लेखक- रोहित
राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 19 में ऑनर किलिंग का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां कुछ गुंडों ने घर के भीतर घुस कर किराए पर रह रहे नवविवाहित शादीशुदा जोड़े पर धुंआधार गोलियां चला दीं. जिस में 24 वर्षीय विनय दहिया की पेट और छाती पर4 गोलियां लगने से मौत हो गई और उस की 19 वर्षीय पत्नी किरण दहिया बुरी तरह घायल हो गई. पुलिस के अनुसार किरण को मौके पर 1गोली लगी थीं. दोनों को आननफानन में द्वारका के वैंकेटेश्वर अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने विनय को मृत पाया. वहीं किरण बेहद गंभीर हालत में पाई गई. जिस के बाद किरण को आईसीयू में भरती कर उस का इलाज किया जा रहा है. किरण अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भरती है.
दरअसल, यह पूरा मामला ब्रहस्पतिवार 24 जून की रात लगभग 9 बजे का है. जब घर के अंदर 3 गुंडे घुसे और फायरिंग कर वहां से फरार हो गए. इन तीनों के हाथ में पिस्तौल थी और ये शादीशुदा जोड़े को मारने के उद्देश्य से ही घर में घुसे थे.पुलिस को इस मामले की सीसीटीवी फुटेज मिली है जिसमें हत्यारे जोरदार गोलीबारी करते नजर आ रहे हैं.पुलिस की शुरूआती जांच से पता चला है कि यह मामला ऑनर किलिंग का है. पुलिस इसे ऑनर किलिंग इसलिए भी कह रही है क्योंकि लगभग 1 साल पहले 13 अगस्त को विनय और किरण ने घरवालों की इच्छा के विरुद्ध भाग कर मंदिर में शादी कर ली थी, जिस के बाद से ही दोनों के घर वाले इस शादी से नाराज चल रहे थे. खासकर किरण के परिवार से नाराजगी का आलम यह था कि लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. दोनों परिवारों की नाराजगी का बड़ा कारण उन का ‘एक गांव एक गौत्र’ होना था.घर वालों को यह रिश्ता बिलकुल भी मंजूर नहीं था और वे इसे सामजिक रीतियों के खिलाफ मान रहे थे.
घटनास्थल का जायजा
राजधानी दिल्ली में इस तरह का मामला हैरान करता है. गांव में ऐसी घटनाएं यहांवहां से सुनाई जरुर दी जाती हैं लेकिन अपराधियों का ऐसे दिल्ली तक खोजबीन कर भरे बाजार में गोलियां चलाना दिल दहला देने वाला है. खासकर तब जब घटनास्थल से डीसीपी औफिस महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है. इस घटना को ले कर ‘सरस सलिल पत्रिका’ ने अपने स्तर पर तह तक मामले को खंगालने की कोशिश की.
दिल्ली के भीतर ‘अंबराही गांव’ नाम से यह इलाका द्वारका सेक्टर 19 में पड़ता है. नाम में सिर्फ गांव रह गया है बाकि भीतर से यह काफी पौश है. गांव नाम का वजूद भी शायद इसलिए हो क्योंकी यहां आधुनिकता के साधन तो लोग हासिल कर चुके हैं लेकिन गांव की जड़ व्यवस्था को कायम ही रखना चाहते हों. दिल्ली के द्वारका सेक्टर 10 मेट्रो स्टेशन से घटनास्थल की दूरी तकरीबन डेढ़ किलोमीटर से भी कम होगी. वारदात वाले इलाके में लगभग सभी मकान 4-5 मंजिला रिहाईशी हैं, जिन के बाहर कार भी खड़ी दिख जाती हैं. ब्रांडेड शोरूम की दुकानें 50 मीटर दूर चमचमाती दिखाई पड़ती हैं. इलाका योजनाबद्ध तरीके से स्थापित किया गया सा लगता है. मुख्य रोड की 20-22 फुट चौड़ाई ही काफी कुछ इलाके के बारे में बता देती है.बाहर मेन रोड के लिए निकलने का रास्ता डीसीपी के औफिस से होते ही निकलता है.इस से यह समझा जा सकता है कि किस आत्मविश्वास से भर कर यहां ये अपराधी आए थे.
हमारी टीम जैसे ही घटनाशटल पर पहंची, तो वहां 4-5 अधेड़बुजुर्ग लोग चौपालनुमा स्टाइल में कुर्सी लगा कर बैठे थे. मानो वे इस चर्चा को अपने अनुसार बताना चाहते हों. युवाओं की पेचीदगियों से जुड़ा यह मामला इन लोगों की जुबानी सुनना अनौखा था. खासकर तब जब हमारी टीम ने वहां युवाओं से बात करने की कोशिश की और वे मुह चुराते पाए गए. खैर, घटना को ले कर हमारी बात वहां पड़ोस में रह रहे 54 वर्षीय सुखबीर सिंह पोकस से हुई. सुखवीर सिंह खुद को अंबहारी एक्सटेंशन पार्ट 2 गांवका प्रधान बताते हैं.
