दिमागी नामर्दी से बचें

दरअसल, जब विशाल 14-15 साल का किशोर था, तभी उसे हस्तमैथुन करने की आदत लग गई थी. हालांकि इस उम्र में ऐसा करना लाजिमी है और आमतौर पर सभी लड़के इसी तरीके से अपनी सैक्स भावना को शांत करते  हैं, लेकिन सुहागरात पर अपराधबोध की वजह से विशाल में वह जोश नहीं आया और न ही अंग में तनाव.

सुहागरात पर मिली नाकामी का उस के मन में इस कदर डर बैठ गया कि वह अपनेआप को नामर्द समझने लगा. वह अपनी पत्नी के करीब जाने से कतराने लगा. रात होते ही उसे घबराहट होने लगती. वह पत्नी के सोने का इंतजार करने लगता.

विशाल की शादी हुए एक महीना बीत चुका था, लेकिन वह शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था. एक दिन उस ने मन पक्का कर के अपने एक खास दोस्त को यह समस्या बताई.

दोस्त को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है, इसलिए उस ने सलाह दी कि वह किसी माहिर डाक्टर को बता कर वह अपना चैकअप कराए, ताकि पता चले कि समस्या क्या है.

विशाल डाक्टर के पास गया. डाक्टर ने उस का अच्छी तरह चैकअप किया. कई जांच करने के बाद उसे शारीरिक तौर पर एकदम सही बताया यानी वह मर्द है और उस में ऐसी कोई कमी नहीं, जो सैक्स करने में बाधक हो.

डाक्टर ने विशाल को सलाह दी कि उस की समस्या जिस्मानी नहीं, बल्कि दिमागी है यानी तन से तो वह मर्द है, लेकिन मन से नामर्द, इसलिए उसे किसी माहिर मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराने को कहा.

विशाल उस मनोचिकित्सक के पास गया. काउंसलिंग के दौरान उस ने मनोचिकित्सक के सभी सवालों के जवाब दिए और कुछ सवाल अपनी तरफ से किए.

मनोचिकित्सक ने उस से कहा, ‘‘तुम शारीरिक रूप से पूरी तरह सेहतमद हो यानी मर्द हो, लेकिन पत्नी के पास जाते ही तुम्हारे मन में हस्तमैथुन करने का अपराधबोध आ जाता है, जो तुम्हें मन से नामर्द बना देता है.’’

मनोचिकित्सक ने विशाल को सलाह दी कि वह इस तरह का अपराधबोध छोड़ दे. यह तो एक सहज और सामान्य प्रक्रिया है. इस बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. बीती बातों का अपराधबोध पालने की कोई तुक नहीं है. लिहाजा, यह डर अपने दिमाग से निकाल दे.

मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग के बाद जब विशाल अपनी पत्नी के करीब गया तो उस के तनमन में वही सब अहसास हुआ, जो एक मर्द को होना चाहिए. उस रात उस की मर्दानगी जाग उठी और वह उस में पूरी तरह कामयाब रहा. इस के बाद उस की शादीशुदा जिंदगी आम जोड़े की तरह सुख से भरी हो गई.

विशाल की तरह अनेक नौजवान ऐसे हैं जो अपने द्वारा किए गए हस्तमैथुन या स्वप्नदोष की वजह से आत्मग्लानि से ग्रस्त हैं, जो उन्हें दिमागी तौर पर नामर्द बना देती है.

ऐसे ही एक नौजवान को हफ्ते में एकाध बार स्वप्नदोष होता था और इस वजह से वह खुद को नामर्द समझ रहा था. जब वह डाक्टर के पास गया तो उस की सोच गलत साबित हुई.

डाक्टर ने बताया कि किशोरावस्था में हर लड़के में वीर्य बनना शुरू हो जाता है, जो लगातार जारी रहता?है. जब वीर्य एक मात्रा से ज्यादा हो जाता है, तो वह अपनेआप निकल जाता है. जब कोई लड़का उत्तेजक सपना देखता है, तो उस का वीर्य गिर जाता है. इसे ही स्वप्नदोष कहते हैं.

स्वप्नदोष होना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक कुदरती प्रक्रिया है. इस से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती और न ही नामर्दी होती है.

हस्तमैथुन को ले कर कई गलत सोच फैली हुई हैं, जैसे इस से  कमजोरी आती है, शादी के बाद पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा, अंग टेढ़ा हो जाएगा वगैरह. यह भी एक गलत सोच है कि खून की 50-100 बूंद  से वीर्य की एक बूंद बनती है, जबकि वीर्य का खून से कोई लेनादेना ही  नहीं होता.

हस्तमैथुन और स्वप्नदोष के बारे में गलत सोच उन लोगों ने फैलाई है, जो इसे नामर्दी की वजह बना कर पैसा कमाना चाहते हैं.

ऐसे नीमहकीमों के इश्तिहार वगैरह टैलीविजन और अखबारों में काफी देखे जा सकते हैं. कुछ इश्तिहार नामर्दी को दूर करने वाली दवाओं के होते हैं. इन के झांसे में आने से बचना चाहिए.

कुछ किशोर गंदी संगत में पड़ कर समलैंगिक मैथुन यानी गुदा मैथुन करने की आदत पाल लेते हैं. समलैंगिक संबंधों का भी अपराधबोध दिमागी रूप से नामर्द बना देता है.

