोस्टमार्टम के बाद नेहा का शव उस के घर वाले अंतिम संस्कार के लिए मंडला ले आए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार नेहा की मौत गोली लगने से हुई थी.

जांच में पुलिस को पता चला कि नेहा और रितेश के इश्क की नींव वर्ष 2018 में उस वक्त रखी गई, जब वह मंडला से भिंड जिला अस्पताल में बतौर स्टाफ नर्स की नौकरी करने आई थी.

उन दोनों की पहली मुलाकात अस्पताल परिसर में बनी चाय की गुमटी पर हुई थी. उस समय नेहा चाय पीने वहां आई थी, संयोग से तभी रितेश भी वहां पर चाय पीने आया हुआ था. चूंकि रितेश भी जिला अस्पताल में वार्डबौय के पद पर कार्यरत था.

दरअसल, वह नेहा से काफी सीनियर था इसलिए नौकरी के साथ शुरुआती दौर में नर्स के कार्य के गुर सिखाने में उस ने नेहा की काफी मदद की थी.

नेहा उस के इस उपकार से काफी प्रभावित हुई थी. दोनों की जान पहचान होने के बाद उन के बीच मोबाइल पर बातचीत होनी शुरू हो गई. हालांकि रितेश की नौकरी 2009 में संविदा वार्डबौय के तौर पर भिंड के जिला अस्पताल में लगी थी. लेकिन उसे इस बात की उम्मीद थी कि निकट भविष्य में वह स्थाई हो जाएगा. नेहा से मोबाइल पर होने वाली लंबी बातचीत से उस की दोस्ती गहरी होती गई और मित्रता कब इश्क में बदल गई पता नहीं चला.

कहते हैं कि इश्क अंधा होता है वह जातपात के भेद को नहीं मानता. नेहा और रितेश अलगअलग जाति के थे, इस के बावजूद भी रितेश ने तय कर रखा था कि वे ताउम्र साथ रहेंगे और दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें जुदा नहीं कर सकेगी.

नेहा से रोज मुलाकात कर के वह अपने भावी जीवन के सुनहरे सपने देखने लगा था. कहते हैं कि इश्क को कितना भी छिपाने का जतन किया जाए, वह छिपता नहीं है.

नेहा के साथ काम करने वाले स्टाफ से ले कर रितेश के घर वालों को पता चल गया था कि ड्यूटी खत्म होने के बाद रितेश नेहा को बाइक पर ले कर खुल्लम खुल्ला घूमता फिरता है.

रितेश नेहा के प्यार में इतना दीवाना हो गया था कि वह अपनी पत्नी प्रीति की भी उपेक्षा करने लगा था. इस बारे में प्रीति ने रितेश से बात की तो उस ने झिड़कते हुए साफतौर पर कह दिया था कि वह नेहा से सिर्फ प्यार ही नहीं करता है, बल्कि उसे अपने दिल की रानी बना चुका है. निकट भविष्य में वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने वाला है.

पति का यह फैसला सुनने के बाद प्रीति भी परेशान रहने लगी कि आखिर वह पति को कैसे समझाए. इस बात को ले कर उन दोनों का आपस में झगड़ा भी रहता था.

रितेश से विस्तार से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा भी बरामद कर लिया. इस के बाद उसे भिंड जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

रितेश ने नासमझी और मूर्खतापूर्ण कदम उठा कर न सिर्फ नेहा को असमय मौत की नींद सुला दिया, बल्कि अपने सुनहरे भविष्य पर भी कालिख पोत ली. रितेश के जेल जाने के बाद उस के दोनों मासूम बच्चों सहित पत्नी के भविष्य पर भी ग्रहण लग गया है.

—पंकज द्विवेदी

Sexual Abuse : भतीजी से अवैध संबंध बनाने के लालच में फूफा का हुआ कत्ल

Sexual Abuse : ‘‘रजनी, क्या बात है आजकल तुम कुछ बदलीबदली सी लग रही हो. पहले की तरह बात भी नहीं करतीमिलने की बात करो तो बहाने बनाती हो. फोन करो तो ठीक से बात भी नहीं करतीं. कहीं हमारे बीच कोई और तो नहीं गया.’’ कमल ने अपनी प्रेमिका रजनी से शिकायती लहजे में कहा तो रजनी ने जवाब दिया, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे जीवन में तुम्हारे अलावा कोई और भी नहीं सकता.’’

रजनी और कमल लखनऊ जिले के थाना निगोहां क्षेत्र के गांव अहिनवार के रहने वाले थे. दोनों का काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहा था. ‘‘रजनी, फिर भी मुझे लग रहा है कि तुम मुझ से कुछ छिपा रही हो. देखो, तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है. कोई बात हो तो मुझे बताओ. हो सकता है, मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं.’’ कमल ने रजनी को भरोसा देते हुए कहा.

‘‘कमल, मैं ने तुम्हें बताया नहीं, पर एक दिन हम दोनों को हमारे फूफा गंगासागर ने देख लिया था.’’ रजनी ने बताया.

‘‘अच्छा, उन्होंने घर वालों को तो नहीं बताया?’’ कमल ने चिंतित होते हुए कहा.

‘‘अभी तो उन्होंने नहीं बताया, पर बात छिपाने की कीमत मांग रहे हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘कितने पैसे चाहिए उन्हें?’’ कमल ने पूछा.

‘‘नहीं, पैसे नहीं बल्कि एक बार मेरे साथ सोना चाहते हैं. वह धमकी दे रहे हैं कि अगर उन की बात नहीं मानी तो वह मेरे घर में पूरी बात बता कर मुझे घर से निकलवा देंगे.’’ रजनी के चेहरे पर चिंता के बादल छाए हुए थे.

‘‘तुम चिंता मत करो, बस एक बार तुम मुझ से मिलवा दो. हम उस की ऐसी हालत कर देंगे कि वह बताने लायक ही नहीं रहेगा. वह तुम्हारा सगा रिश्तेदार है तो यह बात कहते उसे शरम नहीं आई?’’ रजनी को चिंता में देख कमल गुस्से से भर गया.

‘‘अरे नहीं, मारना नहीं है. ऐसा करने पर तो हम ही फंस जाएंगे. जो बात हम छिपाना चाह रहे हैं, वही फैल जाएगी.’’ रजनी ने कमल को समझाते हुए कहा.

‘‘पर जो बात मैं तुम से नहीं कह पाया, वह उस ने तुम से कैसे कह दी. उसे कुछ तो शरम आनी चाहिए थी. आखिर वह तुम्हारे सगे फूफा हैं.’’ कमल ने कहा.

‘‘तुम्हारी बात सही है. मैं उन की बेटी की तरह हूं. वह शादीशुदा और बालबच्चेदार हैं. फिर भी वह मेरी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘तुम चिंता मत करो, अगर वह फिर कोई बात करे तो बताना. हम उसे ठिकाने लगा देंगे.’’ कमल गुस्से में बोलाइस के बाद रजनी अपने घर गई पर रजनी को इस बात की चिंता होने लगी थी. ब्लैकमेलिंग में अवांछित मांग 38 साल के गंगासागर यादव का अपना भरापूरा परिवार था. वह लखनऊ जिले के ही सरोजनीनगर थाने के गांव रहीमाबाद में रहता था. वह ठेकेदारी करता था. रजनी उस की पत्नी रेखा के भाई की बेटी थी. उस से उम्र में 15 साल छोटी रजनी को एक दिन गंगासागर ने कमल के साथ घूमते देख लिया था. कमल के साथ ही वह मोटरसाइकिल से अपने घर आई थी. यह देख कर गंगासागर को लगा कि अगर रजनी को ब्लैकमेल किया जाए तो वह चुपचाप उस की बात मान लेगी. चूंकि वह खुद ही ऐसी है, इसलिए यह बात किसी से बताएगी भी नहीं. गंगासागर ने जब यह बात रजनी से कही तो वह सन्न रह गई. वह कुछ नहीं बोली.

गंगासागर ने रजनी से एक दिन फिर कहा, ‘‘रजनी, तुम्हें मैं सोचने का मौका दे रहा हूं. अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो घर में तुम्हारा भंडाफोड़ कर दूंगा. तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारे मांबाप कितने गुस्से वाले हैं. मैं उन से यह बात कहूंगा तो मेरी बात पर उन्हें पक्का यकीन हो जाएगा और बिना कुछ सोचेसमझे ही वे तुम्हें घर से निकाल देंगे.’’ रजनी को धमकी दे कर गंगासागर चला गया. समस्या गंभीर होती जा रही थी. रजनी सोच रही थी कि हो सकता है उस के फूफा के मन से यह भूत उतर गया हो और दोबारा वह उस से यह बात कहेंयह सोच कर वह चुप थी, पर गंगासागर यह बात भूला नहीं था. एक दिन रजनी के घर पहुंच गया. अकेला पा कर उस ने रजनी से पूछा, ‘‘रजनी, तुम ने मेरे प्रस्ताव पर क्या विचार किया?’’

‘‘अभी तो कुछ समझ नहीं रहा कि क्या करूं. देखिए फूफाजी, आप मुझ से बहुत बड़े हैं. मैं आप के बच्चे की तरह हूं. मुझ पर दया कीजिए.’’ रजनी ने गंगासागर को समझाने की कोशिश की. ‘‘इस में बड़ेछोटे जैसी कोई बात नहीं है. मैं अपनी बात पर अडिग हूं. इतना समझ लो कि मेरी बात नहीं मानी तो भंडाफोड़ दूंगा. इसे कोरी धमकी मत समझना. आखिरी बार समझा रहा हूं.’’ गंगासागर की बात सुन कर रजनी कुछ नहीं बोली. उसे यकीन हो गया था कि वह मानने वाला नहीं है. रजनी ने यह बात कमल को बताई. कमल ने कहा, ‘‘ठीक है, किसी दिन उसे बुला लो.’’

इस के बाद रजनी और कमल ने एक योजना बना ली कि अगर वह अब भी नहीं माना तो उसे सबक सिखा देंगे. दूसरी ओर गंगासागर पर तो किशोर रजनी से संबंध बनाने का भूत सवार था. बह होते ही उस का फोन गया. फूफा का फोन देखते ही रजनी समझ गई कि अब वह मानेगा नहीं. कमल की योजना पर काम करने की सोच कर उस ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘फूफाजी, आप कल रात आइए. आप जैसा कहेंगे, मैं करने को तैयार हूं.’’

रजनी इतनी जल्दी मान जाएगी, गंगासागर को यह उम्मीद नहीं थी. अगले दिन शाम को उस ने रजनी को फोन कर पूछा कि वह कहां मिलेगी. रजनी ने उसे मिलने की जगह बता दी. अपने आप बुलाई मौत 18 जुलाई, 2018 को रात गंगासागर ने 8 बजे अपनी पत्नी को बताया कि पिपरसंड गांव में दोस्त के घर बर्थडे पार्टी है. अपने साथी ठेकेदार विपिन के साथ वह वहीं जा रहा है. गंगासागर रात 11 बजे तक भी घर नहीं लौटा तो पत्नी रेखा ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन बंद था. रेखा ने सोचा कि हो सकता है ज्यादा रात होने की वजह से वह वहीं रुक गए होंगे, सुबह जाएंगे.