वे बताते हैं कि एक हफ्ते पहले यह जोड़ा यहां किराए पर आयाथा. यहजोड़ा सोनीपत, गोपालपुर गांव से भाग कर आया था. यहां आने से पहले ये लोग अंबराही गांव में 8 महीने करीब रुके हुए थे. वे कहते हैं,“उस रात इन के ही कोई रिश्तेदार आए थे, भीतर कुछ देर रहे भी थे. फिर उन्होने तकरीबन 8.30 बजे गोली चलानी शुरू कर दी. ये जोड़ा मकान के सेकेंड फ्लोर पर रहताथा. लड़की कोगोली लगी तो वो जैसेतैसे खुद को बचाते हुए छत की तरफ भाग गई, वह पूरा मकान 5 तल्लों का है. लड़की ने देखा की छत से वह नीचे कूद नहीं सकती, कूदेगी तो मर जाएगी इसलिए वह उस छत से सटे दूसरे छत पर कूद गई. वहां जो किराएदार थे उन्होंने पुलिस को फोन किया फिर 15-20 मिनट के भीतर पुलिस और एम्बुलेंस आई और उन्हेंहौस्पिटल ले गई.”
वहां उसी गली के कोर्नर पर एक बड़ा सा मकान है जिस के दोनों कोर्नर पर 4 कैमरे लगे हुए हैं. 4 में से 2 दिल्ली सरकार के हैं जो पता चला काम नहीं करते. बाकी 2 निजी कैमरे में जो रिकौर्ड हुआ वीडियोके अनुसारजिस समय लड़की ऊपर की तरफ भागी होगी, लड़का नीचे बाहर की तरफ भागा. गुंडे उस के पीछे नीचे को भागे, तीनों के हाथ में पिस्तौल थी. करीब घर से 50 मीटर दूर उन्होंने लड़के को एक किराना कीदुकान के पास घेर लिया और उसे 3 गोली मारी.
खैर, यह जानकारी वहां सब की जुबानी थी. नया था तो वह वाक्य जो अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक युवक कह गया. दरअसल जिस समय गोलियां चल रही थीं उस दौरान सभी लोगों ने अपने घरों के किवाड़ और दरवाजे बंद कर लिए थे. सुने को अनसुना कर दिया था. किसी ने पटाखे का शोर बताया तो किसी ने टीन का शोर.लेकिन चीखपुकार के मचे शोर को किसी ने नहीं सुना. लड़के को जैसे ही 50 मीटर दूर गुंडों ने दुकान के पास घेरा वहां भरे बाजार में उसे कोई बचाने वाला नहीं था. विनय ने दुकानों में घुस कर मदद भी मांगी थी लेकिन उसे वहां से धकेल बाहर कर लिया था.
जिस जगह युवक घायल पड़ा था उस के ठीक सामने किराने की दुकान चलाने वाले 65 वर्षीय शेष कुमार से हमारी बात हुई. शेष कुमार विनय इस घटना के लिए विवाहित जोड़े को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. वे औफ रिकौर्ड कहते हैं, “जैसा करोगे वैसा भुगतोगे. इन दोनों ने इस तरह से शादी कर के गलत किया था. अपने ही गौत्र में शादी करना तो पाप है. ऐसे तो ये दोनों भाईबहन ही हुए न, इन्होने अपनी मौत बुलाई थी.” जब उन से पूछा कि उन की हत्या करना क्या सही था, इस पर वे बचते हुए कहते हैं, “इस पर मैं क्या कहूं, यह तो उन के परिवार वाले ही जाने. उन्होंने जैसा समझा वैसा किया.” यह जवाब इसी समाज की हकीकत है जो सिर्फ डरपोक ही नहीं है,बल्कि उसे पता ही नहीं है क्या सही है क्या गलत.
विनय के बारे में बताया जा रहा है कि वह एअरपोर्ट में ग्राउंड स्टाफ का काम करता था. जिस मकान में यह जोड़ा किराए पर रह रहा था.विनय के पास एक स्विफ्ट गाड़ी थी जो हरियाणा से ही रजिस्टर्ड थी.
कानूनी पड़ताल
दरअसल, विनय और किरण ने पिछले साल 13 अगस्त को घर से भाग कर त्रिदेव सनातन धर्म प्राचीन मंदिर, पंचकुला हरियाणा में शादी कर ली थी. जिस के बाद उन्हें घरसमाज से अपनी जान के खतरे का अंदेशा लग गया था. इसलिए उन्होंने कानून से मदद मांगने का फैसला किया था. ऐसे में उन की मुलाकात सोनीपत में कार्यरत वकील मनोज पलवल के माध्यम से वकील अभिमन्यु कलसी से हुई. अभिमन्यु कलसी वही वकील हैं जिन्होंने पिछले वर्ष कोर्ट में प्रोटेक्शन पेटीशन दायर की थी.