औरत के पास जाने पर संबंध बनाने में नाकाम होना दिमागी वजहों से होता है, इसलिए पहले बनाए गए समलैंगिक संबंधों को भूल जाएं. यकीन मानिए. आप अपनी पत्नी के सामने पूरे मर्द साबित होंगे.

कुछ नौजवान शादी से पहले सैक्स वर्कर्स से संबंध बनाने की आदत पाल लेते हैं. शादी के बाद पत्नी से संबंध बनाने की बारी आती है, तो उन्हें डर लगता है कि कहीं उन की पोल खुल न जाए. उन्हें अपना डर दूर कर लेना चाहिए. शादी के पहले वे मर्द थे, तो शादी के बाद नामर्द कैसे हो सकते हैं?

दरअसल, जोश या तनाव आना दिमागी सोच पर निर्भर करता है. पत्नी के साथ सैक्स करते समय पहले  बनाए गए संबंधों का खयाल दिमाग में न लाएं.

जब किसी मर्द का वीर्य सैक्स शुरू करने से पहले या तुरंत बाद निकल जाए, तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है. इस के साथ भी कई भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं, जैसे उस की सैक्स की ताकत कम है, वह सैक्स नहीं कर सकता या पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा.

यदि ऐसा होता है, तो अपनेआप को नामर्द न समझें. जब मर्द बहुत ज्यादा जोश में होता है, तो उस का वीर्य जल्दी गिर जाता है. इस से कतई परेशान न हों.

कुछ नौजवान अपने अंग का छोटा होने की वजह से अपने को नामर्द मान बैठते हैं, जबकि यह सोच गलत है. तनाव में आया 3 इंच का अंग सामान्य माना जाता है, जो सैक्स करने व पत्नी  को पूरा सुख पहुंचाने के लिए काफी  है, इसलिए इस बात को ले कर चिंतित न हों.

कुछ इश्तिहारों में अंग बड़ा करने की दवा, तेल व उपकरणों के बारे में देखा जा सकता है. इन में कोई सचाई नहीं होती. अंग को किसी भी तरीके से बड़ा नहीं किया जा सकता है. इस के लिए किसी हकीम या तंबू वाले के पास मत जाइए, क्योंकि ये लोग आप को बेवकूफ बना कर खुद पैसा कमाते हैं. ऐसी कोई दवा आज तक नहीं बनी है, जिसे खा कर अंग की लंबाई बढ़ जाती है. वैसे भी हर किसी के अंग की लंबाई अलगअलग होती है.

दरअसल, नामर्द होने का मतलब है कि आदमी सैक्स संबंध बनाने में नाकाम है, चाहे वह संबंध बनाना चाहता हो. इस हालत में आदमी का अंग तनाव में नहीं आता या सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही आता है.

किसी आदमी के नामर्द होने की  3 वजहें हैं, प्रजनन अंग में विकार, नशे की दवाएं या शराब का असर. तीसरी वजह में आदमी मानसिक तौर पर नामर्द होता है. ज्यादातर लोग इस हालात में ही होते हैं.

अगर कोई यह सोच ले कि वह सैक्स करने में नाकाम है, तो वह कभी कामयाब नहीं होगा. यह तो वही  बात हुई कि कोई सैनिक लड़ाई के मैदान में लड़ने से पहले ही हथियार डाल दे. ऐसे में भला वह जीत कैसे सकता है? लिहाजा, नामर्द होने का वहम मन से निकाल दें. अगर कोई दिक्कत है, तो हमेशा माहिर डाक्टर से ही सलाह लें.

क्या पौर्न फिल्म देखना आप के शरीर को कमजोर कर सकता है?

आमतौर पर जब पॉर्न के बारे में बातचीत को चर्चा में लाया जाता है , तो इसे या तो जल्दी से निपटा दिया जाता है या फिर इसके बारे में बात ही नहीं की जाती. ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी सामाजिक कंडीशन ही ऐसी है जहां लोग पॉर्न देखना तो पसंद करतें है लेकिन उसके बारे में  या उससे होने वाले नुकसानों के बारे में बात करना नहीं चाहते. आज इंटरनेट पर इतनी पॉर्न वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जिसको आप जितना चाहें उतना पॉर्न देख सकते है.

साउथ एशियन कंट्री में पॉर्न की बात करना यानी एक तरह का पाप करने जैसा है. सबसे ज्यादा भारत और पाकिस्तान में. या सही मायने में कहे कि यह एक तरह की हिपोक्रेसी है . इन दोनों देशों में लोग सबसे ज्यादा पॉर्न देखते है लेकिन बात करते हुए इसे पाप मानते है.

हालांकि भारत सरकार ने अधिकांश पॉर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उन तक पहुंचना कोई मुश्किल बात नहीं. इस बात को ध्यान में रखे कि सेक्स और पॉर्न दोनो ही बहुत अगल हैं एक दूसरे से जैसे: पॉर्न एग्रेसिव सेक्स को दर्शाता है , और सेक्स फिजिकल प्लेजर है जो कि एक स्वाभाविक बात है .

यदि आप अधिक पॉर्न देखते है तो  क्या आप जानते है पॉर्न देखने के कितने नुकसान हो सकते है? कोई भी चीज यदि ज्यादा हद तक की जाये तो वह हानिकारक ही होती है. पॉर्न की लत भी उसी तरह है जो पीछा आसानी से नहीं छोड़ती है . पर आप यह जानने के बाद अपने आप पीछे हट जाएंगे कि पॉर्न से कैसे होता है नुकसान.