अगली सुबह किसी ने फोन कर के रेखा को बताया कि गंगासागर का शव हरिहरपुर पटसा गांव के पास फार्महाउस के नजदीक पड़ा है. यह खबर मिलते ही वह मोहल्ले के लोगों के साथ वहां पहुंची तो वहां उस के पति की चाकू से गुदी लाश पड़ी थी. सूचना मिलने पर पुलिस भी वहां पहुंच गई. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और गंगासागर के पिता श्रीकृष्ण यादव की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि गंगासागर की लाल रंग की बाइक घटनास्थल से 22 किलोमीटर दूर असोहा थाना क्षेत्र के भावलिया गांव के पास सड़क किनारे एक गड्ढे में पड़ी है. पुलिस ने वह बरामद कर ली

जिस क्रूरता से गंगासागर की हत्या की गई थी, उसे देखते हुए सीओ (मोहनलाल गंज) बीना सिंह को लगा कि हत्यारे की मृतक से कोई गहरी खुंदक थी, इसीलिए उस ने चाकू से उस का शरीर गोद डाला था ताकि वह जीवित बच सकेपुलिस ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया. इस के अलावा पुलिस ने उस की सालियों, साले, पत्नी सहित कुछ साथी ठेकेदारों से भी बात की. एसएसआई रामफल मिश्रा ने काल डिटेल्स खंगालनी शुरू की तो उस में कुछ नंबर संदिग्ध लगे

लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन में एक टीम का गठन किया, जिस में थानाप्रभारी अजय कुमार राय के साथ अपराध शाखा के ओमवीर सिंह, सर्विलांस सेल के सुधीर कुमार त्यागी, एसएसआई रामफल मिश्रा, एसआई प्रमोद कुमार, सिपाही सरताज अहमद, वीर सिंह, अभिजीत कुमार, अनिल कुमार, राजीव कुमार, चंद्रपाल सिंह राठौर, विशाल सिंह, सूरज सिंह, राजेश पांडेय, जगसेन सोनकर और महिला सिपाही सुनीता को शामिल किया गया. काल डिटेल्स से पता चला कि घटना की रात गंगासागर की रजनी, कमल और कमल के दोस्त बबलू से बातचीत हुई थी. पुलिस ने रजनी से पूछताछ शुरू की और उसे बताया, ‘‘हमें सब पता है कि गंगासागर की हत्या किस ने की थी. तुम हमें सिर्फ यह बता दो कि आखिर उस की हत्या करने की वजह क्या थी?’’

रजनी सीधीसादी थी. वह पुलिस की घुड़की में गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि उस की हत्या उस ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर की थी. उस ने बताया कि उस के फूफा गंगासागर ने उस का जीना दूभर कर दिया था, जिस की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा. रजनी ने पुलिस को हत्या की पूरी कहानी बता दी. गंगासागर की ब्लैकमेलिंग से परेशान रजनी ने उसे फार्महाउस के पास मिलने को बुलाया था. वहां कमल और उस का साथी बबलू पहले से मौजूद थे. गंगासागर को लगा कि रजनी उस की बात मान कर समर्पण के लिए तैयार है और वह रात साढ़े 8 बजे फार्महाउस के पीछे पहुंच गया.

रजनी उस के साथ ही थी. गंगासागर के मन में लड्डू फूट रहे थे. जैसे ही उस ने रजनी से प्यारमोहब्बत भरी बात करनी शुरू की, वहां पहले से मौजूद कमल ने अंधेरे का लाभ उठा कर उस पर लोहे की रौड से हमला बोल दिया. गंगासागर वहीं गिर गया तो चाकू से उस की गरदन पर कई वार किए. जब वह मर गया तो कमल और बबलू ने खून से सने अपने कपड़े, चाकू और रौड वहां से कुछ दूरी पर झाड़ के किनारे जमीन में दबा दिया. दोनों अपने कपड़े साथ ले कर आए थे. उन्हें पहन कर कमल गंगासागर की बाइक ले कर उन्नाव की ओर भाग गया. बबलू रजनी को अपनी बाइक पर बैठा कर गांव ले आया और उसे उस के घर छोड़ दिया. कमल ने गंगासागर की बाइक भावलिया गांव के पास सड़क किनारे गड्ढे में डाल दी, जिस से लोग गुमराह हो जाएं.

पुलिस ने बड़ी तत्परता से केस की छानबीन की और हत्या का 4 दिन में ही खुलासा कर दिया. एसएसपी कलानिधि नैथानी और एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की तारीफ की.                        

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रजनी परिवर्तित नाम है.

Murder Mystery : मां के नाजायज संबंधों के चलते किया अपनी ही मां का कत्ल

Murder Mystery : रामाश्रय यादव को अपनी मां के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख कर सूरज को इतना गुस्सा आया कि फावड़े से वार कर के उस ने रामाश्रय की जिंदगी का दीया हमेशा के लिए बुझा दिया. रामाश्रय यादव कर ड्राइंगरूम में पड़े सोफे पर बैठे ही थे कि उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन उठा कर देखा, नंबर किसी खास का था, इसलिए फोन रिसीव करते हुए  उन के चेहरे पर मुसकान थिरक उठी थी. दूसरी ओर से महिला की शहदघुली आवाज आई. ‘‘तुम कब तक मेरे यहां पहुंच रहे हो? मैं ने दोपहर को ही बता दिया था कि पैसों की व्यवस्था हो गई है. जानते ही हो, समय कितना खराब चल रहा है. कहीं से चोरउचक्कों को हवा लग गई तो अनर्थ हो जाएगा, इसीलिए एक बार फिर कह रही हूं कि आ कर अपने पैसे ले जाओ.’’

‘‘ठीक है, मैं थोड़ी देर में तुम्हारे यहां पहुंच रहा हूं.’’ कह कर रामाश्रय ने फोन काट दिया. फोन काट कर रामाश्रय उठे और अपने कमरे में जा कर अलमारी से एक डायरी निकाल कर पत्नी आशा से बोले, ‘‘गामा की पत्नी का फोन आया था, पैसे देने के लिए बुला रही है. मुझे लौटने में देर हो सकती है, इसलिए तुम लोग खाना खा लेना. मेरी राह मत देखना.’’

‘‘कभी आप को खिलाए बिना मैं ने अपना मुंह जूठा किया है कि आज ही खा लूंगी. लौट कर आओगे तो साथ बैठ कर खाना खाऊंगी.’’ आशा ने कहा.

‘‘ठीक है भई, साथ ही खाएंगे. लेकिन बच्चों और बहुओं को भूखा मत रखना, उन्हें खिला देना.’’ रामाश्रय ने कहा और डायरी ले कर बाहर गए. अब तक उस के छोटे बेटे राकेश ने उस की मोटरसाइकिल निकाल कर बाहर खड़ी कर दी थी. डायरी उस ने डिक्की में रखी और मोटरसाइकिल स्टार्ट कर के चल पड़े. उस समय शाम के यही कोई 6 बज रहे थे और तारीख थी 12 नवंबर, 2013. उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर की थानाकोतवाली शाहपुर के मोहल्ला नंदानगर दरगहिया के रहने वाले रामाश्रय यादव ब्याज पर रुपए देने का काम करते थे. इसी की कमाई से उस ने अपना आलीशान मकान बनवा रखा था, जिस में वह पत्नी आशा, 2 बेटों दिनेश यादव उर्फ पहलवान और राकेश यादव के साथ रहते थे. उस ने करीब 40 लाख रुपए जरूरतमंदों को 10 से 15 प्रतिशत ब्याज पर दे रखा था.

इसी ब्याज की ही कमाई से रामाश्रय ने करोड़ों रुपए का प्लौट खरीद कर अपना यह आलीशान मकान तो बनाया ही था, एक फार्महाउस भी बनवा रखा था. उस का मकान और फार्महाउस आमनेसामने थे. फार्महाउस में उस ने भैंसें पाल रखी थीं, जिन का दूध बेच कर भी वह मोटी कमाई कर रहा था. यही नहीं, कुसुम्ही में 20 बीघे जमीन भी खरीद रखी थी, जिस पर खेती करवाता था. इन सब के अलावा वह प्रौपर्टी में भी पैसा लगाता था. एक तरह से वह बहुधंधी आदमी  था. उस के इन कारोबारों में उस का छोटा बेटा राकेश उस की मदद करता था.

रामाश्रय यादव को घर से गए 3 घंटे से ज्यादा हो गया और ही उस का फोन आया और ही वह आया तो आशा को चिंता हुई. उस ने राकेश से कहा, ‘‘अपने पापा को फोन कर के पूछो कि उन्हें आने में अभी कितनी देर और लगेगी. इस समय वह कहां हैं?’’ राकेश ने रामाश्रय को फोन किया तो पता चला कि उस का फोन बंद है. यह बात उसे अजीब लगी, क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता था. राकेश की समझ में यह बात नहीं आई तो मां से कह कर वह अपनी मोटरसाइकिल से गामा यादव के घर के लिए निकल पड़ा. गामा के घर की दूरी 6 किलोमीटर के आसपास थी. वह अभिषेकनगर, शिवपुर, नहर कालोनी में रहता था. यह इलाका थाना कैंट के अंतर्गत आता था.

गामा यादव तो नौकरी की वजह से बाहर रहता था, यहां उस की पत्नी मंजू बच्चों के साथ रहती थी. मंजू से रामाश्रय के अच्छे संबंध थे, जिस की वजह से वह अकसर उस के यहां आताजाता रहता था. करीब 20 मिनट में राकेश मंजू के यहां पहुंच गया. उस ने घंटी बजाई तो मंजू ने ही दरवाजा खोला. उतनी रात को अपने यहां राकेश को देख कर वह चौंकी. उस ने कहा, ‘‘आओ, अंदर आओ. कहो, क्या बात है?’’

 ‘‘आप के यहां पापा आए थे, अभी तक लौटे नहीं. उन का फोन भी बंद है.’’ वह तो मेरे यहां दोपहर आए थे. पैसों का हिसाबकिताब करना था, ले कर तुरंत चले गए थे.’’ मंजू ने कहा.

मंजू के इस जवाब से राकेश हैरान रह गया, क्योंकि घर से निकलते समय उस के पापा ने इन्हीं के यहां आने की बात कही थी. जबकि वह कह रही थी कि पापा यहां दोपहर आए थे और हिसाबकिताब कर के पैसे ले कर चले गए थे. वह क्या कहता, बिना कुछ कहेसुने ही बाहर से लौट आया. घर लौट कर उस ने सारी बात मां को बताई तो आशा का दिल घबराने लगा. मां की हालत देख कर राकेश ने कहा, ‘‘आप परेशान मत होइए, फोन कर के अन्य परिचितों से पूछता हूं. हो सकता है किसी के घर जा कर बैठ गए हों. बातचीत में उन्हें समय का खयाल ही हो.’’

राकेश ने लगभग सभी जानपहचान वालों को फोन कर के पिता के बारे में पूछ लिया. लेकिन कहीं से उसे कोई जानकारी नहीं मिली. अब तक काफी रात हो चुकी थी. उस की समझ में नहीं रहा था कि इतनी रात गए वह कहां जा कर पिता को ढूंढे. किसी तरह रात बिता कर सुबह होते ही राकेश पिता को ढूंढ़ने के लिए निकल पड़ा. सुबह भी वह सब से पहले मंजू के ही घर गया. इस बार भी मंजू ने वही जवाब दिया, जो रात में दिया था. इस के बाद वह पिता को जगहजगह ढूंढ़ने लगा. शाम होतेहोते उस के किसी परिचित ने बताया कि थाना झंगहा पुलिस ने नया बाजार स्थित मंदिर के पास से एक मोटरसाइकिल लावारिस स्थिति में खड़ी बरामद की है. जा कर देख लो, कहीं वह उस के पिता की तो नहीं है.

