क्या आपको भी सेक्स के समय दर्द होता है?

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है, क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सेक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है. इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है, जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सेक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं, जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें, क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है. जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं. आमतौर पर 1 से 2% महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. अत: यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रांड बदलने को कहें. इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इसके कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

सेक्स न करने से होती हैं ये 8 समस्याएं

हमारे देश में सैक्स को ले कर इतनी हायतोबा मचाई जाती है मानो इस की बात करने पर प्रतिबंध हो. पोंगापंथी और धर्म के ठेकेदार सैक्स को गंदा काम बताते फिरते हैं. यह अलग बात है कि कई मुल्लामौलवी, बाबा और पादरी सैक्सुअल हैरासमैंट और रेप के मामलों में पकड़े जा चुके हैं.

सच यह है कि सैक्स एक शारीरिक जरूरत है, जो बेहद स्वाभाविक और प्राकृतिक है. लेकिन धर्म के ठेकेदारों द्वारा फैलाई गई भ्रांतियों और नकली बाबाओं द्वारा दिए गए उलटेसीधे प्रवचनों से प्रभावित हो कर भारतीय महिलाएं सैक्स को एक अधार्मिक क्रिया समझने लगती हैं और खुलेमन से इस का आनंद उठाने के बजाय इस से कतराने लगती हैं.

पति के लाख मनाने और समझाने के बावजूद वे उस का साथ देने और सैक्स का आनंद उठाने के लिए तैयार नहीं होतीं. कभी व्रतत्योहार का बहाना बना कर, तो कभी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर ये महिलाएं ‘अपवित्र’ होने से बचती रहती हैं. लेकिन चिकित्सक, मनोविज्ञानी, व्यवहार विशेषज्ञ और समाजशास्त्री इस प्रवृत्ति को तन और मन की सेहत के लिए नुकसानदायक मानते हैं.

पीरियड्स में बढ़ सकता है दर्द :

आमतौर पर महिलाओं के मैन्सट्रुअल साइकिल के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है. लेकिन जो महिलाएं सैक्सुअल लाइफ को एंजौय नहीं करतीं उन में यह दर्द ज्यादा हो सकता है.

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सेक्स ऐक्सपर्ट डा. लारेज स्ट्रीचर का कहना है कि पीरियड्स के दौरान सैक्स करने से मैन्स्ट्रुअल क्रैंप में काफी कमी आ सकती है. यूट्रस एक मांसपेशी है जिस में सैक्स और्गेज्म के दौरान सिकुड़न होती है. इस से रक्तस्राव बेहद आसानी से हो जाता है और स्राव के समय होने वाले दर्द से महिलाओं को काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है. इस के साथ ही, यौन आनंद से एंडौर्फिन का स्राव होता है जो दर्द को कम करने में सहायक होता है.

वैजाइना की दीवार हो सकती है कमजोर :

सैक्स थेरैपिस्ट सारी कूपर बताती हैं, ‘‘खुद को सैक्स से वंचित रखने वाली महिलाओं में वैजाइना की वाल धीरेधीरे कमजोर यानी पतली होने लगती है. विशेषरूप से मीनोपौज की उम्र में पहुंच चुकी महिलाएं जब सैक्स से दूरी बढ़ाती हैं तो उन में यह समस्या अधिक होती है.’’

वे कहती हैं, ‘‘नियमित सैक्स करते रहने से वैजाइना की वाल लचीली रहती है और ज्यादा दर्द महसूस नहीं होता जबकि कभीकभी सैक्स करने में यह दर्द काफी ज्यादा महसूस हो सकता है. नौर्थ अमेरिकन मीनोपौज सोसायटी ने भी मीनोपौज के दौर से गुजरने वाली महिलाओं को नियमित पैनेट्रेटिव सैक्स करने की सलाह दी है.

बढ़ सकता है स्ट्रैस :

जगजाहिर है कि सैक्स से तन और मन में आनंद की अनुभूति होती है. इस से दिमाग में खुशी के हार्मोन एंडौर्फिन व औक्सीटोसीन उत्सर्जित होते हैं. स्कौटलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया है कि  सैक्स से दूर रहने वाले लोेग पब्लिक स्पीकिंग या ऐसी दूसरी स्टै्रसफुल सिचुएशन को आसानी से हैंडल नहीं कर पाते, जबकि महीने में कम से कम 2 बार सैक्स करने वाले लोग इस में आसानी महसूस करते हैं. नियमित सैक्स करने की आदत को हैल्थ ऐक्सपर्ट स्ट्रैस बस्टर मानते हैं, सैक्स न करने वाले लोगों का ब्लडप्रैशर स्ट्रैस की सिचुएशन में काफी बढ़ जाता है.

