जूते पैरों को मौसम की मार, गंदगी, चोट आदि लगने से तो बचाते ही हैं, ये इंसान की हैसियत भी बताते हैं. फटा हुआ जूता गरीबी की निशानी माना जाता है.
चूंकि बाजार में अलगअलग रंग, सस्तेमहंगे और कई किस्म के जूते मिल जाते हैं, इसलिए उन्हें खरीदना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है, बस उन्हें संभाल कर रखने की जरूरत होती है, ताकि उन की उम्र बढ़ जाए और हर तीसरेचौथे महीने नए न खरीदने पड़ें.
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शहरों में तो सड़कें पक्की होने और कम धूलमिट्टी के चलते जूतों की जिंदगी बढ़ जाती है पर गांवदेहात और छोटे कसबों में इन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है.
ज्यादातर लोग अपने कपड़ों और गहनों की तो पूरी देखभाल करते हैं, पर जूतों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे वे बाहर से घर आने के बाद जूतों को ऐसे ही खुले में रख कर छोड़ देते हैं. बहुत से लोग तो फीता भी नहीं खोलते हैं.
नौजवानों में यह लापरवाही खूब देखी जाती है. इस वजह से महंगे से महंगे जूते भी कुछ ही दिनों में खराब हो जाते हैं और उन की चमक भी चली जाती है. लिहाजा, जब भी कहीं जाएं और वहां जूते उतारने की जरूरत पड़े तो आराम से बैठ कर पहले जूते के फीते खोलें और उन्हें आराम से पैरों से निकाल कर करीने से रखें. अगर बिना फीते के जूते हैं तो भी उन्हें आराम से उतारें, कोई हड़बड़ी न दिखाएं.
ज्यादा न धोएं
गांवदेहात में लोगों को स्पोर्ट्स शू पहनने का बड़ा शौक होता है या कह लीजिए कि चमड़े के जूते के बजाय वे ज्यादा आरामदायक होते हैं. लेकिन बहुत बार देखा गया है कि लोग उन्हें कुछ समय बाद ही धो देते हैं. इस से जूते जल्दी घिसते हैं और अपनी चमक भी खो देते हैं. ऐसा करना ठीक नहीं है.
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