अब तक राकेश के कुछ दोस्त भी उस की मदद के लिए गए थे. वह अपने दोस्तों के साथ थाना झंगहा जा पहुंचा. राकेश ने मोटरसाइकिल देखी तो वह वही थी, जो पिछली शाम उस के पिता ले कर निकले थे. उस ने डिक्की देखी तो उस में वह डायरी नहीं थी, जो उस के पिता उस में रख कर ले गए थे. डायरी पा कर उसे लगा कि उस के पापा के साथ अवश्य कोई अनहोनी हो चुकी है. अगले दिन 14 नवंबर, 2013 की सुबह राकेश अपने दोस्तों के साथ थाना कोतवाली शाहपुर पहुंचा. कोतवाली प्रभारी उपेंद्र कुमार यादव को पूरी बात बताई तो कोतवाली प्रभारी ने उस से एक तहरीर ले कर रामाश्रय यादव के अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया.

मुकदमा दर्ज कराने के बाद कोतवाली प्रभारी उपेंद्र कुमार यादव ने रामाश्रय यादव का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवाने के साथ उस की काल डिटेल्स निकलवा ली. काल डिटेल्स में अंतिम फोन अभिषेकनगर, शिवपुर, नहर कालोनी की रहने वाली मंजू यादव के मोबाइल से किया गया था. रामाश्रय मंजू यादव के यहां ही जाने की बात कह कर घर से निकले थे. उसी के बाद से उस का पता नहीं चल रहा था. मोबाइल भी बंद हो गया था. पुलिस को मंजू पर शक हुआ तो उस के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगवा दिया. क्योंकि पुलिस को लग रहा था कि रामाश्रय के अपहरण में कहीं कहीं से उस का हाथ जरूर है.

2 दिनों तक उस नंबर पर तो किसी का फोन आया और ही उसी ने किसी को फोन किया. 17 नवंबर, 2013 की सुबह मंजू ने अपने एक रिश्तेदार को फोन कर के रामाश्रय यादव के बारे में कुछ इस तरह की बातें कीं, जैसे उस के गायब होने के बारे में उसे कुछ पता हो. मामला एक संभ्रांत औरत से जुड़ा था, इसलिए पुलिस ने सारे साक्ष्य जुटा कर ही उस पर हाथ डालने का विचार किया. पुलिस की एक टीम बनाई गई, जिस में सिपाही राम विनय सिंह, संजय पांडेय, रामकृपाल यादव, अजीत सिंह, महिला सिपाही पिंकी सिंह और इंदुबाला को शामिल किया गया. इस टीम का नेतृत्व कोतवाली प्रभारी उपेंद्र कुमार यादव कर रहे थे.

गुप्तरूप से सारी जानकारियां जुटा कर उपेंद्र कुमार ने रात को अपनी टीम के साथ मंजू के घर छापा मारा. घर पर उस समय मंजू और उस का बेटा सौरभ था. उतनी पुलिस देख कर मंजू सकपका गई. दरवाजा खुलते ही पुलिस घर में घुस कर तलाशी लेने लगी. पीछे के कमरे की तलाशी लेते समय पुलिस ने देखा कि कमरे का आधा फर्श इस तरह है, जैसे गड्ढा खोद कर पाटा गया हो, जबकि बाकी का आधा हिस्सा लीपा हुआ था. दरअसल मकान का फर्श अभी बना नहीं था. एक सिपाही ने उस पर पैर मारा तो वह जमीन में धंस गया. संदेह हुआ तो पुलिस ने लोहे की सरिया का टुकड़ा उठा कर उस में घुसेड़ा तो वह आसानी से घुसता चला गया.

इस के बाद मंजू से पूछताछ की गई तो पहले वह इधरउधर की बातें करती रही. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए पुलिस को बताया कि रामाश्रय यादव की हत्या कर के वहां उसी की लाश यहां गाड़ी गई है. कोतवाली प्रभारी उपेंद्र कुमार यादव ने मंजू को हिरासत में ले कर इस बात की सूचना क्षेत्राधिकारी नम्रता श्रीवास्तव को दे दी. इस के बाद नम्रता श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक (नगर) परेश पांडेय, सिटी मजिस्ट्रेट रामकेवल तिवारी, इंसपेक्टर भंवरनाथ चौधरी और इंजीनियरिंग कालेज चौकी के चौकीप्रभारी भी वहां पहुंच गए.

सिटी मजिस्ट्रेट रामकेवल तिवारी की उपस्थिति में फर्श की खुदाई कर के लाश बरामद की गई. पुलिस ने मृतक रामाश्रय के बेटे राकेश को फोन कर के बुला लिया था. लाश देखते ही वह बिलखबिलख कर रोने लगा. लाश की शिनाख्त हो ही गई. पुलिस ने अपनी औपचारिक काररवाई पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवा दिया. मंजू यादव को पुलिस थाने ले आई. थाने में एसपी (सिटी) परेश पांडेय और क्षेत्राधिकारी नम्रता श्रीवास्तव की उपस्थिति में उस से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में मंजू ने रामाश्रय यादव की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी.

40 वर्षीया मंजू यादव मूलरूप से गोरखपुर के थाना कैंट के मोहल्ला अभिषेकनगर, शिवपुर की नहर कालोनी की रहने वाली थी. उस के परिवार में पति गामा यादव और 2 बेटे सूरज कुमार तथा सौरभ कुमार थे. करीब 5 साल पहले गामा यादव एयरफोर्स से सेवानिवृत्ति हुए तो उन्हें झारखंड के बोकारो में नौकरी मिल गई. वह वहां अकेले ही रहते थे. उन की पत्नी मंजू गोरखपुर में रह कर दोनों बच्चों को पढ़ा रही थी. अभिषेकनगर में रहने से पहले गामा यादव का परिवार नंदानगर दरगहिया में किराए के मकान में रहता था. वहीं रहते हुए उन की मुलाकात रामाश्रय यादव से हुई तो जल्दी ही दोनों में दोस्ती हो गई. धीरेधीरे यह दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि दोनों परिवारों का एकदूसरे के यहां खूब आनाजाना हो गया. रामाश्रय यादव की शादी तो हो ही गई थी, वह 2 बेटों का बाप भी बन गया था. जबकि गामा यादव की नईनई शादी हुई थी. यह लगभग 20-25 साल पहले की बात है.

गामा यादव के ड्यूटी पर जाने के बाद घर में मंजू यादव ही रह जाती थी. ऐसे में कभीकभार घूमतेफिरते रामाश्रय उस के घर पहुंच जाता तो घंटों उस से बातें करता रहता था. बातें करतेकरते ही उस के मन में दोस्त की बीवी के प्रति आकर्षण पैदा होने लगा. मंजू भी 2 बेटों सूरज और सौरभ की मां बन गई थी. 2 बेटों के जन्म के बाद उस के शरीर में जो निखार आया था, वह रामाश्रय को और बेचैन करने लगा था. मंजू के आकर्षण में बंधा वह जबतब उस के घर पहुंचने लगा. लेकिन अब वह उस के घर खाली हाथ नहीं जाता था. बच्चों के बहाने वह कुछ न कुछ ले कर जाता था. मंजू और उस के बीच हंसीठिठोली होती ही थी, इसी बहाने वह उस से अश्लील मजाक करते हुए शारीरिक छेड़छाड़ भी करने लगा. मंजू ने कभी विरोध नहीं किया, इसलिए उस की हिम्मत बढ़ती गई और फिर एक दिन उस ने उसे बांहों में भर लिया.

ऐसे में तो रामाश्रय ने घरपरिवार की चिंता की मंजू ने. उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि जब इस बारे में घर वालों को पता चलेगा तो इस का परिणाम क्या होगा. दोनों ही किसी तरह की परवाह किए बगैर एक हो गए. इस के बाद उन का यह लुकाछिपी का खेल लगातार चलने लगा. दोनों ही यह खेल इतनी सफाई से खेल रहे थे कि इस की भनक तो गामा को लगी और आशा को. गामा नंदानगर में किराए के मकान में रहता था. बच्चे बड़े हुए तो जगह छोटी पड़ने लगी. रामाश्रय सूदखोरी के साथ प्रौपर्टी का भी काम करता था. इसी वजह से मंजू ने उस से प्लौट दिलाने की बात कही तो रामाश्रय ने उसे अभिषेकनगर का यह प्लौट दिला दिया. प्लौट खरीदने का पैसा भी रामाश्रय ने ही दिया. लेकिन गामा ने उस का यह पैसा धीरेधीरे अदा कर दिया था.

रामाश्रय ने मंजू को प्लौट ही नहीं दिलवाया, बल्कि उस का मकान भी बनवा दिया. मकान बनने के बाद मंजू बच्चों को ले कर अपने मकान में गई. यह 18 साल पहले की बात है. उसी बीच गामा नौकरी से रिटायर हो गया तो उसे झारखंड के बोकारो में बढि़या नौकरी मिल गई, जहां वह अकेला ही रह कर नौकरी करने लगा. गामा के आने से जहां मंजू और रामाश्रय को मिलने में दिक्कत होने लगी थी, वहीं उस के बोकारो चले जाने के बाद उन का रास्ता फिर साफ हो गया था. सूरज और सौरभ बड़े हो गए थे. लेकिन वे स्कूल चले जाते थे तो मंजू घर में अकेली रह जाती थी. उसी बीच रामाश्रय उस से मिलने आता था. मंजू को पता ही था कि रामाश्रय ब्याज पर पैसे देता है. उस के मन में आया कि क्यों वह भी अपने शारीरिक संबंधों को कैश कराए. वह रामाश्रय से रुपए ऐंठने लगी. उन पैसों को वह 12 प्रतिशत की दर से ब्याज पर उठाने लगी. इसी तरह उस ने रामाश्रय से करीब 15 लाख रुपए ऐंठ लिए.

15 लाख रुपए कोई छोटी रकम नहीं होती. रामाश्रय मंजू से अपने पैसे वापस मांगने लगा. जबकि मंजू देने में आनाकानी करती रही. रामाश्रय को लगा कि उस के पैसे डूबने वाले हैं तो उस ने थोड़ी सख्ती की. किसी तरह मंजू ने 10 लाख रुपए तो वापस कर दिए, लेकिन 5 लाख रुपए उस ने दबा लिए. उस ने कह भी दिया कि अब वह ये रुपए नहीं देगी. इस के बाद रामाश्रय ने उस से पैसे मांगने छोड़ दिए. 12 नवंबर, 2013 की शाम 6 बजे मंजू ने फोन कर के रामाश्रय को अपने घर बुलाया, क्योंकि उस समय वह घर में अकेली थी. उस के दोनों बेटे कहीं घूमने गए थे. घर से निकलते समय रामाश्रय ने पत्नी को बता दिया था कि वह मंजू के यहां हिसाबकिताब करने जा रहा है. उसे लौटने में देर हो सकती है, इसलिए वह उस का इंतजार नहीं करेगी.

जिस समय रामाश्रय मंजू के यहां पहुंचा, सौरभ चुका था. उसे देख कर दोनों अचकचा गए. तब रामाश्रय ने उसे बाहर भेजने के लिए कुछ रुपए दे कर कोई सामान लाने को कहा. उस के जाते ही दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. वह वासना की आग ठंडी कर ही रहे थे कि सूरज आ गया. दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने दरवाजे की झिर्री से झांका तो उसे अंदर से खुसुरफुसुर की आवाज सुनाई दी. सूरज दीवाल के सहारे छत पर चढ़ गया. सीढि़यों से उतर कर वह कमरे में पहुंचा तो मां को रामाश्रय के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख कर उसे गुस्सा आ गया. सूरज को देख कर मंजू हड़बड़ा कर उठी. वह कुछ करती, उस के पहले ही सूरज ने गुस्से में फावड़ा उठा कर रामाश्रय के सिर पर वार कर दिया.

