जिस ‘बीमारी’ से परेशान थे आयुष्मान, क्या आपको पता है उसके बारे में ?

आपने आयुष्मानखुराना की फिल्म “शुभ मंगल सावधान” तो देखी होगी उसमें उनको एक एक हेल्थ प्रौब्लम होती  हैं जिसके चलते उनकी शादी तो खतरे में पड़ती ही है साथ ही उनको शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता  हैं, वो समस्या हैं….शीघ्रपतन (Premature ejaculation) .

आमतौर पर देखा जाता है की सेक्स से जुड़ी समस्या को लोग किसी को  भी जल्दी नही बताते. इसका कारण या तो शर्म होती है या फिर मन की झिझक, पर इस समस्या को जितना छिपाया जाता है उतनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. इन्हीं समस्याओं मे से एक समस्या है शीघ्रपतन (Premature ejaculation) . आम भाषा में कहे तो शीघ्रपतन का मतलब होता है वीर्य का जल्दी निकलना.

सेक्स के दौरान या पहले पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है. स्‍त्री की कामोत्‍तेजना (Orgasm) शांत होने से पहले या हस्‍तमैथुन  (Masturbation) क्रिया के दौरान यदि पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाता है तो इसका मतलब है कि वह शीघ्रपतन की समस्‍या से गुजर रहा है.

इस समस्या को लेकर लोग डाक्टर के पास भी नहीं जाते पर देखा जाए तो शीघ्रपतन कोई बड़ी समस्या नहीं है और इसका उपचार भी हो सकता है. तो आज हम आपको शीघ्रपतन के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं, जिससे आपको काफी हद तक इस समस्‍या का समाधान मिल सके.

 क्यों होता है शीघ्रपतन

शीघ्रपतन के दो कारण है- लाइफ लौन्ग (प्राइमरी), एक्वायर्ड (सेकेंडरी). शीघ्रपतन की समस्‍या पहली बार या किसी नए पार्टनर के साथ संभोग करने के दौरान कामोउत्तेजना के ज्यादा प्रवाह होने के चलते भी ये हो सकता है. अगर लंबे समय के बाद संभोग किया जाए तो भी शीघ्रपतन की समस्‍या हो सकती है. इसके अलावा अपनी पार्टनर के बीच के रिश्‍तों के बारे में तनाव या ज्‍यादा सोचना भी शीघ्रपतन का कारण है.

क्या है इसके लक्षण

  • बार-बार प्रयास करने पर भी संभोग (sexual intercourse) के दौरान 1 मिनट तक ना रोक पाना.
  • सेक्स को टालना.
  • सेक्स करने के बाद पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाना.
  • सेक्स से पहले मन में शीघ्रपतन का डर आना.

क्या है इसका उपचार

शीघ्रपतन कोई लाइलाज बीमारी नही है इसका इलाज सम्भव है. जहां तक स्‍टेमिना की बात है तो यह हर स्वस्थ पुरूष में नेचुरली रहती है जिसे वे ठीक तरह से महसूस नहीं कर पाते. यदि वे सेक्स के समय सहवास, भोजन के समय भोजन के बारे में सोचें तो उनकी स्‍टेमिना में फर्क साफ दिखेगा. यानी आप जब जो काम करें उसे अच्छे से करें. दिन-रात केवल सहवास के विषय में ही सोचते रहने से तथा अपनी स्‍टेमिना पर अकारण ही शंका करते रहने से वास्तविक यौन शक्ति पर मानसिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जो धीरे-धीरे शारीरिक रूप से भी कमजोर कर देती है.

खाने पर दें ध्यान

शीघ्रपतन ठीक करने और ऊर्जा व स्फूर्ति को कायम रखने के लिए खान-पान का भी ध्यान रकना जरुरी है.  शाकाहारी भोजन प्राकृतिक गुणों से परिपूर्ण व सुपाच्य होता है. ऐसे भोजन को पचाने के लिए शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा भी खर्च नहीं होती तथा व्यक्ति को यौन शक्ति भी अनुकूल बनी रहती है. ताजे मौसमी फल, कच्ची सब्जियां, अंकुरित आनाज, दूध, शहद, लस्सी आदि निरोगी पदार्थ हैं जिनके सेवन से शरीर शक्ति से भरपूर निरोग बना रहता है.

इसके अलावा  आपसे हमारी यही सलाह होगी की जैसे ही आपको लगे की आप इस समस्या से जूझ रहे है तो फौरन डाक्टर की सलाह ले और शर्माएं नही.