अत्यधिक पॉर्न पहुंच सकता है नुकसान :

* रियलिटी से दूर होना :

इंटरनेट पॉर्न की कहानियां घटिया स्टोरी लाइन पर निर्धारित है जो एक पिज्जा डिलीवरी बॉय से ले कर एस्ट्रोनॉट तक ही सीमित है . जैसे ही पॉर्न अनिवार्य रूप से रिग्रेसिव सोसायटी में सेक्स एजुकेशन का एक मात्र स्त्रोत बन जाता है , दर्शक अनियंत्रित रूप से इन हाफ– बेक्ड  स्टोरीलाइन को वास्तविक जीवन का एक हिस्सा समझ लेते है. जिससे लोगों में  कंसेंट  की  गलत समझ  पैदा होती है, और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

* आत्मसम्मान में कमी ना :

अक्सर पॉर्न वीडियो में जो लोग होते है वे कई वर्षो से इस काम को कर रहे होते है , वे अनुभवी हैं और जानते हैं की कैमरे के सामने खुद को कैसे संभालना है. एक युवा दर्शक जो ऐसे पॉर्न नियमित रूप से देखता है , वह खुद की परफॉर्मेंस और फिजिक को उनसे तुलना  करके धीरे धीरे खुद से ही नाराज हो जाते है जो उन्हे अंततः आत्मसम्मान की कमी की ओर ले जाता है.

* सेक्स के दौरान मजा ना :

इंटरनेट पॉर्न के कंटेंट को एक प्रोफेशनल टीम इस तरह दर्शती है जो लोगो को एक अलग तरह का प्लेजर देता है . उसे इस कदर प्रदर्शित करते है जो दर्शकों प्रसन्न करता है. एक मेकअप आर्टिस्ट से लेकर साउंड एडिटर तक पूरी टीम उस वीडियो को इतनी ग्लॉसी बनाती है की दर्शक सोचते है की यही हकीकत है . जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है . इससे आप स्वयं , अपने पार्टनर , और अपने फिजिकल इंटिमेसी से निराश हो जाते हैं.

* रिश्ते टूटने का डर :

एक रेगुलर पॉर्न दर्शक के लिए  पॉर्न वीडियो के कुछ कार्य ,  सेक्स का आदर्श बन जाते है जबकि उनके पार्टनर के सेक्स के प्रति कुछ  अलग विचार रहते है. इससे रिश्ता में दरार पड़ जाती है और शारीरिक परेशानी भी पैदा होती है .

* आदत बन जाना :

एक स्टडी के अनुसार पॉर्न की लत और ड्रग की लत को एक समान माना गया है क्योंकि दोनों एक समान तरीके से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं. इंटरनेट पर पॉर्न की आदत लगने की संभावना सबसे ज्यादा पाई गई  है.

इंटरनेट वेबसाइट इस तरह पॉर्न को दर्शाते है की यह दर्शकों की आदत ही बन जाती है. लोग ऐसे विडियोज को पसंद करते हैं और खुद को इन सब में इन्वॉल्व कर लेते हैं . चिंता की बात यह है की पॉर्न लोगों पे इस तरह हावी हो जाता है की लोग खुद की इच्छाओं को भूल जाते  हैं, अपने विचारों को बदल देते हैं, जो उन्हे खुद भी कभी महसूस नहीं होता.

कहीं आपका पार्टनर भी तो चीटर नहीं, इन 6 संकेत पर रखें नजर

इस दुनिया में किसी के लिए भी सब से मीठा एहसास होता है प्यार. आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आप को उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इस से अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे यह जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते की नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालों में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिन में अकसर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आप का पार्टनर वास्तव में आप के साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटाकटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शाता है. आप का पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वह आप को धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आप का पार्टनर आप के साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

व्यवहार में बदलाव: सब से बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूं’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपनेआप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती हैं, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उस के बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आप के पार्टनर आप की तुलना किसी दूसरेतीसरे से करने लगते हों. बेवजह आप की गलती निकालने लगे हों, आप की किसी एक छोटी सी गलती पर आप को गैरजिम्मेदार ठहराने लगे हों, तो आप को सचेत हो जाना चाहिए. खास कर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा कर के आप को शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

दिनचर्या में बदलाव: दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आप को धोखा देने के संकेत हो सकते हैं. जैसे, अचानक अपने वार्डरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना. आईने में खुद को निहारते रहना, आप के आने पर सतर्क हो जाना इत्यादि यदि ऐसा होता है तो समझा जाए कि कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आप में रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आप का पार्टनर आप से दूर जाने के बहाने ढूंढने लगें. कमिटमैंट से घबराने लगे तो समझिए वह आप को धोखा दे रहे हैं. इस के अलावा आप से बेवजह लड़ाइयां होने लगना. आप के हर काम में नुक्स निकालने लगना. पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, कैरियर संबंधित बातें आदि आप से साझा न करने लगें, तो समझ लीजिए कि वह आप से दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

आप के प्रति प्यार कम होना: पहले जहां आप की हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी. पर अब आप की हर बात पर वह झल्लाने लगें. मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आनाकानी करने लगें. ज्यादा समय औफिस में बिताने लगें. इन बातों से साफ पता चलता है कि आप का पार्टनर आप को चीट कर रहा है. हो सकता है आप का पार्टनर किसी और बात को ले कर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन इस सब के साथ आप का पार्टनर कोई फैसला लेने में आप से आप की राय नहीं पूछते या आप से अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है.