एक ही वार में रामाश्रय का सिर फट गया और वह बिस्तर पर लुढ़क गया. मंजू डर गई. वह हड़बड़ा कर बिस्तर से नीचे कूद गई. तब तक सौरभ भी आ गया. वह भी छत के रास्ते नीचे आया था. रामाश्रय को खून में लथपथ देख कर वह बुरी तरह से डर कर रोने लगा. मंजू ने उसे डांट कर चुप कराया. जो होना था, सो हो चुका था. तीनों डर गए कि अब उन्हें जेल जाना होगा. पुलिस से बचने के लिए मंजू ने बेटों के साथ मिल कर कमरे के अंदर गड्ढा खोदा और रामाश्रय की लाश को उसी में दबा दिया. इस के बाद अपने एक रिश्तेदार की मदद से सूरज उस की मोटरसाइकिल को थाना झंगहा के अंतर्गत आने वाले नया बाजार के मंदिर के पास खड़ी कर आया. वहां से लौट कर वह उसी दिन पिता के पास बोकारो चला गया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने मंजू को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. 21 नवंबर, 2013 को पुलिस ने सूरज को हिरासत में ले कर बच्चों की अदालत में पेश किया, जहां से उसे बालसुधार गृह भेज दिया गया. इस मामले मे मृतक के बेटे राकेश का कहना है कि उस के पिता के मंजू से अवैध संबंध बिलकुल नहीं थे. पैसे लौटाने न पड़ें, इस के लिए उस ने उस के पिता की हत्या की है. यही नहीं, घटना वाले दिन उस के पिता के पास 2 लाख रुपए के चैक और 2 लाख रुपए नकद थे, वे भी गायब हैं. उन का मोबाइल भी नहीं मिला है.

कथा लिखे जाने तक तो मंजू की जमानत हुई थी, सूरज की. गामा यादव ने उन की जमानत की कोशिश भी नहीं की थी. शायद उन्होंने बेटे और पत्नी को उन के किए की सजा भुगतने के लिए छोड़ दिया है.

ऐसी मिली Love Marriage की सजा : कुल्हाड़ी से काटे दामाद के पैर

Love Marriage : बेटी का पड़ोसी से ब्याह करना फूल सिंह को इतना खला कि गुस्से में उस ने पड़ोसी सुरेंद्र का ही नहीं, अपना भी परिवार बरबाद कर दिया.  गांवों में आज भी ज्यादातर घरों में दिन ढलते ही रात का खाना बन जाता है. शाम के यही कोई साढ़े 6 बजे खाना खा कर सुरेंद्र सोने के लिए जानवरों के बाड़े में चला गया था. उस के जाने के बाद सुरेंद्र की पत्नी ममता, बेटा कुलदीप, दीपक, रतन और बहू प्रभा खाना खाने की तैयारी करने लगी थी. सभी खाने के लिए बैठने जा रहे थे कि तभी प्रभा के पिता फूल सिंह पाल, चाचा रामप्रसाद, भाई लाल सिंह उस के मौसेरे भाई टुंडा के साथ उन के यहां पहुंचे

किसी के हाथ में कुल्हाड़ी थी तो कोई चापड़ लिए था तो कोई डंडा. उन्हें इस तरह आया देख कर घर के सभी लोग समझ गए कि इन के इरादे नेक नहीं हैं. वे कुछ कर पाते, उस से पहले ही उन्होंने प्रभा को पकड़ा और कुल्हाड़ी से उस की हत्या कर दी. प्रभा की सास ममता बहू को बचाने के लिए दौड़ी तो हमलावरों ने उसे भी कुल्हाड़ी से काट डाला. ममता प्रभा की 9 महीने की बेटी को लिए थी, हत्यारों ने उसे छीन कर एक ओर फेंक दिया था. 2 लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद हमलावरों ने कुलदीप को पकड़ कर जमीन पर गिरा दिया. कुलदीप जान की भीख मांगने लगा तो फूल सिंह ने कहा, ‘‘कुलदीप, तुझे हम जान से नहीं मारेंगे, तुझे तो अपाहिज बना कर छोड़ देंगे, ताकि तू उम्र भर चलने को तरसे और अपनी बरबादी पर रोता रहे.’’

इतना कह कर फूल सिंह ने कुलदीप के दोनों पैर कुल्हाड़ी से काट दिए. सुरेंद्र की बुआ श्यामा और छोटेछोटे बच्चे चीखतेचिल्लाते रहे और गांव वालों से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन गांव का कोई भी उन की मदद को नहीं आया. लोग अपनीअपनी छतों पर खड़े हो कर इस वीभत्स नजारे को देखते रहे. कुछ ही देर में इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे कर जिस तरह हमलावर आए थे, उसी तरह फरार हो गए. सुरेंद्र का घर खून से डूब गया था. 2 महिलाओं की खून से लथपथ लाशें पड़ी थीं, जबकि कुलदीप दर्द से तड़प रहा था. हमलावरों के जाने के बाद गांव वाले जुटने शुरू हुए. खबर सुन कर सुरेंद्र और उस के मातापिता, भाई, चाचा आदि गए. लोमहर्षक नजारा देख कर वे सन्न रह गए

सुरेंद्र ने पुलिस चौकी साढ़ को फोन कर के इस घटना की सूचना दी. सूचना मिलते ही चौकीप्रभारी वीरेंद्र प्रताप यादव घटना की सूचना कोतवाली घाटमपुर को दे कर हेडकांस्टेबल अरविंद तिवारी, कांस्टेबल रईस अहमद, भीम प्रकाश, प्रवेश मिश्रा, संजय कुमार के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटना की सूचना पा कर कोतवाली घाटमपुर के प्रभारी गोपाल यादव और सीओ जे.पी. सिंह गांव ढुकुआपुर के लिए चल पड़े थे. ढुकुआपुर से पुलिस चौकी 8 किलोमीटर दूर थी इसलिए पुलिस टीम को वहां पहुंचने में पौन घंटा लग गया. 3 लोगों को खून में लथपथ देख कर पुलिस हैरान रह गई. देख कर ही लग रहा था कि कि यह सब दुश्मनी की वजह से हुआ है.

2 महिलाओं की मौत हो चुकी थी. कुलदीप दर्द से तड़प रहा था. पुलिस ने कुलदीप को स्वरूपनगर के एसएनआर अस्पताल भिजवाया. सूचना मिलने पर एसपी (देहात) अनिल मिश्रा भी वहां गए थे. पुलिस अधिकारियों ने आसपास के लोगों से घटना के बारे में जानना चाहा, लेकिन पुलिस के सामने किसी ने मुंह नहीं खोला. लोग अलगअलग बहाने बना कर वहां से खिसकने लगे. पुलिस समझ गई कि डर या किसी अन्य वजह से लोग कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं

हमलावरों ने सुरेंद्र की पत्नी ममता और बहू प्रभा की हत्या कर दी थी, जबकि बेटे कुलदीप के दोनों पैर काट दिए थे. पुलिस ने जब सुरेंद्र से पूछताछ की तो उस ने बताया कि यह सब कुलदीप की ससुराल वालों ने किया है. पुलिस ने सुरेंद्र पाल की ओर से फूल सिंह, उस के बेटे, भाई रामप्रसाद पाल, लाल सिंह, टुंडा उर्फ मामा और रामप्रसाद उर्फ छोटे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 307, 452, 34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस ने दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए कानपुर भिजवा दिया था. इस लोमहर्षक कांड के बाद गांव में दहशत फैल गई थी. गांव वाले दबी जुबान से तरहतरह की बातें कर रहे थे. एसएसपी यशस्वी यादव ने सीओ जे.पी. सिंह को निर्देश दिए कि वह जल्द से जल्द हमलावरों को गिरफ्तार करें. सीओ ने तुरंत ही प्रभारी निरीक्षक गोपाल यादव और चौकीप्रभारी वीरेंद्र प्रताप यादव के नेतृत्व में 2 टीमें गठित कीं

पहली टीम में एसआई अखिलेश मिश्रा, कांस्टेबल धर्मेंद्र सिंह, प्रवेश बाबू और इरशाद अहमद को शामिल किया गया, जबकि दूसरी टीम में हेडकांस्टेबल अरविंद तिवारी, कांस्टेबल रईस अहमद, अजय कुमार यादव और भीम प्रकाश को भी शामिल किया गया. चूंकि आरोपी अपने घरों से फरार थे, इसलिए पुलिस टीमें उन की तलाश में संभावित जगहों पर छापे मारने लगीं. आखिर सुबह होतेहोते पुलिस को सफलता मिल ही गई. पुलिस ने फूल सिंह, लाल सिंह और रामप्रसाद उर्फ छोटे को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उन से पूछताछ की गई तो इस खूनी तांडव की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की प्रस्तावना पर लिखी हुई थी.

उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर की एक तहसील है घाटमपुर. यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर बसा है एक गांव ढुकुआपुर. इस गांव में वैसे तो सभी जाति के लोग रहते हैं, लेकिन गड़रियों की संख्या कुछ ज्यादा है. इसी गांव में सुरेंद्र सिंह पाल भी अपने परिवार के साथ रहता था. वैसे सुरेंद्र पाल का पुश्तैनी मकान गांव के बीचोंबीच था, लेकिन भाइयों में जब बंटवारा हुआ तो वह गांव के बाहर खाली पड़ी जमीन पर मकान बना कर रहने लगा. सुरेंद्र के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 3 बेटे, कुलदीप, दीपक और करण थे. कुलदीप पढ़ाई के साथ पिता के काम में भी हाथ बंटाता था. सुरेंद्र के पड़ोस में ही फूल सिंह पाल का परिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे और 1 बेटी प्रभा थी. प्रभा और कुलदीप एक ही स्कूल में पढ़ते थे. दोनों आसपास ही रहते थे, इसलिए स्कूल भी साथसाथ आतेजाते थे. दोनों साथसाथ खेलते और पढ़ते हुए जवान हुए तो उन की दोस्ती प्यार में कब बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला.

कुलदीप और प्रभा का प्यार कुछ दिनों तक तो चोरीछिपे चलता रहा, लेकिन वह इसे ज्यादा दिनों तक लोगों की नजरों से छिपा सके. वैसे भी प्यार कहां छिप पाता है. दोनों के प्रेमसंबंधों की बात गांव के लोगों तक पहुंची तो लोग उन के बारे में चटखारे ले ले कर बातें करने लगे. गांव वालों से होते हुए यह बात किसी तरह प्रभा और कुलदीप के घर वालों के कानों तक पहुंची तो फूल सिंह ने पत्नी रानी से बात कर के प्रभा पर पाबंदी लगा दी कि वह घर के बाहर अकेली नहीं जाएगी. कहते हैं, बंदिशें लगाने से मोहब्बत और बढ़ती है. प्रभा की कुलदीप से मुलाकात भले ही नहीं हो पा रही थी, लेकिन फोन के जरिए बात होती रहती थी. चूंकि उन्होंने पहले से ही तय कर लिया था कि वे प्यार में आने वाली हर रुकावट का विरोध करेंगे, इसलिए वे बगावत पर उतर आए. जमाने की परवाह किए बगैर अपने प्यार को मंजिल तक पहुंचाने के लिए वे जनवरी, 2012 में अपनेअपने घरों को छोड़ कर हरियाणा के गुड़गांव शहर चले गए.

