प्लास्टिक या जहर!

अगर हम सिर्फ किचन की बात करें तो नमक, घी, तेल, आटा, चीनी, ब्रेड, बटर, जैम और सौस…सब कुछ प्लास्टिक में ही पैक होकर आता है और हमारे घर पर भी तमाम चीजें प्लास्टिक के कंटेनर्स में ही रखी जाती हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक सिध्द हो सकता है.

ये भी पढ़ें- जानिए क्या होता है फोबिया और उसके प्रकार

फूड कंटेनर्स

प्लास्टिक की थालियां और स्टोरेज कंटेनर्स खाने-पीने की चीज में केमिकल छोड़ते हैं. इन प्लास्टिक्स में बाइस्फेनाल ए (बीपीए) नामक केमिकल होता है जो प्लास्टिक आइटम्स में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला केमिकल है. यह प्लास्टिक को लोचदार बनाता है. ये केमिकल हमारे शरीर के हार्मोंस को प्रभावित करते हैं. एक रिसर्च में यह माना गया है कि सभी तरह के प्लास्टिक एक वक्त के बाद केमिकल छोडऩे लगते हैं, खासकर जिन्हें गर्म किया जाता है. ऐसा करने से प्लास्टिक के केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और फिर ये खाने-पीने की चीजों में मिल जाते हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है.

पानी की बोतल

पानी की बोतलों को एक बार इस्तेमाल करके तोड़ देना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अक्सर हम प्लास्टिक की बोतल को तेज धूप में खड़ी कार में रखकर छोड़ देते हैं. गर्म होकर इन प्लास्टिक बोतलों से केमिकल निकलकर पानी में रिएक्ट करता है. ऐसे पानी या साफ्ट ड्रिंक्स को नहीं पीना चाहिए.

ये भी पढ़ें- क्यों शिकार होते हैं पुरुष ब्रैस्ट कैंसर के?

पालिथिन में चाय

अक्सर देखा गया है कि छोटी पालिथिन थैलियों में लोग गर्म चाय ले जाते हैं जो बेहद ही नुकसानदेह है. तुरंत तो कुछ पता नहीं चलता लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल करने से यह कैंसर का कारण बन सकता है.

दवा की शीशी

प्लास्टिक शीशी में होम्योपैथिक दवाएं सेफ होती हैं, बशर्ते शीशी लूज प्लास्टिक की न बनी हो.

एक रिसर्च के मुताबिक, पानी में न घुल पाने और बायोकेमिकल ऐक्टिव न होने की वजह से प्योर प्लास्टिक कम जहरीला होता है लेकिन जब इसमें दूसरे तरह के प्लास्टिक और कलर्स मिला दिए जाते हैं तो यह नुकसानदेह साबित हो सकता है.

प्लास्टिक के क्वालिटी की जांच

यूं तो हम सभी लोग पानी के लिए प्लास्टिक की बोतल या खाना रखने के लिए प्लास्टिक लंच बाक्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या कभी हमने उन्हें पलटकर देखा है कि उनके पीछे क्या लिखा है? क्या इस पर कोई सिंबल तो नहीं बना हुआ है? दरअसल, अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट पर सिंबल्स का होना जरूरी है. यह मार्क ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड जारी करता है. इन सिंबल्स के बीच में कुछ नंबर दिये होते हैं जिससे पता लगता है कि आपके हाथ में जो प्रोडक्ट है, वह किस तरह के प्लास्टिक से बना है और उसकी क्वालिटी कैसी है.

ये भी पढ़ें- जोड़ों के दर्द को न करें अनदेखा

नंबर्स का मतलब

अगर प्रोडक्ट पर नंबर 1 लिखा है तो यह प्रोडक्ट टेरेफथालेट से बना है. यह अच्छा प्लास्टिक है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने इसे खाने-पीने की चीजों की पैकेजिंग के लिए सुरक्षित बताया है. साफ्ट ड्रिंक, वाटर, केचअप, अचार, जेली और पीनट बटर ऐसी बोतलों में रखे जाते हैं.