फोन से जुड़े सवाल: यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आप का पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगे. औफिस में उन का फोन कईकई घंटों तक व्यस्त आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छिपाने लगे हों. फोन का पासवोर्ड बदल दिया हो और आप को अपना पासवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इस के अलावा उन की सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बारबार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बारबार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटेछोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकते हैं.

छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलने लगना: यदि आप का साथी आप से हर छोटीछोटी बात पर झूठ बोलने लगे, बातें छिपाने लगे, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

आंखें चुराने लगे: यदि आप का साथी आप से बात करने से बचने लगे या बात करते वक्त अपनी आंखें न मिला पाए, इधरउधर देखने लगे, आप की बातों को अनसुना करने लगे, आप की किसी भी बात को गंभीरता से न ले, वही काम करे जो आप को पसंद नहीं है, अपनी गलती न मानने के बजाए आप की ही गलती निकालने लगे, आप का फोन न उठाए और न ही आप के किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए कि आप का पार्टनर आप को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहा है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आप का पार्टनर हो.

फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए:

पूरा समय लें: अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाजी करने से बचें. पूरा समय लें. आप को किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिलकुल नहीं. आप को गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहे शब्द नुकसान अधिक पहुंचाते हैं.

न बहस करे न लड़े: विरोध दर्ज करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिस की वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

‘वो’ को दोष न दें: ज्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाए उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिस की वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आप के प्यार को झुठला कर आगे निकल गया, तो गलती उस की ही है.

अपने मामले में किसी और को बोलने न दे: अगर आप चाहते हैं कि आप के और आप के पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यह होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आप के लिए ही खतरनाक हो सकता है.

एक मौका और दें: अगर आप को लगे कि आप के पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सब कुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इस के लिए आप दोनों का साथ रहना और साथ वक्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

जानकारी: इरेक्टाइल डिसफंक्शन कैसे पाएं निजात 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी ईडी का मतलब है कि यौनक्रिया करते वक्त लिंग में पर्याप्त तनाव उत्पन्न न हो पाना. इसे कभीकभी नपुंसकता भी कहते हैं. हालांकि, नपुंसकता शब्द का इस्तेमाल अब कम हो गया है. यह वृद्ध पुरुषों एवं मध्य आयुवर्ग के पुरुषों की आम समस्याओं में से एक है.

अधिकांश पुरुषों को ईडी के प्रबंधन के लिए विकसित होते सिद्धांतों एवं सक्षम थेरैपी की जानकारी नहीं होती, जो सालों तक ईडी का इलाज न कराए जाने का मुख्य कारण है. ईडी का इलाज कराने के लिए सब से पहला कदम यह है कि इस बीमारी के बारे में अपने डाक्टर से खुल कर बात की जाए क्योंकि वह आप को जीवनशैली के परिवर्तनों से ले कर मैडिकेशन व सर्जरी तक के कई उपायों की सलाह दे सकते हैं.

ईडी के कारण

मैडिकल समस्याएं, जैसे हाइपरटैंशन, डायबिटीज मेलिटस एवं कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) और मनोवैज्ञानिक समस्याएं, जैसे अवसाद व चिंता पुरुषों में यौन समस्याएं बढ़ाती हैं. डायबिटीज यौन समस्याओं का आम कारण है क्योंकि यह लिंग में खून का प्रवाह बनाने वाली रक्तवाहिनियों और नसों दोनों को प्रभावित करती है. जीवनशैली की खराब आदतें, जैसे मोटापा, धूम्रपान, अल्कोहलपान आदि भी ईडी के कारण हैं.

ईडी से पीडि़त होने के लक्षण

लिंग में तनाव उत्पन्न करने में परेशानी होना.

यौनक्रिया के वक्त तनाव बनाए रखने में मुश्किल होना.

यौनेच्छा की कमी.

अत्यधिक उत्तेजना उत्पन्न होने के बाद भी संभोग सुख प्राप्त न कर पाना.

यदि ये लक्षण 3 माह या उस से ज्यादा समय तक रहते हैं तो व्यक्ति को डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. डाक्टर आप को यह सम झने में मदद करेगा कि आप के ये लक्षण आप की किसी अन्य समस्या के कारण हैं जिस का इलाज कराए जाने की जरूरत है.

ईडी को रोकने में मदद करने के लिए आप अनेक उपाय कर सकते हैं. इन में से कई उपायों में जीवनशैली में सेहतमंद परिवर्तन शामिल हैं. ये परिवर्तन न केवल ईडी को रोकने के लिए अच्छे हैं बल्कि आप की संपूर्ण सेहत में भी सुधार लाते हैं.

ईडी को रोकने के सुझाव

दिल की बीमारी और डायबिटीज को नियंत्रण में रखें.

नियमित तौर पर व्यायाम करें.
वजन नियंत्रित रखें.

सेहतमंद आहार लें.

तनाव का प्रबंधन करने या उसे कम करने के तरीके खोजें.

यदि चिंता या अवसाद हो रहा हो तो मदद लें.

धूम्रपान त्याग दें.

अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें. ऐसी दवाइयां न लें जिन का परामर्श आप के डाक्टर ने न दिया हो.

ईडी का इलाज

सब से पहले नौन-इन्वैसिव यानी कोई चीरा लगाए बिना इलाज किया जाता है. ईडी के अधिकांश मशहूर इलाज कारगर हैं और सुरक्षित भी.

ईडी के लिए अकसर फौस्फोडायस्टेरेज टाइप-5 इन्हिबिटर्स जैसी ओरल दवाइयां या गोलियां दी जाती हैं, जैसे वियाग्रा, सियालिस, लेविट्रा, स्टेंड्रा आदि.

टेस्टोस्टेरौन थेरैपी (जब खून की जांच में टेस्टोस्टेरौन की कमी पाई जाती है).

पेनाइल इंजैक्शन (आईसीआई, इंट्राकेवरनोजल एल्प्रोस्टेडिल/ बाईमिक्स).

वैक्यूम इरेक्शन डिवाइसेस

यदि ओरल दवाइयां काम न करें तो ईडी वाले पुरुषों को एल्प्रोस्टेडिल/ बाईमिक्स दवाई दी जाती है. यह दवाई इस्तेमाल के तरीके के आधार पर 2 रूपों में आती है : इंट्राकैवरनोजल इंजैक्शन यानी ‘आईसीआई’ या यूरेथ्रा द्वारा (आईयू थेरैपी). इस के अलावा व्यक्ति सर्जिकल इलाज भी करा सकता है.
लिंग का प्रत्यारोपण : यह उन पुरुषों के लिए अंतिम विकल्प है जिन्हें दवाइयों एवं अन्य नौन-इन्वैसिव इलाजों से कोई लाभ नहीं मिलता.

वैस्कुलर सर्जरी : पुरुषों में एक अन्य सर्जिकल विकल्प, वैस्कुलर सर्जरी है जो ईडी करने के लिए जिम्मेदार रक्तवाहिनी की समस्याओं को ठीक करती है.

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि ईडी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए और साथ ही, आम जनता को जानकारी दी जाए कि ईडी का इलाज हो सकता है. ईडी का इलाज संभव है, इस का एक ताजा उदाहरण यहां पेश है.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी यौन क्रिया के दौरान लिंग में पर्याप्त तनाव उत्पन्न न कर पाने की समस्या अकसर चिंता, अवसाद या डायबिटीज पीडि़त पुरुषों में होती है. 37 वर्ष के एक पुरुष को डायबिटीज से पीडि़त होने के बाद कुछ समय में इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो गया. वह मरीज इंसुलिन पर था. डायग्नोसिस से पहले वह सेहतमंद जिंदगी और सफल संबंधों का आनंद ले रहा था लेकिन डायबिटीज ने उसे ईडी भी कर दिया.

ईडी की शिकायत रहते हुए उस ने इस उम्मीद में शादी कर ली कि इस से उस की स्थिति में सुधार होगा. लेकिन उस की समस्या चलती रही और बीते दिनों के साथ गर्भधारण के लिए सामाजिक दबाव बढ़ने लगा. इस से प्रजनन क्षमता की बातें होने लगीं और अपनी जीवनसाथी के साथ उस के संबंध बिगड़ने लगे. वह अभी तक अपनी समस्या पर खुल कर बात नहीं कर पा रहा था लेकिन बढ़ते दबाव ने आखिरकार उसे डाक्टर से परामर्श लेने पर मजबूर कर दिया.

मैडिकल सहायता देते हुए उसे थेरैपी के तहत इंट्रा पीनल इंजैक्शंस का सु झाव दिया गया. लेकिन इस में उस की रुचि नहीं थी. इसलिए पहले उस ने ओरल दवाई शुरू की जिस का उसे कोई फायदा नहीं हुआ. परिणामस्वरूप, अंत में उस ने लिंग को प्रत्यारोपण कराने की बात मान ली. इलाज शुरू करने से पहले उसे अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करना जरूरी था.

डाक्टर्स ने मिल कर अपने मरीज का इलाज किया और उस की डायबिटीज को नियंत्रण में ले कर आए. इस के बाद ईडी के इलाज के लिए थ्री-पीस इन्फ्लेटेबल डिवाइस इंप्लांट की. यह प्रक्रिया सफल रही जिस के बाद मरीज ने सफलतापूर्वक परिवार नियोजन किया. अब उस के 2 खूबसूरत बेटियां हैं.

(लेखक दियोस मैंस हैल्थ सैंटर, नई दिल्ली में क्लिनिकल डायरैक्टर के पद पर सेवारत हैं.)

सेक्स समस्याएं: महिला और पुरुष को झेलनी पड़ती हैं ये परेशानियां

स्वस्थ सेक्स का आपकी जीवनशैली से गहरा रिश्ता होता है. आज के समय में तनाव भरी जीवनशैली के कारण सेक्स समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. अगर आप तनाव में हैं तो जाहिर है आप सेक्स का आनंद नही ले सकते और इसका आपके रिश्तों पर भी नकारात्मक असर पड़ने लगता है.

वैसे भारत में सेक्स समस्या बढ़ने की मुख्य वजह है लोगों में सेक्स के प्रति जागरूकता की कमी. लोग डॉक्टर व काउंसलर से सेक्स समस्याओं के बारे में खुल कर बात करने में संकोच करते हैं. महिलाओं और पुरुषों में कुछ सामान्य सेक्स समस्याएं होती हैं जिनसे लोग आमतौर पर ग्रस्त रहते हैं.