गुड़गांव में कुलदीप का एक दोस्त रहता था. कुलदीप ने उसी की मदद से आर्यसमाज रीति से प्रभा के साथ विवाह भी कर लिया. दोस्त की मदद से उसे दिल्ली की एक फैक्ट्री में नौकरी भी मिल गई. इस के बाद कुलदीप दिल्ली में किराए पर कमरा ले कर प्रभा के साथ रहने लगा. प्रभा के इस तरह भाग जाने से फूल सिंह की बहुत बदनामी हुई. उस ने 16 जनवरी, 2012 को थाना घाटमपुर में कुलदीप के खिलाफ प्रभा को बरगला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. रिपोर्ट में उस ने प्रभा को नाबालिग बताया था. मामला नाबालिग लड़की का था, इसलिए पुलिस ने सुरेंद्र पाल और उस के परिवार वालों पर शिकंजा कसा. मजबूरन कुलदीप को वापस जाना पड़ा

चूंकि कुलदीप के खिलाफ पहले से रिपोर्ट दर्ज थी, इसलिए पुलिस ने कुलदीप को गिरफ्तार कर के पूछताछ की. प्रभा का मैडिकल परीक्षण कराया. मैडिकल में प्रभा की उम्र 18 साल से ऊपर निकली. वह संभोग की अभ्यस्त पाई गई. प्रभा ने कुलदीप की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा था कि उस ने कुलदीप के साथ अपनी मरजी से जा कर शादी की थी. प्रभा ने सुबूत के तौर पर अपने और कुलदीप के शादी के फोटो भी दिखाए. लेकिन पुलिस ने उस की एक सुनी और कुलदीप को अदालत में पेश कर जेल भेज दियामजिस्ट्रेट के सामने प्रभा के बयान कराए गए तो प्रभा ने वही सब कहा जो उस ने पुलिस के सामने चीखचीख कर कहा था. प्रभा के बयान और उस के बालिग होने की रिपोर्ट के मद्देनजर मजिस्ट्रेट ने प्रभा को उस की मरजी के अनुसार जहां और जिस के साथ जाने रहने की इजाजत दे दी.

अदालत के फैसले के बाद प्रभा ने अपने घर के बजाय सासससुर के साथ जाने की इच्छा जताई तो पुलिस ने उसे कुलदीप के घर पहुंचा दिया. बेटी के इस फैसले से फूल सिंह और उस के धर वालों ने बड़ी बेइज्जती महसूस की. कुछ दिनों बाद कुलदीप भी छूट कर घर आ गया. माहौल खराब हो, इसलिए कुलदीप प्रभा को ले कर फिर से दिल्ली चला गया. जनवरी, 2013 में प्रभा ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने शिवानी रखा. समय का पहिया अपनी गति से चलता रहा. शिवानी भी 9 महीने की हो गई. अपने मातापिता से भी कुलदीप के संबंध ठीक हो गए थे. वह अकसर घर वालों से फोन पर बातचीत करता रहता था. लेकिन फूल सिंह ने बेटी से हमेशा के लिए संबंध खत्म कर लिए थे. कुलदीप बेटी का मुंडन संस्कार कराना चाहता था, इसलिए घर वालों से बात कर के वह पत्नी और बेटी को ले कर 9 अक्तूबर, 2013 को अपने गांव ढुकुआपुर गया.

सुरेंद्र पाल ने मुंडन संस्कार की सारी तैयारियां पहले से ही कर रखी थीं. 10 अक्तूबर को बड़ी धूमधाम से शिवानी का मुंडन संस्कार हुआ. प्रभा के मातापिता ने कुलदीप को अपना दामाद स्वीकार नहीं किया था. वह कुलदीप से खुंदक खाए बैठा था. इसलिए सुरेंद्र ने मुंडन कार्यक्रम में फूल सिंह और उस के परिवार वालों को नहीं बुलाया था. गांव वाले मुंडन की दावत खा कर जब लौट रहे थे तो तरहतरह की बातें कर रहे थे. वे बातें फूल सिंह ने सुनीं तो उस का खून खौल उठा. उस ने उसी समय कुलदीप और उस के घर वालों को सबक सिखाने का निश्चय कर लिया. इस बारे में उस ने मोहद्दीपुर थाना बकेवर में रहने वाले अपने भाई रामप्रसाद से सलाहमशविरा कर के उसे भी शामिल कर लिया. अब इंतजार था, सुरेंद्र के मेहमानों के चले जाने का. 13 अक्तूबर को उस के यहां से सभी मेहमान चले गए. केवल सुरेंद्र की बुआ श्यामा रह गई थीं.

14 अक्तूबर, 2013 की शाम सुरेंद्र खाना खा कर घर से करीब 50 मीटर दूर जानवरों के बाड़े में सोने चला गया. उस की पत्नी ममता बच्चों को खाना खिलाने की तैयारी कर रही थी तभी फूल सिंह, लाल सिंह, रामप्रसाद आदि कुल्हाड़ी, चापड़ और डंडे ले कर सुरेंद्र के घर में दाखिल हुए. घर वाले कुछ समझ पाते उस से पहले उन्होंने प्रभा की हत्या की, क्योंकि उसी की वजह से समाज में उन की नाक कटी थी. ममता बहू को बचाने आई तो उन्होंने उसे भी काट डाला. उस के बाद कुलदीप के दोनों पैर काट दिए. इतना सब कर के वे फरार हो गए. पुलिस ने फूल सिंह, लाल सिंह, रामप्रसाद उर्फ छोटे पाल से पूछताछ कर के सभी को जेल भेज दिया.

पुलिस ने टुंडा उर्फ मामा से पूछताछ करने के बाद उसे छोड़ दिया. पुलिस का कहना था कि उस का एक हाथ कटा था. एक हाथ से वह किसी पर हमला नहीं कर सकता. दूसरे पुलिस जब उस के घर फरीदपुर पहुंची तो वह घर पर ही सोता मिला था. अगर वह हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल होता तो अन्य हमलावरों की तरह वह भी घर से फरार होता. वह आराम से अपने घर में नहीं सो रहा होता. उधर सुरेंद्र का कहना है कि टुंडा घटना में शामिल था. पुलिस ने जानबूझ कर उसे छोड़ दिया. सच्चाई जो भी हो, इस लोमहर्षक कांड ने यह तो साबित कर दिया है कि लोग खुद को कितना भी आधुनिक कहें, लेकिन अभी उन की सोच नहीं बदली है. अगर फूल सिंह बेटी की पसंद को स्वीकार कर लेता तो उसे इस जघन्य अपराध के आरोप में जेल जाना पड़ता. कथा लिखे जाने तक कुलदीप अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था.

   —कथा पुलिस सूत्र और जनचर्चा पर आधारित

लेखक – एम. आई. हाशमी

Crime Story : नशेड़ी बेटे ने अपनी मां का किया बेरहमी से कत्ल

Crime Story : खासतौर पर आज अगर हम हत्या की बात करें, तो इस मामले में आसपास के लोग ही 90 फीसदी भागीदारी करते हैं. अगर आप हत्या के मामलों की पड़ताल करें, तो पाएंगे कि इस में आरोपी अपराधी आमतौर पर मारे गए लोगों के आसपास के ही होते हैं.

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस के उत्तरपूर्व जिले के दयालपुर इलाके में नशे के लिए पैसे न देने पर एक बेटे ने अपनी बुजुर्ग मां की पीटपीट कर हत्या कर दी. इतना ही नहीं, बेरहम आरोपी बेटे ने वारदात के बाद अपनी मां की लाश बाथरूम में छिपा दी और बेटी को भी मुंह बंद रखने के लिए धमकाने लगा.

देश की राजधानी में एक बेटे द्वारा अपनी मां की हत्या के इस मामले में आगे क्या हुआ हम आप को बताते हैं, मगर उस से पहले देखिए कि हाल ही में इस तरह के कैसेकैसे मामले सामने आए हैं :

-पत्नी ने खाने में ज्यादा नमक डाल दिया तो नाराज हो कर पति ने पत्नी को इतना मारा कि उस की मौत हो गई. यह वारदात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कटोरा तालाब थाना क्षेत्र की है.

-छत्तीसगढ़ के जिला अंबिकापुर में एक आदमी ने अपने बेटे की हत्या कर दी. वजह बस इतनी थी कि बेटा कोई कामधंधा नहीं ढूंढ़ पाया था.

-छत्तीसगढ़ में ही बिलासपुर के रतनपुर में एक बेटे ने अपनी ही मां की हत्या कर दी, क्योंकि उस ने उसे समय पर शराब के लिए पैसे नहीं दिए थे.

इस तरह छोटीछोटी बातों में अपने ही आसपास के लोगों की हत्या करते हुए समाज में अनेक तरह की वारदात होती रहती हैं, जो यह बताती है कि आज इनसानियत किस तरह कमतर हो गई हैं. लोगों में सब्र खत्म हो गया है और उतावलापन अपनी हद पर है.

बिलासपुर हाईकोर्ट के ऐडवोकेट देवघर महंत के मुताबिक, दरअसल, इस तरह की घटनाएं सिर्फ और सिर्फ पलभर के जोश में हो जाती हैं. जहां लोगों में सामाजिकता में कमी आ रही है, वहीं पढ़ाईलिखाई की कमी भी इस की एक बड़ी वजह है.

मां, बेटा और बेटी

दिल्ली में एक बेटे ने अपनी मां की हत्या कर दी और की लाश को छिपा दिया. जब बेटी आई और पूछने लगे कि दादी मां कहां हैं? तो पिता ने उसे सबकुछ बताते हुए धमकी दी कि अपना मुंह बंद रखो, नहीं तो तुम्हारा भी अंजाम वही होगा.

पुलिस के एक बड़े अफसर के मुताबिक, आरोपी की बेटी ने दादी के बारे में पूछा तो पिता पहले तो उसे गुमराह करता रहा और बाद में उस ने हत्या की बात बताई. इस के बाद किशोरी ने शोर मचाया तो चिल्लाने की आवाज सुन कर पड़ोसी आ गए और मामले की सूचना पुलिस को दी गई.

मौके पर पर पहुंची पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया था. मारी गई औरत की पहचान 65 साल की मुन्नी देवी के रूप में हुई थी. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी की पहचान 40 साल के सोनू के रूप में हुई.

उत्तरपूर्व जिला पुलिस उपायुक्त आशीष मिश्रा ने बताया कि मुन्नी देवी दयालपुर इलाके में परिवार के साथ रहती थी. उस के पति की मौत पहले हो चुकी है. परिवार में सिर्फ बेटा सोनू, उस की बेटी और बेटे ही हैं.

मुन्नी देवी की पहली बहू की मौत हो चुकी है और उस के बेटे ने दूसरी शादी की है. उस को पहली पत्नी से एक बेटी और दूसरी पत्नी से 3 बेटे हैं. फिलहाल सोनू बेरोजगार है और नशे का आदी है. कुछ दिन पहले हुए एक झगड़े के बाद उस की पत्नी अपने मायके चली गई थी. इधर सोनू अकसर अपनी मां से नशे के लिए पैसे मांगता था और पैसे न देने पर उस के साथ झगड़ा करता था.

शुक्रवार, 14 फरवरी, 2025 की शाम सोनू की बेटी ट्यूशन गई हुई थी. इसी दौरान अचानक सोनू घर आ गया और अपनी मां से शराब के लिए पैसे मांगने लगा.

