राह चलते कई बार हमने अपने आस पास ऐसे लोगों को देखा होगा जिनकी सफेद धब्बे वाली स्किन होती है. कई लोगों का मानना होता है की मछली खाने के बाद दूध पीने से ये समस्या होती है. उन लोगों को देखते ही हम मन में कई ऐसी धारणाएं बना लेते है या फिर उनसे घृणा कर, दूर रहने की कोशिश करते है. हां ये पढ़ते समय आपको जरुर लगेगा की नहीं हम ऐसा नहीं करते पर भारत जैसे देश में जहां शरीर का रंग खूबसूरती से जोड़ा जाता है वहां इस तरह का भेदभाव होना कोई खास बात नहीं है.
25 जून को वर्ल्ड विटिलिगो डे (World Vitiligo Day) पूरे दुनिया में मनाया जाता हैं. इस बीमारी के शारीरिक प्रभाव तो अमूमन सभी जानते है पर क्या इस बीमारी से परेशान लोगों की मानसिक स्थिति से आप वाकिफ हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी की विटिलिगो वाले लोग आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान से संबंधित मुद्दों से काफी जूझते हैं, खासकर अगर उनकी स्थिति ज्यादा नजर आने वाली होती है तब लोगों में सामान्य संवेदना ना होने के कारण विटिलिगो के रोगियों को भावनात्मक रूप से काफी परेशानी होती है.
क्या है विटिलिगो
जिन्हें बिल्कुल भी जानकारी नहीं है, उनके लिए विटिलिगो एक त्वचा की समस्या/बीमारी है जहां पीले सफेद पैच त्वचा पर आना शुरू हो जाते हैं. मेलेनिन(Melanin) की कमी की वजह से डिपिग्मेंटेशन होता है. विटिलिगो त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन आम तौर पर यह चेहरे, गर्दन, हाथों और त्वचा की क्रीज जहां बनती हैं, वहां होने की संभावना ज्यादा होती है. लेकिन विटिलिगो एक जानलेवा बीमारी नहीं है, फर्स्ट स्टेज में किसी व्यक्ति को सुनने की शक्ति में कमी होना, आंखों में जलन और सनबर्न स्किन का अनुभव हो सकता है.