हिंदी फिल्म ‘दबंग’ में हीरो सलमान खान को इतना बेखौफ दिखाया गया है कि वह हर बुरा काम करने वाले के लिए शामत बन कर उस के होश ठिकाने लगा देता है. इस सब के बावजूद उस में रत्तीभर भी घमंड नहीं होता है और न ही वह अपनी खाकी वरदी का गलत इस्तेमाल करता है.
पर क्या असली जिंदगी में भी ऐसा होता है? शायद नहीं, तभी तो मीडिया में तमाम ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिन में पुलिस वाले ही आम जनता का खून चूसने वाले बन जाते हैं. कभीकभार तो इतने जालिम हो जाते हैं कि वे खूनखराबे पर उतर आते हैं.
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देश का दिल दिल्ली को ही ले लीजिए. यहां के अलीपुर इलाके में रविवार, 27 सितंबर ?की शाम को दिल्ली पुलिस के एक सबइंस्पैक्टर संदीप दहिया ने अपनी एक महिला दोस्त को गोली मार दी.
यह कांड सबइंस्पैक्टर संदीप दहिया की सर्विस रिवाल्वर से चलती कार में हुआ. उस महिला को 3 गोलियां मारी गईं. इस वारदात को अंजाम देने के बाद संदीप दहिया अपनी कार से फरार हो गया, जबकि बाद में गंभीर रूप से घायल उस महिला को लोकल लोगों ने अस्पताल पहुंचाया.
इस के बाद भी सबइंस्पैक्टर संदीप दहिया का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ. रविवार, 27 सितंबर को उस ने दिल्लीहरियाणा बौर्डर पर एक राह चलते आदमी सतबीर के पैर में गोली मार दी और फिर सोमवार, 28 सितंबर की सुबह रोहतक जिले के गांव बैंसी में अपने ससुर रणबीर सिंह के माथे पर गोली मार कर उन की जान ले ली. संदीप दहिया का काफी समय से अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है.
एक और मामले में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पैक्टर के खिलाफ देश के प्रधानमंत्री से गुहार लगाई गई. हुआ यों कि भलस्वा डेरी थाने के एसएचओ रहे इंस्पैक्टर के खिलाफ करोड़ों रुपए की जमीन कब्जाने का मुकदमा इसी थाने में दर्ज हुआ.
उस इंस्पैक्टर पर आरोप लगाया गया कि उस ने जबरन उगाही और करोड़ों रुपए के प्लाट और दूसरी जमीन पर कब्जा कर के अपने रिश्तेदारों के नाम करा ली. जिस पीडि़त सुजीत कुमार की एफआईआर पर यह मामला उछला, उस का आरोप है कि वह इंस्पैक्टर पीडि़त का 100 गज का प्लाट कब्जाने की कोशिश कर रहा है.
पीडि़त सुजीत कुमार ने पुलिस महकमे के ऊंचे अफसरों तक यह मामला पहुंचाया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई. बाद में थकहार कर सुजीत कुमार ने प्रधानमंत्री को संबंधित दस्तावेज के साथ अपनी लिखित शिकायत भेजी, जिस में लिखा था, ‘मैं शिकायतें देदे कर थक चुका हूं और मजबूरन मुझे आप के पास शिकायत करनी पड़ रही है. आप के दफ्तर पर मुझे भरोसा है कि इंसाफ मिलेगा और आरोपी को कानून के शिकंजे में ले कर सख्त कार्यवाही की जाएगी, जिस से बाकी भ्रष्ट अफसरों को सबक मिल सके.’
उस पुलिस इंस्पैक्टर पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उस ने दिल्ली के स्वरूप नगर में 300 गज का डेढ़ करोड़ रुपए का एक गोदाम बना लिया है और गलीप्लाट वगैरह पर कब्जा करने की कोशिश करते हुए तकरीबन 1,500 गज जमीन में बिना पार्किंग के एक मैरिज होम बना लिया है, जिस की बाजार कीमत तकरीबन 10 करोड़ रुपए है.
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पीडि़त का यह भी आरोप है कि मुकुंदर में उस इंस्पैक्टर के रिश्तेदारों के नाम 40 बीघा जमीन में कई बड़े प्लाट हैं. इतना ही नहीं, बुराड़ी थाने के सामने 100 फुटा रोड पर ग्राम सभा की जमीन पर 350 गज और उसी से लगती हुई जमीन पर 300 गज जगह भी कब्जा ली है. इन की कीमत भी 12 करोड़ रुपए के आसपास बताई जा रही है.
मुंबई में ड्रग्स और फिल्मी सितारों के रिश्तों को ले कर हड़कंप मचा हुआ है, पर दिल्ली के जहांगीरपुरी पुलिस स्टेशन के 4 पुलिस वालों के खिलाफ पकड़े गए गांजे को खुद ही बेच देने का आरोप लगा. उन के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज करने के साथ एसएचओ को निलंबित कर दिया गया.
दरअसल, कुछ दिनों पहले जहांगीरपुरी थाना पुलिस ने 160 किलो गांजा बरामद किया था, लेकिन सरकारी रिकौर्ड में पुलिस ने गांजे की बड़ी खेप की एक किलो से भी कम 920 ग्राम की बरामदगी दिखाई और बाकी खेप खुद ही ब्लैक में बेच दी.
जब इस गोलमाल की जानकारी पुलिस के बड़े अफसरों तक पहुंची, तो शुरुआती जांच में 2 सबइंस्पैक्टर और 2 हैडकांस्टेबल पर गाज गिरी थी, पर इस के बाद एसएचओ को भी निलंबित कर दिया गया.
ड्रग पैडलर अनिल को छोड़ने के बाद आरोपी पुलिस वालों ने गांजा बेचने से आई रकम आपस में बांट ली थी.
ये तो चंद किस्से हैं पुलिस की करतूतों के, फेहरिस्त तो बहुत लंबी है. पर ऐसा होता क्यों है? क्यों जनता की हिफाजत करने वाले उसी को सताने लग जाते हैं, अपराध कर के खाकी वरदी को दागदार करते हैं?
यह सब इसलिए होता है, क्योंकि पुलिस के पास बहुत ज्यादा ताकत होती है. वह कानून के बारे में जानती है तो उस से खिलवाड़ करने के दांवपेंच भी बखूबी समझती है. आम आदमी तभी तो थाने में दाखिल होने से डरता है, क्योंकि उसे पता होता है कि वहां किसी न किसी बहाने से उस की खाल उतारी जाएगी.
वरदी की यही गरमी और जनता का डर पुलिस को तानाशाह बना देता है, तभी तो कोई पुलिस वाला अपनी महिला साथी से नाराज होने पर उसे सरेआम गोलियों से भून कर फरार हो जाता है या फिर कोई दूसरा पुलिस वाला अपने इलाके में इतना आतंक मचा देता है कि गैरकानूनी तौर पर जमीन हथियाने लगता है. रहीसही कसर पुलिस की वे धांधलियां पूरी कर देती हैं, जहां वह नशीली चीजों की बरामदगी में ही घपला कर देती है.
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इस तरह की घटनाओं से एक बात और उभरती है, इस से पुलिस और जनता के बीच दूरियां बढ़ जाती हैं. कोई भी शरीफ आदमी पुलिस और थाने से बचने लगता है. यह सभ्य समाज के लिए बेहद खतरनाक है.
दुख तो इस बात से होता है कि ऐसे अपराधी पुलिस वालों के खिलाफ उन के ही बड़े अफसर भी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं. अगर ऐसा होता तो पीडि़त सुजीत कुमार को प्रधानमंत्री के पास जा कर गुहार नहीं लगानी पड़ती.