पुलिस के आला अफसर के मुताबिक मुन्नी देवी की पोती ने जैसे ही दादी की लाश देखी तो वह डर कर कांपने लगी और रोने लगी. इस पर उस के पिता ने कहा कि अगर वह हत्या की बात किसी को बताएगी तो वह उसे भी मार देगा. इस के बाद किशोरी घर में जोरजोर से रोने लगी. उस की आवाज सुन कर पड़ोसी घर की तरफ दौड़े. देखते ही देखते वहां भीड़ जमा हो गई और मौके की नजाकत देखते हुए किसी ने पुलिस को खबर कर दी.

Crime Story : अवैध संबंधों में हुई सीआरपीएफ जवान की हत्या

Crime Story : फर्रूखाबाद के कोतवाली इंसपेक्टर संजीव राठौर अपने औफिस में बैठे थे, तभी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने  उन के औफिस में प्रवेश किया. दिखने में वह संभ्रांत लग रहा था, लेकिन उस के माथे पर परेशानी की लकीरें थीं. राठौर ने उस व्यक्ति को सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया फिर पूछा, ‘‘आप कुछ परेशान दिख रहे हैं. आप अपनी परेशानी बताएं ताकि हम आप की मदद कर सकें.’’

‘‘सर, मेरा नाम रमेशचंद्र दिवाकर है. मैं एटा जिले के अलीगंज थाना अंतर्गत झकरई गांव का रहने वाला हूं. मेरा छोटा भाई दिनेश कुमार दिवाकर पत्नी व बच्चों के साथ आप के ही क्षेत्र के गांव झगुवा नगला में रहता है. दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में है और श्रीनगर में तैनात है.

‘‘दिनेश 15 दिन की छुट्टी ले कर 6 जून को आया था, लेकिन वह घर नहीं पहुंचा. उस ने मुझे रात साढ़े 10 बजे मोबाइल पर फोन कर के जानकारी दी थी कि वह घर के नजदीक पहुंच गया है. लेकिन 8 जून को उस की पत्नी रमा ने मेरी मां को जानकारी दी कि दिनेश घर आया ही नहीं है. उस का फोन भी नहीं लग रहा है. श्रीनगर कंट्रोल रूम को भी रमा ने दिनेश का फोन बंद होने की जानकारी दी है. भाई के लापता होने से मैं परेशान हूं और इसी सिलसिले में आप के पास आया हूं. इस मामले में आप मेरी मदद कीजिए.’’

यह बात 10 जून की है. कोतवाल संजीव राठौर ने रमेशचंद्र दिवाकर की बात गौर से सुनी, फिर बोले, ‘‘झगुवा नगला गांव, पांचाल घाट पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है. 8 जून को इस गांव के बाहर एक युवक की अधजली लाश बरामद हुई थी. अज्ञात में पंचनामा भर कर लाश को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया था. लाश की कुछ फोटो हैं, आप उन्हें देख लो.’’

श्री राठौर ने लाश के फोटो मंगवाए फिर रमेशचंद्र को देखने के लिए थमा दिए. रमेशचंद्र ने सभी फोटो गौर से देखे और फफक पड़े, ‘‘सर, ये फोटो मेरे भाई दिनेश की लाश के हैं.’’

इस के बाद रमेशचंद्र ने मोबाइल फोन से घर वालों को सूचना दी तो घर में हाहाकार मच गया.

थानाप्रभारी संजीव राठौर ने रमेशचंद्र को धैर्य बंधाया, फिर मृतक के संबंध में जानकारियां जुटाईं. इस के बाद उन्होंने पूछा, ‘‘रमेशजी, आप को किसी पर शक है?’’

‘‘हां, है.’’ रमेशचंद्र गंभीर हो कर बोले.

‘‘किस पर?’’ संजीव राठौर ने अचकचा कर पूछा.

‘‘भाई दिनेश की पत्नी रमा और उस के आशिक अनमोल उर्फ अमन पर. हत्या की जानकारी रमा के भाई राहुल को भी होगी, लेकिन वह बहन के गुनाह को छिपाना चाहता है.’’

रमेशचंद्र दिवाकर की बात सुन कर संजीव राठौर चौंके. उन्होंने इस घटना की सूचना एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा को दे दी. उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए दिनेश की हत्या का परदाफाश करने के लिए एडिशनल एसपी त्रिभुवन सिंह के निर्देशन में एक स्पैशल टीम बना दी. टीम में तेजतर्रार सबइंसपेक्टर, कांस्टेबल तथा महिला सिपाहियों को शामिल किया गया.

रमा ने किया गुमराह

पुलिस टीम ने सब से पहले मृतक दिनेश के बड़े भाई रमेशचंद्र दिवाकर से पूछताछ की तथा उन का बयान दर्ज किया. पूछताछ में रमेशचंद्र ने बताया कि दिनेश 6 जून की रात घर आया था, लेकिन रमा यह कह कर गुमराह कर रही है कि वह घर नहीं आया. रमा के घर से 200 मीटर दूर अधजली लाश खेत में पाई गई थी, लेकिन वह लाश की शिनाख्त के लिए नहीं गई.

एक रोज बाद रमा ने अपने आप को बचाने के लिए सास को पति के लापता होने की जानकारी दी. सब से अहम बात यह कि जब वह झगुवा नगला स्थित रमा के घर गया तो उस ने अपने बच्चों से बात नहीं करने दी.

घर में ताला बंद कर वह भाई राहुल के साथ ससुराल यानी हमारे यहां आ गई. रमा मायके न जा कर ससुराल इसलिए आई ताकि ससुराल वाले उस पर शक न करें. गुमराह करने के लिए ही उस ने श्रीनगर कंट्रोल रूम को फोन किया था.

रमेशचंद्र ने जो अहम जानकारी दी थी, उस से पुलिस टीम ने एएसपी त्रिभुवन सिंह को अवगत कराया तथा हत्या का परदाफाश करने के लिए रमा तथा उस के सहयोगियों की गिरफ्तारी के लिए अनुमति मांगी. त्रिभुवन सिंह ने तत्काल पुलिस टीम को अनुमति दे दी.

अनुमति मिलने पर पुलिस टीम ने रमा की ससुराल झकरई (एटा) में छापा मारा. रमा घर पर ही थी. पुलिस को देख कर वह रोनेधोने का नाटक करने लगी. लेकिन पुलिस टीम ने उस की एक नहीं सुनी और उसे गिरफ्तार कर फर्रूखाबाद कोतवाली ले आई.

रमा का मायका फर्रूखाबाद के चीनीग्राम में था. पुलिस टीम ने वहां छापा मार कर रमा के भाई राहुल दिवाकर को भी गिरफ्तार कर लिया. रमा का प्रेमी अनमोल उर्फ अमन फर्रूखाबाद जिले के थाना मेरापुर के गांव गुठना का रहने वाला था. पुलिस टीम ने उस के घर छापा मारा तो वह घर से फरार था.

घर पर उस के पिता महेश दिवाकर मौजूद थे. उन्होंने बताया कि अनमोल 2 दिन से घर नहीं आया है. पुलिस टीम ने जब उन्हें बताया कि पुलिस को एक हत्या के मामले में अनमोल की तलाश है तो वह आश्चर्यचकित रह गए.

जब पुलिस टीम लौटने लगी तब अनमोल के पड़ोसियों ने बताया कि अनमोल का एक जिगरी दोस्त है रामगोपाल, जो परचून की दुकान चलाता है. अनमोल जब भी फुरसत में होता है, तब रामगोपाल की दुकान पर पहुंच जाता है. दोनों घंटों बतियाते और अपने दिल की बात एकदूसरे को बताते हैं. रामगोपाल को पता होगा कि अनमोल कहां है.

दोस्त से मिली खास जानकारी

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने रामगोपाल को उस की परचून की दुकान से हिरासत में ले लिया और थाना कोतवाली ला कर जब उस से अनमोल के संबंध में पूछताछ की गई तो वह उस की जानकारी से मुकर गया.

इस पर पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तब उस ने बताया कि अनमोल का एक दोस्त कमलकांत शर्मा है, जो उसी के गांव गुठना का रहने वाला है. कमलकांत उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही है और इन दिनों कानपुर देहात जिले के महाराजपुर थाने में तैनात है. अनमोल संभवत: कमलकांत के ही संरक्षण में होगा.

रामगोपाल से अनमोल के संबंध में अहम जानकारी मिली तो पुलिस टीम ने महाराजपुर थाने से संपर्क कर के सिपाही कमलकांत शर्मा से मोबाइल पर बात की. कमलकांत ने पुलिस टीम के प्रभारी संजीव राठौर को बताया कि अनमोल उस के पास है और वह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहता है.

यह सुनते ही पुलिस टीम की बांछें खिल गईं. इस के बाद पुलिस टीम सिपाही कमलकांत के आवास पर पहुंची और अनमोल को फर्रूखाबाद कोतवाली ले आई. अनमोल को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम ने उस के दोस्त रामगोपाल को थाने से रिहा कर दिया.

पुलिस टीम ने थाना कोतवाली पर अनमोल उर्फ अमन से दिनेश कुमार की हत्या के संबंध में पूछताछ शुरू की तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह दिनेश की पत्नी रमा से प्यार करता है. दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए थे. दिनेश नाजायज संबंधों का विरोध करता था. इसलिए हम दोनों ने मिल कर उस की हत्या कर दी और शव को खेत में फेंक कर जला दिया.

अनमोल ने यह भी बताया कि उसे दिनेश की हत्या का कोई अफसोस नहीं है बल्कि खुशी है कि उस की जान बच गई. क्योंकि दिनेश उसे व उस की प्रेमिका को ही मारने आया था. इसी वजह से वह घर में बिना किसी को बताए छुट्टी ले कर घर आ गया था. पूछताछ के बाद अनमोल ने हत्या में प्रयुक्त रायफल भी बरामद करा दी, जो उस ने छिपा दी थी.

हो गया हत्या का परदाफाश

रमा का सामना जब अनमोल से हुआ तो उस ने गरदन झुका ली और पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. रमा ने बताया कि पति दिनेश को उस पर शक हो गया था इसीलिए उस ने प्रेमी के साथ मिल कर उसे मौत की नींद सुला दिया. हत्या में उस के भाई राहुल का हाथ नहीं है. लेकिन उसे हम दोनों द्वारा हत्या किए जाने की जानकारी हो गई थी.

पूछताछ के बाद रमा ने घर में खड़ी लाल रंग की वह स्कूटी बरामद करा दी, जिस पर रख कर उस के प्रेमी अनमोल ने लाश खेत में फेंकी थी. राहुल ने पूछताछ में साफ इनकार कर दिया कि उसे हत्या की जानकारी थी, लेकिन पुलिस ने उस की इस बात को खारिज कर दिया.

पुलिस टीम ने दिनेश कुमार की हत्या का परदाफाश करने तथा अभियुक्तों को पकड़ने की जानकारी एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा तथा एएसपी त्रिभुवन सिंह को दी. इस के बाद उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि अभियुक्तों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए कोतवाली प्रभारी संजीव राठौर ने मृतक के बड़े भाई रमेशचंद्र दिवाकर को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत रमा, अनमोल तथा राहुल के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और तीनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक अध्यापिका की पापलीला की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

उत्तर प्रदेश का फर्रूखाबाद शहर आलू और बीड़ी उत्पादन के लिए दूरदूर तक मशहूर है. यहां पर आलू खुदाई और बीड़ी बनाने वाले मजदूर ठेके पर काम करते हैं. आलू खुदाई का काम तो मात्र 3 महीने ही चलता है लेकिन बीड़ी बनाने का काम पूरे साल चलता है. यहां का बीड़ी उत्पादन का कारोबार कई राज्यों में फैला है.