पुरुषों में बढ़ सकती है प्रोस्टैट कैंसर की संभावना :

हैल्थ ऐक्सपर्ट का मानना है कि जो पुरुष नियमित रूप से सैक्स नहीं करते उन में प्रोस्टैट कैंसर की संभावना बढ़ सकती है. सैक्स करने से प्रोस्टैट को सुरक्षा देने वाले कैमिकल्स रिलीज होते हैं. अमेरिकन यूरोलौजिकल एसोसिएशन द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि नियमित रूप से यौनसंबंध बनाने वाले पुरुषों में प्रोस्टैट कैंसर होने की संभावना 20 फीसदी तक कम हो जाती है क्योंकि समयसमय पर वीर्य स्खलन होने से प्रोस्टैट में मौजूद हानिकारक तत्त्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं.

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संबंधों के प्रति आ सकता है असुरक्षा का भाव :

जिन पतिपत्नी में सैक्सुअल संबंध लगभग खत्म हो जाते हैं उन में आपसी नजदीकी, माधुर्य और अपनापन भी कम होने लगता है. साथ ही, पति और पत्नी के मन में एकदूसरे के प्रति अविश्वास की भावना भी आ सकती है जिस से रिलेशनशिप में इनसिक्योरिटी का भाव आता है.

‘सेविंग योर मैरिज बिफोर इट स्टार्ट्स’ की लेखिका एवं मनोविज्ञानी लेस पैरोट कहती हैं, ‘‘सैक्स न करने से शरीर में औक्सीटोसिन व दूसरे बौंडिंग हार्मोन का लैवल कम होने लगता है. पति और पत्नी के मन में अपराधबोध की भावना आती है, सैल्फ एस्टीम में कमी आती है. साथ ही, मन में हमेशा संदेह रहता है कि कहीं आप अपनी सैक्स की जरूरत के लिए किसी दूसरे के संपर्क में तो नहीं. हालांकि, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि बिना सैक्स के पतिपत्नी खुश रह ही नहीं सकते. उन्हें आपस में चुंबन लेना, हाथ पकड़ना, एकदूसरे को सहलाना आदि जारी रखने चाहिए.

बढ़ता है सर्दीजुकाम का खतरा :

पैनसिलवानिया की विलकेस बौरे यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने अपने शोध में पाया कि जो लोग हफ्ते में एक या दो बार सैक्स करते हैं, उन में एंटीबौडीज का उत्पादन 30 फीसदी तक बढ़ जाता है. ये एंटीबौडीज तरहतरह के वायरस आदि के खिलाफ लड़ने में हमारे शरीर के डिफैंस सिस्टम की मदद करते हैं. सैक्स को इम्यूनिटी सिस्टम इंप्रूव करने वाला भी माना गया है.

यौनेच्छा में कमी आने लगती है :

जब आप सैक्स से कतराने लगते हैं या इस की आदत धीरेधीरे छूटती जाती है तो आप की यौनेच्छा खुदबखुद कम होने लगती है. सैक्स थेरैपिस्ट सारी कूपर कहती हैं, ‘‘एक वक्त ऐसा आता है जब आप सैक्स करना चाह कर भी सैक्स नहीं कर पाते. सैक्स शारीरिक प्रक्रिया से ज्यादा एक मानसिक प्रक्रिया है. आदत छूटने या नियमित इस का उपभोग न करने पर आप का मन सैक्स के लिए तैयार नहीं हो पाता. जब तक मन तैयार नहीं होता, तो तन का साथ देने का सवाल ही नही.

पुरुषों में इरैक्टाइल डिसफंक्शन :

उपरोक्त कारण की वजह से पुरुषों में यौनांग सैक्स के लिए तैयार नहीं हो पाता, यानी यौनांग में कठोरता नहीं आ पाती जिसे हैल्थ ऐक्सपर्ट इरैक्टाइल डिसफंक्शन कहते हैं.

अमेरिकी मैडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पुरुषों का यौनांग एक मांसपेशी है. जैसे हमारे शरीर की अन्य मांसपेशियों को नियमित ऐक्सरसाइज की जरूरत है, ठीक उसी तरह इस का भी नियमित इस्तेमाल जरूरी है, वरना इस में शिथिलता आने लगती है. कुछ वैज्ञानिकों ने सरल भाषा में इसे ‘यूज इट आर लूज इट’ कह कर समझाया है.

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