इस मामले में 34 वर्षीय अभिमन्यु कलसी ने सरस सलिल को बताया कि, “हम ने 13 अगस्त को इन की रिप्रजेंटेशन भेज दी थी एसएसपी सोनीपत डिवीज़न को. वैसे तो दोनों परिवार की तरफ से इन्हें डेथ थ्रेट थी लेकिन लड़की के परिवार की तरफ से ज्यादा था. लड़के के परिवार की तरफ से विरोध तो था लेकिन यह नहीं था कि मार देंगे. इसलिए हम ने हाई कोर्ट में प्रोटेक्शन लगाई थी.
“जब प्रोटेक्शन लगाई थी उस के बाद हम ने इन की दोबारे कुएशन पेटीशन लगाई थी. सोनीपत पुलिस ने सुरक्षा तो क्या दी उलटा विनय दहिया के खिलाफ ही एफआईआर कर दी थी. यह एफआईआर लड़की की मां के कहने पर की थी. यह एफआईआर उन्होंने 13 अगस्त को पहले किसी अज्ञात आदमी के खिलाफ की थी फिर इस में विनय का नाम जोड़ दिया था. उन्होंने एफआईआर में कहा था कि लड़की नाबालिक है, वह 18 साल से कम की है. लेकिन आधार कार्ड था उस में साफ पता चल रहा था कि लड़की बालिग है. दरअसल उम्र का कोई मसला था ही नहीं. यह तो हम ने जब प्रोटेक्शन पेटीशन लगाई थी तभी साफ था क्योंकि शादी के लिए आधार कार्ड देना अनिवार्य था.
“हम ने 14 अक्टूबर को भी यह कोर्ट में सबमिशन कियाथा कि इस कपल को अब भी धमकियां आ रही हैं. इन की आजादी और जान को बहुत ज्यादा खतरा है. ये लोग उस समय भी डरे हुए थे. कोर्ट में 19 अगस्त को जस्टिस राजमोहन ने पुलिस को आर्डर किया था की वे देखें कि इन का थ्रेट परसेप्शन कितना है, उस हिसाब से उन्हें प्रोटेक्शन दिया जाए. लेकिन मुझे पता चल रहा है कि सोनीपत पुलिस कह रही है कि उन्हें कुछ नहीं पता इस मामले में क्या है. दरअसल यह पूरा मामला हम सबका फैलियर है. अगर सब कुछ ठीक से होता तो यह नौबत नहीं आती.”
“पेटीशन में हमने चचेरे भाई विक्की और उस के सगे भाई अमन का नाम डाला हुआ था, जिस का जिक्र किरण ने भी हादसे के बाद अपने स्टेटमेंट में दिया है. अब देखिए सब कुछ पता होने के बाद भी घटना घट ही गई. यह तो व्यवस्था की असफलता का मसला है.”
वे आगे कहते हैं, “इन का गौत्र एक था उस की वजह से परिवार में विरोध ज्यादा था. हैरानी की बात है ऐसे इन्हें मार दिया. जिस इलाके से वे सम्बन्ध रखते हैं उस इलाके को खाप राज के नाम से जाना जाता है. सोनीपत,झज्जर, रोहतक इन इलाकों में कुछ ज्यादा खाप वाला मामला होता है. यहां लोग इज्जत पर ले लेते हैं. लोगों की सोच पुरानी तरीके की अधिक है.जब वह जोड़ा मुझ से मिला था उन्होंने मुझे बताया था कि 4-5 पीढ़ी पहले इन की कोमन रिश्तेदारी रही होगी. कह सकते हैं, दूर के रिश्ते में रहे होंगे. लेकिन मौत के घाट उतार देना यह खतरनाक है.”
इस वारदात को ले कर हमारी टीम ने पीड़ितों के परिवार जन से उन का पक्ष लेने के लिए संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन बात हो नहीं पाई. घटना के सम्बन्ध में हमारी बात सेक्टर 19 में डीसीपी संतोष कुमार मीना से हुई. वे कहते हैं, “हमारे पास गुरुवार रात 9 बजे की पीसीआर कौल आई थी. यह कौल इस कपल के साथ हुई घटना के सम्बन्ध में थी. हमारी टीम वहां पहुंची और तुरंत उन्हें अस्पताल में भरती कराया. जहां विनय की मौत कन्फर्म हुई और किरण का इलाज चल रहा है.”