नंबर 2 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट हाई-डेंसिटी पालिथिलीन से बना है. वजन में हल्का और टिकाऊ होने की वजह से इसका इस्तेमाल आम है. दूध, पानी और जूस की बोतल, रिटेल बैग्स बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

नंबर 3 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पालीविनाइपाइरोलीडोन क्लोराइड से बना है.

इसका इस्तेमाल कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स, सौस, मीट, हर्बल प्रोडक्ट्स, मसाले, चाय और काफी आदि की पैकेजिंग में होता है.

नंबर 4 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट लो डेंसिटी पालिथिलीन से बना है. यह नान-टाक्सिक मैटेरियल है. इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं होता. इससे आउटडोर फर्नीचर, फ्लोर टाइल्स और शावर कर्टेन बनते हैं.

ये भी पढ़ें- आखिर क्या है मेल पिल्स, पढ़ें खबर

नंबर 5 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पालीप्रोपोलीन से बना है. इससे बोतल के ढक्कन, ड्रिंकिंग स्ट्रा और योगर्ट कंटेनर बनाए जाते हैं.

नंबर 6 का मतलब है कि प्रोडक्ट पालिस्टरीन से बना है. यह फूड पैकेजिंग के लिए सेफ है लेकिन इसे रीसाइकल करना मुश्किल है इसलिए इसके ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए.

नंबर 7 का मतलब है कि इस प्रोडक्ट में कई तरह के प्लास्टिक का मिक्सचर होता है. यह काफी मजबूत होता है. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसमें हार्मोंस पर असर डालने वाले बाइस्फेनाल की मौजूदगी होती है इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

खाने की चीजें रखने के लिए 1, 2, 4 और 5 कैटेगरी का प्लास्टिक सही है. ये बेहतर फूडग्रेड कैटेगरी में आते हैं. जबकि 3 और 7 नंबर वाले कैटेगरी के कंटेनर खाने में केमिकल छोड़ते हैं, खासकर गर्म करने के बाद. 6 नंबर के प्लास्टिक भी नुकसानदेह होते हैं इसलिए इसका भी कम इस्तेमाल करें और इनमें खाने की चीजें न रखें.

ये भी पढ़ें- अगर आपके अंदर भी है सिक्स पैक ऐब्स का जुनून तो जरूर पढ़े खबर

यह पौलिथीन आपके लिए जहर है!

संपूर्ण दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक बार इस्तेमाल किए जाने वाली सभी प्रकार की प्लास्टिक हमारे लिए  जहर के समान है. लगभग 10 वर्षों से प्लास्टिक को लेकर वैज्ञानिक तथ्य सामने आ चुके हैं कि इसे जल्द से जल्द प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए. इसमें रखा हुआ खाद्यान्न जहरीला हो जाता है. कई रोगों का कारण बनता है, यह सब मालूम होने के बावजूद हम प्लास्टिक का इस्तेमाल बेखौफ कर रहे हैं और अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. अनेक प्रकार के रोगों की सौगात हमारे जीवन को दुश्वार कर रही है. यही नहीं यह प्लास्टिक मानव समाज के साथ-साथ पर्यावरण को भी नष्ट कर रही है और मासूम जानवरों पर भी यह प्लास्टिक कहर बनकर टूट रही है.

गाय के पेट से निकला प्लास्टिक

पौलीथिन का उपयोग  पर्यावरण के लिए घातक है, वहीं मनुष्य समाज के लिए जहरीला और जानलेवा साबित हो रहा है. इसे अनजाने में खाकर मवेशियों की भी असामयिक मौत की खबरें निरंतर आ रही हैं. ऐसा ही एक वाक्या छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर से लगे ग्राम अर्जुनी कांजी हाउस में देखने को मिला. अर्जुनी के कांजी हाउस में ढाई साल की बछिया की मृत्यु प्लास्टिक का सेवन करने से हो गई. सहायक पशु शल्यज्ञ डा. टी.आर. वर्मा एवं उनकी टीम के द्वारा शव परीक्षण के दौरान पाया गया कि बछिया के उदर में  बड़ी मात्रा में पौलीथिन साबुत स्थिति में है.