-यहां हम आपको बता रहे हैं सेक्स संबंधी 10 समस्याएं.

1. पुरुषों की सेक्स समस्याएं

  • पुरुष के लिंग में उत्तेजना न आना, उत्तेजना आकर शीघ्र ही खत्म हो जाना, उत्तेजना आते ही semen (वीर्य) निकल जाना आदि पुरूषों में आम सेक्स समस्याएं हैं.
  • पुरूषों का स्त्री के सामने आते ही घबरा जाना, semen निकल जाना इत्यादि सेक्स समस्याओं के तहत ही आता है. इस समस्या की वजह से अक़्सर पुरूष स्त्री से दूर-दूर भागने लगते हैं और अपनी बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं.
  • पुरुष के semen में शुक्राणु होते हैं. ये शुक्राणु ही गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं. semen में इन शुक्राणुओं की संख्या कम होने से महिला गर्भवति नहीं हो पाती. शुक्राणु की कमी को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं जो पुरूषों में होने वाली एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • कई पुरूषों के semen में शुक्राणुओं ही नहीं होते, इस स्थिति को एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है. इस समस्या के होने पर पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं. यह भी पुरूषों के लिए एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • पुरूषों में उम्र के बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता है और इसके कारण सेक्स इच्छा में कमी भी हो जाती है.

2. महिलाओं की सेक्स समस्याएं

  • महिलाओं को सबसे अधिक शिकायत यौनेच्छा की कमी होती है. कई महिलाओं की सेक्स करने में बिल्कुल भी रूचि नहीं होती. उनकी सेक्स भावना बिल्कुल खत्म हो चुकी होती है जो कि एक गंभीर सेक्स समस्या है. कई बार ये स्थिति मेनोपोज के बाद आती है लेकिन कई महिलाओं में मेनोपोज से पहले ही सेक्स के प्रति इच्छा ख़त्म हो जाती है.
  • योनि से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज युवावस्था की महिलाओं के लिए भी आम समस्या हो गई है. सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया कहा जाता है.
  • कई कारणों से महिलाओं को योनि में itching (खुजली) होने लगती है. इसके कई कारण होते हैं जैसे इन्फेक्शन, ठीक से सफाई न होना, रोज़ाना कब्ज रहना. इसके अलवा संभोग करने वाले व्यक्ति के यौनांगों में इन्फेक्शन से भी ये समस्या हो जाती है.
  • कई बार प्यूबिक हेयर्स की ठीक से सफाई न करने से उसमें मौजूद कीटाणु योनि मार्ग में चले जाते हैं जिससे योनि गर्भाशय संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इसीलिये यौनांगों की ठीक तरह से सफाई बेहद ज़रुरी है.
  • कई बार स्तनों में दर्द होने पर लड़कियां इसे आम बीमारी समझ कर लापरवा‍ही करती हैं लेकिन ये दर्द बढ़कर स्तन कैंसर का रूप भी ले सकता है. इसीलिए किसी भी तरह के बड़े ख़तरे को टालने के लिए जरूरी है डॉक्टर की सही समय पर सलाह लेना.

जानिए, सेक्सुअल एलर्जी के क्या कारण है

लेखक- डा. ऋषिकेश डी पाई

यौनजनित एलर्जी एवं रोगों का पता नहीं चल पाता, क्योंकि यह थोड़ा निजी सा मामला है. इस बारे में बात करने में लोग झिझकते हैं और अकसर चिकित्सक या परिजनों को भी नहीं बताते. जहां यौन संसर्ग से होने वाले रोग (एसटीडी) कुछ खास विषाणु एवं जीवाणु के कारण होते हैं, वहीं यौनक्रिया से होने वाली एलर्जी लेटेक्स कंडोम के कारण हो सकती है. अन्य कारण भी हो सकते हैं, परंतु लेटैक्स एक प्रमुख वजह है.

यौन संसर्ग से होने वाले रोग

एसटीडीज वे संक्रमण हैं जो किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संसर्ग करने पर फैलते हैं. ये रोग योनि अथवा अन्य प्रकार के सैक्स के जरिए फैलते हैं, जिन में मुख एवं गुदा मैथुन भी शामिल हैं. एसटीडी रोग एचआईवी वायरस, हेपेटाइटिस बी, हर्पीज कौंपलैक्स एवं ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) जैसे विषाणुओं या गोनोरिया, क्लेमिडिया एवं सिफलिस जैसे जीवाणु के कारण हो सकते हैं.

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इस तरह के रोगों का खतरा उन लोगों को अधिक रहता है जो अनेक व्यक्तियों के साथ सैक्स करते हैं, या फिर जो सैक्स के समय बचाव के साधनों का प्रयोग नहीं करते हैं.

कैंकरौयड : यह रोग त्वचा के संपर्क से होता है और अकसर पुरुषों को प्रभावित करता है. इस के होने पर लिंग एवं अन्य यौनांगों पर दाने व दर्दकारी घाव हो जाते हैं. इन्हें एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता है और अनदेखा करने पर इन के घातक परिणाम हो सकते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर इस रोग के होने की आशंका बहुत कम हो जाती है.