बीमारी नहीं आत्मसम्मान की लड़ाई है विटिलिगो

राह चलते कई बार हमने अपने आस पास ऐसे लोगों को देखा होगा जिनकी सफेद धब्बे वाली स्किन होती है. कई लोगों का मानना होता है की मछली खाने के बाद दूध पीने से ये समस्या होती है. उन लोगों को देखते ही हम मन में कई ऐसी धारणाएं बना लेते है या फिर उनसे घृणा कर, दूर रहने की कोशिश करते है. हां ये पढ़ते समय आपको जरुर लगेगा की नहीं हम ऐसा नहीं करते पर भारत जैसे देश में जहां शरीर का रंग खूबसूरती से जोड़ा जाता है वहां इस तरह का भेदभाव होना कोई खास बात नहीं है.

25 जून को वर्ल्‍ड विटिलिगो डे (World Vitiligo Day)  पूरे दुनिया में मनाया जाता हैं. इस बीमारी के शारीरिक प्रभाव तो अमूमन सभी जानते है पर क्या इस बीमारी से परेशान लोगों की मानसिक स्थिति से आप वाकिफ हैं?

आपको जानकर हैरानी होगी की विटिलिगो वाले लोग आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान से संबंधित मुद्दों से काफी जूझते हैं, खासकर अगर उनकी स्थिति ज्यादा नजर आने वाली होती है तब लोगों में सामान्य संवेदना ना होने के कारण विटिलिगो के रोगियों को भावनात्मक रूप से काफी परेशानी होती है.

क्या है विटिलिगो

जिन्हें बिल्कुल भी जानकारी नहीं है, उनके लिए विटिलिगो एक त्वचा की  समस्या/बीमारी है जहां पीले सफेद पैच त्वचा पर आना शुरू हो जाते हैं. मेलेनिन(Melanin) की कमी की वजह से डिपिग्मेंटेशन होता है. विटिलिगो त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन आम तौर पर यह चेहरे, गर्दन, हाथों और त्वचा की क्रीज जहां बनती हैं, वहां होने की संभावना ज्यादा होती है. लेकिन विटिलिगो एक जानलेवा बीमारी नहीं है, फर्स्ट स्टेज में किसी व्यक्ति को सुनने की शक्ति में कमी होना, आंखों में जलन और सनबर्न स्किन का अनुभव हो सकता है.

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मनोवैज्ञानिक प्रभाव क्या है

विटिलिगो से पीड़ित लोगों को अक्सर अपने दोस्तों, परिवार और साथियों से भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ता हैं. कुछ को तो स्कूल में ही छेड़ा और तंग किया जाता है, जो उन्हें गहराई से मनोवैज्ञानिक स्तर पर प्रभावित करता है.

विटिलिगो मरीजों के लिए क्या करें?

  • किसी भी मनोवैज्ञानिक स्थिति के लिए विटिलिगो वाले रोगियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए. डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों की नियमित जांच के साथ-साथ रोगी के जीवन की गुणवत्ता का आकलन सबसे महत्वपूर्ण है.
  • मरीजों को त्वचा विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक दोनों से मदद लेनी चाहिए.
  • चिकित्सा देखभाल के अलावा रोगियों के लिए सुरक्षित और सामाजिक रूप से स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए विटिलिगो के लिए सार्वजनिक संवेदीकरण कार्यक्रम भी किए जाने चाहिए.

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बहुत हद तक ग्लोबल साईकोलोजी पहले ही विकसित होना शुरू हो गया है. लोगों में विटिलिगो के बारे में जागरूकता और लोगों के बीच बेहतर संवेदनशीलता बढ़ रही है. विटिलिगो से पीड़ित लोगों को अपना समर्थन देने के लिए विभिन्न फाउंडेशन और सपोर्ट ग्रुप आगे आ रहे हैं. हालांकि, भारत में जागरूकता की स्थिति अभी भी बहुत अच्छी नहीं है. अधिक जागरूकता वाले अभियान और सार्वजनिक संवेदीकरण कार्यक्रम के साथ, हम अधिक समावेशी भविष्य की आशा कर सकते हैं. विटिलिगो कोई छुआछूत की बीमारी नही है, इससे डरने या उन पीड़ितो से भागने की बजाएं उनका साथ दे और उनके आत्मसम्मान पर कोई आंच ना आने दे.

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