ये भी पढ़ें- पत्नी की डिलीवरी के पैसे नहीं चुकाए तो ससुराल वालों ने बच्चे को रख लिया गिरवी

साथ ही प्लास्टिक, रस्सी के गट्ठे के अलावा भी कुछ  वस्तुएं  पाई गईं. उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डौ. एम.एस. बघेल के बताते हैं कि लोग अनुपयोगी अथवा सड़े-गले भोजन को पौलीथिन में रखकर सड़क किनारे फेंक देते हैं, जिसे अनजाने में भोजन के साथ-साथ पौलीथिन को भी घुमंतू किस्म के लावारिस जानवर अपनी भूख मिटाने खा जाते हैं. प्लास्टिक से निर्मित पौलीथिन को मवेशी पचाने में असमर्थ होते हैं, जो आगे चलकर ठोस अपचनीय अपशिष्ट पदार्थ का रूप ले लेती है, जिसके कारण बाद में भारी तकलीफ होती है और उनकी मौत हो जाती है. प्रसिद्ध पशु प्रेमी निर्मल जैन बताते हैं गायों के पेट की अधिकांश जगह में पौलीथिन स्थायी रूप से रह जाती है जिससे पशु चाहकर भी अन्य प्रकार के भोजन को ग्रहण करने में असमर्थ  होता  है.

जिलाधिकारी  (आई ए एस) रजत बंसल ने उक्त घटना की जानकारी  मिलने पर संवेदनशीलता व्यक्त  करते हुए दु:ख व्यक्त कर  कहा – दैनिक जीवन में प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों एवं कैरी बैग को पूर्णतः परित्याज्य करने आमजनता को प्रशासन के साथ आगे आना होगा. एक बात प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक से सिर्फ मानव जीवन, पर्यावरण को ही खतरा नहीं  है, बल्कि बेजुबान जानवर गाय, भैंस, बकरी की भी अकाल मृत्यु हो रही है.

प्लास्टिक की जगह जूट के बैग अपरिहार्य

पौलीथिन के स्थान पर जूट के बैग तथा गैर प्लास्टिक से निर्मित कैरी बैग का उपयोग करने एवं पैकेटों को ढके हुए डस्ट बिन में ही डालने की आवश्यकता है. देश परदेश के आवाम को चाहिए कि प्लास्टिक का जल्द से जल्द इस्तेमाल बंद कर दें. हम सरकार के आह्वान अथवा जागरूकता अभियान का इंतजार क्यों करें समझदारी इसी में है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

ये भी पढ़ें- वैध पार्किंग में ही रखें अपना वाहन, नहीं तो होगा भारी

इसके अलावा यह भी एक सच है कि पशु मालिक अपने मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं परिणाम स्वरूप आवारा लावारिसों  की तरह घूमते हुए जानवर अनेक बीमारियों का शिकार हो रहा है. प्लास्टिक खाकर मौत का बुला रहा  है .अच्छा हो हम अपने जानवरों की रक्षा स्वयं करें और उसे कदापि खुला छोड़ने का स्वार्थ भरा कृत्य न करें, इससे पशुधन की हानि को रोका जा सकेगा, साथ ही सड़क दुर्घटनाएं घटित नहीं  होंगी.कहा जाता है कि भारतीय नागरिक परजब तलक कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाती, वह सही रास्ते पर नहीं आते हैं.

अभी हाल ही में मोटर यान अधिनियम लागू हुआ तो त्राहि-त्राहि मच गई, दस हजार से पचास हजार तक जुर्माने लगने लगे तो लोगों के दिमाग ठिकाने आ गए और घटनाक्रम सुर्खियों में आ गया. क्या सरकार को सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के संदर्भ में भी ऐसे नियम कानून बनाने होंगे, क्या नियम बनने के बाद ही इस पर लगाम लग सकेगी, अच्छा हो, हम अपने पशुधन की रक्षा स्वयं करें और आदर्श नागरिक समाज बनाने में मदद करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें