हमारे देश में सैक्स को ले कर इतनी हायतोबा मचाई जाती है मानो इस की बात करने पर प्रतिबंध हो. पोंगापंथी और धर्म के ठेकेदार सैक्स को गंदा काम बताते फिरते हैं. यह अलग बात है कि कई मुल्लामौलवी, बाबा और पादरी सैक्सुअल हैरासमैंट और रेप के मामलों में पकड़े जा चुके हैं.
सच यह है कि सैक्स एक शारीरिक जरूरत है, जो बेहद स्वाभाविक और प्राकृतिक है. लेकिन धर्म के ठेकेदारों द्वारा फैलाई गई भ्रांतियों और नकली बाबाओं द्वारा दिए गए उलटेसीधे प्रवचनों से प्रभावित हो कर भारतीय महिलाएं सैक्स को एक अधार्मिक क्रिया समझने लगती हैं और खुलेमन से इस का आनंद उठाने के बजाय इस से कतराने लगती हैं.
पति के लाख मनाने और समझाने के बावजूद वे उस का साथ देने और सैक्स का आनंद उठाने के लिए तैयार नहीं होतीं. कभी व्रतत्योहार का बहाना बना कर, तो कभी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर ये महिलाएं ‘अपवित्र’ होने से बचती रहती हैं. लेकिन चिकित्सक, मनोविज्ञानी, व्यवहार विशेषज्ञ और समाजशास्त्री इस प्रवृत्ति को तन और मन की सेहत के लिए नुकसानदायक मानते हैं.
पीरियड्स में बढ़ सकता है दर्द :
आमतौर पर महिलाओं के मैन्सट्रुअल साइकिल के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है. लेकिन जो महिलाएं सैक्सुअल लाइफ को एंजौय नहीं करतीं उन में यह दर्द ज्यादा हो सकता है.
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सेक्स ऐक्सपर्ट डा. लारेज स्ट्रीचर का कहना है कि पीरियड्स के दौरान सैक्स करने से मैन्स्ट्रुअल क्रैंप में काफी कमी आ सकती है. यूट्रस एक मांसपेशी है जिस में सैक्स और्गेज्म के दौरान सिकुड़न होती है. इस से रक्तस्राव बेहद आसानी से हो जाता है और स्राव के समय होने वाले दर्द से महिलाओं को काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है. इस के साथ ही, यौन आनंद से एंडौर्फिन का स्राव होता है जो दर्द को कम करने में सहायक होता है.