क्लैमाइडिया : यह अकसर और तेजी से फैलने वाला संक्रमण है. यह ज्यादातर महिलाओं को होता है और इलाज न होने पर इस के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, परंतु कुछ मामलों में योनि से असामान्य स्राव होने लगता है या मूत्र त्यागने में कष्ट होता है. यदि समय पर पता न चले तो यह रोग आगे चल कर गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या पूरी प्रजनन प्रणाली को ही क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिस से बांझपन की समस्या हो सकती है.

क्रेब्स (प्यूबिक लाइस) : प्यूबिक लाइस सूक्ष्म परजीवी होते हैं जो जननांगों के बालों और त्वचा में पाए जाते हैं. ये खुजली, जलन, हलका ज्वर पैदा कर सकते हैं और कभीकभी इन के कोई लक्षण सामने नहीं भी आते. कई बार ये जूं जैसे या इन के सफेद अंडे जैसे नजर आ जाते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर भी इन जुंओं को रोका नहीं जा सकता, इसलिए बेहतर यही है कि एक सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ ही यौन संसर्ग किया जाए. दवाइयों से यह समस्या दूर हो जाती है.

गोनोरिया : यह एक तेजी से फैलने वाला एसटीडी रोग है और 24 वर्ष से कम आयु के युवाओं को अकसर अपनी चपेट में लेता है. पुरुषों में मूत्र त्यागते समय गोनोरिया के कारण जलन महसूस हो सकती है, लिंग से असामान्य द्रव्य का स्राव हो सकता है, या अंडकोशों में दर्द हो सकता है. जबकि महिलाओं में इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते. यदि इस की चिकित्सा समय से न की जाए, तो जननांगों या गले में संक्रमण हो सकता है. इस से फैलोपियन ट्यूब्स को क्षति भी पहुंच सकती है जो बांझपन का कारण बन सकती है.

हर्पीज : यह रोग यौन संसर्ग अथवा सामान्य संपर्क से भी हो सकता है. मुख हर्पीज में मुंह के अंदर या होंठों पर छाले या घाव हो सकता है. जननांगों के हेर्पेस में जलन, फुंसी हो सकती है या मूत्र त्याग के समय असुविधा हो सकती है. य-पि दवाओं से इस के लक्षण दबाए जा सकते हैं, लेकिन इस का कोई स्थायी इलाज मौजूद नहीं है.

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एचआईवी या एड्स : ह्यूमन इम्यूनोडैफिशिएंसी वाइरस अथवा एचआईवी सब से खतरनाक किस्म का यौनजनित रोग है. एचआईवी से पूरा तंत्रिका तंत्र ही नष्ट हो जाता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है. एचआईवी रक्त, योनि व गुदा के द्रव्यों, वीर्य या स्तन से निकले दूध के माध्यम से फैल सकता है. सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ यौन संबंध रख कर और सुरक्षा उपायों का प्रयोग कर के एचआईवी को फैलने से रोका जा सकता है.

पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज : पीआईडी एक गंभीर संक्रमण है और यह गोनोरिया एवं क्लेमिडिया का ठीक से इलाज न होने पर हो जाता है. यह स्त्रियों के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है, जैसे फैलोपियन ट्यूब. गर्भाशय या डिंबग्रंथि में प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होते. परंतु इलाज न होने पर यह बांझपन या अन्य कई समस्याओं का कारण हो सकता है.

यौनजनित एलर्जी : इस तरह की एलर्जी की अकसर लोग चर्चा नहीं करते. सैक्स करते वक्त कई बार हलकीफुलकी एलर्जी का पता भी नहीं चलता. परंतु, एलर्जी से होने वाली तीव्र प्रतिक्रियाओं की अनदेखी नहीं हो सकती, जैसे अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण, और एनाफाइलैक्सिस. इन में से कई एलर्जिक प्रतिक्रियाएं तो लेटैक्स से बने कंडोम के कारण होती हैं. कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि वीर्य से एलर्जी, गस्टेटरी राइनाइटिस आदि.

लेटैक्स एलर्जी : यह एलर्जी कंडोम के संपर्क में आने से होती है और स्त्रियों व पुरुषों दोनों को ही प्रभावित कर सकती हैं. लेटैक्स एलर्जी के लक्षणों में प्रमुख हैं- जलन, रैशेस, खुजली या अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण और एनाफाइलैक्सिस आदि. ये लक्षण कंडोम के संपर्क में आते ही पैदा हो सकते हैं.

यह एलर्जी त्वचा परीक्षण या रक्त परीक्षण के बाद पता चल पाती है. यदि परीक्षण में एलजीई एंटीबौडी मिलते हैं तो इस की पुष्टि हो जाती है, क्योंकि वे लेटैक्स से प्रतिक्रिया करते हैं. लेटैक्स कंडोम का प्रयोग बंद करने से इस एलर्जी को रोका जा सकता है.

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वीर्य से एलर्जी : बेहद कम मामलों में ऐसा होता है, लेकिन कुछ बार वीर्य में मौजूद प्रोटीन से स्त्री में इस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है. कई बार भोजन या एनसैड्स व एंटीबायोटिक्स में मौजूद प्रोटीन पुरुष के वीर्य से होते हुए स्त्री में एलर्जी करने लगते हैं. इस का लक्षण है- योनि संभोग के 30 मिनट के भीतर योनि में जलन. अधिक प्रतिक्रियाओं में एरियूटिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा और एनाफाइलैक्सिस आदि शामिल हैं. प्रभावित महिला के साथी के वीर्य की जांच कर के इस एलर्र्जी की पुष्टि की जा सकती है.