बीड़ी व्यापार के लिए दूरदूर से व्यापारी आते हैं. इसे मजदूरों का शहर भी कहा जाता है. इस शहर का नाम फर्रूखाबाद कैसे पड़ा, इस की भी एक कहावत है. पहले फरख बात में बाद उस को कहते फर्रूखाबाद. यानी बात में फरख और विवाद. हर बात में झूठ फरेब का बोलबाला.

इसी फर्रूखाबाद जिले का एक गांव है चीनीग्राम. इसी गांव में देवकरन दिवाकर अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मालती के अलावा बेटी रमा तथा बेटा राहुल था. देवकरन दिवाकर प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. घर में सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं.

उन की बेटी रमा खूबसूरत थी. जवानी की राह पर कदम रखते ही उस की सुंदरता में और निखार आ गया. उसे चाहने वाले अनेक थे. लेकिन वह किसी को भाव नहीं देती थी.

रमा बनना चाहती थी टीचर

रमा जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही पढ़ नेलिखने में भी तेज थी. उस ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में पास कर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से बीए और बीएड किया था.

उसी दरम्यान उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की भरती का विज्ञापन जारी किया. रमा ने भी आवेदन किया लेकिन किसी कारणवश परीक्षा रद्द हो गई, जिस से रमा की शिक्षक बनने की तमन्ना अधूरी रह गई.

देवकरन को जवान बेटी के ब्याह की चिंता सताने लगी थी. इसलिए वह उस के लिए उपयुक्त लड़का तलाशने लगे. बेटी की इच्छानुसार वह किसी शिक्षक वर की तलाश में थे, लेकिन कोई शिक्षक वर मिल नहीं रहा था. उन्हीं दिनों एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें दिनेश कुमार के बारे में पता चला.

दिनेश कुमार के पिता राजेश दिवाकर एटा जिले के झकरई गांव में रहते थे. उन के 2 बेटे रमेशचंद्र व दिनेश कुमार थे. राजेश एक संपन्न किसान थे. वह बड़े बेटे रमेशचंद्र का विवाह कर चुके थे जबकि छोटा दिनेश कुमार अभी कुंवारा था. दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात था.

राजेश ने दिनेश को देखा तो उन्होंने उसे अपनी बेटी रमा के लिए पसंद कर लिया. दोनों तरफ से बातचीत हो जाने के बाद जनवरी, 2006 में सामाजिक रीतिरिवाज से दिनेश और रमा का विवाह धूमधाम से हो गया.

पढ़ीलिखी व सुंदर बहू पा कर दिनेश के घर वाले फूले नहीं समा रहे थे. ससुराल में रमा को सभी का भरपूर प्यार मिला. घर में उसे किसी चीज की कमी नहीं थी. इस तरह से रमा का सुखमय जीवन व्यतीत होने लगा.

शादी के बाद भी शिक्षक बनने की तमन्ना रमा के दिल में थी. इस बाबत उस ने पति दिनेश और सासससुर से बात की तो उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं था.

जब शिक्षक की भरती निकली तो रमा ने भी आवेदन कर दिया. उस ने पति दिनेश से अनुरोध किया कि वह किसी भी तरह से उसे नौकरी दिलवाने की कोशिश करें. दिनेश ने पत्नी की बात मान कर जीजान से कोशिश की तो रमा का चयन हो गया. उसे फर्रूखाबाद के राजेपुरा थानांतर्गत चाचूपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षिका के पद पर नौकरी मिल गई.

मायके से ही करने लगी ड्यूटी

नौकरी लग जाने के बाद रमा का ससुराल में रहना नामुमकिन सा हो गया. दरअसल, उस की ससुराल एटा जिले में थी और नौकरी फर्रूखाबाद जिले में लगी थी, जो उस के घर के नजदीक थी. इसलिए रमा मायके में रह कर अपनी ड्यूटी करती रही.

मायके से आनेजाने का साधन भी था और उस के रहने तथा खानेपीने की उचित व्यवस्था भी थी. सो उसे कोई परेशानी नहीं थी. इस के बावजूद दिनेश ने घूस दे कर रमा का तबादला एटा कराने का प्रयास किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

रमा का मायके में रहना न तो उस के पति दिनेश को पसंद था और न ही सासससुर को. लेकिन रमा की सरकारी नौकरी थी, इसलिए वे ज्यादा ऐतराज भी नहीं कर सकते थे. लेकिन कुछ दिनों बाद दिनेश ने मायके में रहने पर ऐतराज जताया तो रमा ने फर्रूखाबाद या उस के आसपास जमीन या प्लौट खरीद कर मकान बनाने की सलाह पति को दी.

रमा की सलाह मान कर दिनेश ने कोशिश शुरू की तो उस ने फर्रूखाबाद शहर से सटे झगुआ नगला गांव में एक प्लौट खरीद लिया और वहां 3 कमरे बनवा दिए. पूजापाठ कराने के बाद रमा इसी मकान में रहने लगी. स्कूल आनेजाने में पत्नी को परेशानी न हो, इस के लिए दिनेश ने एक स्कूटी यूपी78ए-0522 भी खरीद कर उसे दे दी.

रमा अब तक एक बेटी और एक बेटे की मां बन चुकी थी. बच्चों की देखरेख व घरेलू काम के लिए उस ने एक महिला को अपने यहां नौकरी पर रख लिया था. इस के अलावा रमा का भाई राहुल भी वहां आताजाता रहता था ताकि बहन के मन में असुरक्षा की भावना पैदा न हो. रमा की सास उर्मिला भी कभीकभी उस के पास आतीजाती रहती थी.

रमा को अपनी जवानी पर था गर्व

रमा 2 बच्चों की मां जरूर बन गई थी लेकिन उस का शारीरिक आकर्षण कम नहीं हुआ था. वह बनसंवर कर और महंगा काला चश्मा लगा कर स्कूटी पर घर से निकलती तो लोग उसे मुड़मुड़ कर देखते थे. रमा को स्वयं भी अपनी जवानी पर गर्व था.

लेकिन ऐसी जवानी का क्या, जिस का कोई कद्रदान न हो. दरअसल रमा का पति दिनेश सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात था. उसे तीसरे चौथे महीने बड़ी मुश्किल से महीना या 15 दिन की छुट्टी मिलती थी.

दिनेश जब साथ होता तो रमा की जिंदगी में बहार आ जाती थी. वह उस के साथ खूब मौजमस्ती करती. लेकिन उस के जाने के बाद उस के जीवन में नीरसता आ जाती. उस का दिन तो स्कूल में बच्चों के बीच कट जाता लेकिन रात करवटें बदलते बीतती थीं. कभीकभी वह सोचती कि उस ने सैनिक के साथ ब्याह कर के भारी भूल की है. उसे तो ऐसा मर्द चुनना चाहिए था, जो उस की तमन्नाओं को पूरा करता.

रमा के मन में पति के प्रति हीनभावना पैदा हुई तो उस का मन भटकने लगा. अब वह जिस्मानी सुख के लिए किसी युवक की तलाश में जुट गई.

रमा ने ढूंढ लिया प्रेमी

उन्हीं दिनों एक रोज रमा की मुलाकात अनमोल उर्फ अमन से हुई. अनमोल फर्रूखाबाद जिले के थाना मेरापुर के गांव गुठना का रहने वाला था. उस के पिता महेशचंद्र दिवाकर सेना में थे किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन के परिवार में पत्नी राजवती के अलावा बेटा अनमोल तथा एक बेटी थी.

महेशचंद्र भी संपन्न किसान थे. उन के पास 20 बीघा उपजाऊ जमीन थी. कृषि उपज के साथ उन्हें पेंशन भी अच्छीखासी मिलती थी. उन के दोनों बच्चे पढ़नेलिखने में तेज थे. बेटी बीए करने के बाद बीएड कर रही थी जबकि अनमोल का चयन बीटीसी में हो गया था. वह एटा से 2 वर्षीय बीटीसी की ट्रेनिंग कर रहा था.

रमा की बुआ प्रीति की शादी अनमोल के ताऊ सुरेशचंद्र दिवाकर के बेटे मुकेश के साथ हुई थी इसलिए अनमोल रमा का खास रिश्तेदार भी था.

अनमोल शरीर से हृष्टपुष्ट व सुदर्शन युवक था. वह रहता भी ठाटबाट से था. रमा उसे अच्छी तरह जानती थी. अत: उस रोज अनमोल रमा के घर अचानक पहुंचा तो उसे देख कर रमा आश्चर्यचकित रह गई. दोनों एकदूसरे को कुछ देर तक अपलक देखते रहे.

रमा की खूबसूरती ने अनमोल के दिल में हलचल मचा दी. कुछ पलों के बाद रमा के होंठ फड़के, ‘‘मेरी याद कैसे आ गई अमन. तुम ने तो मुझे भुला ही दिया.’’

‘‘ऐसी बात नहीं है. तुम्हारी याद तो मुझे हमेशा सताती रहती है. आज फर्रूखाबाद शहर में कुछ काम था. तुम्हारी याद आई तो अपने कदम रोक नहीं पाया और चला आया. तुम से मिल कर दिल को बड़ा सुकून मिला. अब मैं चलता हूं. मौका मिला तो फिर आऊंगा.’’

‘‘अरे वाह, ऐसे कैसे चले जाओगे. आज इतने दिनों बाद तो आए हो. कम से कम एक कप चाय तो पीते जाओ.’’ रमा ने मुसकराते हुए कहा.

अनमोल भी यही चाहता था. कुछ देर में ही रमा 2 कप चाय बना कर ले आई. चाय पीने के दौरान अनमोल की नजरें रमा की देह पर ही टिकी रहीं. इस दौरान जब दोनों की नजरें टकरातीं, अनमोल मुसकरा देता. उस की मुसकराहट से रमा के दिल में हलचल मच जाती. वह सोचती काश ऐसे पुरुष का साथ मिल जाए तो उस के जीवन में बहार आ जाए.

अनमोल रमा से मिल कर अपने घर लौटा तो रमा का खूबसूरत चेहरा उस के दिलो दिमाग में ही घूमता रहा. दूसरी ओर रमा का भी यही हाल था. वह अनमोल की आंखों की भाषा पढ़ चुकी थी. अनमोल जानता था कि रमा का पति फौज में है. वह महीना-15 दिन की  छुट्टी पर आता है और फिर चला जाता है. इसलिए रमा देह सुख की अभिलाषी है. अगर उस की तरफ कदम बढ़ाया जाए तो सफलता मिल सकती है.

अनमोल अब अकसर रमा के घर आने लगा. वह उस के बच्चों के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता. रमा के बच्चे भी उस से हिलमिल गए और उसे अंकल कह कर बुलाने लगे. रमा और अनमोल दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़क रहे थे. लेकिन अपनी बात जुबान पर लाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे.

एक दिन अनमोल सुबह 10 बजे रमा के घर पहुंच गया. रमा उस समय घर पर अकेली ही थी. उस के बच्चे स्कूल गए थे और वह बनसंवर कर बाजार जाने की तैयारी कर रही थी. अनमोल को देख कर वह मुसकरा कर बोली, ‘‘अरे अमन तुम, इस वक्त. बच्चे तो स्कूल गए हैं.’’

अनमोल रमा के चेहरे पर नजरें गड़ा कर बोला, ‘‘रमा, आज मैं बच्चों से नहीं तुम से मिलने आया हूं.’’