वे इस पूरे मामले को ऑनर किलिंग के एंगल से देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम सस्पेक्ट की पहचान कर रहे हैं. इस मामले पर हमारी इन्वेस्टिगेशन जारी है.” वे बताते हैं अगस्त में इन्होने पंजाब हरियाणा कोर्ट में अप्रोच किया था, जिस में पेटीशन डिस्पोस हो गई थी. लोकल पुलिस को डायरेक्शन दी गई थी.” जब उन से पूछा कि इस मामले के संबंध में क्या उन की बात हरियाणा पुलिस से हो रही है जिस पर उन्होने मना किया. हालाकि जांच में पुलिस इस वारदात के पीछे लड़की के परिवार वालों का हाथ होने का पूरा अंदेशा जता रहे हैं.सूत्रों के अनुसार लड़की के सगे भाई अमन, चचेरे भाई विकी और चाचा शक्ति सिंहके होने की बात है जिन की दबिश में पुलिस लगी भी है और अपराधियों की पहचान पुलिस को खुद किरण से अस्पताल में पूछताछ के दौरान मिली. इस पुरे वारदात में पुलिस के अनुसार 10 से 11 राउंड गोलियां बरसाईं गई थीं. पुलिस को मौके से एक बन्दूक भी मिली है. उन के अनुसार वारदात में 2 बंदूकों का इस्तेमाल हुआ था. हालाकि पुलिस ने इस पूरे वारदात में 3 से अधिक लोगों के होने की आशंका जताई है.
सुनने में आया है कि शादी होने के 20 दिन बाद विनय और किरण को पंचायत ने उन्हें गांव से जाने को कह दिया था. ऐसे में खापों की भूमिका को इस मामले में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बहुत बार खाप के दबाव में भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है ताकि पुरे समाज के सामने एक नजीर पेश किया जा सके.
ऑनर किलिंग आज भी
हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में ऐसे मामले आम हैं जहां झूठे सम्मान के खातिर प्रेमी जोड़े या शादीशुदा जोड़ों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. पीछे समय में तो गांव के बीचोंबीच पेड़ पर फांसी पर लटकाने की भी घटनाएं दर्ज होती रही हैं.
औनर किलिंग के मामले में हरियाणा देश का सबसे बदनाम राज्य है. इसकी एक वजह यह है कि लोकतांत्रिक सरकार के बावजूद राज्य में खाप पंचायतों का समाज पर काफी असर है. किसी दूसरे धर्म, जाति या आर्थिक पृष्ठभूमि में प्रेम या प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को अमूमन अपने इस अपराध की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. ऐसे मामलों में पंचायतों का फैसला ही सर्वोपरि होता है और सरकार व पुलिस प्रशासन भी इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाता. भले दंभ में भरे रिश्तेदार कातिल को “सजा” मिल जाए किन्तु जिस जगह से गांवदेहातों में इस जड़ मानसिकता को सह मिल रही है वह अपने फैसलों की चौड़ में हमेशा फूला रहता है.
यह भी देखने में आता है कि यह खाप पंचायतें सीधे सरकार को टक्कर देती हैं इसलिए इन के सह में रहने और इन के नियम मानने के लिए सरकारे बाध्य भी होती हैं, वरना अगली बार सत्ता का रास्ता दरक जाएगा. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर हुड्डा तक इन के आगे सर झुकाते रहे हैं. खट्टर जैसे नेता आधिकारिक पद पर खुलेआम इन पंचायतों की वकालत करते हुए उनको समाज सुधार का एक अहम हथियार बता चुके हैं. जबकि यह हकीकत है कि गांव में सुखसाधनों में आधुनिकता भले आ जाए किन्तु पौराणिक और रुढ़िवादी सोच को बनाए रखने में इन्ही पंचायतों की विशेष भूमिका है. दिल्ली में घटी यह वारदात इस बात का संकेत भी था कि हमने सम्मान के खातिर ने शहर में आ कर खुलेआम गोलियां चला कर अपने इज्जत की लाज बचाई है.
आज ऐसे ही ऑनर किलिंग के मामले उत्तर भारत से दक्षिण भारत के राज्यों में पटे पड़े हैं. यह राजस्थान में भी हैं और उत्तरप्रदेश में भी, बिहार में भी है और बौधिक स्तर पर मजबूत कहे जाने वाले बंगाल में भी. स्थिति यह है किऔनर किलिंग को कम ही रिपोर्ट किया जाता है इसे न तो मीडिया द्वारा तवज्जो दिया जाता है न ही सरकार द्वारा.2018 में एनसीआरबी के आए रिपोर्ट के अनुसार 3 सालों में 300 ऑनर किलिंग के मामले आए. शीर्ष अदालत ने ऑनर किलिंग के मामलों में देखा है कि कुल मामलों में 3 प्रतिशत मामले गौत्र से सम्बंधित होते हैं. अब विनय और किरण का यह मामला इन्ही 3 प्रतिशत मामलों में शरीक हो जाएगा.