दरअसल, नियमित यौन जीवन जीने वाले महिलाओं व पुरुषों को किसी विशेषज्ञ से प्राइवेट पार्ट्स की समयसमय पर जांच कराते रहना चाहिए. इस से यौनजनित विभिन्न रोगों का पता चलेगा और उन से आप कैसे बचें, इस का भी पता चल सकेगा. यदि ऐसी कोई समस्या मौजूद हुईर्, तो आप उचित इलाज करा सकते हैं. यह अच्छी बात नहीं है कि झिझक या शर्र्म के चलते ऐसी बीमारियों का इलाज रोक कर रखा जाए. यदि आप को या आप के साथी को ऐसी कोईर् बीमारी या एलर्जी हो, तो तत्काल विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

(लेखक ब्लूम आईवीएफ ग्रुप के मैडिकल डायरैक्टर हैं.)

जूतों की करें हिफाजत

जूते पैरों को मौसम की मार, गंदगी, चोट आदि लगने से तो बचाते ही हैं, ये इंसान की हैसियत भी बताते हैं. फटा हुआ जूता गरीबी की निशानी माना जाता है.

चूंकि बाजार में अलगअलग रंग, सस्तेमहंगे और कई किस्म के जूते मिल जाते हैं, इसलिए उन्हें खरीदना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है, बस उन्हें संभाल कर रखने की जरूरत होती है, ताकि उन की उम्र बढ़ जाए और हर तीसरेचौथे महीने नए न खरीदने पड़ें.

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शहरों में तो सड़कें पक्की होने और कम धूलमिट्टी के चलते जूतों की जिंदगी बढ़ जाती है पर गांवदेहात और छोटे कसबों में इन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है.

ज्यादातर लोग अपने कपड़ों और गहनों की तो पूरी देखभाल करते हैं, पर जूतों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे वे बाहर से घर आने के बाद जूतों को ऐसे ही खुले में रख कर छोड़ देते हैं. बहुत से लोग तो फीता भी नहीं खोलते हैं.

नौजवानों में यह लापरवाही खूब देखी जाती है. इस वजह से महंगे से महंगे जूते भी कुछ ही दिनों में खराब हो जाते हैं और उन की चमक भी चली जाती है. लिहाजा, जब भी कहीं जाएं और वहां जूते उतारने की जरूरत पड़े तो आराम से बैठ कर पहले जूते के फीते खोलें और उन्हें आराम से पैरों से निकाल कर करीने से रखें. अगर बिना फीते के जूते हैं तो भी उन्हें आराम से उतारें, कोई हड़बड़ी न दिखाएं.

ज्यादा न धोएं

गांवदेहात में लोगों को स्पोर्ट्स शू पहनने का बड़ा शौक होता है या कह लीजिए कि चमड़े के जूते के बजाय वे ज्यादा आरामदायक होते हैं. लेकिन बहुत बार देखा गया है कि लोग उन्हें कुछ समय बाद ही धो देते हैं. इस से जूते जल्दी घिसते हैं और अपनी चमक भी खो देते हैं. ऐसा करना ठीक नहीं है.

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इस से तो अच्छा है कि रोजाना उन्हें साफ कपड़े से झाड़पोंछ लें. ज्यादा हो तो गीले कपड़े से उन्हें साफ कर लें.

आकार न बिगड़ने दें

बहुत बार ऐसा देखा गया है कि 2 लोग एक जूते को इस्तेमाल कर लेते हैं चाहे उन के पैर का नंबर कमज्यादा ही क्यों न हो. इस से जूतों का आकार बिगड़ जाता है और वे जल्दी खराब होते हैं. इस के अलावा कभी भी जूतों को एक के ऊपर एक कर के न रखें. इस से उन में निशान भी बन जाता है, जो भद्दा लगता है.

अगर लंबे समय तक किसी जूते को नहीं पहनना है तो उस में अखबार भर दीजिए, ताकि उन का आकार बना रहे और वे कड़े न हो जाएं.

गीले पैर न पहनें जूता

जूते पहनते समय पैरों को सूखा रखें, वरना जूते मे नमी आ जाती है. इस से जूते की उम्र तो घटती ही है, पैरों से भी बदबू आने लगती है, इसलिए हमेशा पहले पैरों को तौलिए से पोंछ लें, फिर जूता पहनें. इस के अलावा जूतों को बरसात में भी नमी से बचाएं, नहीं तो उन में खासकर चमड़े के जूतों में फंगस लगने का डर बना रहता है.

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पौलिश जरूर करें

जैसे अपने शरीर को खूबसूरत रखने के लिए हम नहाते हैं, उसी तरह जूतों को भी खूबसूरत बनाए रखने के लिए उन्हें पौलिश की जरूरत होती है, जबकि ज्यादातर लोग इसे बेवजह का खर्चा मान लेते हैं. बाहर महंगी पौलिश कराने से अच्छा है कि घर पर ही पौलिश रखें और समयसमय पर ब्रश से जूते चमकाते रहें.

अगर जूते की सिलाई उधड़ रही है तो तुरंत मोची से उसे सिलवा लें. कभीकभी यह छोटी सी लापरवाही भी जूते को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.

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