‘‘अच्छा,’’ रमा खिलखिला कर हंसी, ‘‘इरादा तो नेक है.’’

‘‘नेक है तभी तो अकेले में मिलने चला आया. रमा, मैं तुम से बहुत प्यार करने लगा हूं.’’ अनमोल ने सीधे ही मन की बात कह दी.

‘‘अनमोल, तुम ने यह बात कह तो दी लेकिन जानते हो प्यार की राह में कितने कांटे हैं,’’ रमा ने गंभीरता से कहा, ‘‘मैं शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हूं.’’

‘‘जानता हूं, फिर भी जब तुम चाहोगी, मैं सारी बाधाओं को तोड़ दूंगा.’’ अनमोल ने रमा के करीब जा कर कहा.

इस के बाद अनमोल के गले में बांहें डाल कर रमा ने कहा, ‘‘अमन, मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूं. लेकिन शर्म की वजह से दिल की बात नहीं कह पा रही थी.’’

अनमोल ने रमा को पकड़ कर सीने से लगा लिया. फिर तो मर्यादा भंग होते देर नहीं लगी. जिस्मानी रिश्ते की नींव पड़ गई तो वासना का महल खड़ा होने लगा. अनमोल को जब भी मौका मिलता, वह रमा के घर आ जाता और इच्छा पूरी कर के चला जाता.

धीरेधीरे समय बीतता गया तो अमन ने भी अपना दायरा बढ़ा दिया. अब वह कई कई दिनों तक रमा के घर रुक कर मौजमस्ती करता. रमा रात को अपने बच्चों को डांटडपट कर दूसरे कमरे में सुला देती और खुद प्रेमी अनमोल के साथ रात भर जिस्मानी सुख क ा आनंद उठाती.

कहावत है कि औरत जब फिसलती है तो वह सारी मर्यादाओं को ताख पर रख देती है. रमा फिसली तो उस ने भी सारी मर्यादाओं पर पलीता लगा दिया. अनमोल के इश्क में अंधी रमा यह भूल गई कि वह 2 बच्चों की मां है. उस के परिवार की मानमर्यादा है और उस का पति देश की सुरक्षा में अपनी जान हथेली पर रखे हुए है.

बच्चों ने बता दी रमा की करतूत

अनमोल के आने का सिलसिला बढ़ता गया तो पासपड़ोस के लोगों की नजरों में दोनों खटकने लगे. कुछ महीने बाद दिनेश छुट्टी पर आया तो लोगों ने रमा और अनमोल के बारे में उसे बताया.

पड़ोसियों की बात सुन कर दिनेश का माथा ठनका. उस ने अपनी बेटी व बेटे से पूछा तो दोनों ने बताया कि अमन अंकल घर आते हैं और रात को घर में रुकते हैं. मासूमों ने यह बात भी बताई कि मम्मी उन दोनों को अपने कमरे में नहीं लिटातीं. वह उन्हें डांट कर दूसरे कमरे में बंद कर देती हैं. खुद अमन अंकल के साथ सोती हैं.

दिनेश पत्नी रमा पर बहुत अधिक भरोसा करता था. लेकिन आज उस का भरोसा टूट गया था. उस ने गुस्से में पूछा, ‘‘रमा, हमारी गैरमौजूदगी में अनमोल यहां क्यों आता है? वह रात में क्यों रुकता है? तुम दोनों के बीच क्या खिचड़ी पकती है. वैसे मुझे उड़ती खबर मिली है कि तुम्हारे और अनमोल के बीच नाजायज संबंध हैं.’’

रमा न डरी न लजाई. बेबाक आवाज में बोली, ‘‘जिन के पति परदेश में होते हैं, उन की पत्नियों पर ऐसे ही इलजाम लगाए जाते हैं. इस में नया कुछ नहीं है. पड़ोसियों ने कान भरे और तुम ने सच मान लिया. तुम्हें अपनी पत्नी पर भरोसा करना चाहिए.’’

लेकिन दिनेश ने रमा की एक न सुनी. उस ने उसे जम कर पीटा और सख्त हिदायत दी कि अनमोल घर आया तो उस की खैर नहीं. उस ने अनमोल को भी उस के गांव जा कर फटकारा और उस के मांबाप से उस की शिकायत की.

दिनेश जितने दिन घर में रहा, अनमोल को ले कर उस का झगड़ा पत्नी से होता रहा. बात बढ़ जाती तो दिनेश रमा की पिटाई भी कर देता. छुट्टी खत्म होने के बाद दिनेश अपनी ड्यूटी पर चला गया.

दिनेश के जाते ही रमा और अनमोल का मिलन फिर से शुरू हो गया. हां, इतना जरूर हुआ कि अनमोल अब दिन के बजाए रात को आने लगा था. प्रेमिका की पिटाई से अनमोल आहत था. उस का मन करता कि वह दिनेश को सबक सिखा दे.

रमा जान चुकी थी कि उस के बच्चे उस की शिकायत दिनेश से कर देंगे, इसलिए वह अब बच्चों से भी सतर्क रहने लगी थी. बच्चों के सो जाने के बाद ही वह अनमोल को फोन कर घर बुलाती थी. अनमोल शराब पीता था. उस ने रमा को भी शराब का चस्का लगा दिया था. बिस्तर पर जाने से पहले दोनों जाम टकराते थे.

मई के महीने में दिनेश छुट्टी ले कर घर आया तो पता चला कि अनमोल मना करने के बावजूद उस के घर आता है. रमा उसे मना करने के बजाए उस के साथ शराब पीती है. यह सब जान कर दिनेश का खून खौल उठा.

उस ने जम कर रमा की पिटाई की और धमकी दी कि जिस दिन वह दोनों को साथ देख लेगा, उसी दिन उन के सीने में गोली उतार देगा. उस ने रमा के नाजायज रिश्तों की जानकारी अपने भाई रमेशचंद्र को भी दे दी. कुछ दिन घर रुक कर वह फिर वापस श्रीनगर चला गया.

लेकिन इस बार दिनेश का मन ड्यूटी पर नहीं लगा. उस ने किसी तरह अपने अधिकारी से आने के 20 दिन बाद ही 15 दिन की छुट्टी मंजूर करा ली. इस बार दिनेश ने छुट्टी मंजूर होने तथा घर आने की सूचना किसी को नहीं दी. हर बार वह छुट्टी मिलने की सूचना फोन से पत्नी को दे देता था. इस की वजह यह थी कि वह अचानक घर पहुंच कर देखना चाहता था कि पत्नी पीठ पीछे क्या करती है.

इधर दिनेश के जाते ही रमा और अनमोल फिर से मौजमस्ती में डूबने लगे. उन दोनों को विश्वास था कि अब 4 महीने बाद ही दिनेश छुट्टी ले कर घर आएगा.

लेकिन दिनेश 6 जून, 2019 की रात 11 बजे ही अपने घर झगुआ नगला आ गया. दरअसल वह दोनों को रंगेहाथ पकड़ने तथा उन का काम तमाम करने ही आया था. उस रात रमा का प्रेमी अनमोल घर पर ही था और रमा के साथ बिस्तर पर था.

दिनेश ने दरवाजा पीटा तो रमा घबरा गई. दोनों ने जल्दीजल्दी अपने कपड़े दुरुस्त किए और रमा ने अनमोल को दूसरे कमरे की टांड पर छिपा दिया. फिर उस ने जा कर दरवाजा खोला तो सामने उस का पति दिनेश खड़ा था. उस की आंखों में क्रोध की ज्वाला भड़क रही थी.

दिनेश ने देर से दरवाजा खोलने की बाबत रमा से पूछा तो रमा ने गहरी नींद में होने का बहाना बनाया. इस पर दिनेश को शक हुआ तो उस ने रमा का हाथ मरोड़ दिया और पिटाई कर दी.

दिनेश को शक था कि अनमोल घर के अंदर ही कहीं है. अपने शक की पुष्टि के लिए उस ने सभी कमरों की तलाशी ली, लेकिन उसे अनमोल कहीं दिखाई नहीं दिया. अनमोल के न मिलने से दिनेश का गुस्सा कुछ कम हो गया. उस ने कहा कि तुम दोनों को आज मैं एक साथ पकड़ लेता तो दोनों ही जिंदा न रहते.

इस के बाद रमा ने अपने लटके झटके दिखा कर दिनेश का बाकी बचा गुस्सा शांत किया. फिर रमा ने पति को बिस्तर पर संतुष्ट किया.

देह सुख प्राप्त करने के बाद दिनेश गहरी नींद में सो गया. पति के सो जाने के बाद रमा ने अनमोल को टांड से नीचे उतारा. दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया फिर दोनों गहरी नींद में सो रहे दिनेश के पास पहुंचे.

दिनेश की रायफल कमरे में ही रखी थी. अनमोल ने लपक कर रायफल उठाई और दिनेश के सीने में 2 गोलियां दाग दीं. दिनेश खून से लथपथ हो कर तड़पने लगा. इसी समय उस की छाती पर सवार हो कर रमा ने तार से उस का गला घोंट दिया.

हत्या करने के बाद दिनेश के शव को उन दोनों ने कमरे में छिपा दिया और बाहर से ताला बंद कर दिया. सवेरा होने से पहले उन्होंने कमरे से खून आदि साफ कर दिया था.

7 जून को दिनेश का शव कमरे में ही बंद रहा. बच्चों ने कमरा खोलने की जिद की तो रमा ने उन्हें बुरी तरह पीट दिया. फिर रात होने पर अनमोल ने दिनेश के शव को बोरी में भरा और स्कूटी पर रख कर गांव के बाहर खेत में फेंक दिया. लाश पहचानी न जाए, इस के लिए उस ने पैट्रोल डाल कर शव को जला दिया.

खून सनी चादर भी उस ने जला दी तथा दिनेश का बैग जिस में उस के कपडे़ वगैरह थे, बस स्टौप जा कर दिल्ली जाने वाली रोडवेज की एक बस में रख दिया तथा मोबाइल तोड़ कर फेंक दिया. ये सब करने के बाद अनमोल फरार हो गया.

8 जून को झगुआ नगला गांव के लोगों ने खेत में जली लाश देखी तो सूचना फर्रूखाबाद कोतवाली पुलिस को दी. शव की पहचान न होने से पुलिस ने शव अज्ञात में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इधर 8 जून को ही रमा ने सास उर्मिला को फोन कर जानकारी दी कि दिनेश छुट्टी ले कर घर आया, लेकिन घर नहीं पहुंचा.

तब 10 जून को रमेशचंद्र भाई का पता लगाने फर्रूखाबाद आया और कोतवाली में अज्ञात शव की फोटो देख कर दिनेश की पहचान की. इस के बाद शक के आधार पर उन्होंने रमा, उस के भाई राहुल तथा प्रेमी अनमोल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. कोतवाली पुलिस ने तीनों को पकड़ कर पूछताछ की तो हत्या का परदाफाश हुआ.

13 जून, 2019 को फर्रूखाबाद कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त अनमोल, राहुल और रमा को फर्रूखाबाद की कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. रमा की बेटी तथा बेटा अपने दादादादी के पास सुरक्षित थे.

अनमोल ने दिनेश को रायफल से 2 गोलियां मारी थीं. रात के सन्नाटे में गोलियों की आवाज पड़ोसियों ने जरूर सुनी होगी, लेकिन पुलिस इस बात का पता नहीं लगा पाई कि पड़ोसियों ने गोली की आवाज सुनने वाली बात जानबूझ कर छिपाए रखी या इस की कोई दूसरी वजह थी.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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